आधुनिक जीवनशैली ने हमें जितनी सुख-सुविधाएं दी हैं, शारीरिक रूप से उतनी ही तकलीफें भी बढ़ाई हैं। इन तकलीफों में पीठ दर्द आम समस्या बन चुकी है। आइए जानते हैं पीठ दर्द के संभावित कारणों के साथ उससे छुटकारा पाने के उपाय के बारे में।
पीठ दर्द परीक्षण
गौरतलब है कि आधुनिक जीवनशैली ने यदि आपको पीठ दर्द की समस्याएं दी हैं, तो मेडिकल साइंस ने इससे छुटकारा दिलाने के लिए कई मशीनें भी ईजाद की हैं, जिससे मिनटों में समस्याओं का पता लगाकर आपके डॉक्टर्स उसका निदान कर सकते हैं। एक्स-रे के साथ एमआरआई और कंप्यूटराइज्ड एक्जिल टोमोग्राफी के अलावा इलेक्ट्रोफिजियोलॉजिकल जैसे कुछ परीक्षण हैं। इन परीक्षणों के जरिए रीढ़ की हड्डी और उसके आस-पास के भागों को स्कैन करने के साथ मसल्स और नसों की समस्याओं को जांचने और डिस्क, लिगामेंट्स और नसों के फैले जाल का सही मुआयना करते हुए पीठ दर्द की सही समस्या का पता लगाते हैं और फिर उसका निदान करते हैं। इन परीक्षणों के अलावा, ब्लड टेस्ट के जरिए पीठ में किसी तरह की सूजन या मेडिकल डिसऑर्डर का पता लगाया जाता है।
राहत पाने के उपाय
आप जब पीठ दर्द की शिकायत के साथ डॉक्टर के पास जाती हैं, तो वे इसका ठीक-ठीक आकलन करने के लिए आपसे अतीत में लगी चोटों के साथ आपकी फैमिली हिस्ट्री जानने का प्रयास करते हैं। इसके अलावा आपकी दैनिक गतिविधियों के बारे में पूछकर इस बात का अंदाजा लगाते हैं कि आखिर आप के पीठ दर्द की समस्या की जड़ कहां है। इसके अलावा,,, वे आपका शारीरिक परीक्षण करते हैं, जिनमें हड्डियों की संरचना के साथ आपके रीढ़ की हड्डी की जांच की जाती है। इसके अलावा आपके पैरों को मोड़ते हुए वे इस बात का पता लगाने की भी कोशिश करते हैं कि आपके मसल्स कितने ताकतवर हैं और उनमें कितनी हलचल है। कुछ लोगों की समस्या इतनी गंभीर नहीं होती कि उन्हें इसके अलावा, अतिरिक्त जांच की जरूरत पड़े, लेकिन कुछ लोगों में समस्या इतनी गंभीर होती है कि डॉक्टर्स उन्हें ब्लड टेस्ट के साथ एमआरआई करवाने का निर्देश देते हैं। हालांकि यह सब बातें तभी संभव हैं, जब आप डॉक्टर के पास जाकर उन्हें अपनी समस्या बताती हैं। ऐसे में कोशिश कीजिए कि अपनी पीठ दर्द की समस्या को दबाने या उन्हें इग्नोर करने की बजाय उससे छुटकारा पाने का प्रयास करें।
पीठ दर्द के लिए दवाइयां और उपचार
पीठ दर्द की समस्या से छुटकारा पाने के लिए डॉक्टर्स आम तौर पर खानेवाली या पीठ के बाहरी हिस्सों पर लगानेवाली दवाइयां प्रिस्क्राइब करते हैं। ये दवाइयां आम तौर पर मसल्स में तनाव को दूर करके उन्हें आराम देने के लिए होती हैं। इन दवाइयों के अलावा कुछ सुन्न करनेवाले इंजेक्शंस भी होते हैं, जिनके द्वारा पीठ से होकर पैरों तक जुड़ी नसों का इलाज किया जाता है। इन इंजेक्शंस का उपयोग विशेष रूप से न्यूरोलॉजिस्ट करते हैं। दवाइयों और इंजेक्शंस के अलावा पीठ दर्द से तुरंत आराम पाने के लिए हॉट पैक और कोल्ड पैक का भी इस्तेमाल किया जाता है। कोल्ड पैक के जरिए जहां आपको पीठ दर्द में तुरंत आराम मिलता है, वहीं हॉट पैक से पीठ के मसल्स और टिश्यूज को आराम मिलता है और ब्लड सर्कुलेशन सही होता है।
