जौ हमारे खानपान का हिस्सा हजारों वर्षों से है, जिसके लिए निश्चित रूप से इससे जुड़े सेहतमंद फायदे हैं। रिसर्च की मानें तो यह ओट्स से भी अधिक पौष्टिक और चावल से भी अधिक पोषक तत्वों से भरपूर यह अनाज है। शायद यही वजह है कि दादी और नानी के जमाने से जौ का पानी बच्चों के आहार में नियमित स्थान पाने का हकदार बना है। आइए जानें जौ के पानी के सेहतमंद फायदों के बारे में।
हड्डियों को देता है मजबूती
जौ एक कैल्शियम युक्त भोजन है, जिसमें फास्फोरस भी उच्च मात्रा में होता है और यह बात अब तक कई स्टडीज में सामने आ चुकी है कि हड्डियों को मजबूत बनाने में कैल्शियम और फास्फोरस सबसे प्रमुख भूमिका निभाते हैं। अपने बच्चे की मजबूत हड्डियों के लिए आपको उनके आहार में जौ को शामिल करना चाहिए, क्योंकि मजबूत हड्डियों का मतलब मजबूत विकास होता है।
रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है
जानकारों की मानें तो जौ के पानी में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी मौजूद रहता है,जो इम्यून सिस्टम को नियंत्रित और उसमें सुधार का काम कर सकता है। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इसके अलावा, जौ में सेलेनियम भी होता है, जो रोग प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत कर सकता है। इसी वजह से इसे इम्यूनिटी को बढ़ाने के लिए भी जाना जाता है। इसके सेवन से छोटे बच्चों में रोग प्रतिरोध की क्षमता बढ़ेगी और वह आसानी से सर्दी, जुकाम या दूसरी मौसमी बीमारियों से बचे रहेंगे।
दांतों के लिए भी है फायदेमंद
जौ से संबंधित एक स्टडी में माना गया है कि जौ में फास्फोरस मौजूद होता है, जो दांतों के निर्माण और उसके हेल्थ में बेहद लाभदायक हो सकता है। इसके साथ ही इसमें कैल्शियम भी मौजूद होता है, जो दांतों को मजबूत बनाने रखने के लिए जरूरी पोषक तत्व माना जाता है। ऐसे में बच्चों के दांतों को मजबूती देने में इसकी अहम भूमिका हो सकती है।
पाचन में है रामबाण
जौ में प्रचुर मात्रा में घुलनशील फाइबर होता है, जो पाचन को सुचारू रखने के लिए बहुत अच्छा होता है। इसका घुलनशील फाइबर गट के लिए बहुत अच्छा भोजन माना जाता है। गट अच्छा मतलब बच्चे के हेल्थ से लेकर उसका मूड भी अच्छा रहता है।
त्वचा के लिए भी वरदान
जौ का पानी त्वचा के लिए अच्छा होता है। यह चेहरे पर चमक लाता है और उसे स्वस्थ बनाता है। यह आपकी त्वचा की बनावट में भी सुधार करता है और उसमें ताजगी जोड़ता है, जो एक बच्चे के स्किन सेल्स के विकास में अहम भूमिका निभा सकता है।
एनीमिया से बचाव
छोटे बच्चों में एनीमिया की समस्या कई बार देखने को मिलती है। कई तरह के रिसर्च में एनीमिया के जोखिम को कम करने में भी जौ के लाभ देखे गए हैं। दरअसल, शोध के अनुसार जौ में आयरन मौजूद होता है, जो एनीमिया से बचाव में मुख्य कारक के तौर काम कर सकता है। वैसे सिर्फ बच्चे को जौ का पानी देने से ही एनीमिया को मात नहीं दिया जा सकता है, बल्कि इसके साथ बच्चों को अन्य जरूरी पोषक तत्वों से युक्त आहार का सेवन कराना भी आवश्यक है और यह सब अपने डॉक्टर की सलाह के बाद ही करें।
यूरिन इंफेक्शन को दूर करता है
