कई शोध के अनुसार यह पता चलता है कि आयुर्वेद में हर एक बीमारी का इलाज है। जड़ी-बूटियों से लगभग हर रोग का समाधान किया जा सकता है। कोविड -19 जैसी महामारी के समय में जब पूरी दुनिया इलाज के लिए और वैक्सीन के लिए इधर-उधर भटक रही थी तो भारत भर में लोग काढ़ा पी रहे थे। काढ़ा पीने से लोगों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ रही थी। ऐसे में कहा जा सकता है कि आयुर्वेद में हर एक रोग का हल है। ऐसी ही एक आयुर्वेदिक औषधि है गिलोय। कभी न कभी तो आपने गिलोय की लकड़ी के बारे में सुना ही होगा हो सकता है कि आपने इसका इस्तेमाल काढ़ा बनाने में भी किया हो। गिलोय को तीन अमृत पेड़ों में से एक माना जाता है। अमृत का अर्थ है अमृत्व की जड़। बुखार जैसी स्थितियों को ठीक करने के लिए गिलोय को रामबाण समझा जाता है।
क्या है गिलोय
गिलोय जिसे टिनोस्पोरा कोर्डीफोलिया भी कहा जाता है, एक ऐसा झाड़ीनुमा पौधा है जो अन्य पेड़ों पर उग जाता है। यह भारतीय मूल का पौधा है लेकिन चीन, ऑस्ट्रेलिया और अफ्रीका में भी पाया जाता है। यह आयुर्वेदिक दवाओं में सबसे ज़रूरी पौधा माना जाता है जहाँ इसका इस्तेमाल कई तरह की बीमारियों से झूझने के लिए किया जाता है। इस पौधे के सभी भागों को दवा के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। हालांकि इसकी जड़ें सबसे अधिक महत्वपूर्ण होती हैं। इसकी जड़ों को प्रयोग कई सारी आधुनिक दवाओं को बनाने में भी किया जाता है।गिलोय को अमृता और गुडुची नाम से भी जाना जाता है।
गिलोय कई महत्वपूर्ण पौधों के यौगिकों का एक स्रोत है, जैसे कि टेरपेनोइड्स, एल्कलॉइड्स, लिग्नन्स और स्टेरॉयड। लैब अध्ययनों से पता चलता है कि इन यौगिकों में अन्य लाभों के साथ रोगाणुरोधी, एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटीऑक्सिडेंट और एंटी-डायबिटिक गुण हैं।
गिलोय में होते हैं ये औषधीय गुण
गिलोय का तना अपनी उच्च पोषण तत्वों और इसमें पाए जाने वाले एल्कलॉइड, ग्लाइकोसाइड, स्टेरॉयड और अन्य यौगिकों के कारण अत्यधिक प्रभावी माना जाता है, लेकिन जड़ और पत्तियों का भी उपयोग किया जा सकता है। गिलोय में मौजूद ये यौगिक विभिन्न विकारों जैसे मधुमेह, कैंसर, मानसिक रोगों संबंधी समस्याओं, बुखार आदि के खिलाफ प्रभावी हैं। परंपरागत रूप से, गिलोय का इलाज करने के लिए प्रयोग किया जाता है। बुखार, मूत्र संबंधी समस्याएं, दमा, पेचिश, दस्त, त्वचा में संक्रमण, हैनसेन रोग (जिसे पहले कुष्ठ रोग कहा जाता था), मधुमेह, गाउट, पीलिया, एनोरेक्सिया और आँख को ठीक करने के लिए किया जाता रहा है। गिलोय में कुछ शक्तिशाली रसायन होते हैं जो कि विषाणुओं को शरीर में बढ़ने से रोकते हैं। गिलोय के नियमित सेवन करने से व्यक्ति की रोग-प्रतिरोधक क्षमता बहुत ही अच्छी हो जाती है।
गिलोय शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालता है, रक्त को शुद्ध करता है और बैक्टीरिया से लड़ता है। यह लीवर की बीमारी वाले लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है। यह प्रकृति में ज्वरनाशक है, जिसका अर्थ है कि यह बुखार को कम कर सकता है और डेंगू, स्वाइन फ्लू और मलेरिया जैसे जानलेवा बुखार के लक्षणों को कम कर सकता है।
गिलोय का सेवन ऐसे करें
जड़ी बूटी के कई स्वास्थ्य लाभ हैं। यह एंटीऑक्सिडेंट का एक ‘पावरहाउस’ है, जो मुक्त कणों से लड़ता है और इस प्रकार कैंसर जैसी घातक बीमारियों के आपके जोखिम को कम करता है। वैसे तो आप गिलोय का सेवन कई तरह से कर सकते हैं लेकिन इन चार तरह से आप गिलोय का सेवन आप आसानी से कर सकते हैं -
