दुनिया का पांचवां सबसे ज्यादा खाया जाने वाला अनाज ज्वार जितना अपने अद्भुत स्वाद के लिए जाना जाता है, उतना ही अपने पोषक तत्वों के लिए भी। आइए जानते हैं सर्दियों का सुपरफूड कहे जानेवाले ज्वार से जुड़ी कुछ खास बातें।
पोषण के साथ स्वाद भी देता है ज्वार
सर्दियों के मौसम में भारत के कई हिस्सों में उपलब्ध सफेद मोतियों सा ज्वार, जब ताजा होता है, तो रंग में हल्का हरा, रसदार और स्वाद में कुरकुरा मीठा होता है। पोषक तत्वों से भरपूर कोमल ताजी ज्वार को मराठी में हुरड़ा और गुजराती में पोंक कहा जाता है। परंपरागत रूप से, इसे मिट्टी के गड्ढों में कोयले पर भूना जाता है और इस ताजा भुने हुरड़े को तिल, मूंगफली, सूखा नारियल, लहसुन और लाल मिर्च से बनी तीखी चटनी के साथ खाया जाता है। इसके अलावा कुछ लोग इसे भरवां बैंगन और कुछ लोग गुड़ के साथ भी खाना पसंद करते हैं। ग्रामीण भागों में कई जगहों पर इस विंटर स्पेशल नाश्ते का आनंद लेने के लिए खेतों में हुरड़ा पार्टियों का आयोजन किया जाता है।
ग्लूटेन-फ्री होने के साथ सुरक्षित भी
वेट लॉस में मददगार संजीवनी फ्रेश ज्वार न सिर्फ डायबिटिक लोगों के लिए सुरक्षित है, बल्कि यह एंटी इंफ्लेमेटरी और कैंसररोधी भी है। ज्वार की सबसे अच्छी बात यह है कि यह एक ग्लूटेन-फ्री अनाज है। इसका मतलब ये है कि ज्वार उन लोगों के लिए भी एक अच्छा विकल्प है, जिन्हें गेहूं प्रोटीन से एलर्जी है। ऐसे में ज्वार सभी के लिए एक सुरक्षित अनाज है। ज्वार की एक खासियत यह भी है कि इसे आप किसी अन्य सब्जी या अनाज के साथ या उसके बिना भी पकाकर खा सकती हैं। हालांकि आमतौर पर इसके आटे से रोटियां बनाई जाती हैं, जिन्हें महाराष्ट्र में भाकरी और गुजरात में रोटला कहते हैं।
न्यूट्रिशन से भरपूर
ज्वार के न्यूट्रिशियस गुणों के बारे में डाइटीशियन अमृता तांबेकर बताती हैं, “ज्वार में फाइबर, कार्ब्स और प्रोटीन जैसे महत्वपूर्ण पोषक तत्वों के साथ प्रोटीन भी होता है, जिसकी मौजूदगी से पेट देर तक भरा हुआ महसूस होता है। ऐसे में इससे शरीर को जरूरी ऊर्जा और वेट लॉस में भी काफी मदद मिलती है। दूसरे अनाजों की अपेक्षा पचने में आसान ज्वार विटामिन B6 से भरपूर होता है। साथ ही इसमें पोटेशियम, कैल्शियम और आयरन जैसे शरीर के लिए जरूरी मिनरल्स भी होते हैं, जिनकी मौजूदगी ज्वार को पोषण का खजाना बना देती है।”
सेहत के लिए फायदेमंद
विटामिन B सहित कई तरह के पोषक तत्वों से भरपूर ज्वार सिर्फ सर्दियों में ही नहीं, बल्कि हर मौसम में सभी की सेहत का खास ख्याल रखते हैं। सिर्फ यही नहीं यह डायबिटीज से पीड़ित लोगों के लिए भी काफी फायदेमंद है क्योंकि इसे खाने से ब्लड शुगर कंट्रोल में रहता है। पाचन तंत्र को दुरुस्त रखनेवाले इस सुपरफूड से न सिर्फ मेटाबॉलिज्म एक्टिव रहता है, बल्कि नर्व सेल डेवलपमेंट में भी मदद मिलती है, जिससे स्किन और बाल हेल्दी बने रहते हैं। मैग्नीशियम जैसे महत्वपूर्ण मिनरल के कारण ब्लड प्रेशर भी काबू में रहता है और आपका दिल भी स्वस्थ और सुरक्षित रहता है।
प्रेग्नेंट महिलाओं के साथ बच्चे और बुजुर्गों के लिए भी
आम तौर पर बच्चे, बुजुर्ग तथा प्रेग्नेंट महिलाओं, जिनकी इम्युनिटी स्ट्रॉन्ग नहीं होती, उन्हें सर्दियों में सर्दी-जुकाम, फ्लू, माइग्रेन और एसिडिटी काफी होती है। ऐसे में ज्वार में मौजूद कैंसररोधी फाइटोकेमिकल्स इन सभी बीमारियों से लड़ने में आपकी मदद कर सकता है। विशेष रूप से पेट में पल रहे बच्चे के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए प्रेग्नेंट महिलाओं को इससे पर्याप्त पोषण मिल सकता है। इसके अलावा ठंड से परेशान बुजुर्गों की इम्युनिटी स्ट्रॉन्ग रखने के साथ ज्वार में डाइजेशन से जुड़ी अन्य परेशानियों से लड़ने की भी ताकत होती है। सच पूछिए तो स्वस्थ भारत में गेहूं से पहले ज्वार की रोटियां ही खाई जाती थीं और अपने इन्हीं गुणों के कारण भारत के अलावा आज भी कई देशों में ज्वार को प्राइमरी अनाज की तरह इस्तेमाल किया जाता है।
ज्वार का सेवन करें, किंतु सिमित मात्रा में
ज्वार के न्यूट्रिशनल गुणों के साथ इसके नुकसान के बारे में डाइटीशियन अमृता तांबेकर बताती हैं,“इसमें दो राय नहीं है कि ज्वार खाना सभी के लिए पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन इसे एक सिमित मात्रा में खाया जाना चाहिए वर्ना इससे आपको ब्लोटिंग या पेट दर्द की समस्या भी हो सकती है। हालांकि इसके अधिक सेवन से कुछ लोगों में एलर्जिक रिएक्शन भी देखे गए हैं। कई बार इससे अस्थमा भी हो सकता है या इसके लक्षण ट्रिगर हो सकते हैं। आम तौर पर ज्वार का ग्लाइसेमिक इंडेक्स और ग्लाइसेमिक लोड बहुत कम होने के कारण डॉक्टर डायबिटीज के पेशेंट्स को ज्वार खाने की सलाह देते हैं, लेकिन यदि आप अपना ब्लड शुगर कंट्रोल करने के लिए दवाइयां ले रही हैं, तो इससे आपका ब्लड शुगर लो भी हो सकता है। अत: ज्वार को एक सिमित मात्रा में ही खाएं।”