तिल के बीज छोटे हैं और यह तेल से भरपूर बीज होते हैं, जो सेसमम इंडिकम पौधे की फली में शुद्ध रूप से उगते हैं। खास बात यह है कि इनका उपयोग कई हजार सालों से लोगों के बीच चिकित्सा के लिए किया किया जा रहा है। इसे अमूमन भून कर ठंड के दिनों में इस्तेमाल करते हैं। वहीं अगर तिल के पौधे की बात की जाये तो इसकी एक गंध होती है और यह लगभग 1-3 फीट लंबा होता है। तिल की पत्तियां व्यवस्थित और आयताकार होती हैं। पौधे के निचले भाग की पत्तियां अलग तरह की होती हैं। इसमें फूल भी लगते हैं, जो लगभग डेढ़ इंच लंबे और आंशिक रूप से बैंगनी रंग के होते हैं।
तिल में है फाइबर की प्रचुर मात्रा
तिल में फाइबर प्रचुर मात्रा में होती है, ऐसे में यह शरीर को फाइबर पहुंचाने के लिए सबसे अच्छे स्रोत होते हैं।
और अगर आपको सही तरीके से फाइबर मिले, तो आपके हृदय रोग, मोटापा और टाइप 2 मधुमेह के परेशानी कम हो सकती है।
कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स
कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स की परेशानी को खत्म करने के लिए जरूरी है कि तिल का सेवन किया जाए। तिल के बीज में 15 प्रतिशत सेचुरेटेड फैट होती है और 41 प्रतिशत पॉलीअनसेचुरेटेड वसा होती है और 39 प्रतिशत मोनोअनसैचुरेटेड वसा होती है। ऐसा कई शोध से साबित हुआ है कि सेचुरेटेड फैट (संतृप्त वसा) की तुलना में अधिक पॉलीअनसेचुरेटेड और मोनोअनसेचुरेटेड वसा खाने से आपके कोलेस्ट्रॉल को कम करने और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद मिल सकती है। इसलिए तिल अच्छा होता है। तिल के बीज में दो प्रकार के प्लांट कम्पाउंड होते हैं और यह लिग्नांस और फाइटोस्टेरॉल, जो कोलेस्ट्रॉल कम करने वाले प्रभाव भी डाल सकते हैं।
प्लांट प्रोटीन
प्रोटीन शरीर के लिए बेहद जरूरी तत्व हैं और प्लांट प्रोटीन के रूप में यह शरीर को काफी राहत देती है। दरअसल, प्रोटीन आपके स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है, क्योंकि यह मांसपेशियों से लेकर हार्मोन तक सब कुछ बनाने में मदद करता है। ऐसे में तिल इसके पूरा करने में मदद करता है। तिल के बीज में लाइसिन की मात्रा कम होती है और यह एक आवश्यक अमीनो एसिड है, जो पशु उत्पादों में अधिक प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। ऐसे में शाकाहारी लोग उच्च-लाइसिन का सेवन करके इसकी कमी को पूरी कर सकते हैं। इसमें जो ऐसे अमीनो एसिड हैं, जो बाकी दाल में नहीं होते हैं।
ब्लड प्रेशर कंट्रोल में मदद
तिल के बीज में मैग्नीशियम की मात्रा अधिक होती है, जो रक्तचाप को कम करने में मदद कर सकता है।
इसके अतिरिक्त, तिल के बीज में मौजूद लिगनेन, विटामिन ई और अन्य एंटीऑक्सीडेंट, जिसकी वजह से वजन कंट्रोल करने में काफी राहत मिलती है।
हड्डियों के लिए भी है बहुत अच्छा
तिल के बीजों में बीजों में ऑक्सालेट और फाइटेट्स नामक प्राकृतिक कम्पाउंड होते हैं, ऐसे में कुछ एंटीन्यूट्रिएंट्स जो इन खनिजों के अवशोषण को कम करते हैं। इसलिए भी यह हड्डियों के लिए काफी अच्छे तत्व के रूप में साबित होता है।
आंखों के लिए भी है अच्छा
तिल एक ऐसी चीज है, जिसके सेवन से आपकी आंखें बेहतरीन हो जाती हैं। उससे जुड़ीं हुईं परेशानियां भी खत्म हो जाती हैं। खासतौर से सर्दियों के मौसम की बात की जाए, तो सर्दियों के दौरान, तिल के फूलों को कुछ गुलाबजल के साथ रखा जाये और फिर उसे आंखों में इस्तेमाल किया जाए, तो कई परेशानी इससे ठीक हो जाती है।
हृदय के लिए भी है अच्छा
