लो मेटाबॉलिज्म की वजह से यूं तो कई परेशानियां उठानी पड़ती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा मुश्किल होती है बढ़े वजन से। आइए जानते हैं मेटाबॉलिज्म को बूस्ट करने के लिए कौन से योग किए जाएं।
योग : लो मेटाबॉलिज्म के साथ अनगिनत बीमारियों से भी रखे दूर
आज के समय में असंतुलित खान-पान, तनाव और अस्वस्थ जीवनशैली, मोटापे की परेशानियों की सबसे बड़ी वजह बन चुकी है और ये मोटापा अपने साथ लाता है कई गंभीर बीमारियां। हालांकि अपने मेटाबॉलिज्म को बढ़ाकर आप इस परेशानी से छुटकारा पा सकती हैं लेकिन कैसे? सबसे पहले तो आपको यह समझना होगा कि भोजन को सही तरीके से पचाने को मेटाबॉलिज्म कहते हैं, क्योंकि सही पाचन आपके वजन को स्थिर रखने के साथ आपको एक्टिव भी रखता है और अनगिनत बीमारियों से दूर भी। हालांकि मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने और अपने सेहत को चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए योग सबसे बेहतर उपाय है। घर में बैठकर आसानी से किए जानेवाले इन योग अभ्यासों से आप न सिर्फ अपना फिटनेस गोल पूरा कर सकती हैं, बल्कि अपने शरीर का मेटाबॉलिज्म भी सुधार सकती हैं।
त्रिकोणासन
नाम के अनुरूप त्रिकोणासन को करने के लिए आपको अपने शरीर को इस तरह रखना होगा कि त्रिकोण का चित्र बने। इस आसन को करने के लिए आप सबसे पहले अपने दोनों पैरों को एक दूसरे से ३ फीट की दूरी पर रखते हुए सीधी खड़ी हो जाएं। अब दोनों हाथों को कंधों के बराबर उठाते हुए हथेलियों को नीचे की तरफ ले जाकर मोड़ लें। इसके बाद अपने दाएं हाथ को बाएं पैर के पास लाकर, जमीन छूने का प्रयास करें। हालांकि जब आपका दायां हाथ नीचे होगा, तो आपका बायां हाथ ऊपर की तरफ रहेगा। सो कुछ देर के लिए इसी पोजीशन में रहें और फिर सीधी खड़ी होकर दूसरे हाथ से यही प्रक्रिया दोहराएं। हालांकि इस दौरान, इस बात का खास ध्यान रखें कि आपके घुटने न मुड़ें।
मरीच्यासन
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों पैरों को आगे की ओर रख लें। उसके बाद दाएं पैर को मोड़कर, तलवे जमीन पर टिका दें। अब सांस लेते हुए बाएं हाथ को उठाकर दायां घुटना छू लें। अब सिर को पीछे की तरफ मोड़कर दाहिने कंधे की तरफ देखें। ध्यान रहे, यदि आपको स्पाइन या घुटनों की समस्या है तो इसे न करें।
शलभासन
इस आसन के लिए पेट के बल लेटकर अपने दोनों हाथों को अपनी जांघों के नीचे दबा लें। अब सांस लेते हुए अपने दोनों पैरों को हवा में उठाएं और गर्दन आगे की तरफ कर लें। इस पोजीशन में आप जितनी देर रह सकती हैं, बनी रहें। उसके बाद सांस छोड़ते हुए अपने पैर नीचे कर लें। ध्यान रहे इस दौरान आपके हाथ फर्श पर सीधे और पीठ सीधी होनी चाहिए। इस आसन को करते समय आपकी स्थिति टिड्डे की तरह होगी। इसके नियमित अभ्यास से रीढ़ की हड्डी को बहुत आराम मिलता है। संभव हो तो इसे 3 से 5 बार दोहराएं, किंतु यदि आपको कमर की परेशानी है, तो इस आसन को करने से बचें।
जानुशीर्षासन
जानुशीर्षासन एक संस्कृत शब्द है, जो (जानु) घुटने और शीर्ष (सिर) इन दो शब्दों से मिलकर बना है। इसे करने से न सिर्फ बॉडी टोन होती है, बल्कि थायरॉइड में भी काफी फायदा पहुंचता है। इसे नियमित रूप से करने से कंधे, पैर और पेट के मसल्स मजबूत होते हैं। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों पैरों को आगे कर लें, फिर दाएं पैर के घुटने मोड़कर तलवे को अपनी जांघ के नीचे रख लें। अब सांस लेते हुए अपने दोनों हाथों को ऊपर उठाएं और सांस छोड़ते हुए पीठ को आगे झुकाकर बाएं पैर के तलवे को पकड़ लें। अब कुछ देर इसी पोजीशन में बनी रहें। थोड़ी देर बाद सामान्य स्थिति में आकर इसे दोनों तरफ से 2 से 3 बार करें। ध्यान रहे अगर आपको स्पाइन या घुटनों की परेशानी है, तो इस आसन को न करें।
