जड़ी-बूटी भारत में चिकित्सा की पारंपरिक प्रणाली है,जो सदियों पुरानी आयुर्वेद का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसकी अहमियत देश ही नहीं बल्कि विदेश में भी लोगों ने माना है। यही वजह है कि भारतीय आयुर्वेद में इस्तेमाल होने वाली जड़ी-बूटियां अब विदेशों में भी अलग-अलग रोगों को ठीक करने के लिए इस्तेमाल में ली जा रही हैं। आइए जानते हैं आयुर्वेद के कुछ खास चूर्ण के बारे में, जिन्हें अपनाकर रोजमर्रा की कई शारीरिक और मानसिक परेशानियों को हम कम कर सकते हैं।
अश्वगंधा चूर्ण
अश्वगंधा में एंटीऑक्सीडेंट, एंटी-इंफ्लेमेटरी, एंटी-बैक्टीरियल गुण के साथ कई पोषक तत्वों से भरपूर भी होते हैं। जिस वजह से अश्वगंधा के कई फायदे हैं। यही वजह है कि अश्वगंधा को आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों का राजा कहा गया है। यह तनाव और चिंता को कम करने के साथ-साथ इसका उपयोग गठिया और अनिद्रा जैसी कई परेशानियों के इलाज के लिए किया जाता है। गौरतलब है कि तनाव और चिंता को नियंत्रित करने की अपनी क्षमता के कारण देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में सभी का ध्यान आकर्षित कर रही है। एक शोध में तो इसे कैंसर के लिए असरदार बताया गया है। यह कैंसर के सेल्स को बढ़ने से रोकता है। यह शरीर में रिएक्टिव ऑक्सीजन स्पीसीज का निर्माण कर कीमोथेरपी से होने वाले साइड इफेक्ट्स से भी शरीर को बचाता है।
त्रिफला चूर्ण
त्रिफला तीन जड़ी-बूटियों हरिताकी, बिभीतकी और अमलाकी का मेल है। आयुर्वेद में इसे ऐसा चिकित्सीय एजेंट माना गया है,जो तीनों दोषों-कफ, वात और पित्त को संतुलित करता है। यह विटामिनसी जैसे एंटीऑक्सीडेंट का एक समृद्ध स्रोत है, जो इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में मदद करता है। सोने से पहले त्रिफला की खुराक लेना शरीर की आंतरिक सफाई के लिए फायदेमंद हो सकता है। त्रिफला चूर्ण वजन घटाने में भी मदद करता है। इसके एंटीऑक्सीडेंट गुण के कारण इसका सेवन कुछ हृदय रोगों से भी सुरक्षा प्रदान करता है। त्रिफला चूर्ण को दूध के साथ लेने पर इसके रोचक गुण के कारण कब्ज से राहत मिलती है। त्रिफला का पेस्ट चेहरे के लिए भी बहुत फायदेमंद है। इसमें एंटी-एजिंग के गुण मौजूद होते हैं।
गिलोय चूर्ण
आयुर्वेद में गिलोय को विभिन्न तरह के बुखारों के इलाज के लिए सबसे अच्छी औषधि में से एक माना जाता है। गिलोय तीन अमृत पौधों में से एक है, इसलिए इसे संस्कृत में अमृता वल्ली या अमृता भी कहा जाता है। कोरोना वायरस के वक्त गिलोय का चूर्ण और जूस सभी के लिए वरदान बना था। यह बात शायद ही कोई भूला हो। वैसे इसके कई फायदों में एक फायदा ये भी है कि यह हमारे शरीर में इंसुलिन के उत्पादन को बढ़ाने में मदद करता है, जिससे यह ब्लड में शुगर की मात्रा को नियंत्रित करता है। गिलोय मधुमेह की जटिलताओं जैसे अल्सर और किडनी की समस्याओं के लिए भी बहुत उपयोगी है।
मुलेठी चूर्ण
मुलेठी का चूर्ण स्किन के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। मुलेठी में ग्लाईसीरैथीनिक नामक एसिड मौजूद होता है, जो त्वचा को मुंहासों की परेशानी से छुटकारा दिलाने के लिए बहुत कारगर है। मुलेठी सिर्फ ऑयली या मुंहासों वाली त्वचा के लिए ही नहीं बल्कि मुलेठी में मौजूद एथनॉलिक अर्क त्वचा को मॉइस्चर करने में भी बहुत मदद करता है, तो स्किन को हेल्दी, ग्लोइंग और दाग-धब्बों से दूर करने के लिए आप मुलेठी के चूर्ण को अपनी ब्यूटी रूटीन में शामिल कर सकती हैं। इसके साथ ही मुलेठी अनगिनत स्वास्थ्य लाभों से भी भरपूर है। यह अपच, अल्सर, हृदय संबंधी समस्याओं, श्वसन संबंधी समस्याओं और लीवर की क्षति सहित कई समस्याओं के इलाज में अत्यधिक महत्व रखता है।