तिल के बीज की बात की जाए, तो प्राकृतिक तेल में घुलनशील होने वाले प्लांट्स लिगनेन होते हैं, जो कि उच्च रक्तचाप के उपचार में मदद करते हैं। इसलिए यह एक बेहतरीन चीज है, जो हृदय के लिए काफी अच्छी चीज है। इसलिए तिल का सेवन किया जाना चाहिए। यह हृदय को बेहतर करता है।
पाचन तंत्र को बेहतर करता है
तिल के बीज में फाइबर की मात्रा अधिक होती है और यह आपकी पाचन क्रिया को बेहतर कर देता है। यह कब्ज और दस्त जैसी परेशानियों को बेहतर करने में भी मदद कर सकता है, साथ ही कोलोन की भी मदद करता है, साथ ही साथ गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल वाली परेशानियों को भी बेहतर कर देता है। इसलिए पाचन के लिए इसका उपयोग किया जाना चाहिए।
मधुमेह की परेशानियों से निजात
तिल के कई सेहतमंद फायदों में एक फायदा यह भी है कि यह मधुमेह की परेशानियों से निजात दिला देता है। दरअसल, तिल मधुमेह के प्रबंधन में उपयोगी साबित होते हैं, यह ब्लड शुगर को नियंत्रित करने में काफी मदद करता है और शरीर में ग्लूकोज को नियंत्रण रखने में मदद करता है।
गठिया के इलाज में मदद
गठिया एक ऐसी बीमारी है, जिससे आजकल हर कोई परेशान ही रहता है। इसलिए कुछ चीजें, जो आपको अपनी डायट में शामिल करनी चाहिए, उनमें से एक यह भी है कि तिल को अपने खान-पान से जोड़ा जाये। इसके लिए,आपको तिल के बीज और तिल के तेल का उपयोग करना चाहिए, साथ ही इसे एंटी इंफ्लेमेटरी मानना चाहिए। एंटीऑक्सीडेंट के रूप में भी यह काफी अच्छा होता है। तिल में जो सेसमोल होते हैं, वो तिल के बीज में पाया जाने वाला एक बायोएक्टिव पदार्थ है, यह गठिया की परेशानी को कम करता है। इसके अलावा, गठिया से जुड़े दर्द और सूजन को कम करने में भी यह मदद करता है। तिल के बीज के तेल जोड़ों की मालिश से दर्द में राहत मिलती है।
मुंह के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है
डेंटल हेल्थ के लिए तिल बहुत अच्छी चीज होती है। अगर तिल के तेल को अपनी दांतों में लगाया जाए, तो इसके एंटी-बैक्टेरियल और एस्ट्रिंजेंट प्रभाव दांतों के लिए अच्छे होते हैं। यह स्ट्रेप्टोककस बैक्टेरिया की समस्या को दूर कर देता है। साथ ही डेंटल प्लेग की परेशानी को भी कम करने में मदद करता है। यह गम हेल्थ को भी बेहतर बना देता है।
अल्जाइमर की परेशानी में राहत
तिल के सीड्स या तिल के बीज अल्जाइमर की परेशानी से निजात दिलाने में मदद करते हैं। यह एंटी इंफ्लेमटरी होते हैं और इसके एंटी ऑक्सीडेंट गुण होते हैं, यह प्रो इंफ्लेमटरी मॉलिक्यूल्स को रोकने में मदद करते हैं और इसकी वजह से अल्जाइमर की परेशानी में राहत मिलती है।
अनीमिया की परेशानी में राहत
तिल में एनीमिया के उपचार में बहुत मदद मिलती है, इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इसमें आयरन की मात्रा बहुत होती है, जिसकी वजह से यह शरीर में हीमोग्लोबिन, हेमटोक्रिट और रेड ब्लड सेल्स के उत्पादन में मदद करते हैं। इसलिए भी तिल का सेवन किया ही जाना चाहिए।
बेचैनी की समस्या में निदान
तिल की यह खूबियां होती है कि यह बेचैनी की समस्या से उबरने में मदद करता है। इनमें एंटीऑक्सीडेंट होते हैं और यह फ्री रेडिकल्स को खत्म करने और तनाव से संबंधित चिंता को कम करने में सहायता करता है। इसलिए भी तिल का इस्तेमाल जरूर करना चाहिए।
पीसीओडी की समस्या में मिलती है राहत
सफेद तिल हों या फिर काले तिल, इसमें पोटेशियम, हार्मोन-विनियमन मैग्नीशियम और जिनक मिलते हैं, इसमें कैलोरी काफी कम होती है, जो आपके वजन को नियंत्रित रखती है, तो आपको वजन को बेहतर बनाने में मदद मिलती है, इसलिए यह आपके इस डिसऑर्डर को भी बेहतर करने में मदद करते हैं, इसलिए इसका जरूर सेवन रोजाना करना चाहिए।