गेस्टेशनल डायबिटीज एक प्रकार का मधुमेह है, जो गर्भावस्था के दौरान होता है। यह आमतौर पर तब विकसित होता है जब आप 24 से 32 सप्ताह की गर्भवती होती हैं, लेकिन इस समय सीमा से पहले या बाद में गर्भकालीन मधुमेह विकसित होना संभव है, जिसकी वजह से महिलाओं को प्रेग्नेंसी में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। प्रसव पीड़ा के बढ़ जाने से लेकर बच्चे को समय से पहले डिलीवरी करने की भी स्थिति बन सकती है। सिर्फ यही नहीं बच्चे को सांस लेने की समस्या, पीलिया और डायबिटीज से भी जूझना पड़ सकता है। ऐसे में आइए जानते हैं कि किस तरह से खानपान में बदलाव कर और स्वस्थ आदतों को अपनाकर इस बीमारी की संभावना को कम किया जा सकता है।
साबुत अनाज
गेस्टेशनल डायबिटीज के लिए अपने आहार योजना में जई, बाजरा, जौ, क्विनोआ और ज्वार जैसे साबुत अनाज से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करें। इनमें फाइबर की मात्रा अधिक होती है और ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होता है। यह लंबे समय में मोटापे और टाइप 2 मधुमेह के जोखिम को कम करने में मदद करते हैं।
हरी और पत्तेदार सब्जियां
गेस्टेशनल डायबिटीज में अपने फूड चार्ट में सेम, मटर, दाल, मक्का और पालक जैसी सब्जियां शामिल करने से आपको और आपके बच्चे को स्वस्थ विकास के लिए आवश्यक पोषण प्रदान करते हुए ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में मदद मिलती है।
लो शुगर वाले फल खाएं
फल खूब सारा खाएं, लेकिन उन्हीं फलों को डायट में शामिल करें, जिनमें चीनी की मात्रा कम होती है। नींबू, संतरा, अमरूद और हरा सेब जैसे कुछ फल आपके विटामिन-सी सेवन को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं, साथ ही आपके मीठे की क्रेविंग को भी इस दौरान संतुष्ट कर सकती हैं।
ब्राउन राइस है बढ़िया विकल्प
गेस्टेशनल डायबिटीज में चावल को अपने डायट से जितना हो सकें दूर रखने की कोशिश करें, लेकिन अगर फिर भी यह आपके लिए बेहद मुश्किल है,तो इस दौरान व्हाइट राइस का एक बढ़िया विकल्प ब्राउन राइस होता है, क्योंकि ब्राउन राइस में ग्लाइसेमिक इंडेक्स थोड़ा कम होता है और इसमें सफेद चावल की तुलना में अधिक विटामिन, खनिज और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं। अपने आहार में दोपहर के भोजन या रात के खाने में कम मात्रा में ब्राउन चावल शामिल करें।
ड्राई फ्रूट्स भी है मददगार
बादाम, अखरोट या मूंगफली जैसे मेवे इस दौरान बहुत फायदेमंद होते हैं। मेवे आवश्यक प्रोटीन और वसा प्रदान करते हैं, हार्ट के हेल्थ को बढ़ावा देने में मदद करते हैं। अखरोट गेस्टेशनल डायबिटीज के रोगियों के लिए बेहतरीन स्नैक्स हैं, क्योंकि उनमें कार्बोहाइड्रेट कम और स्वस्थ वसा, प्रोटीन और फाइबर अधिक होते हैं।
बीज भी है फायदेमंद
कद्दू के बीज, चिया के बीज, अलसी के बीज और तिल के बीज-बीज भी गेस्टेशनल डायबिटीज के रोगियों के लिए बेहतरीन स्नैक्स हैं और इनमें स्वस्थ वसा की मात्रा अधिक होती है। अधिक कुरकुरेपन के लिए आप इन्हें कच्चा खा सकती हैं या भूनकर (बिना तेल के) खा सकती हैं।
ऑलिव ऑयल करें इस्तेमाल
इस दौरान सबसे फायदेमंद ऑलिव ऑयल होता है। जानकारों की मानें तो मोनोअनसैचुरेटेड वसा और एंटीऑक्सीडेंट में उच्च, जैतून का तेल अगर सीमित मात्रा में उपयोग किया जाता है, तो यह टाइप 2 मधुमेह और मोटापे से जुड़ी पुरानी सूजन को कम करने सहित कई स्वास्थ्य लाभ दिखाता है।
प्रोटीन के लिए जोड़ें ये फूड्स