स्टडीज में यह बात सामने आयी है कि यूरिन इंफेक्शन के लिए जौ का पानी एक जादुई पेय है, जो पेशाब को बढ़ाता है और शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालता है। किडनी की पथरी (kidney storne) और सिस्ट(cyst) के लिए भी जौ का पानी एक बेहतरीन उपाय है। यूरिन इंफेक्शन कम होने तक बच्चों को यह पेय प्रतिदिन पीने की सलाह दी जाती है। इसे किडनी स्टोन और सिस्ट के खिलाफ भी एक बेहतरीन उपाय माना जाता है। जौ के पानी के फायदों में किडनी को साफ करने की क्षमता भी शामिल है।
लिवर को मजबूत बनाता है
रिसर्च की मानें तो बच्चों के आहार में नियमित रूप से जौ के पानी को शामिल करने से पित्त एसिड के अतिरिक्त उत्पादन को कम कर देता है, जो लिवर को हानि पहुंचाने से रोकता है और बच्चे कई तरह की गंभीर बीमारियों से बच जाते हैं।
शारीरिक के साथ मानसिक विकास में भी कारगर
जौ कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है, जिसमें एमिनो एसिड, फाइबर, प्रोटीन और विटामिन-बी भरपूर मात्रा में होता है, जिस वजह से यह बच्चों के शारीरिक के साथ-साथ मानसिक विकास में भी बहुत कारगर है।
सबसे ज्यादा पूछे जानेवाले वाले सवाल
जौ के पानी की रेसिपी क्या है ?
सबसे पहले आप एक टेबलस्पून जौ लें। हमेशा अच्छी क्वालिटी का ही जौ लें। अगर अपने बच्चे को मीठा जौ का पानी देना चाहती हैं, तो आप थोड़ा से गुड़ लें। सबसे पहले जौ को पानी में अच्छे से धो लीजिए और धुले हुए जौ को प्रेशर कुकर में डाल दीजिए और इसमें 2.5 कप पानी डाल दीजिए। आप अपनी इच्छा अनुसार जौ को गुड़ के साथ मिला सकती हैं या फिर जौ को ऐसे ही पानी के साथ प्रेशर कुकर में डाल दीजिए। इसके बाद बिल्कुल धीमी आंच पर 10 से 15 मिनट तक या तीन सीटी आने तक धीमी आंच पर पकाएं। कुकर से प्रेशर खत्म होने पर उसे खोलें। उसे चम्मच की मदद से मैश करें और उसके बाद उसे एक फिल्टर या कपड़े की मदद से छान लें। अपने बच्चे को पिलाने के लिए जौ का पानी तैयार है। वैसे कई जौ पकने में ज्यादा समय लेते हैं, इसके लिए उन्हें पहले से पानी में भिगोकर रखा जाता है, तो इस्तेमाल करने से पहले जांच लें कि जौ किस तरह का है। वैसे बहुत लोग जौ के रात भर पानी में भिगो कर रखते हैं और सुबह उसी पानी को छानकर बच्चे को पिलाते हैं।
बच्चों के लिए जौ का पानी किस उम्र में सबसे सही होता है ?
आमतौर पर यह राय दी जाती बच्चों को कम से कम सात या आठ महीने का होने के बाद ही जौ आधारित आहार देना शुरू किया जाए। तीन दिवसीय नियम का पालन करें, जैसा कि आमतौर पर मां नए खाद्य पदार्थों को बच्चों को देते हुए करती हैं। इसका मतलब यह है कि नया भोजन देने के बाद तीन दिनों तक इंतजार करना यह आकलन करने के लिए कि क्या आपके बच्चे में एलर्जी के कोई लक्षण तो दिखाई नहीं दे रहे हैं और उन तीन दिनों में कोई अन्य नया भोजन नहीं देना है, ताकि आपको मालूम पड़े कि आपके बच्चे को जौ के पानी से किसी भी प्रकार की एलर्जी नहीं है।
जौ के पानी की तासीर ठंडी होती है या गर्म
जौ के पानी में प्राकृतिक तौर पर शीतलता के गुण होते हैं,जिस वजह से यह शरीर की गर्मी को कम करने में मदद कर सकता है।
जौ का सेवन कितनी मात्रा में करना सही होगा ?
जौ का सेवन हमेशा कम मात्रा में करें, क्योंकि इसमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है और अधिक इस्तेमाल से यह बच्चे के पेट का संतुलन बिगाड़ सकता है।