हमारे स्वास्थ्य के लिए ऐसी कई सारी औषधि है, जो कमाल करती है। लेकिन हमें इसके बारे में जानकारी ही नहीं होती है कि हमें किस औषधि का इस्तेमाल कैसे करना है, तो आइए हम आपको विस्तार से बताते हैं कि कौन-कौन सी औषधि हमारे लिए बेहद जरूरी है और उनका किस तरह से सेवन किया जाना चाहिए।
क्या है औषधि या जड़ी-बूटी
दरअसल, जब भी कोई ऐसी चीज जो वनस्पतियों से प्राप्त हों और उसके औषधीय गुण मौजूद हों, तो उनको जड़ी-बूटियां कहा जाता है और वनस्पति से प्राप्त होने वाले फल, फूल पत्ते, शाखा, छाल, रस, बीज या जड़ में अनेक स्वास्थ्यवर्धक लाभ छिपे होते हैं, जिनका इस्तेमाल कई बीमारियों का इलाज करने के लिए किया जाता है। गौरतलब है कि भारत में वनस्पतियों पर आधारित एक सर्वेक्षण के अनुसार भारत में 8000 से भी अधिक पेड़-पौधे पाए जाते हैं, जिनसे अलग-अलग प्रकार की जड़ी-बूटियां मिलती हैं और फिर उनका कई बीमारियों के इलाज में इस्तेमाल होता है। शैम्पू से लेकर तेल, साबुन और कई चीजों में इनका इस्तेमाल होता है।
अश्वगंधा
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अश्वगंधा जिसका आयुर्वेदिक नाम विथानिया सोम्नीफेरा है और यह मुख्य रूप से भारत और उत्तरी अफ्रीका में पाया जाता है, दरअसल, यह एक छोटा लकड़ी का पौधा है, जिसकी जड़ों का उपयोग होता है और इसे आयुर्वेदिक उपचार के लिए बनाया जाता है। यह आपके शरीर की शक्ति को सही तरीके से बैलेंस करता है। शोध से पता चला है कि यह कोर्टिसोल के स्तर को कम करता है, यह एक ऐसा हार्मोन होता है, जो तनाव को कम करने में सहायक होता है। इसलिए तनाव या अधिक चिंता करने वाले लोगों को कहा जाता है कि वे अश्वगंधा का इस्तेमाल करें, साथ ही बेहतर नींद के लिए इसे खाएं। अश्वगंधा की यह खूबियां हैं कि यह मांसपेशियों की वृद्धि, याददाश्त और पुरुष प्रजनन क्षमता को बढ़ा सकता है, साथ ही ब्लड शुगर के स्तर को भी कम भी कर देता है। यह इम्युनिटी सिस्टम को भी बेहतर करने में सहायक होता है।
ब्राह्मी
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ब्राह्मी एक ऐसी जड़ी बूटी है, जो काफी अहम मानी जानती है, इसमें सूजन रोधी गुण को होते ही हैं, साथ ही यह ध्यान, याददाश्त को बरक़रार रखने में और अधिक मदद करता है। यह तनाव और चिंता को भी कम करने में मदद करता है, बच्चों को पढ़ाई के दौरान भी इससे काफी मदद मिलती है, इसलिए इसका सेवन सिरप या फिर पाउडर के रूप में किया जा सकता है।
गिलोय
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गिलोय की सबसे अधिक लोकप्रियता बढ़ी जूस के रूप में कोविड के दौरान। इस गिलोय को पानी में उबालकर भी पिया जा सकता है और इसे दैनिक आहार में शामिल करके भी इम्युनिटी को बढ़ाया जा सकता है। यह कोरोना काल में भी काफी अधिक कारगर साबित हुआ। इसलिए अब लगभग हर कोई इसे अपने बगीचे का हिस्सा बनाते ही हैं। इसे आप पानी में उबाल कर भी पी सकती हैं।
लाजवंती
