फंगल इंफेक्शन यूं तो किसी भी मौसम में हो सकता है, लेकिन बारिश के मौसम में इसके होने के चांसेस सबसे ज्यादा होते हैं। विशेष रूप से इस मौसम में बाहर पानी में खेलने से बच्चों को नाखून इंफेक्शंस ज्यादा होते हैं। आइए जानते हैं इसकी और वजहों के साथ बचाव के उपाय।
बारिश का जमा पानी है बड़ी वजह
बेहाल गर्मी के साथ पसीने से राहत दिलानेवाला मानसून वातावरण में ठंडक तो लाता है, लेकिन साथ ही डाइजेस्टिव परेशानियों के साथ स्किन इंफेक्शंस भी लेकर आता है। हालांकि इन इंफेक्शंस की चपेट में सबसे पहले आते हैं, बच्चे, बुजुर्ग और लो इम्युनिटी वाले लोग। विशेष रूप से मानसून के मौसम में हर वर्ष 4 से 10 वर्ष के 20 प्रतिशत बच्चे इनका शिकार होते हैं और इसकी वजह है मानसून से जमे पानी के प्रति बच्चों का आकर्षण। इसके अलावा मानसून में होनेवाले पसीने से बच्चे बार-बार खुजली करते हैं और ये पसीना उनके नाखूनों में लगा रह जाता है। पसीना हो या बारिश का जमा पानी, जब बच्चों के नाखून बहुत देर तक पानी के संपर्क में रहते हैं तो इंफेक्शंस के चांसेस बढ़ ही जाते हैं। ऐसी स्थिति में बच्चों के नाखून फीके पड़कर रफ हो जाते हैं और उनमें रेडनेस और सूजन के साथ दर्द भी होने लगता है।
नाखून इंफेक्शंस की अन्य वजहें
डर्माटोफाइट्स, नॉन-डर्माटोफाइटिक मोल्ड्स और यीस्ट से संबंधित कई तरह के फंगी के कारण ये फंगल इंफेक्शंस, नाखून के आस-पास फैलते हैं और हाथ-पैरों के नाखून को इंफेक्ट कर देते हैं। आम तौर पर बारिश के पानी के अलावा स्कूल में बच्चे पूरा दिन शूज पहने होते हैं। ऐसे में वेंटिलेशन वाले जूते और कॉटन सॉक्स न होने के कारण भी बच्चों के नाखूनों में इंफेक्शंस हो जाते हैं। कई बार दूसरों के साथ तौलिया या नैपकिन शेयर करने से भी वे इंफेक्ट हो जाते हैं और अपने साथ घरवालों की परेशानियां भी बढ़ा बैठते हैं। जो बच्चे स्वीमिंग करते हैं या लंबे समय तक पानी में वक्त बिताते हैं, उनमें भी फंगल इंफेक्शंस होने के चांसेस ज्यादा होते हैं। इसके अलावा सर्कुलेशन सिस्टम की प्रॉब्लम से जूंझ रहे बच्चे, लो इम्यून सिस्टम वाले बच्चे या जिन्हें जन्म से डायबिटीज है, उनमें भी इस इंफेक्शंस का खतरा ज्यादा होता है। कई बार बच्चे खेल-खेल में खुद को जख्मी कर बैठते हैं। ऐसे में उनकी चोट भी इस इंफेक्शन का कारण बन जाती है। ह्यूमिडिटी और गर्म वातावरण भी फंगल इंफेक्शन की परेशानियों को बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं।
कैसे निपटें इन इंफेक्शंस से?
बच्चे हैं तो मनमानी करेंगे ही, लेकिन सवाल ये उठता है की ऐसी स्थिति में आपको क्या करना चाहिए? तो सबसे जरूरी बात तो यह है कि ऊपर बताई बातें यदि आपको अपने बच्चों में नजर आए, तो उन्हें अनदेखी न करते हुए सबसे पहले डॉक्टर के पास लेकर जाएं। हालांकि इसके अलावा कुछ सावधानियां बरतकर आप चाहें तो इन्हें होने से रोक सकती हैं। उदाहरण के तौर पर बारिश और गर्मियों के मौसम में बच्चों को टाइट कपड़े कपड़े पहनाने की बजाय कॉटन के ढ़ीले कपड़े पहनाएं। इसके अलावा हफ्ते में एक बार बच्चों के नाखून जरूर काटें और हर 2 दिन में उनके नाखून चेक करती रहें। बच्चों को रोज नीम ऑयल या हल्के डिसइंफेक्टेड लिक्विड वाले पानी से नहलाएं। नहलाने के बाद उनके शरीर को अच्छे से पोछें और कोशिश करें कि उनके हाथ-पैर और फोल्ड एकदम सूखे रहें। उन्हें स्किन इंफेक्टेड लोगों से दूर रखें और कोशिश करें कि वे उनके इस्तेमाल किए हुए चीजों से भी दूर रहें। साथ ही बच्चों का टॉवेल किसी को इस्तेमाल करने न दें।
एलोवेरा जेल है कारगर उपाय
