बच्चों में आनंददायक दृष्टिकोण के साथ जीवन भर स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता की नींव रखने के लिए योग अभ्यास बेहद जरूरी है। आइए जानते हैं बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए कौन सा योगासन श्रेष्ठ रहेगा।
योग अभ्यास के लिए बच्चों को प्रेरित करें
योग के माध्यम से बड़े ही नहीं बच्चे भी ऐसी कई बातें सीख सकते हैं, जो उनकी रोजमर्रा की जिंदगी को उनके अनुकूल बनाने में उनकी मदद कर सकती हैं। अब यदि आप यह सोच रही हैं कि आखिर किस उम्र से और कैसे उन्हें योग की तरफ लेकर आएं तो इसके लिए आपको परेशान होने की बिल्कुल जरूरत नहीं। योग विशेषज्ञों के अनुसार 5 वर्ष या उससे अधिक आयु के बच्चों को खेल या गीतों के माध्यम से बड़ी ही आसानी से योग का अभ्यास सिखाया जा सकता है। आम तौर पर योग करने का श्रेष्ठ समय सुबह 4 बजे से लेकर 7 बजे का माना जाता है, लेकिन आप फिलहाल के लिए समय को छोड़कर इस बात की परवाह करें कि उन्हें कैसे और कौन से योग का अभ्यास करवाया जाए, जिन्हें करने में उन्हें मजा भी आए और उसका लाभ भी मिले। हालांकि योग में उनकी दिलचस्पी बनाए रखने के लिए आप चाहें तो योग अभ्यास को पारिवारिक दिनचर्या का एक हिस्सा भी बना सकती हैं, जहां पूरा परिवार योग अभ्यास के माध्यम से एक साथ हो। इससे बच्चे योग के अभ्यास के साथ हर रोज योग करने के अनुशासन से भी बंधे रहेंगे।
शवासन
बच्चों के लिए योग अभ्यास शुरू करने का सबसे मजेदार आसन है शवासन। इसके लिए पैरों को सीधा रखते हुए पीठ के बल लेट जाएं और अपनी भुजाओं को बगल में रखते हुए हथेलियां ऊपर की तरफ रखें। अब आंखें बंद करके पूरे शरीर को आराम देते हुए गहरी और धीमी सांस लें। इसी मुद्रा में जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, तनाव कम होता जाएगा।
बालासन
चाइल्ड पोज को ही योग की भाषा में बालासन कहते हैं और जैसा कि नाम से ही पता चलता है ये विशेष रूप से बच्चों जैसा आसन है। इसके लिए सबसे पहले आप रीढ़ की हड्डी को सीधी रखते हुए वज्रासन में बैठ जाएं। इसके बाद शरीर को आगे की तरफ झुकाते हुए दोनों हाथों को अपनी एड़ियों के पास रखें और कुछ समय तक इसी स्थिति में रहें। इस आसन से बच्चों के मानसिक विकास में तेजी आती है।
ताड़ासन
बच्चों में आम तौर पर अपनी हाइट को लेकर काफी उत्साह होता है। ऐसे में उनकी एकाग्रता बढ़ाने के साथ उनकी हाइट को बढ़ाने में भी ये आसन काफी लाभदायक है। इसे करने के लिए सबसे पहले आप खड़े हो जाएं। फिर अपने दोनों हाथों को ऊपर ले जाकर बिलकुल सीध में खड़ी रहें। अब अपनी दोनों एड़ियों को धीरे-धीरे उठाएं और कुछ देर इसी पोजीशन में रहें। कुछ देर बाद अपने दोनों हाथों को आराम से नीचे लाकर एड़ियों को भी जमीन पर रख दें।
अधोमुखश्वानासन
अक्सर आपने देखा होगा बच्चों को पढ़ाई के दौरान या तो नींद आती है या सुस्ती। ऐसी स्थितियों के लिए अधोमुखश्वानासन काफी फायदेमंद आसन है। इससे न सिर्फ शरीर फ्लेक्सिबल होता है, बल्कि एकाग्रता के साथ स्फूर्ति भी आती है। इसके लिए आपको भुजाओं और पैरों को सीधा रखकर सांस छोड़ते हुए अपनी कमर को ऊपर की ओर उठाना है। उसके बाद अपने सिर को भुजाओं के बीच लाकर अपने कान को अपनी भुजाओं के समानांतर रखते हुए नीचे की ओर झुके रहना है। ध्यान रहे कि इस दौरान आप अपनी एड़ियां जमीन पर दबाए रखें और गहरी सांस लेते हुए अपनी पिंडलियों (calves), जांघों ( thighs), कंधों और भुजाओं( arms) में खिंचाव महसूस करें। इस दौरान आपका पूरा शरीर एक पर्वत जैसा दिखाई देगा।
धनुरासन
लगातार पढ़ाई करने से अक्सर बच्चों की पीठ और कमर में दर्द होने लगता है। ऐसी स्थिति में धनुरासन सबसे बेहतरीन आसन है। इस आसन में शरीर की आकृति एक खींचे हुए धनुष की तरह लगती है। इसे करने के लिए सबसे पहले आप पेट के बल लेट जाएं। उसके बाद अपने पैरों को घुटनों से मोड़ते हुए, हाथों से पैरों को पकड़ लें और गहरी सांस लेते हुए अपने सिर, छाती और जांघों को ऊपर उठाएं।
