हमारे शरीर की सबसे महत्वपूर्ण आवश्यकताओं में से एक स्थिर ब्लड सर्कुलेशन का होना है। जानकारों की मानें तो स्वास्थ्य को बेहतरीन बनाए रखने के लिए स्थिर ब्लड सर्कुलेशन बहुत महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करता है कि रक्त और ऑक्सीजन पूरे शरीर में लगातार प्रवाहित हो, जिससे प्रत्येक अंग ठीक से काम कर सके। यह घावों को तेजी से ठीक करने में मदद करता है, यह आपके दिमाग को तेज रखता है, यह आपके दिल को स्वस्थ रखता है। इसके साथ ही यह आपके शरीर के रंग को प्राकृतिक निखार भी देता है। आप घर बैठे कुछ आसनों के जरिये ब्लड सर्कुलेशन को स्थिर रख सकती हैं। आइए जानते हैं उन खास आसनों को।
कपालभाति
कपालभाति के कई फायदे हैं। पाचन तंत्र और पेट की मांसपेशियों को मजबूत और काम करने के लिए संचालित करता है। नासिका मार्ग ( नेजल पासेज) को मजबूत करता है और छाती में रुकावट को दूर करता है। त्वचा को ग्लोइंग बनाने में मदद करता है। तनाव को दूर करने में मदद करता है। शरीर से अधिक चर्बी को हटाता है, इसके साथ ही यह ब्लड सर्कुलेशन को भी नियंत्रित करता है। इस आसन को करते हुए अपनी पीठ को सीधा करें और अपनी आंखें बंद करें। अपनी हथेलियों को अपने घुटनों पर ऊपर की ओर रखें। सामान्य रूप से श्वास लें। आप अपने पेट का इस्तेमाल डायाफ्राम और फेफड़ों से हवा को मजबूती से बाहर निकालने के लिए कर सकती हैं।
शीर्षासन योग
मस्तिष्क में रक्त के संचार को बढ़ावा देने के लिए रोजाना शीर्षासन योग का अभ्यास करना लाभकारी माना जाता है। सिर में रक्त के प्रवाह को बढ़ाने के साथ तनाव कम करने और आंखों को स्वस्थ रखने के लिए इस योग से विशेष लाभ पाया जा सकता है। इस बात का ध्यान रखना बेहद जरूरी है कि स्कैल्प में रक्त प्रवाह बढ़ने से आंखों और बालों को स्वस्थ रखने में भी मदद मिलती है।
अधोमुख शवासन
शरीर के रक्त संचार को बनाए रखने और मस्तिष्क और ऊपरी धड़( अपर टोरसो) में रक्त प्रवाह बढ़ाने के लिए अधोमुख शवासन योग फायदेमंद होता है। योग के नियमित अभ्यास से सिर में रक्त संचार बढ़ता है, जिससे मस्तिष्क की क्षमता बढ़ती है और दिमाग शांत रहता है। शरीर की कई मांसपेशियां सक्रिय बनती हैं। अधोमुख शवासन का अभ्यास हड्डियों को मजबूत बनाने के लिए भी काफी फायदेमंद माना जाता है। सबसे पहले यह जान लेना बेहतर है कि इस आसन को कैसे किया जाता है। अधोमुख श्वानासन को करने के लिए जमीन पर घुटनों के बल झुकें और हथेलियों को सामने की तरफ रखें। अब शरीर को ऊपर की तरह उठाते हुए पैरों के पंजों के बल खड़े हों, लेकिन आपके हाथ जमीन पर ही होने चाहिए। अब पोजीशन में आने के बाद अपनी नाभि की तरफ देखिए, यही अधोमुख श्वानासन का सही पोज होगा। लगभग 1 मिनट इस पोज को होल्ड करने पर शरीर का रक्त संचार बेहतर होता है।
विपरीत करणी (अपोजिट इफेक्ट)
यह आसन गुरुत्वाकर्षण का उपयोग करके पैरों से हृदय तक रक्त प्रवाह को बढ़ाने में मदद करता है। इसके लिए दीवार के बगल में अपने कूल्हे( हिप) को छूते हुए बगल में बैठें, फिर अपनी पीठ के बल लेटते हुए अपने पैरों को धीरे से दीवार पर ऊपर की ओर घुमाएं। अपने कूल्हों को जितना हो सके दीवार के करीब रखें और अपनी बाहों को अपने बगल में रखें और हथेलियांऊपर की ओर हों। इस आसन में आराम करें, दीवार को अपने पैरों के वजन को सहारा देने दें और ब्लड सर्कुलेशन को आसान बनाएं। यहां 5-10 मिनट तक बनी रहें और फिर गहरी-आराम से सांस लेने पर ध्यान केंद्रित करें।
उत्कटासन
यह आसन पैरों की मांसपेशियों में रक्त संचार को बढ़ावा देता है। इस आसन को करने के लिए पहले दोनों पैरों पर सीधे खड़े हो जाएं, फिर दोनों पैरों को थोड़ा-सा खोलें। हथेलियों को नीचे की तरफ रखते हुए हाथों को सामने की ओर लाएं और अपने घुटनों को इस तरह से मोड़ें, जैसे कि आप कुर्सी पर बैठ रहे हों। इस पोजीशन में कुछ देर रहें, फिर वापस नॉर्मल अवस्था में आएं। इस अवस्था में आने पर गहरी लंबी सांस लें। इसे 8 से 10 बार दोहराएं।
