डायपर रैशेस, एक्जिमा, घमौरियां, एटॉपिक डर्मेटाइटिस, पायोडर्मा और सेबेरिया ये स्किन से संबंधित कुछ ऐसी परेशानियां हैं, जिससे बच्चे परेशान रहते हैं और चाहकर भी अपनी परेशानी बता नहीं पाते। आइए जानते हैं अपने बच्चे को इनसे छुटकारा दिलाने के लिए आप क्या कर सकती हैं।
नवजात शिशुओं के लिए है पैच टेस्ट जरूरी
बच्चों की स्किन नाजुक होने के साथ-साथ बड़ों से पांच गुना अधिक सेंसिटिव और 10 गुना पतली होती है। खास तौर से नवजात शिशुओं में सुरक्षात्मक परतें भी विकसित नहीं हुई होती हैं, ऐसे में उनकी स्किन को अतिरिक्त देखभाल की जरूरत होती है। उनके लिए स्किनकेयर का चुनाव करते वक्त आपको इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए कि उनका साबुन और शैम्पू, सौम्य होने के साथ सिंथेटिक रंग और सुगंध के साथ अल्कोहल, सल्फेट और पैराबेन रहित हो। बच्चों की त्वचा कोमल और नाजुक होने के साथ-साथ काफी रुखी भी होती है, इसलिए मॉइस्चराइजर का चुनाव करते समय भी आपको खास सावधानी बरतनी चाहिए। विशेष रूप से अपने नवजात शिशु की कोमल त्वचा पर कोई भी नया प्रोडक्ट लगाने से पहले उनकी कोहनी(elbow) के अंदरूनी हिस्से पर पैच टेस्ट जरूर करें। 24 घंटों के दौरान यदि कोई लालिमा (redness) या जलन न दिखाई दे, तो समझ जाएं कि वह प्रोडक्ट आपके नन्हें मुन्ने के लिए एकदम सही है।
सूरज की यूवी किरणों से बचाएं
आपको जानकर हैरानी होगी कि बड़ों से ज्यादा नवजात शिशुओं में घूमने-फिरने का काफी आकर्षण होता है। यकीन न हो तो बाहर निकलकर एक बार उनकी आंखों में आई चमक को देख लें। अब इस बात के मद्देनजर अगर आपने भी उन्हें कहीं ले जाने का फैसला कर लिया है, तो बाहर निकलने से पहले उनके लिए सतर्कता बरतना न भूलें। विशेष रूप से धूप में निकलने से पहले इस बात का इत्मीनान कर लें कि आपने शिशु की कोमल स्किन को धूप से बचाने के लिए सुरक्षात्मक कपड़ों के साथ सारे जरूरी इंतजामात कर लिए है। आप जिंक ऑक्साइड और टाइटेनियम ऑक्साइड से बनी सनस्क्रीन का भी इस्तेमाल कर सकती हैं, किंतु यदि आपके मुन्ने की उम्र 6 महीने से अधिक हो तो। इसके अलावा, स्नान के दौरान हर रोज साबुन लगाने की बजाय एक दिन छोड़कर सौम्य साबुन लगाएं और नहलाने के तुरंत बाद मॉइस्चराइजर लगाना न भूलें। साथ ही उनके कोमल स्किन को आराम देने के लिए सिंथेटिक कपड़ों की बजाय सूती कपड़े पहनाएं, जिससे वे भी खिलखिलाएं।
उनके कार्यकलापों पर नजर रखें
बच्चे जैसे-जैसे बड़े होते जाते हैं, बड़ों की देखा-देखी हर काम को करने की कोशिश करते हैं, लेकिन कई बार इसी कोशिश में वे अपने आपको कीटाणुओं के हवाले कर देते हैं। अत: आप कोशिश करें कि उनके छोटे-छोटे हाथों को अपने हाथों में लेकर हाथ धोने के साथ, उन्हें हाथ धोना सिखाएं। इसी के साथ दिन में अच्छी तरह मुंह धुलाकर उन्हें मॉइश्चराइजर लगाना न भूलें। यदि उनकी जिद पर आप उन्हें आजादी से नहाने की अनुमति दे रही हैं, तो इस बात का ख्याल रखें कि वे ठंडे पानी की बजाय गुनगुने पानी से नहाएं और कम समय तक पानी के संपर्क में रहें। हां, इन सबके अलावा एक बात का आप खास ख्याल रखें कि आपके नाखून छोटे और ट्रिम हों, जिससे बच्चे को खरोंच न लगे।
गर्मियों के साथ सर्दियों में भी रखें उचित ख्याल
स्कूल जानेवाले बच्चों के लिए सनस्क्रीन बहुत जरूरी है। ऐसे में स्कूल जाने से 20 मिनट पहले उन्हें, बाल चिकित्सकों द्वारा सुझाए गए 30 एसपीएफ वाली एक अच्छी सनस्क्रीन जरूर लगाएं। याद रखिए, गर्मियों में धूप से बचाव के अलावा, आपको सर्दियों में उनकी स्किन का ज्यादा ख्याल रखना है। यदि आप सर्दियों में ब्लोअर या हीटर का इस्तेमाल कर रही हैं, तो इसका सीमित प्रयोग कीजिए, क्योंकि ये उनकी नाजुक त्वचा को रूखा बना सकता है। इसके अलावा, हर रोज रात को सोने से पहले उनकी नाभि में तेल लगाना न भूले। इससे उनके पूरे शरीर में नमी बनी रहेगी। हो सके तो उनके फटते होंठों पर मिल्क क्रीम या पेट्रोलियम जेली भी लगाएं, जिससे उनके होंठों पर न पपड़ी जमे और न खून निकले।
अपने टीनएजर बच्चे का भी रखें ख्याल
स्किन से संबंधित नियमित और सरल देखभाल आपके बच्चे को न सिर्फ स्किन परेशानियों से दूर रखेगी, बल्कि आपको भी उनके प्रति चिंतामुक्त रखेगी। लेकिन इसका मतलब ये नहीं है कि उम्र बढ़ने के साथ ही आप उन्हें आजादी के साथ हर वो चीज करने की आजादी दे दें, जो उनके लिए नुकसानदेह हो। ध्यान रखिए, नवजात शिशु की तरह ही टीनएजर बच्चों को भी आपकी उतनी ही जरूरत पड़ती है, और शायद उससे कहीं ज्यादा। उम्र के इस पड़ाव में जब आपका बच्चा कई हार्मोनल बदलावों से गुजरता है, तो उसमें शारीरिक ही नहीं कई मानसिक बदलाव भी होते हैं। विशेष रूप से कुछ ग्रंथियां ( glands) इतनी ज्यादा सक्रिय हो जाती हैं कि त्वचा ऑयली हो जाती है। ऐसे में उन्हें ही सब्जियों और संतुलित आहार के साथ हाइड्रेटेड रहने के लिए ढ़ेर सारा पानी पीने की सलाह दें। पर्याप्त नींद के साथ उन्हें सिंथेटिक उत्पादों की बजाय हर्बल या नेचुरल स्किन प्रोडक्ट्स चुनने को कहें। कम से कम दिन में दो बार किसी अच्छे साबुन या फेसवॉश से मुंह धोने के साथ कोई अच्छा मॉइस्चराइजर लगाने को कहें, जिससे उन्हें चेहरे पर पिंपल्स न आए। और यदि पिंपल्स आ गए हैं, तो उन्हें बार-बार छूने से रोकें और किसी अच्छे डर्मटोलॉजिस्ट के पास लेकर जाएं।