कई बार बहुत सारी सावधानियां बरतने के बावजूद न चाहते हुए भी इंफेक्शंस हो ही जाते हैं और आपको पता ही नहीं चलता। ऐसे में जब कोई नाखूनों को देखकर आपको इसकी जानकारी देता है, तो आप परेशान हो जाती हैं और सोचने लगती हैं कि अब क्या करें? तो ऐसी स्थिति में घबराने की बजाय सबसे पहले आपको किसी अच्छे डॉक्टर के पास जाना चाहिए। इसके अलावा आप चाहें तो कुछ घरेलू उपाय आजमाकर भी इससे दूरी बना सकती हैं। नेल इंफेक्शन में एंटीफंगल और एंटीमाइक्रोबॉयल गुणों से भरपूर एलोवेरा जेल काफी कारगर उपाय है। ये न सिर्फ इंफेक्शंस को दूर भगाने में फायदेमंद है, बल्कि इसे फैलने से भी रोकता है। इसके लिए एलोवेरा जेल को बच्चों के इंफेक्टेड नाखूनों पर लगा दें और आधे घंटे बाद इसे सादे पानी से धो लें।
आजमाएं ये घरेलू उपाय
एलोवेरा जेल के अलावा आपके किचन में मौजूद लहसुन और बेकिंग सोडा भी आपके बेहद काम आ सकता है। एंटी माइक्रोटिक ड्रग्स और एंटीफंगल गुणों से भरपूर लहसुन न सिर्फ नेल इंफेक्शंस दूर भगाते हैं, बल्कि उनकी चमक भी लौटाते हैं। इसके लिए कच्ची लहसुन को कद्दूकस करके बच्चों के नेल्स पर लगा दें। 20 मिनट बाद इस पेस्ट को ठंडे पानी से धो लें और उसका प्रभाव देखें। इसी तरह एंटी फंगल गुणों से भरपूर बेकिंग सोडा को पानी में मिलाकर एक गाढ़ा पेस्ट तैयार कर लें और उसे आधे घंटे के लिए अपने बच्चे के इंफेक्टेड नेल्स पर लगा दें। आधे घंटे बाद इसे पानी से धोने के बाद आप इसका जादू देखिए।
नाखूनों को मॉइश्चराइज करना भी है जरूरी
कई बार सूखे, कमजोर नाखून भी इंफेक्शन को न्यौता दे देते हैं और जल्दी टूटने लगते हैं। ऐसे में नाखूनों को मॉइश्चराइज करना बेहद जरूरी है। इसके लिए आप कोशिश करें कि बच्चों के हाथ-पैरों को अच्छे से धो-पोंछकर उन पर तेल या कोई क्रीम लगा दें। इससे नाखूनों में नमी बनी रहेगी और वे कम टूटेंगे। सिर्फ यही नहीं इससे नाखूनों में छिपा इंफेक्शन भी दूर हो जाएगा और वे स्वस्थ्य रहेंगे।
क्रीम के अलावा ऑयलिंग भी है बेहतर उपाय
ऑयल सिर्फ आपके बालों के लिए ही नहीं, नेल्स के लिए भी काफी फायदेमंद है, लेकिन नेल्स के लिए सही ऑयल का चुनाव करना बेहद जरूरी है। किसी भी हेयर ऑयल को नेल्स पर इस्तेमाल करने की बजाय सनफ्लावर ऑयल के साथ अजवाइन और कोकोनट ऑयल का इस्तेमाल करें। इंफेक्शंस को दूर भगाने के लिए सनफ्लावर ऑयल का इस्तेमाल काफी लंबे समय से किया जाता रहा है। ये न सिर्फ वायरस दूर भगाता है, बल्कि बैक्टीरिया से भी लड़ता है। इसके लिए सनफ्लावर ऑयल की कुछ बूंदों को कॉटन में लेकर बच्चों के इंफेक्टेड नाखूनों पर लगाकर आधे घंटे के लिए उसे कपड़े से ढंक दीजिए। जरूरी हो तो आधे घंटे बाद आप इसे साफ पानी से धो दीजिए, वरना यूं ही रहने दीजिए। अपने बच्चों के स्वस्थ नाखूनों के लिए यही प्रक्रिया आप अजवाइन और कोकोनट ऑयल के साथ भी कर सकती हैं। आप चाहें तो इन तीनों ऑयल के साथ ऑलिव ऑयल की कुछ बूंदें मिलाकर भी इन्हें नाखूनों पर लगा सकती हैं। एंटी फंगल गुणों से भरपूर यह ऑयल, इंफेक्टेड नाखूनों के लिए काफी फायदेमंद है।
क्यूटिकल्स की मसाज से मिलेगा दुगुना आराम
आम तौर पर पर्यावरण में मौजूद फंगस, क्यूटिकल या नाखूनों की दरारों से होते हुए उनमें प्रवेश कर जाते हैं और उन्हें इंफेक्ट कर देते हैं। ऐसे में ऊपर बताए गए किसी भी ऑयल से आप बच्चों की क्यूटिकल्स को मसाज कर सकती हैं। इसके अलावा आप चाहें तो किसी एक्सपर्ट की मदद भी ले सकती हैं। हालांकि बच्चों के अलावा अपने नेल्स का बेहतर ख्याल रखने के लिए और उन्हें इंफेक्शन से बचाने के लिए आप भी ये उपाय आजमा सकती हैं। इसके अलावा समय-समय पर हाथ धोने के साथ-साथ मुंह से नेल्स और नाखून के क्यूटिकल्स काटने से बचें।