उष्ट्रासन
इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपने घुटनों के नीचे एक मोटा तौलिया या कपड़ा तह करके रख लें। घुटनों के बल बैठने के बाद अपने दोनों हाथों को अपनी कमर पर रख लें। और सांस लेते हुए अपनी अपर बॉडी को ऊपर की तरफ खींचे। ध्यान रहे इस दौरान आपकी स्पाइन एकदम सीधी हो। अब अपर बॉडी को आगे की तरफ लेकर जाते हुए कमर को पीछे की तरफ मोड़ें और दोनों हथेलियों से अपने पैरों को पकड़ लें। इसी पोजीशन में 30 से 60 सेकंड तक यूं ही बने रहते हुए अपनी गर्दन को ढ़ीला छोड़ दें। इस तरह 5 बार रिपीट करें और फिर इसके फायदे देखें। हां, यदि आपके पेट की सर्जरी हुई है, तो यह आसन न करें। हालांकि वजन नियंत्रित रखने के साथ हार्मोन्स बैलेंस रखने में भी यह आसन काफी फायदेमंद है।
सर्वांगासन
नाम के अनुरूप इसे करते वक्त सभी अंगों का उपयोग किया जाता है। इसके नियमित अभ्यास से मेटाबॉलिज्म में सुधार होने के साथ न सिर्फ आपका वजन कम होता है, बल्कि पैर, कमर और थाइ मसल्स के साथ डाइजेशन भी मजबूत होता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले आप एक चटाई पर पीठ के बल सीधे लेट जाएं। दोनों हाथों को बगल में रखकर, अपने पैरों को जमीन से ऊपर की तरफ उठाते हुए सीधा रखें। उसके बाद अपने पेल्विक को जमीन से ऊपर की तरफ इस तरह उठाएं कि आपके कंधे, सिर और पैर, पेल्विक के साथ सीधी रेखा में नजर आएं। अब अपने कंधों के सहारे इस तरह रहें, जैसे आप जमीन पर उल्टी खड़ी हों।
हलासन
हलासन करते समय सबसे पहले इस बात का ख्याल रखें कि आप कहीं हवादार जगह पर हों। अब इस आसन को करने के लिए सबसे पहले किसी मैट या चटाई पर सीधी लेट जाएं। अपने दोनों हाथों को शरीर से जोड़कर इस तरह रखें कि आपकी हथेलियां जमीन की तरफ हों। अब सांस को अंदर की तरफ खींचते हुए अपने पैरों को ऊपर की तरफ ले जाएं और अपने दोनों पैरों को 90 डिग्री कोण पर रखते हुए हाथों से कमर को सहारा देकर पैरों को सिर की तरफ झुकाते हुए पैरों को सिर के पीछे ले जाएं। अब अपने दोनों हाथों को कमर से हटाकर जमीन पर रख दें और कुछ देर इसी पोजीशन में बनी रहें। हलासन के नियमित अभ्यास से मेटाबॉलिज्म बढ़ने के साथ न सिर्फ शुगर लेवल कम होता है, बल्कि साइनोसाइटिस, अनिद्रा और माइग्रेन में भी फायदा पहुंचता है।
गरुड़ासन
गरुड़ासन को ईगल पोज भी कहते हैं। मेटाबॉलिज्म बढ़ाने के साथ वजन कम करने और एकाग्रता बढ़ाने के लिए यह सबसे लाभदायक योगाभ्यास है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों पैरों को मोड़ लें और बांहों को एक-दूसरे से लपेट लें, जैसे आपने, अपने आपको गले लगाया हो। अब अपना पूरा वजन अपने बाएं पैर पर शिफ्ट करते हुए दाएं पैर को जमीन से ऊपर उठा लें। अब अपनी बाईं जांघ को अपनी दायीं जांघ पर रख लें और अपने दाएं पैर को अपने बाएं पैर के चारों तरफ झुका लें। अपनी बांहों को जमीन की सीध में रखते हुए उठा लें और बांहों को मोड़कर, उन्हें कोहनियों से जोड़ने के लिए बायीं और बायीं तरफ क्रॉस कर लें। ध्यान रहे इस आसन को करते समय आपको सांस लेते और छोड़ते समय धीमी गति बनाए रखनी होगी। इस आसन को करने से पैरों को न सिर्फ मजबूती मिलती है, बल्कि कंधों के जोड़ों में लचीलापन भी बढ़ता है। फोकस और मेडिटेशन के लिए लाभदायक गरुड़ासन के नियमित अभ्यास से पैरों के मसल्स में आनेवाली ऐठन भी रुकती है। सिर्फ यही नहीं इससे किडनी और यूरिन की समस्याओं के साथ प्रोस्टेट प्रॉब्लम भी सॉल्व होती हैं। ध्यान रहे, यदि आपको घुटनों की समस्या है, तो इस इस आसन को करने से बचें। इसके अलावा पहली बार कर रही हैं या आपको इस आसन का अभ्यास नहीं है, तो आप इसे दीवार का सहारा लेकर करें।