● दूध और अदरक के साथ मिलाकर - दूध के साथ उबालने पर गिलोय जोड़ों के दर्द के लिए अद्भुत काम करता है। अदरक के साथ मिलाकर इसका मिश्रण गठिया का इलाज कर सकता है।
● गिलोय की डंडी या तने को चबा कर - गिलोय का सेवन करने का सबसे आसान तरीका इसके तने को चबाना है। अस्थमा से पीड़ित लोगों के लिए यह तरीका बहुत अच्छा काम करता है। अस्थमा के रोगी लक्षणों को कम करने के लिए गिलोय का जूस भी पी सकते हैं।
● आँखों पर लगाकर - गिलोय का अर्क आपकी दृष्टि को बढ़ा सकता है। गिलोय के पाउडर को उबाल लें और ठंडा होने दें। अब इसमें एक कॉटन पैड भिगोकर अपनी पलकों पर लगाएं।
● गिलोय के पानी को पिएं - आप अपनी प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए गिलोय शॉट में कुछ अलमा, अदरक और काला नमक मिला सकते हैं। बस सभी सामग्री को ब्लेंडर में डालें, थोड़ा पानी के साथ और इसे अच्छी तरह से पीस लें और छान कर पी लें।
● गिलोय का जूस - गिलोय के कुछ डंठल लें और उन्हें एक गिलास पानी में तब तक उबालें जब तक कि पानी आधा न रह जाए। पानी को छान लें और रोजाना इसका सेवन करें। यह आपके रक्त को शुद्ध करने, विषाक्त पदार्थों को हटाने और रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया से लड़ने में मदद करेगा।
गिलोय के ये हैं स्वास्थ्य फायदे
गिलोय आपकी इम्युनिटी को बढ़ाती है -
यह दिल के आकार की दिखने वाली जड़ी-बूटी एंटी-ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है जो फ्री रेडिकल्स और बीमारी फैलाने वाले विषाणुओं से लड़ती है। यह शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में मदद करती है और साथ ही रक्त को साफ करने में भी सहायक है।
डायबिटीज में सहायक
गिलोय में ऐसे औषधीय गुण होते हैं जो मधुमेह से लड़ने में मदद करते हैं जिससे आपका ब्लड ग्लूकोस लेवल बढ़ता है। इसमें कई प्रकार के फाइटो केमिकल होते हैं, जो कि शरीर से तनाव को कम कर के इंसुलिन को पैदा करने में मदद करते हैं।
फेफड़ों से जुड़े रोगों में है मददगार
गिलोय में बहुत ही अद्भुत एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण पाए जाते हैं जो कि सामान्य सांस सम्बन्धी समस्याओं से लड़ने में सहायक हैं जैसे जुखाम, खांसी या गले में टॉन्सिल और खराश। इसके अलावा सांस न आना और आपके स्वसन तंत्र को साफ करने में भी गिलोय बेहतर है, इसलिए अस्थमा के मरीजों को गिलोय का सेवन करने की सलाह दी जाती है।
तनाव और चिंता (एंग्जायटी) को दूर रखने में गिलोय फायदेमंद
गिलोय का उपयोग एडाप्टोजेनिक जड़ी बूटी के रूप में किया जा सकता है। एडाप्टोजेन मूल रूप से एक ऐसा पदार्थ है, जो हमारे शरीर को तनाव के अनुकूल बनाने में मदद करता है। चूंकि यह स्वास्थ्य टॉनिक हमारे शरीर को विषाक्त पदार्थों से छुटकारा पाने और हमारी याददाश्त को बढ़ाने में मदद कर सकता है, यह हमें शांत करने में भी मदद कर सकता है।
महिलाओं में हड्डियों की समस्या को कम कर सकता है गिलोय
शोध के अनुसार यह पता चलता है कि गिलोय की जड़ का अर्क शरीर पर एक ऑस्टियोप्रोटेक्टिव प्रभाव डाल सकता है, इस प्रकार ऑस्टियोपोरोसिस की शुरुआत में देरी हो सकती है, यदि इसे पूरी तरह से रोका नहीं गया है।
गिलोय के स्वास्थ्य से जुड़े अन्य फायदे
गिलोय का उपयोग गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल विकारों जैसे दस्त, अल्सर, पेचिश और पेट दर्द के उपचार में, सूजन, दर्द, बुखार, अस्थमा, सांप के काटने, दौरे, आक्षेप और कई अन्य में किया जाता है।गिलोय का सेवन करते समय कौन सी सावधानियां अपनानी चाहिए?