पादहस्तासन
इस आसन का अभ्यास हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाने और हृदय रोग के जोखिम को कम करने में मदद कर सकता है। यह रक्तचाप को नियंत्रित कर सकता है। दरअसल, पादहस्तासन के अभ्यास के समय सिर आपके दिल के नीचे होता है। इस वजह से रक्त का प्रवाह पैरों में होने की बजाय सिर की तरफ होने लगता है। इससे दिमाग में रक्त और ऑक्सीजन की अच्छी-खासी मात्रा पहुंचने लगती है। इस आसन को करते हुए सबसे पहले दोनों पांव मिलाकर सीधे खड़े हो जायें। धीरे-धीरे श्वास भरते हुए और बाजुओं को सीधा रख ऊपर कानों के पास ले जायें। धीरे-धीरे श्वास छोड़ते हुए, बाजु सीधी रखते हुए, कमर से ऊपर के हिस्से को आगे की तरफ झुकाएं। दोनों हाथों से पैरों के अंगूठों को छूने का प्रयत्न करें। सामान्य श्वास लेती रहें। क्षमतानुसार 1-3 मिनट तक रुकें। श्वास भरते हुए अपने साइड्स को फिर से कानों के पास ले जायें। श्वास छोड़ते हुए हाथों को वापिस लाएं। फिर से इसे दोहराएं।
कैट काऊ आसन
कैट काऊ पोज का अभ्यास पीठ और स्पाइनल कॉलम में रक्त संचार को बढ़ाता है। जानकारों के अनुसार, कैट काऊ पोज के नियमित अभ्यास से शरीर की मुद्रा और संतुलन में सुधार होता है। इसके साथ ही रीढ़ और गर्दन मजबूत होती है और तनाव दूर होता है। शांत मन और रक्त संचार के बेहतर प्रवाह के लिए कैट काऊ पोज का अभ्यास लाभदायक है। इस आसन को करने के लिए अपने हाथों को कंधे की चौड़ाई पर अलग रखें और अपने घुटनों को सीधे अपने कूल्हों के नीचे रखें। अपनी पीठ के निचले हिस्से को मोड़ते हुए और अपने सिर को ऊपर लाते हुए, अपने कूल्हे को गाय की तरह ऊपर झुकाते हुए गहरी सांस लें। गहरी सांस छोड़ें और अपने पेट को अंदर लाएं, अपनी रीढ़ को झुकाएं और अपने सिर और कूल्हे को बिल्ली की तरह नीचे लाएं।
जानुशीर्षासन
इसे करने के लिए दोनों पैरों को एक दम सीधा सामने की ओर रखें। अब अपने बांए पैर को धीरे-धीरे घुटने से मोड़ते हुए थाइज को टच करें। वहीं दाएं पैर को सीधा कर लें। ध्यान रखें की घुटना एकदम सीधा हो। इस दौरान सीधा बैठने का प्रयास करें और कमर को भी सीधी कर लें। इसके बाद आगे की ओर झुक जाएं। दोनों हाथों से दांए पैर के पंजे(टोज) को पकड़ लें। साथ ही माथे से घुटने का छूने का प्रयास करें। इसके बाद दाएं पैर से भी इस प्रक्रिया को करें। बारी-बारी से इस आसन को दोनों टांगों से करने से आपके शरीर में लचीलापन बनने लगता है। इस मुद्रा को 10 सेकण्ड से लेकर 30 सेकण्ड तक करती रहें। इसमें सिर को घुटने पर टिकाने से सिर में ब्लड सर्कुलेशन बढ़ने लगता है। इससे हमारा दिमाग तनाव मुक्त होने लगता है। इसके अलावा ,भूलने की समस्या और ज्यादा सोचने की परेशानी भी दूर हो जाती है।
बालासन योग
इस आसन में भी सिर में रक्त परिसंचरण को बढ़ावा देने का सबसे कारगर अभ्यास है। इस योग के नियमित अभ्यास से पीठ और रीढ़ की बेहतर स्ट्रेचिंग हो जाती है। सिर में रक्त का प्रवाह बढ़ने से मस्तिष्क की कोशिकाएं स्वस्थ बनी रहती और मानसिक स्वास्थ्य में भी इससे लाभ पाया जा सकता है। मन की अशांति, चिंता और थकान जैसी समस्याएं, इस योग के नियमित अभ्यास से कम होती हैं। इस योग में सबसे पहले घुटनों के बल जमीन पर बैठ जाएं। गहरी सांस लें, अपने घुटनों और एड़ी की मदद से बैठ जाएं।आगे की ओर झुककर माथे को जमीन पर लगाए। हाथों को शरीर के दोनों ओर से आगे बढ़ाते हुए जमीन पर रखें। धीरे से छाती पर थाइज की मदद से दबाव बनाएं। कुछ सेकेंड्स तक इसी पोज में रहें, फिर धीरे से उठकर एड़ी पर सीधे बैठ जाएं और फिर इसे ही दोहराएं।