गर्भवती महिलाओं को हर दिन कम से कम 2 से 3 बार प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थ खाने की सलाह दी जाती है। प्रोटीन के कुछ बेहतरीन सोर्स, जिन्हें आप गेस्टेशनल डायबिटीज में शामिल कर सकते हैं, उनमें दाल सबसे पहले है। न केवल कैलोरी में कम, बल्कि फोलेट और आयरन से भी भरपूर होते हैं। यह हार्ट के हेल्थ के लिए काफी मददगार मानी जाती है। अंकुरित दालों के भी अपने फायदे हैं। मूंग दाल के अंकुर, सफेद चना के अंकुर शामिल हो सकते हैं, जो प्रोटीन के अलावा फाइबर से भी भरपूर होते हैं। पनीर भी प्रोटीन से भरपूर होते हैं। पनीर वजन घटाने के साथ-साथ हड्डियों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने के लिए जाना जाता है और मधुमेह के इलाज के लिए इसकी सिफारिश की जाती है। दूध से बानी चीजों में पनीर के बाद दही भी शामिल है। दही में अच्छे बैक्टीरिया होते हैं। गट हेल्थ के लिए आवश्यक होते हैं। वे पाचन में सुधार करने का काम करते हैं और मधुमेह रोगियों के लिए प्रोटीन का अच्छा स्रोत हैं। प्रोटीन से भरपूर सोया चंक्स भी शामिल कर सकती हैं। सोया में आइसोफ्लेवोंस नामक यौगिक होते हैं, जो मधुमेह और हृदय रोग के खतरे को कम करने में मदद करते हैं। वेज के प्रोटीन ऑप्शन के बाद बारी आती है, नॉन वेज ऑप्शन की। अंडे एक कम कार्ब वाला आहार है। अंडे की सफेदी में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है, वहीं जर्दी में हेल्दी फैट होता है, जो ब्लड शुगर के स्तर को प्रभावित नहीं करताहै। इनका ग्लाइसेमिक इंडेक्स बहुत कम होता है और ये मधुमेह रोगियों के लिए एक बेस्ट फूड ऑप्शन हैं। अंडों के बाद बारी चिकन की गेस्टेशनल डायबिटीज के रोगियों के लिए चिकन एक अच्छा विकल्प है। उच्च प्रोटीन और कम फैट होने के कारण, अगर इसे स्वस्थ तरीके से बनाया जाए तो यह गेस्टेशनल डायबिटीज में बेस्ट है। चिकन के अलावा मछली में भी खूब सारा प्रोटीन होता है। इसमें ओमेगा-3 फैटी एसिड भी होता है जो गर्भावस्था के दौरान मस्तिष्क के स्वास्थ्य को बढ़ावा देने में मदद कर सकता है।
फ्रूट जूस और कोल्ड ड्रिंक से बचें
एक गिलास जूस बनाने में फलों के कई टुकड़े लगते हैं, जिससे जूस में नेचुरल शुगर अधिक होती है और यह ब्लड में शुगर के स्तर को तेजी से बढ़ाता है। यही वजह है कि जानकार हमेशा फ्रूट्स को सीधे तौर पर खाने की सलाह देते हैं। जूस के तौर पर इसका पोषक तत्व खत्म हो जाता है। फलों के जूस के अलावा सोडा और कोल्ड ड्रिंक पीने से भी बचें। यह बात तो अब आम हो चुकी है कि इनमें शुगर का लेवल कितना अधिक होता है। यह किसी भी तरह से प्रेगनेंसी के दौरान सुरक्षित नहीं है।
खान-पान में बरतें ये सावधानियां भी
हेल्दी खाने के साथ-साथ कुछ बातें इससे जुड़ी भी ध्यान में रखें। हमेशा आने वाले सप्ताह के बारे में सोचें और अंतिम समय में भोजन संबंधी निर्णय लेने से बचें। अंतिम समय में निर्णय लेने से कई बार जल्दीबाजी में आप कम हेल्दी ऑप्शन का चयन कर लेती हैं। आपको कल क्या-क्या खाना है। हो सके तो इसकी तैयारी एक दिन पहले ही कर लें, ताकि जरूरत के अनुसार आप हर मील का इस्तेमाल कर सकें। अपने भोजन को हमेशा संतुलित रखने की कोशिश करें। प्रत्येक भोजन और नाश्ते के दौरान प्रोटीन और सब्जियां खाएं। दिन में तीन बार भोजन करने का लक्ष्य रखें और बीच में आवश्यकतानुसार स्नैक्स भी लें।
सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल
किन महिलाओं में गेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण आम होते हैं ?