वैकल्पिक उपचार
पीठ दर्द से छुटकारा पाने के लिए दवाइयों के साथ आप वैकल्पिक उपचार भी आप आजमा सकती हैं, जैसे रीढ़ की हड्डी और मसल्स को दुरुस्त रखने के लिए मालिश करवाना या आम बोलचाल की भाषा में हड्डी बैठाना। इसके अलावा आप ट्रांसक्यूटेनियस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टिमुलेशन (TENS) और एक्यूपंक्चर का प्रयोग भी कर सकती हैं। ट्रांसक्यूटेनियस इलेक्ट्रिकल नर्व स्टिमुलेशन, एक ऐसा उपकरण है, जिसके अंतर्गत इलेक्ट्रोड या पैड के जरिए नसों में हल्के इलेक्ट्रिकल पल्सेस भेजे जाते हैं, लेकिन पीठ दर्द के उपचार में यह हमेशा प्रभावी नहीं होते। इसके अलावा एक्यूपंक्चर एक चीनी पद्धति है, जिसमें पतली सुइयों का उपयोग करते हुए आपको पीठ दर्द से राहत दिलाई जाती है। हालांकि इन वैकल्पिक उपचारों को लेते समय इस बात का ख्याल रखें कि आप इलाज के लिए जिनके पास जा रही हैं, वे पेशेवर हों।
सर्जरी है पीठ दर्द का आखिरी इलाज
यदि आपकी ढेर सारी कोशिशें भी आपको पीठ दर्द से राहत नहीं दिला पा रही है, तो ऐसे में सर्जरी आपके लिए कारगर उपाय साबित हो सकती है। हालांकि अक्सर देखा गया है कि लोग सर्जरी से गुजरने की बजाय दर्द सहना बर्दाश्त कर लेते हैं। अगर आप भी उनमें से एक हैं, तो आपको अपनी तकलीफ की एक बार समीक्षा अवश्य करनी चाहिए। दरअसल, डॉक्टर्स आपके दर्द और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर ही आपको सर्जरी का सुझाव देते हैं। ये सर्जरी कई तरह की हो सकती है, जिनमे पहली सर्जरी है लैमिनेक्टॉमी। इसमें डॉक्टर आपकी स्पाइनल स्टेनोसिस का उपचार करते हैं। इससे न सिर्फ रीढ़ की हड्डी खुलती है, बल्कि नसों पर पड़ रहा दबाव भी दूर हो जाता है। डिस्केटॉमी और माइक्रोडिसेक्टॉमी भी एक सर्जरी है। इन दोनों सर्जरी में सिर्फ एक फर्क है और वो है माइक्रोडिसेक्टॉमी में डिस्केटॉमी की तुलना में छोटे चीरे लगाए जाते हैं। इसके अलावा, स्पाइनल फ्यूजन, फोरामिनोटॉमी, डिस्क रिप्लेसमेंट सर्जरी और लेजर सर्जरी भी है, जिसे आपके पीठ दर्द की गंभीरता अनुसार डॉक्टर्स आपको सुझाते हैं। हालांकि इन सर्जरी से पूरी तरह ठीक होने में कितना समय लगेगा, ये आपके बेहतर स्वास्थ्य पर निर्भर करता है।
किसके पास जाएं, इसे मुद्दा न बनाएं
