पुरानी कहावत है कि पहला ‘सुख निरोगी काया, दूसरा सुख जेब में हो माया’। इसी आधार पर अंग्रेजी में भी एक कहावत है कि ‘हेल्थ इज वेल्थ’। यानी आज से ही नहीं बल्कि सालों पहले ही इसे मान लिया गया है कि हमारे जीवन में सेहत से बढ़कर दूसरी कोई संपत्ति नहीं है। वहीं विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वर्ष 1950 में यह फैसला लिया कि दुनिया को सुरक्षित रखने के लिए हर व्यक्ति की सेहत महत्वपूर्ण है, जिसके लिए सभी को एकजुट होना जरूरी है। यही वजह है कि हर साल 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य दिवस के रूप में मनाया जाता है। हर साल विश्व स्वास्थ्य दिवस एक नई थीम के साथ सेहतमंद जीवनशैली का जश्न मनाता है। इस बार विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हेल्थ फॉर ऑल की थीम के साथ निरोगी जीवन का जश्न मनाने का निर्णय लिया है। वैसे, सेहत को लेकर हम आए दिन कोई न कोई नई जानकारी या फिर खबर पढ़ते रहते हैं। हालांकि अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के बोझ के तले हम अपनी सेहत की कीमत को दबाते चले आ रहे हैं, तो विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर खासतौर से हम सभी के लिए यह जानना जरूरी है कि स्वस्थ जीवन शैली के पांच ऐसे सैनिक हैं, जो हमारे शारीरिक और मानसिक विकास की पहरेदारी में सालों से अहम भूमिका निभा रहे हैं, तो आइए उनसे ही जानते हैं कि खुशहाल सेहत के लिए खुद की अहमियत समझना जरूरी है।
पहली सिपाही : चिकित्सक
जब भी हमें कोई बीमारी होती है, तो सबसे पहले हम हमेशा ही पहले सिपाही यानी कि चिकित्सक के पास पहुंचते हैं। इस बारे में विस्तार से बातचीत करते हुए स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सोनिया चंदनानी बताती हैं कि कैसे खुद के शरीर को समझना हम सभी के लिए जरूरी है। वे कहती हैं कि सेहत के लिए सबसे जरूरी खुद की जिम्मेदारी उठाना है। अपनी सेहत से जुड़ी कमियों को पहचानना चाहिए, जैसे- हाइपरटेंशन, हार्ट से जुड़ी बीमारी या फिर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियां हैं, जिनकी पहली पड़ताल खुद से ही शुरू होती है, लेकिन हम सभी माया के पीछे भाग रहे हैं। ऐसे में हम सभी को समझना होगा कि माया को कमाने में काया चली जाती है और काया को संभालने में माया दूर हो जाती है। अगर हम स्वस्थ हैं, तो अपनी जिंदगी में सुख का स्वागत कर सकते हैं। इस बीच हमारा मानसिक तनाव सेहत पर सबसे अधिक प्रभाव डालता है और कोविड के बाद लोगों को यह समझ में आ गया है कि धरती पर जीवन अस्थायी है। हम कभी-भी पानी के बुलबुले की तरह गायब हो सकते हैं। इसलिए मेरा मानना है कि स्वस्थ रहने के लिए एक ही जीवन मंत्र है, वो है- 'मेरी हेल्थ मेरी जिम्मेदारी'।
दूसरी सिपाही : डायटीशियन
कहा जाता है कि सही खान-पान आपको अंदरूनी तौर पर स्वस्थ रखने में सबसे बड़ा किरदार निभाया है। सूरत की डायटीशियन अमिता तांबेकर भी इसे स्वीकार करती हैं। वे कहती हैं कि इन दिनों सोशल मीडिया का इस्तेमाल सेहत को लेकर अधिक हो रहा है। रोग सेहत से जुड़ी जानकारी के लिए सोशल मीडिया का सहारा ले रहे हैं। ऐसे में कई बार लोग किसी जानकार की सलाह के बिना ही इंटरनेट पर मौजूद सुझाव को फॉलो करने लगते हैं। खासकर खान-पान को लेकर ऑनलाइन जानकारी