25 वर्ष से अधिक उम्र की महिलाएं ये लक्षण आम होते हैं। टाइप 2 मधुमेह का जिनका पारिवारिक इतिहास होता है। उनमें भी इसके लक्षण सबसे अधिक देखें जाते हैं। गर्भवती महिला का प्रीडायबिटीज का व्यक्तिगत इतिहास होने पर भी यह संभावना और बढ़ जाती है। पिछली गर्भावस्थाओं में गेस्टेशनल डायबिटीज होने पर यह दूसरी प्रेग्नेंसी में भी आमतौर पर रिपीट होता है। अगर महिला का अधिक वजन है या मोटापे से ग्रसित है, तो भी यह समस्या आम हो जाती है।
इसके लक्षण क्या हैं ?
गेस्टेशनल डायबिटीज के लक्षण की बात करें तो इस दौरान आपको हमेशा प्यास लगती रहेगी। लगातार पानी पीने के बावजूद आपको आपका मुंह बहुत ड्राई लगेगा। इसके साथ ही आपको सामान्य से अधिक बार पेशाब करने की आवश्यकता होगी। थकान भी बहुत होगी और इसके साथ ही धुंधली दृष्टि और प्राइवेट पार्ट में इचिंग की समस्या भी बढ़ सकती है।
गेस्टेशनल डायबिटीज के रोकथाम करने के उपाय क्या है ?
आप गेस्टेशनल डायबिटीज को पूरी तरह से रोक नहीं सकते हैं, लेकिन कुछ चीजें हैं, जो आप अपने जोखिम को कम करने के लिए कर सकते हैं, जिनमें शामिल हैं, हेल्दी खाएं। एक्टिव रहें और प्रेग्नेंसी से पहले अत्यधिक वजन कम करें, जितना हो सके अपने वजन को कंट्रोल में रखें, क्योंकि प्रेग्नेंसी में वैसे भी वजन बढ़ना आम है।
यदि मुझे गेस्टेशनल डायबिटीज है तो क्या मेरा शिशु ठीक है?
अधिकांश अध्ययनों में गेस्टेशनल डायबिटीज को जन्म दोषों से नहीं जोड़ा गया है, लेकिन कुछ स्टडी ऐसी भी हैं, जो कुछ जन्म दोषों की बढ़ती संभावना का भी सुझाव देते हैं। मतलब साफ है कि संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है।
गेस्टेशनल डायबिटीज में ब्लड शुगर का स्तर क्या होता है ?
ब्लड शुगर का स्तर 190 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (मिलीग्राम/डीएल), या 10.6 मिलीमोल प्रति लीटर (एमएमओएल/एल), गेस्टेशनल डायबिटीज का संकेत देता है। 140 मिलीग्राम/डीएल (7.8 एमएमओएल/एल) से नीचे ब्लड शुगर का स्तर आमतौर पर ग्लूकोज टेस्ट के मानक सीमा के भीतर माना जाता है, हालांकि यह क्लिनिक या प्रयोगशाला के अनुसार भिन्न हो सकता है, इसलिए कुछ भी निर्णय लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर बात कर लें।
गेस्टेशनल डायबिटीज क्या डायबिटीज से भी प्रभावित कर सकता है ?
गेस्टेशनल डायबिटीज आमतौर पर आपके बच्चे के जन्म के बाद दूर हो जाता है, लेकिन बाद में लगभग अगले 5 वर्षों के भीतर, टाइप 2 मधुमेह विकसित होने का जोखिम 50 प्रतिशत अधिक होता है। इसके लिए उसी वक्त इससे पूरी तरह से निजात पाना जरूरी है।
गेस्टेशनल डायबिटीज में पानी पीना क्या बेहद फायदेमंद हो सकता है ?
हां, जितना हो सके खूब सारा पानी पिएं। हाइड्रेटेड रहने के लिए अपने साथ पानी की एक बोतल रखें और इसे पूरे दिन पिएं।