कई बार पीठ दर्द की गंभीरता समझ आने के बावजूद यह समझ नहीं आता कि हम किस डॉक्टर के पास जाएं, जो हमारी समस्याओं को सिरे से समझते हुए उस पर सही उपचार करे। अगर आप भी इस सवाल से जूंझ रही हैं, तो सबसे पहले आपको यह बात समझनी होगी कि यह पीठ दर्द का शुरुआती दौर है या आपको कोई और समस्या है? शुरुआती दौर के लिए आप हड्डियों के डॉक्टर, जिन्हें ऑर्थोपेडिक्स भी कहते हैं, के पास आप जा सकती हैं। अगर समस्या पीठ के साथ रीढ़, मस्तिष्क और नसों की है, तो आपको किसी अच्छे न्यूरोलॉजिस्ट या फिजियाट्रिस्ट के पास जाना चाहिए। मस्कुलोस्केलेटल और ऑटोइम्यून के इलाज के लिए रुमेटोलॉजिस्ट और मसल्स के लिए फिजिकल थेरेपिस्ट बेहतर रहेंगे।
पीठ दर्द से बचाव के तरिके
पीठ दर्द में दवाइयों और तकनीकों के साथ आप कुछ सावधानियां बरतकर भी इनसे छुटकारा पा सकती हैं, जैसे बिस्तर पर आराम करने के साथ दर्द पैदा करनेवाली एक्टिविटीज और एक्सरसाइज करने से बचें। इसकी बजाय अपने जिम ट्रेनर की सलाह पर ऐसे एक्सरसाइज करें, जो आपके मसल्स को मजबूत बनाएं। इसके अलावा अपने डॉक्टर और फिजिकल थेरेपिस्ट की मदद से आप ऐसी फिजिकल थेरेपी भी ले सकती हैं, जिससे आपकी पीठ के मसल्स को मजबूती मिले और आपकी मोबिलिटी, पोश्चर और पोजिशनिंग इम्प्रूव हो। इन सबके साथ अपनी रोजमर्रा की गतिविधियों में हेर-फेर करके भी आप पीठ दर्द से दूर रह सकती हैं। उदाहरण के तौर पर भारी सामान उठाने, धक्का देने या कुछ ऐसी चीजें खींचने से बचें, जो आपके पीठ दर्द को बढ़ा दे या उसका कारण बनें। अपनी आदतों को दुरुस्त करते हुए अपनी जीवनशैली में एक्सरसाइज के साथ संतुलित भोजन लें और कैल्शियम और विटामिन-डी से दोस्ती कर लें।
कुछ खास सावधानियां
ऊपर बताई बातों के अलावा आपको कुछ अन्य सावधानियां बरतनी भी जरूरी है, जिससे आप पीठ दर्द से कोसों दूर रहें। इनमें सबसे पहले आप हाई हील की बजाय कम हील के सैंडल्स या चप्पल पहनें। अगर आपको ड्राइविंग का शौक है, तो कोशिश कीजिए लंबी ड्राइव के दौरान पीठ के पीछे कोई तकिया रखें और लगातार ड्राइव करने की बजाय हर आधे घंटे में गाड़ी रोककर बाहर निकलें और थोड़ी देर रुककर फिर ड्राइव करें। यदि आप पीठ के बल सोती हैं, तो अपने घुटनों के नीचे तकिया रखकर सोएं। वैसे कोशिश करें कि पीठ या पेट के बल सोने की बजाय आप करवट लेकर सोएं। बैठते या खड़े होते समय अपनी पीठ को सहारा देना न भूलें। इसके अलावा एक बार में बहुत अधिक वजन उठाने से बचें। अगर कोई भारी वस्तु उठा भी रही हैं, तो अपनी पीठ की बजाय पैर और पेट के मसल्स का उपयोग करें। हड्डियों के टूटने की जोखिम को कम करने के लिए ताई ची और योग जैसे एक्सरसाइज करें। और हां, इन सबके साथ अपना स्वस्थ वजन बनाए रखें, क्योंकि अधिक वजन होने से आपकी पीठ पर अधिक दबाव पड़ता है और पीठ दर्द की समस्या होने लगती है।