योग मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को ठीक करने के लिए एक सही हथियार है, इसमें कोई दो राय नहीं है। योग के कई भाग हैं, जिससे शरीर को भिन्न तरह का फायदा मिलता है, लेकिन योग अभ्यास के दौरान इस बात का ध्यान देना चाहिए कि आपको इसकी पूरी जानकारी है। बिना ज्ञान के आप योग का कोई भी अभ्यास सही तरीके से नहीं कर पायेंगी। योगा में कई मुश्किल और कई सरल आसन शामिल है। इसी में से एक वृक्षासन है। यह जान लें कि वृक्षासन को अंग्रेजी में ‘ट्री पोज’ कहते हैं। दिलचस्प यह है कि तस्वीर में देखने से वृक्षासन जितना आसान लगता है, उतना होता नहीं है। कई लोगों को लगातार 6 से 7 महीने अभ्यास करने के बाद वृक्षासन के लिए खुद को तैयार करने का समय जाता है। वृक्षासन में आपका पूरा शरीर एक सही मुद्रा में आता है, जो कि आयुर्वेद के नजरिए से भी शरीर और मन के लिए एक जरूरी आसन बताया गया है। इसका मतलब है कि शरीर वृक्ष की मुद्रा में होता है और इस दौरान आपको संतुलन बनाकर रखना होता है। आइए विस्तार से जानते हैं वृक्षासन के मानसिक और शारीरिक फायदे स्वास्थ्य के लिए।
जानें बारीकी से कि क्या है वृक्षासन
वृक्षासन संस्कृत भाषा का एक शब्द है। इस योग आसान में आपको खुद को वृक्ष की तरह खड़ा रखते हुए खुद को गंभीर और शांत रखना होता है। ज्ञात हो कि वृक्षासन का हर दिन अभ्यास करने से आपके शरीर को ऊर्जा मिलती है। इस आसान के जरिए आपको जीवन में खुद को किसी भी हालात में स्थिर रखने के लिए अंदरूनी तौर पर बल मिलता है, लेकिन जरूरी है कि आप वृक्षासन का अभ्यास नियमित करें, क्योंकि नियमित करने के बाद ही आपको वृक्षासन का फायदा शरीर में महसूस होगा। देखा जाए, तो वृक्षासन के नियमित इस्तेमाल से शरीर और मन को कई तरह के फायदे होते हैं। खासतौर पर पैरों को मजबूती मिलती है और एकाग्रता भी बढ़ती है।
जानें वृक्षासन को करने की पूरी विधि विस्तार से
वृक्षासन को करना बेहद ही आसान काम है। आप इसे घर पर भी आसानी से कर सकती हैं। इसके लिए आपको कुछ जरूरी स्टेप्स को याद रखना है। वृक्षासन को करने के लिए सबसे पहले दोनों योग को मैट पर रखना चाहिए और इसके बाद आप अपने दाहिने पैर के घुटने को मोड़ें और दाहिने पैर के तलवे को बाएं पैर की जांघ पर सटाने का प्रयास करें और इसके साथ ध्यान रखें कि एड़ी ऊपर की तरफ और पंजे जमीन की तरफ होने चाहिए और फिर बाएं पैर पर शरीर का वजन संतुलित करें और फिर सीधे खड़े रहने की भी कोशिश आपको करनी चाहिए। इसके बाद लंबी और गहरी सांस लेते हुए आप अपने दोनों हाथों को सिर के ऊपर लेकर जाएं और फिर नमस्कार की मुद्रा बना लें। आपको यह ध्यान रखना है कि इस दौरान आपकी रीढ़ की हड्डी, कमर और सिर एक सीधे में होना चाहिए। आप यह भी जान लें कि वृक्षासन के दौरान अगर आप अपने शरीर को अच्छी तरह से नियंत्रित करती हैं, तो आप अधिक समय में इस मुद्रा में बनें रह सकती हैं। इसके बाद आप अंत में सांस को छोड़ते हुए फिर से आराम से शुरुआती मुद्रा में आ जाएं। आप इस प्रक्रिया को 4 से 5 बार दोहरा सकती हैं। ध्यान रखें कि अकेले करने की बजाय किसी योग जानकार की निगरानी में आप यह वृक्षासन का आसन करें।
जानें वृक्षासन करने के फायदे एक नहीं अनेक
देखा जाए, तो योगा में ऐसे कई सारे आसन हैं जिसे करने से एक नहीं बल्कि कई सारे फायदे आपके शरीर को मिलते हैं। वृक्षासन का अभ्यास करने से सबसे पहले आपके पैर, टखनों के साथ जांघों, पिंडलियों और घुटनों की मांसपेशियां काफी मजबूत होती हैं। अगर बैठे-बैठे काम करने के बाद आपकी रीढ़ की हड्डी में परेशानी आयी है, तो भी आप वृक्षासन योग कर सकती हैं। जानकारों का मानना है कि वृक्षासन के कारण रीढ़ की हड्डी लचीली और मजबूत बनती हैं, लेकिन आपको यह ध्यान रखना है कि वृक्षासन का अभ्यास आपको नियमित तौर पर करना है। वृक्षासन एक तरह से ध्यान की मुद्रा भी है और इस तरह से इस आसान के नियमित अभ्यास के कारण दिमाग को भी स्वस्थ और संतुलित रखने में सहायता मिलती है। इससे आपकी एकाग्रता भी बढ़ती है और आपका ध्यान भी भटकता नहीं है। वृक्षासन योग के अभ्यास से आपको एक ही साथ मानसिक और शारीरिक तौर पर काफी फायदा पहुंचता है। वृक्षासन एक तरह से आपको तनाव से भी काफी दूर रखता है।
वृक्षासन योग करते समय ध्यान रखें यह सबसे जरूरी सावधानी
वृक्षासन भी एक ऐसा आसान है, जिसे करने के समय सावधानी बरतनी चाहिए। सबसे जरूरी भी यह है कि शुरुआत में किसी भी प्रकार के योगासन का अभ्यास बिना किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही करनी चाहिए। बिना किसी निगरानी के वृक्षासन के साथ किसी भी तरह के योग आसन का अभ्यास नहीं करना चाहिए। यह भी ध्यान रखें कि किसी भी तरह के योगासन को करने से पहले अपनी शारिरिक स्थिति को जरूर ध्यान में रखें। किसी भी प्रकार के योगासन को करने से पहले अपनी शारीरिक स्थिति को नजरअंदाज न करें। यह भी ध्यान रखें कि अगर आपके किसी भी तरह की बीमारी जैसे गठिया, माइग्रेन, अनिद्रा और रक्तचाप की समस्या से पीड़ित लोगों को इस आसान को बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। साथ ही जिन लोगों को चक्कर की समस्या है, उन लोगों को भी योगासन का अभ्यास बिल्कुल भी नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था में भी महिलाओं को वृक्षासन आसान नहीं करना चाहिए। गर्भावस्था के दौरान किसी भी तरह के आसन को डॉक्टर और योग जानकार की निगरानी में ही करें।
वृक्षासन अभ्यास के लिए यहां पढ़ें प्रमुख जरूरी टिप्स
वृक्षासन आसन को अभ्यास करने से पहले किसी भी तरह की कोई जबरजस्ती अपने शरीर के साथ न करें। ध्यान रखें कि आपको अपने शरीर और मन पर वृक्षासन अभ्यास को लेकर किसी भी तरह का कोई भी दबाव नहीं डालना है, क्योंकि वृक्षासन अभ्यास दिखने में जितना आसान लगता है, उतना होता बिल्कुल भी नहीं है। इसलिए ध्यान दें कि इस अभ्यास के दौरान आपको शुरुआती तौर पर अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है, लेकिन जैसा कि हम आपको बता चुके हैं कि अपने शरीर पर अधिक दबाव आपको नहीं देना है। सबसे बेहतर यही होगा कि आप इस योगासन का अभ्यास किसी विशेषज्ञ की निगरानी में ही करें। साथ ही इस योगासन की शुरुआत में आपके लिए संतुलन बनाना कठिन हो सकता है। ऐसे में आपको दीवार का सहारा लेना चाहिए। पहले आप इस योगसन का अभ्यास कुछ सेकेण्ड के लिए करें फिर आप वृक्षासन आसन की प्रक्रिया की समय सीमा अपनी सहजता के आधार पर कम और ज्यादा कर सकती हैं। शुरुआत में अधिक समय तक वृक्षासन या फिर किसी भी तरह के योग का अभ्यास अधिक समय के लिए न करें। खुद की सेहत और सहजता का पहले ध्यान दें।