● गिलोय रक्तचाप के स्तर को कम करेगा जिससे लो बीपी की समस्या हो सकती है और एक ही समय पर लेने पर यह मधुमेह की दवाओं के साथ हस्तक्षेप करेगा। ऐसे में अपने डॉक्टर की सलाह पर ही गिलोय का सेवन करें।
● गिलोय का इस्तेमाल प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए किया जाता है, लेकिन अगर इसे अन्य दवाओं के साथ लिया जाये, तो इसका प्रभाव विपरीत भी पड़ सकता है और प्रतिरोधक क्षमता कम भी हो सकती है।
● गिलोय को पाचन से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याओं के इलाज में फायदेमंद माना जाता है, हालांकि गर्मियों में यह पेट की कुछ समस्याओं को बढ़ा सकता है। गर्मियों में गिलोय का सेवन करने से आपको कब्ज जैसी समस्या हो सकती है। कुछ मामलों में गिलोय का सेवन आपको पेट में जलन जैसा भी महसूस करा सकता है।
● बिना डॉक्टर की सलाह और निगरानी के 'गिलोय' का सेवन लीवर जैसे अंगों को नुकसान पहुंचा सकता है।
गिलोय के अतिरिक्त प्रभाव या साइड इफेक्ट्स
वैसे तो गिलोय एक औषधीय पौधा है लेकिन इसका सेवन करने से पहले डॉक्टर से पूछ लेना चाहिए। हो सकता है कि आपको गिलोय का सेवन करने से किसी तरह की कोई एलर्जी हो जाए या फिर आप इसका सेवन किसी दवा के साथ करें तो यह आपके अंगों को नुकसान पहुंचाए। गिलोय का सेवन करने से लोगों को कब्ज की समस्या हो सकती है क्योंकि गिलोय पेट में गर्मी पैदा करती है। इसके अलावा गिलोय का सेवन करने से रक्त में ग्लूकोस की कमी हो जाती है जिसके कारण गर्मी में चक्कर आ सकते हैं। गर्भवती या स्तनपान करवाने वाली महिलाओं को गिलोय का सेवन नहीं करना चाहिए। इसीलिए सामान्यतौर पर डॉक्टर की सलाह पर ही गिलोय का सेवन करना चाहिए।
तो, गिलोय एक ऐसा पौधा है जो सदियों से पारंपरिक चिकित्सा और आयुर्वेदिक औषधि का एक अभिन्न अंग रहा है। गिलोय के संभावित लाभ असंख्य हैं। गिलोय में एंटीऑक्सिडेंट, एंटीटॉक्सिक, कैंसर-निवारक, इम्यूनोमॉड्यूलेटरी, एंटी-इंफ्लेमेटरी और दर्द निवारक प्रभाव के साथ-साथ अन्य गुण भी हो सकते हैं जो स्वास्थ्य के लिए लाभकारी हैं। ऐसे कई कारक हैं जो गिलोय को स्वस्थ त्वचा, बाल प्राप्त करने और वजन घटाने को बढ़ावा देने के लिए एक बढ़िया विकल्प बनाते हैं। इस बात का ध्यान रहे कि जब आप किसी भी अन्य दवा का उपयोग कर रहे हैं, तो गिलोय को अपने आहार या दिनचर्या में शामिल करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना सबसे अच्छा है।