जोड़ों के दर्द की कई वजहें हैं, जिनमें गठिया, हड्डियों के विकार और पुरानी चोटें प्रमुख वजह हैं। मौसम में हल्की-सी ठंड का एहसास होते ही ये दर्द टीसने लगता है, किंतु मानसून में इसका दर्द काफी बढ़ जाता है। आइए जानते हैं मानसून में जब बढ़े जोड़ों का दर्द, तो क्या करें।
हवा के दबाव की कमी का परिणाम है जोड़ों का दर्द
दो या दो से अधिक हड्डियों के जुड़ने से जोड़ का निर्माण होता है और मानसून तथा ठंड के मौसम के दौरान वायुमंडल में हवा का दबाव कम होते ही इन जोड़ों में मौजूद तरल पदार्थ प्रभावित होकर फैलने लगते हैं और जोड़ों का दर्द बढ़ जाता है। गौरतलब है कि जोड़ों के दर्द को गठिया या आर्थराइटिस कहते हैं, जो मुख्यत: 4 प्रकार के होते हैं पहला ऑस्टियो आर्थराइटिस, दूसरा रूमेटीइड आर्थराइटिस, तीसरा बर्साइटिस और चौथा टेंडीनाइटीस। मानसून में वायुमंडलीय बदलाव के साथ वातावरण में आई नमी, आर्थराइटिस से पीड़ित लोगों के लिए और मुसीबत लाता है, क्योंकि ठंड और नमी से जोड़ सख्त हो जाते हैं और जोड़ों में सूजन आ जाती है। इस सख्ती और सूजन से जोड़ों का दर्द काफी बढ़ जाता है। इन वजहों के अलावा जो सबसे बड़ी वजह है, वो है हमारी शारीरिक गतिविधियों में कमी। इससे भी जोड़ों में जकड़न के साथ दर्द शुरू हो जाता है। ऐसे में जोड़ों के दर्द के बंधन में बंधने की बजाय इससे मुक्ति के उपाय ढूंढें।
शारीरिक गतिविधियां बढ़ाएं
जोड़ों के दर्द से निजात पाने के लिए सबसे पहले जरूरी है, अपने शरीर को आरामतलबी से बाहर निकालना। मानसून में चादर तानकर सोना, सभी को अच्छा लगता है, लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जोड़ों के दर्द में ये भी बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। ऐसे में अपनी शारीरिक गतिविधियों को सीमित रखने की बजाय हल्का व्यायाम करें, जिससे जोड़ों में लचीलापन आए। इसके अलावा नियमित रूप से कुछ देर चलें। बाहर नहीं जा पा रही हैं, तो घर के अंदर ही चलने की शुरुआत करें। संभव हो तो आप योगा भी कर सकती हैं। जोड़ों के दर्द में योगा बहुत कारगर उपाय है। अपनी दिनचर्या इस तरह बनाए, जिससे आपको थकान भी न हो और आपका काम भी हो जाए।
दवाइयों की बजाय कुछ और आजमाएं
कई बार बहुत कुछ करने के बावजूद जोड़ों का दर्द उभर ही आता है। ऐसे में पहले दवाइयां खाने की बजाय घरेलू उपचार के साथ हॉट वॉटर बैग या हीटिंग पैड का इस्तेमाल करें। ये आपके जोड़ों को ढ़ीला करके अस्थायी दर्द से राहत देते हैं। साथ ही इससे न सिर्फ ब्लड सर्कुलेशन सही होता है, बल्कि मसल्स भी रिलैक्स होते हैं। पेनकिलर्स, क्रीम और मलहम, आम तौर पर शरीर को कुछ देर के लिए आराम देते हैं, लेकिन कई बार दर्द इतना बढ़ जाता है कि न चाहते हुए भी इनका सहारा लेना ही पड़ता है। विशेष रूप से मानसून में अक्सर लोग इनका सहारा लेते हैं। यदि आप चाहें तो दवाइयों की बजाय मेंथॉल या कैप्साइसिन का उपयोग भी कर सकती हैं। इससे दर्द में काफी कमी आती है और इसका कोई साइड इफेक्ट्स भी नहीं होता।
फिजिकल थेरेपी भी आजमाएं
जोड़ों के दर्द में फिजिकल थेरेपी भी बहुत कारगर साबित हुई है। इसके अंतर्गत फिजिकल थेरेपिस्ट इस बात का पता लगाते हैं कि आपके जोड़ों के दर्द की कोई अंदरूनी वजह है या जींस इश्यू? ये सिर्फ बारिश में उभरते हैं या हमेशा? आपकी पुरानी हिस्ट्री के जरिए थेरेपिस्ट इन सब बातों का आकलन करते हुए, आपके लिए एक व्यक्तिगत योजना बनाते हैं। इस तरह से आपके जोड़ों के दर्द को कम करने या खत्म करने के साथ आपकी लाइफ क्वालिटी को सुधारने के लिए फिजिकल थेरेपी एक बेहतर विकल्प है।
फिजिकल थेरेपी के प्रकार
इसमें कोई संदेह नहीं कि मानसून में फिजिकल थेरेपी, आपके जोड़ों के दर्द के लिए एक प्रभावी और लाभदायक उपचार है। गौरतलब है कि फिजिकल थेरेपी के अंतर्गत कई तरीकों से आपके जोड़ों के दर्द का उपचार किया जाता है, जिनमें पहला है कपिंग, दूसरा है इंस्ट्रूमेंट असिस्टेड सॉफ्ट टिश्यू मोबिलाइजेशन, तीसरा है थेरेपिक एक्सरसाइज, चौथा है मैनुअल थेरेपी, पांचवा है इलेक्ट्रिक थेरेपी। फिर उसके बाद आता है मायोफेशियल रिलीज और सबसे अंत में आता है एक्वेटिक थेरेपी।
फिजिकल थेरेपी के उपचार
कपिंग में एक कप को आपके जोड़ों पर रखकर सक्शन पैदा किया जाता है और आप जोड़ों के आस पास तनावरहित मसल्स से काफी रिलीफ महसूस करने लगते हैं। इंस्ट्रूमेंट असिस्टेड सॉफ्ट टिश्यू मोबिलाइजेशन के अंतर्गत खास तरिके के उपकरणों का इस्तेमाल किया जाता है। थेरेपिक एक्सरसाइज के अंतर्गत थेरेपिस्ट अपने सक्षम हाथों से आपके जोड़ों के आसपास के मसल्स को मजबूत बनाने का प्रयास करते हैं। मैनुअल थेरेपी, कमोबेश तीसरे प्रकार जैसा ही होता है। इलेक्ट्रिक थेरेपी के अंतर्गत मानसून के दौरान प्रभावित जोड़ों के आस-पास की नसों और मसल्स के अंदर हल्की विद्युत धाराएं छोड़ी जाती हैं, जिससे न सिर्फ दर्द में कमी आती है, बल्कि मरीज काफी आराम भी महसूस करता है। मायोफेशियल रिलीज के अंतर्गत थेरेपिस्ट जोड़ों के आसपास के मसल्स पर अपने हल्के हाथों से दबाव देते हुए तनाव की गांठों को मुक्त करते हैं। एक्वेटिक थेरेपी में जोड़ों के दर्द से पीड़ितों को गर्म पानी के पूल में एक्सरसाइज और कुछ गतिविधियां करवाई जाती हैं, जिससे उनके जोड़ मजबूत हो सकें।