पादहस्तासन
बच्चों की स्मरण शक्ति बढ़ाने के लिए ये एक प्रमुख आसन है। यह आसन करने के लिए सबसे पहले आप ताड़ासन में खड़ी हो जाएं। अब दोनों हाथों को धीरे-धीरे सिर के ऊपर ले जाएं। उसके बाद सांस को बाहर की तरफ छोड़ते हुए कमर के हिस्से से शरीर को मोड़कर नीचे झुक जाएं। ध्यान रहे कि ऊपर के हिस्से को सीधा रखते हुए सिर्फ कमर से मुड़ना है।
वृक्षासन
बच्चों को संतुलन सिखाने का शानदार तरीका है वृक्षासन। इसके लिए अपने हाथों को बगल में रखकर सीधे खड़ी हो जाएं। उसके बाद अपना वजन एक पैर पर रखते हुए, दूसरे पैर को उठाकर अपनी जांघ (thighs) पर रख लें। अब अपनी भुजाओं को एक साथ उठाते हुए सिर के ऊपर ले जाएं। अपनी मुद्रा को संतुलित रखते हुए, कुछ देर रुकें।
मार्जरीआसन
मार्जरीआसन अर्थात बिल्ली की तरह आसान, जिसे कैट पोज भी कहते हैं। गौरतलब है कि इस मजेदार कैट पोज से बच्चों के पीठ की मसल्स को काफी मजबूती मिलती है। इसे करने के लिए सबसे पहले आप बिल्ली की तरह जमीन पर अपने घुटनों और हाथों के बल बैठ जाएं। हाथ एकदम सीधे हों। अब सांस लेते हुए सिर को छाती की तरफ लाएं और कमर को बाहर की तरफ थोड़ा ऊंचा उठाएं। इससे आप अपनी पीठ में हल्का सा खिंचाव महसूस करेंगी। अब सांस छोड़ते हुए सिर को ऊपर ले जाएं और कमर को अंदर की तरफ हल्का सा मोड़ लें। इससे आपको छाती में हल्का सा खिंचाव महसूस होगा, लेकिन थोड़ी देर बाद आप काफी रिलैक्स महसूस करेंगी।
मंडूकासन
अक्सर बच्चे कुछ ऐसा खा लेते हैं, जिससे उनका डाइजेशन खराब हो जाता है और उन्हें पेट से जुड़ी परेशानियां आ घेरती हैं। ऐसे में पेट की ताकत में सुधार करते हुए, उन्हें एक्टिव बनाए रखने के लिए मंडूकासन बेहतर योगासन है। इसके लिए अपने हाथों और घुटनों से शुरुआत करते हुए कलाइयों को कंधों के नीचे रखें। उसके बाद अपनी कमर को पीछे धकेलें और कुछ देर सांसें रोककर उसी स्थिति में बनी रहें, जब तक कि आपको खिंचाव महसूस न होने लगे।
बद्ध कोणासन
बद्ध कोणासन का अर्थ है, योग की ऐसी मुद्रा जहां आपका शरीर तितली की भांति नजर आता है। दूर गगन में उड़ने के ख्वाब देखते बच्चों को यह पोज बहुत अच्छा लगता है। इससे शरीर को भी आराम मिलने के साथ मन शांतिमय रहता है। इसके लिए अपनी पीठ सीधी और पैर चौड़े करके पैरों को इस तरह मोड़कर बैठें कि तलवे एक-दूसरे के सामने हों और ऐसा लगे जैसे आप तितली की तरह उड़ रहे हों। अब कुछ देर तक सांसों को रोककर रखते हुए धीरे-धीरे सांस अंदर-बाहर छोड़ें।
सुखासन
तनाव के बाद अपना ध्यान केंद्रित करने के लिए यह मुद्रा बच्चों के लिए काफी आसान और लाभदायक है। इस आसन के लिए सबसे पहले अपने पैरों को मोड़ते हुए पीठ सीधी करके जमीन पर बैठ जाएं। उसके बाद अपने हाथों को अपने दिल के पास या घुटनों पर रख लें। कुछ देर इसी तरह बैठने के बाद आपको अपने अंदर एक सुकून का एहसास होगा।
सिंहासन
सिंहासन का अर्थ किसी राजा का सिंहासन नहीं, बल्कि शेर की तरह पोज बनाते हुए योगासन करना है। इस आसन से तनाव में राहत के साथ फेफड़े भी मजबूत होते हैं। इसे करने के लिए सबसे पहले आप अपने घुटनों को मोड़कर, अपनी कमर को अपनी एड़ियों के सहारे रखकर बैठ जाएं। उसके बाद अपनी आंखें पूरी तरह खोलकर, जीभ बाहर निकाल लें और एक लंबी और गहरी सांस लें।
वीरभद्रासन
वीरभद्रासन का अर्थ है योद्धाओं की तरह पोज। इस आसन को करने से बच्चों में मजबूती के साथ आत्मविश्वास आता है। इसे करने के लिए पहले अपने सिर के साथ अपने चिन को भी ऊंचा उठाते हुए अपने एक पैर को आगे बढ़ाएं। अब सामने के घुटने को 90 डिग्री कोण पर झुकाएं और अपने पिछले पैर को 45 डिग्री के कोण पर जमीन पर सपाट रखें। अपने शरीर के वजन को दोनों पैरों के बीच समान रूप से डिस्ट्रीब्यूट करते हुए धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें।