विश्व कैंसर दिवस हर साल न केवल कैंसर को लेकर जागरूकता की बड़ी पहल करता है। बल्कि 4 फरवरी का यह दिन कई सारी साहसी लोगों की अहमियत को भी पेश करता है, जो कि कैंसर से पीड़ित होकर खुद में छिपे हुए साहस की तलाश कर पाते हैं। कैंसर किसी भी परिवार या फिर व्यक्ति के जीवन में प्रवेश कर हार और जीत के बीच का एक निर्भय सफर तय करता है। लेकिन परिवार, दोस्त और डॅाक्टरों को साथ रहने के बाद भी कैंसर पीड़ित व्यक्ति की यात्रा को किस तरह से शून्य से शिखर तक पहुंचाती है,इस असंभव सफर को भी दर्शाता है। बी एलोन विथ कैंसर में एक डॉक्टर के नजरिए से कैंसर पीड़ित व्यक्ति के दिलेर सफर को देखेंगे और जानेंगे कि कैसे एक आम व्यक्ति कैंसर के कारण खुद को खास बना पाता है।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी की एमबेंसडर और महिला रोग विशेषज्ञ डॅा. सोनिया चंदनानी ने कैंसर पीड़ित लोगों के जीवन को दर्द से निकलकर साहसिक कदम लेते हुए देखा हुआ है। अपने अनुभव के आधार पर उन्होंने बयान किया है कि कैसे कैंसर किसी के भी जीवन में जिंदगी के खत्म होने का अलार्म लेकर आती है। इलाज के दौरान यही अलार्म उसे जीवन जीने की प्रेरणा दे जाती है। उनका कहना है कि पहले कैंसर का पता चलने के बाद सबसे खुद को संभालते हुए डॅाक्टरों से मुलाकातों का सिलसिला शुरू होता है। जहां पर व्यक्ति इस बात को कंफर्म नहीं करना चाहता कि उसे कैंसर है। इसलिए कई सारे डॅाक्टरों की राय ली जाती है कि कैंसर है, तो कौन सा कैंसर है। कौन सी स्टेज पर कैंसर है, इसके ठीक होने की उम्मीद कितनी है। इसके लिए उसे एक सही डॅाक्टर और मेडिकल टीम की आवश्यकता होती है। इसके बाद थेरिपी का सफर शुरू होता है। जहां पर दर्द और हिम्मत के नए सफर पर कैंसर के साथ व्यक्ति कदम से कदम मिलाते हुए बढ़ता है और फिर एक दिन ऐसा आता है कि व्यक्ति कैंसर की बीमारी पर विजय पाकर खुद अकेले हौसला बांध कर नई जिंदगी की कीमत को समझ आगे बढ़ता है।
अमेरिकन कैंसर सोसायटी की एमबेंसडर डॅा. सोनिया चदनानी बताती हैं कि कैंसर के भयावह रोग से मुलाकात करना किसी भी व्यक्ति के लिए एक पल में सब खत्म होने के समान है।कैंसर का पता चलने के बाद यह हकीकत है कि आपको खुद के अंदर झांकना होता है। खुद को कैंसर के साथ अपनाना होता है। कैंसर का पता चलने के बाद पहला ख्याल किसी भी व्यक्ति के मन में यह ख्याल आता है कि क्या कैंसर मुझे होना यह सही है, और फिर कैंसर के न होने की पुष्टि के लिए डॅाक्टरों से पहला ओपिनियन और फिर दूसरा ओपिनियन लेना।
जब कोई भी व्यक्ति इस बात को अपनाता है कि हां, मुझे कैंसर है। फिर शुरू होता है नया अध्यान। जीवन का यह अध्याय केवल अध्याय नहीं होता, बल्कि पूरी कहानी होती है। कैंसर की स्टोरी में केवल मरीज एक किरदार रहता है। जिसका पहला सबक यही है कि कैंसर होना यह पहला झटका है और जीवन के कई और झटके अभी बाकी है। कैंसर के इलाज के बीच आगे क्या होगा. यग हर दिन का सवाल बन जाता है। लेकिन कैंसर पीड़ति व्यक्ति को किस हिम्मत के साथ आगे बढ़ना है, इसकी जानकारी होती है।
कई सारे स्केन, कई सारे सर्जरी और कई सारे रिपोर्ट कॆ साथ एक मरीज के साथ साथ खड़े हुए लोग,दिक्कत कई सारी रहती हैं। न जानते हुए न पूछते हुए न बताते हुए जिंदगी आपके आगे ऐसे खड़ी हो जाती है कि आपको पता ही नहीं होता कि आपको जीना चाहिए या नहीं। लेकिन सांस भी नहीं निकलती । किसी भी कैंसर पीड़ित व्यक्ति को ऐसा लगने लगता है कि मेरी परेशानियों को भी मुझसे परेशानियां होने लगी थीं। कैंसर के इलाज के पहले और आखिरी स्टेज के साथ पता चल जाता है कि जिंदगी तूफान के गुजरने का इंतजार करने का नाम नहीं है, यह ऐसा है जैसे तूफान के बीच खुद को उत्साह के साथ आगे लेकर जाना। इस बीच जब डॅाक्टर यह कहता है कि आपको केवल साल में एक बार मेरे पास आना है और एक ही दवाई खानी है, तो ऐसा लगता है कि कहीं न कहीं कैंसर के बीच मरीज को एक विराम मिला है।डॅा. चदनानी कहती हैं कि मेरा मानना है कि ह्यूमन स्पिरिट मजबूत होनी चाहिए और बाकी की चीजों के साथ। हम पायेंगे कि हम सभी में एक हिम्मत है। हर अनुभव एक नया विश्वास देता है और धीरे-धीरे डर निकल जाता है। खाली हमें डर पर जीत करना है।जब भी कोई कैंसर पीड़ित अपने जख्मों को देखता है,तो उसे लगता है कि मैं मजबूत थी उस घड़ी से जो मुझे तंग करने आयी थी, मैं आगे निकल आयी और वो तकलीफ मुझसे पीछे छूट गई। किसी भी कैंसर पीड़ित के लिए लड़ाई एक वक्त के बाद लड़ना आसान है, क्योकि पता है कि कैसे लड़ना है। यह फिगर आउट करते हुए कि इस बीमारी में उनका किरदार क्या है, तो पता चला कि उनका किरदार उन सभी को सपोर्ट करना उन सभी को संभालना जो इस लड़ाई से उन्हीं की तरह जूझ रहे हैं। कैंसर से जंग जीतने के बाद यह महसूस होता है कि मैं केवल सर्वाइवर नहीं हूं, मैं वारियर हूं। मैंने कैंसर को नहीं चुना, कैंसर ने मुझे चुना है। मैं आज भी खड़ी हूं, मेरी जैसी बहनें कई सारी हैं। हमारी हिम्मत सब कुछ है।
महिलाओं के लिए कैंसर से जुड़ी सावधानी
महिलाओं को हर 3 से 6 महीने में अपना पूरा बॅाडी चेकअप जरूर करवाना चाहिए। साथ ही कुछ ऐसे लक्षण हैं, जिन पर अपनी नजर बनाए रखनी चाहिए। सबसे पहले असामन्य योनि से रक्त आना। बिना किसी कारण के वजन का कम होना। लगातार थकान को महसूस करना और इसके अलावा भूख न लगना और हमेशा यह महूसस होना कि आपका पेट भरा हुआ है। लगातार अपच या मतली आना। आपकी बाथरूम की आदतों में बदलाव, आपके स्तन के आकार में बदलाव या किसी भी प्रकार का कोई दर्द। हालांकि यह ध्यान रखें कि इनमें से एक या उससे ज्यादा लक्षण का दिखना, इसका मतलब यह नहीं है कि आपको कैंसर है। आपको यह सारे लक्षण अगर तीन हफ्ते तक बने रहते हैं, तो आपको इसके लिए तुरंत डॅाक्टर से सलाह लेनी चाहिए और आपके शरीर के किसी भी बर्ताव को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यह ध्यान रखें कि आप खुद का ध्यान रखकर कैंसर से दूर रह सकती हैं। आपको केवल खुद के शरीर के दिए हुए किसी भी सिंग्नल को अनदेखा नहीं करना है। अपने काम और परिवार के साथ खुद के स्वास्थ्य को भी अहमयित देना आपकी पहली प्राथमिकता होनी चाहिए। क्योंकि आप इतना याद रखें कि आप ही आप की फ्रिक कर सकती हैं। आप ही अपना ख्याल रख सकती हैं।
महिलाएं ऐसे रखें ध्यान
नियमित शारीरिक गतिविधी और वजन पर ध्यान रखना आपके मानसिक और शीरिरिक स्वास्थ्य के लिए जरूरी है। स्वस्थ आहार, नियमित व्यायाम की मदद से आप खुद को सेहतमंद रख सकती हैं। साथ ही आप अपने डॅाक्टर से इस बात की सलाह ले सकती हैं कि आपको कौन-से कैंसर से जांच की आवश्यकता है। साथ ही आपको स्तन कैंसर स्कीनिंग, ग्रीवा कैंसर स्कीनिंग, कोलोरेक्टल कैंसर स्क्रीनिंग, त्वचा कैंसर स्कीनिंग की जांच करानी चाहिए। महिलाओं को सबसे अधिक प्रभावित करने वाले कैंसर की बात करें, तो इसमें सबसे आम और सबसे अधिक होने वाला कैंसर का नाम ब्रेस्ट कैंसर है। इससे बचाव के लिए फिजिकल एक्टिविटी करते रहना और रूटीन स्क्रीनिंग जरूरी माना गया है। इसके बाद बारी आती है, सर्वाइकल कैंसर की। यह गर्भाशय ग्रीवा का कैंसर होता है। इसके लक्षण को पहचानना आमतौर पर मुश्किल होता है। ऐसे में समय-समय पर जांच जरूरी है। महिलाओं को ओवरी कैंसर भी होता है। ओवरी यानी कि अंडाशय रिप्रोडक्टिव सिस्टम का एक हिस्सा है और एग्स प्रोड्यूस करता है, जिससे गर्भधारण करने में सहायता मिलती है। महिलाओं को होने वाले आम कैंसर में ओवरियन कैंसर का भी नाम शामिल है। इसमें पेट के निचले हिस्से में दर्द और इंटर्नल ब्लीडिंग भी शामिल है। इसलिए अपना ध्यान रखें।