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लाजवंती के बारे में भी हमने आपने बहुत सुना है, लेकिन हमें शायद ही इसके बारे में सारी जानकारी होती है कि यह फूल गुलाबी रंग के होते हैं और छोटे होते हैं, इसके बारे में यह जानना जरूरी है कि इसकी तासीर ठंडी और कड़वी होती है, यह कफ पित्त, दस्त, सूजन और जलन को कम करता है, साथ ही यह गले को दर्द को भी बेहतर करता है। यह डायबीटीज के इलाज में भी काफी मदद करता है।
त्रिफला
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त्रिफला एक आयुर्वेदिक चीज है, जो तीन छोटे औषधीय फल में शामिल है। आंवला, बिभीतकी और हरीतकी, यह जो औषधि है, यह गठिया को बेहतर करने के काम में आती है, साथ ही यह सूजन को कम करता है। इसके अलावा, कैंसर के विकास को भी आगे बढ़ने से रोकता है। जिन लोगों को कब्ज, पेट में दर्द या पेट फूलने की परेशानी है, उन्हें भी इसका सेवन करना चाहिए। यह माउथवॉश के रूप में भी काफी इस्तेमाल होता है, यह मुंह में होने वाले बैक्टेरिया को भी देता है, मसूड़ों के सूजन को भी कम कर देता है।
मुलेठी
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मुलेठी भी एक तरह की जड़ी-बूटी है, जो सर्दी-बुखार में काफी मदद करती है। आयुर्वेद में कहा गया है कि मुलेठी लगभग आठ बीमारियों का इलाज होता है, मुलेठी में मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट्स, एंटी इंफेल्मेट्री और एंटी माइक्रोबियल गुण इन बीमारियों को जड़ से खत्म करते हैं और आपको सर्दियों में भी निरोग रखते हैं। मुलेठी गले में सूजन और दर्द में आराम देता है, साथ ही खांसी-जुकाम में राहत मिलने में काफी मदद करता है।
रोजमेरी
रोजमेरी एक ऐसी जड़ी-बूटी है, जिसमें अच्छे एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं, यह बालों के लिए काफी अच्छी जड़ी बूटी है, इसलिए इसका इस्तेमाल बालों के तेल के लिए होता है।
ओरिगानो
ओरिगानो के सेहत के बहुत फायदे हों या न हो, लेकिन इसमें जो एंटी ऑक्सीडेंट की सामग्री अधिक मात्रा में होती है, उससे खाने में अगर टॉपिंग के रूप में इसका इस्तेमाल किया जाए, तो यह सेहत को किसी भी तरह का कोई नुकसान नहीं पहुंचाती है।
अजमोद
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अजमोद को अंग्रेजी में पार्स्ली कहते हैं, इसमें मौजूद विटामिन ए और सी आंखों की रोशनी और हड्डियों के स्वास्थ्य में भी सुधार करता है। यह गुर्दे की पथरी को भी रोकने में काफी मदद करती है।
जड़ी-बूटियों के साइड इफेक्ट्स
किसी भी चीज की अति तो अच्छी नहीं होती है, ऐसे में जड़ी बूटी का इस्तेमाल भी सोच समझ कर ही करना चाहिए। दरअसल, किसी भी जड़ी बूटी को कितनी मात्रा में लेना है, इसके बारे में डॉक्टर से सलाह या किसी वैद्य से सलाह मशविरा करना ही चाहिए। कोई भी जड़ी बूटी का इस्तेमाल लम्बे समय तक अच्छा नहीं होता है, इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि लंबे समय तक इसे लेने या उनके बने प्रोडक्ट लंबे समय तक इस्तेमाल करने से ब्लड में आर्सेनिक व पारा आदि की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे कई तरह की परेशानियां हो सकती है। कई बार एक जड़ी बूटी कई रोगों का इलाज, तो कई बार कई रोगों को बढ़ाने का भी कारण बनती है, इसलिए इन बातों का ख्याल रखें कि जरूरत से ज्यादा किसी भी चीज का इस्तेमाल सही नहीं है।