का सहारा लेते हैं, जिससे सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसलिए यह समझना जरूरी है कि सेहतमंद जीवन शैली के लिए इंटरनेट नहीं डाइटिशियन काम आते हैं, क्योंकि सामान खराब होने पर दुकान से लाया जा सकता है, लेकिन सेहत किसी दुकान से नहीं खरीदी जा सकती है। जिस तरह हाथों की पांच उंगलियां एकता को दिखाती हैं, ठीक इसी तरह पांच जरूरी बातें हमारे सेहत की ताकत बन जाती है। इसलिए हम सभी के लिए संतुलित आहार, कसरत, अच्छी नींद, मेडिटेशन और जल ही जीवन, यहीं पांच चीजें सेहतमंद जीवन शैली का मंत्र होना चाहिए। यह भी जरूरी है कि रोजमर्रा की जिंदगी की परेशानियों के बीच अपनी हॉबी के लिए समय निकालना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि वजन के कांटे पर दिखने वाली गिनती हमारी सेहत की सकारत्मकता को नहीं दिखाता, बल्कि यह भी बताती है कि हम अंदरूनी तौर पर सही जीवनशैली के किस पायदान पर खड़े हैं।
तीसरी सिपाही : काउंसलर, मानसिक स्वास्थ्य
अक्सर कहा जाता है कि आप क्या सोचते हैं, इसका असर आपकी जीवनशैली पर सबसे पहले पड़ता है। काउंसलर श्वेता खंडकर भी मानसिक स्वास्थ्य को सेहत के मीटर पर प्रथम स्थान देती हैं। वे कहती हैं कि हम सभी के लिए दिमाग और शरीर क्या कहता है, इसे सुनना जरूरी है। स्वस्थ रहने के लिए वो काम करना चाहिए,जो हमें अंदर से खुशी दे। अगर यह मुमकिन नहीं है, तो अपने काम में खुशी की तलाश करें। मेरा मानना है कि पहला जीवन का सुख निरोगी मन है। मन और तन एक दूसरे से जुड़े हैं। कई सारी बीमारियों की जड़ भी मन है। डिप्रेशन में भी मन की भूमिका अहम है। इसलिए जरूरी है कि हम सभी को अपनी पसंद का वर्कआउट 45 मिनट हर दिन करना चाहिए। इसके साथ ही अपने परिवार और दोस्तों के साथ खाना खाएं, ताकि आप एक 'हैप्पी मील' खा सकें।
चौथी सिपाही : योग इंस्ट्रक्टर
चंद मिनट का योग, कई सारे रोग को हरा सकता है। यही वजह है कि किसी भी तरह के शारीरिक व्यायाम को निरोगी स्वास्थ्य के लिए रामबाण माना जाता है। योग इंस्ट्रक्टर अनुष्का बापट इस बारे में कहती हैं कि हमारे स्वास्थ्य के लिए योग या फिर किसी भी तरह का व्यायाम जरूरी है और इसके साथ संतुलित आहार भी प्रमुख है। पुराने समय में लोग संतुलित आहार लेते थे, मेहनत करते थे और जल्दी उठते थे, खुद को ज्यादा तनाव नहीं देते थे। खुद की सेहत को सर्वोपरि मानते थे। इसी वजह से पुराने वक्त के लोग निरोगी थे। वहीं यह भी जानना जरूरी है कि एक अच्छी सेहत की शुरुआत मानसिक सेहत से होती है। मन शांत रहता है, तो कोई भी रोग हमारे तरफ नहीं बढ़ सकता है। इसलिए जरूरी है कि खुद को सेहतमंद रखने के लिए सभी को हर दिन सूर्य नमस्कार जरूर करना चाहिए। उल्लेखनीय है कि विश्व को कोविड ने यह सिखाया है कि हमारे जीवन में सेहत से जरूरी कुछ नहीं है।
पांचवीं सैनिक आप खुद
विश्व स्वास्थ्य दिवस एक खास मौका है, इस सोच को अपनाने का कि आप अपनी रक्षक खुद हैं। यानी कि सेहतमंद जीवन शैली के सबसे बड़ी सैनिक आप खुद हैं, इस बात को आपको समझना ही होगा कि सेहत के यह पांच सिपाही यही बताते हैं कि सही सेहत की शुरुआत खुद की खुशी, खुद के प्रति जिम्मेदारी और जागरूकता से होती है। अगर आप सेहत के धन से मालामाल रहेंगे, तभी आपके जीवन में असली खुशी आएगी, इसलिए अपनी सेहत को सबसे अधिक तवज्जो दें।