मोरिंगा चूर्ण
मोरिंग एक ऐसा पौधा है, जिसकी हजारों वर्षों से स्वास्थ्य फायदों के लिए गुणगान किया जाता रहा है। इसका पौधा स्वस्थ एंटीऑक्सीडेंट और बायोएक्टिव प्लांट यौगिकों से भरपूर होता है। मोरिंगा की पत्तियां कई विटामिन और खनिजों का एक खास स्रोत हैं। यही वजह है कि मोरिंगा के कई स्वास्थ्य लाभ हो सकते हैं, जैसे बालों और त्वचा की सुरक्षा और पोषण करना, सूजन का इलाज करना, लीवर की रक्षा करना, पेट की खराबी का इलाज करना, खाद्य जनित जीवाणु संक्रमण से लड़ना और आंखों के स्वास्थ्य में सुधार करना भी शामिल है।
ब्राह्मी चूर्ण
ब्राह्मी का उपयोग आयुर्वेदिक चिकित्सा में लगभग 3000 वर्षों से किया जाता रहा है, जिसमें यह जानकारी सामने आती है कि यह वह पदार्थ है, जो मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ावा दे सकता है। यही वजह है कि उसे ब्राह्मी के रूप में जाना जाता है। आम भाषा में कहें तो ब्राह्मी को एक लोकप्रिय मेमोरी बूस्टर के रूप में पहचाना जा सकता है। इसके अलावा, भी यह कई पोषक तत्वों से भरपूर है, जिस वजह से यह हमारे शरीर में प्रवेश करने वाली बाहरी बीमारियों से लड़ने के लिए मजबूत बनाता है, जिसमें मधुमेह, कैंसर और हृदय रोग जैसी गंभीर बीमारियों से जुड़े हो सकते हैं। ब्राह्मी पेट के लिए भी फायदेमंद है और लीवर के लिए भी। बालों के लिए यह कितना उपयोगी हो सकता है और इस पहलू से सभी परिचित हैं।
हल्दी चूर्ण
हल्दी केवल दाल और सब्जी में स्वाद नहीं जोड़ता है, बल्कि यह हमारे स्वास्थ्य के लिए भी बहुत फायदेमंद है। हल्दी का उपयोग पुराने समय से ही आयुर्वेदिक चिकित्सकों द्वारा औषधि के रूप में किया जाता रहा है। हल्दी कई स्वास्थ्य संबंधी बीमारियों से निपटने के लिए भी एक विकल्प है। चाहे सेवन करें या इसे लगाएं, इसके फायदे भरपूर हैं। हल्दी इम्युनिटी सिस्टम को बढ़ाती है। इसके एंटी-बैक्टीरियल, एंटी-वायरल और एंटी-फंगल गुण हमें कई तरह के संक्रमणों से बचाते हैं।
सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल
क्या आप एलोपैथिक दवाइयों के साथ भी इन आयुर्वेदिक चूर्ण को ले सकते हैं?
यदि आप अपनी स्वास्थ्य दिनचर्या में कुछ नया जोड़ना चाहती हैं, तो अपने डॉक्टर को बताना एक जरूरी है। यदि आप पहले से ही दूसरी दवाइयां ले रही हैं, तो आयुर्वेदिक चूर्ण दवा के प्रभाव को बढ़ा या कमजोर कर सकता है। ऐसे में डॉक्टर की सलाह के बाद में ही आप इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं।
गर्भवती महिलाओं के लिए क्या ये आयुर्वेदिक चूर्ण लाभकारी हैं ?
गर्भवती महिलाएं या बच्चों को स्तनपान करने वाली महिलाएं किसी भी आयुर्वेदिक चूर्ण का इस्तेमाल शुरू करने से पहले डॉक्टर से इस बारे में बात करके ही इसे शुरू करना सही निर्णय हो सकता है। किसी तरह की एलर्जी से अगर आप जूझ रहीं हैं, तो भी इन आयुर्वेदिक चूर्ण की पूरी जानकारी होने के बाद ही उसे अपनी डेली रूटीन में शामिल करें।
क्या आयुर्वेदिक चूर्ण को ज्यादा खुराक में ले सकते हैं ?
विशेषज्ञों का मानना है कि बड़ी खुराक से उल्टी और दस्त के अलावा कई और साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं। जानकारों की मानें, तोअधिक लाभ पाने के लिए छोटी खुराक लें। इससे साइड इफेक्ट्स के चांसेस बहुत कम हो जाते हैं।
इन चूर्ण को खाने का सबसे अच्छा समय क्या होता है ?
कुछ चूर्ण दिन में खाली पेट फायदा पहुंचाते हैं, जबकि कुछ रात में ऐसे में आयुर्वेद के जानकार से सलाह लें, ताकि वह आपको सही सलाह दे सके और उसके बाद ही आप आयुर्वेदिक चूर्ण को अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में शामिल करें।