एक सर्वे के मुताबिक भारत में लगभग 33 प्रतिशत शहरी और 25 प्रतिशत ग्रामीण भारतीय उच्च रक्तचाप की परेशानी से ग्रसित हैं। आमतौर पर इसके कोई लक्षण दिखाई नहीं देते। इससे पहले कि आपको पता चले कि आपको कुछ समस्या है, यह आपके हार्ट, किडनी और ब्रेन को नुकसान पहुंचा सकता है। हाई ब्लड प्रेशर से हार्ट अटैक तक का खतरा बढ़ जाता है। यही वजह है कि हाई ब्लड प्रेशर को “साइलेंट किलर” कहा जा सकता है। लेकिन बीपी की शिकायत होने पर आपके डॉक्टर और अस्पताल के चक्कर की जरूरत नहीं है, आपकी जीवनशैली ही इस मामले में सबसे अधिक काम करती है। सो, जीवनशैली और अपने आहार में बदलाव करके हाई ब्लड प्रेशर की समस्या से निबटा जा सकता है और प्राकृतिक तरह से नियंत्रित किया जा सकता है। आइए जानें विस्तार से।
किसी भी प्रकार के व्यायाम को दिनचर्या में शामिल करें
अगर आपको प्रकृतिक तौर पर उच्च रक्तचाप का इलाज करना है, तो योग से बेहतर भला और क्या हो सकता है। योग न केवल तंत्रिकाओं को शांत करता है, बल्कि तनाव दूर करने के साथ स्वाभाविक रूप से बढ़े हुए ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करता है। योग की बात करें तो विपरीत करनी आसन, शवासन, उत्तानासन, सेतुबंधासन और विशेष तौर पर ब्लड प्रेशर को बैलेंस रखने की खासियत है। अगर आप योग करने में सहज नहीं हैं, तो किसी और तरह कोई भी व्यायाम कर सकती हैं। वो कहते हैं ना किसी भी प्रकार का व्यायाम हमेशा कुछ न करने से बेहतर होता है। जानकारों की मानें तो प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट की मध्यम तीव्रता वाले व्यायाम बहूत जरूरी है। स्ट्रेचिंग, कार्डियो, स्ट्रेचिंग और मजबूती की ट्रेनिंग पर फोकस कर सकती हैं। योग और जिम में ही कसरत हो, यह जरूरी नहीं है। घर पर रहते हुए भी आप अपनी दैनिक गतिविधियों को भी बढ़ा सकती हैं, जैसे हर घंटे पांच मिनट चलना, फर्श पर या रसोई काउंटर के सामने पांच से 10 पुश-अप के दो सेट करना । इसके साथ ही सीढ़ियां चढ़ने और उतरने के फायदे भी बहुत है, जिसका सीधा असर आपके हृदय पर पड़ता है। इसलिए आज से ही लिफ्ट के बारे में सोचना छोड़ दीजिए। ज्यादा से ज्यादा सीढ़ियों का प्रयोग करना शुरू कर दें। अगर आप इनमें से कुछ भी एक्सरसाइज करना पसंद नहीं करती हैं, तो डांस कीजिए। आप डांस एंजॉय करने के साथ-साथ ही ब्लड प्रेशर भी कंट्रोल कर सकती हैं। अगर नाच भी नहीं तो खेल के बाहर के क्षमा खुद को एक्टिव और फिट रखकर ब्लड प्रेशर को कंट्रोल कर सकती हैं।
पोटेशियम युक्त खाने को डायट में जोड़ें
उच्च रक्तचाप को काम करने में पोटेशियम की भूमिका अहम होती है। पोटेशिनयम न केवल हृदय गति को नियंत्रित करने में मदद करता है, बल्कि यह शरीर में सोडियम के प्रभाव को भी कम कर सकता है। डॉक्टरों की मानें, तो पोटेशियम आपके शरीर को सोडियम से छुटकारा पाने में मदद करता है और आपकी रक्त वाहिका( ब्लड वेसेल) की दीवारों में प्रेशर को भी कम करता है, जो दोनों रक्तचाप को कम करने में मदद करते हैं। पोटेशियम को शरीर में पहुंचाने का सबसे प्रभावी और प्राकृतिक तरीका आहार है। दवा के बदले,पोटेशियम युक्त खाद्य पदार्थों को आज ही अपनी डायट में शामिल करें, फलों की बात करें तो केले, खरबूजे, संतरे, खुबानी, एवोकाडो और टमाटर जैसे फल आज ही खाना शुरू कर दीजिए। दूध, दही और क्रीम पनीर भी अच्छा विकल्प है। पत्तेदार हरी सब्जियां, लहसुन और शकरकंद के साथ ट्यूना और सालमन मछली भी शामिल करें।
नमक से दूरी है जरूरी
अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के रिपोर्ट की मानें, तो अधिकांश वयस्कों को प्रति दिन दो चम्मच या 2300 मिलिग्राम से अधिक नमक का सेवन करने को मना करता है। उच्च रक्तचाप में अधिक नमक का सेवन सबसे ज्यादा हानिकारक माना जाता है, क्योंकि नमक शरीर में पानी की मात्रा को नियंत्रित रखता है और अगर हम अधिक नमक का सेवन करते हैं तो शरीर में स्टोर किया हुआ पानी हमारे रक्त चाप को बढ़ाता है। इसलिए खाने में नमक की मात्रा को कम करना ही उच्च रक्त चाप को संतुलित करने का आसान और उचित उपाय है। अगर आप अधिक मात्रा में सोडियम का सेवन करती हैं, तो आपको उच्च रक्तचाप होने की संभावना कम सोडियम लेने वालों से 21 प्रतिशत ज्यादा हो सकती है। आमतौर पर यह माना जाता है कि नमक किसी भी खाने के स्वाद को बढ़ा देता है, कम नमक खाने के स्वाद को काम कर सकता है अगर आपको ऐसा लगता है, तो खाने में नींबू का रस डाल कर खाएं। अपने खाने को अलग-अलग मसालों से अलग स्वाद और खुशबू दें, ताकि आपको नमक की कमी महसूस न हो। इंटरनेट पर कम नमक वाले व्यंजनों को खोजें और उन्हें बनाएं। पुदीना, धनिया आदि खाने में नमक के प्रभाव को कम करते हैं, इसलिए आप खाने में इनका प्रयोग कर सकती हैं। कम नमक का यह अच्छा विकल्प हैं । किन चीजों में नमक ज्यादा होता है और उनसे दूरी रखना जरूरी है, तो
पैक हुए खाने में बहुत ज्यादा नमक होता है जैसे चिप्स, अचार, बिस्किट आदि इसके अलावा, जंक फूड में भी नमक की मात्रा बहुत अधिक होती हैं। बाजार का खाना या पैक्ड फूड न के बराबर या कम खाएं।
सही खानपान ही नहीं, सही जीवनशैली भी
सही दैनिक दिनचर्या में सबसे अहम सुबह जल्दी उठना और रात को जल्दी सोना है। सर्दी हो या गर्मी ब्लड प्रेशर को नियंत्रित रखना है, तो नहाते समय गरम पानी के बजाय सामान्य तापमान वाले पानी का इस्तेमाल ज्यादा फायदेमंद हो सकता है, विशेषज्ञों का कहना है कि साधारण पानी से नहाने पर शरीर में वैसोडिलेशन की प्रक्रिया को बढ़ावा मिलता है, इससे रक्त धमनियां(ब्लड आर्टरीज)खुलती हैं और ब्लड का बहाव के दौरान हृदय पर ज्यादा दबाव नहीं पड़ता। नतीजतन ब्लड प्रेशर काबू में रहता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सामान्य पानी से नहाने को हृदय के लिए व्यायाम जितना ही फायदेमंद पाया गया है। वजन बढ़ने पर अक्सर ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है। अधिक वजन होने से भी नींद के दौरान सांस लेने में बाधा आ सकती है, जो रक्तचाप को और बढ़ा देती है, इसलिए अपने वजन को कंट्रोल में रखें।लगभग 20 पाउंड वजन में कमी से सिस्टोलिक रक्तचाप को लगभग 10 से 20 मिमी एचजी तक कम किया जा सकता है। यह आपके बॉडी मास इंडेक्स या कमर हिप अनुपात पर काम करके हासिल किया जा सकता है। धूम्रपान और शराब से रक्तचाप बढ़ता है। धूम्रपान बंद करने से रक्तचाप कम करने में मदद मिलती है। यह हृदय रोग के जोखिम को भी कम कर सकता है और समग्र स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है। हाइपरटेंशन के रोगियों को रोजाना या हफ्ते में तीन से चार बार पूरे शरीर पर तेल से मालिश करनी चाहिए। शरीर के आधे से अधिक परेशानियों का जड़ तनाव होता है। तनाव यागुस्से में रहने पर ब्लड प्रेशर बढ़ता है। गुस्से की स्थिति में शरीर में स्ट्रेस हार्मोन पैदा होता है। यह हार्मोन तनाव से निपटने के लिए शरीर को तैयार करता है। लेकिन अगर लगातार गुस्से में रहेंगे तो यह हॉर्मोन ज्यादा रिलीज होगा। यह ज्यादा होगा तो ब्लड प्रेशर बढ़ेगा। इससे हार्ट या ब्रेन स्ट्रोक भी हो सकता है। स्वस्थ रहना है तो गुस्सा खुद से दूर रखने की जरूरत है।