कहते हैं कि जिंदगी की गाड़ी को ठीक तरह से चलाने के लिए कई बार सीधे और टेढ़े रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है। ठीक इसी तरह शरीर को स्वस्थ और खुद को दीर्घायु बनाने का जरिया एक ऐसे योग से गुजरता है, जिसके नाम के अर्थ में सीधा और उल्टा शामिल है। यहां हम बात कर रहे हैं अनुलोम विलोम प्राणायाम की। जी हां, अनुलोम का मतलब होता है सीधा और विलोम के मायने उल्टा होता है। उल्लेखनीय है कि योग में प्राणायाम को सही माना गया है और प्राणायाम का ही एक मजबूत प्रकार अनुलोम विलोम है। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
अनुलोम विलोम और दूसरे श्वास के योग के बीच अंतर
अनुलोम विलोम को खासतौर पर श्वास से जुड़ा हुआ प्राणायाम कहते हैं, हालांकि इसके साथ और भी श्वास संबंधी योग हैं। इसमें भस्त्रिका प्राणायाम शामिल है। इस प्राणायाम में शुद्ध प्राणवायु को भीतर लिया जाता है और केवल 30 सेकेंड तक इसे किया जाता है। भुजंगासन भी फेफड़ों संबंधी बीमारी के लिए लाभदायक है। इससे फेफड़ों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं। इसके बाद बारी आती है, वायु भक्षण( air feeding) की। इस योग के जरिए नलिका( tube) को शुद्ध किया जाता है। इस वजह से इसका अभ्यास शुद्ध वायु में किया जाता है। इन सबसे अलग और सरल प्राणायाम श्वास के लिए अनुलोम विलोम को माना गया है, जिसे शांत मन और शरीर से करने की सलाह दी जाती है।
अनुलोम विलोम देगा सुरक्षा कवच
अनुलोम विलोम के रोजाना अभ्यास से आप अपने शरीर को एक सुरक्षा कवच में पहुंचा देते हैं। इसके एक नहीं, बल्कि कई सारे फायदे हैं। सबसे पहले यह आपको मानसिक परेशानियों से खुद को संभालने में मददगार होता है। साथ ही यह काम करने की या फिर किसी चीज को याद रखने की एकाग्रता भी बढ़ाता है। अगर आप रात में सोने से पहले अनुलोम विलोम करती हैं, तो आपके शरीर को ऑक्सीजन मिलता है, जिससे अच्छी नींद आती है। यह भी माना गया है कि अगर आप अनुलोम विलोम का रोज अभ्यास करती हैं, तो यह रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में भी सहायक होता है। साथ ही सांस जुड़ी सभी प्रकार की समस्याओं के लिए अनुलोम विलोम रामबाण इलाज माना गया है।
अनुलोम विलोम अभ्यास करने के शीर्ष 5 लाभ
जानकारों के अनुसार अनुलोम विलोम के कई शीर्ष लाभ हैं। मुख्य तौर पर अनुलोम विलोम के ऐसे 5 फायदे हैं, जिनके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए। सबसे पहले अनुलोम विलोम आपके फेफड़ों को ताकतवर बनाता है। इसके साथ ही वह शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह को बेहतर करता है। आपकी मानसिक शक्ति को बढ़ाने के साथ रोजमर्रा के जीवन के मानसिक तनाव को भी दूर करने में सहायता करता है। साथ ही जिन लोगों को सांस संबंधी कोई बीमारी या समस्या है, उन सभी दिक्कतों को दूर करने में मददगार अनुलोम विलोम की क्रिया है।
अनुलोम विलोम का मानसिक स्वास्थ्य के लिए काम
कहते हैं कि योग शरीर को अंदरूनी तौर पर स्वस्थ बनाने का काम आसानी से करता है, हालांकि इसके लिए आपको हर दिन योग को अपनी जीवनशैली में शामिल करना चाहिए। अपने जीवन से तनाव को कम करने के लिए अनुलोम विलोम का प्रतिदन अभ्यास आपको मानसिक तौर पर प्रबल बनाता है। अगर आप रोजाना अनुलोम विलोम प्राणायाम का अभ्यास करती हैं, तो कई सारी मानसिक परेशानी से निजात पाया सकती हैं। यह आपको अंदर से धैर्यशाली बनाता है, इसके साथ तनाव और चिंता से राहत दिलाता है। मिली जानकारी अनुसार मस्तिष्क श्वसन और हृदय स्वास्थ्य में आ रही दिक्कतों से भी अनुलोम विलोम प्राणायाम को लाभकारी बताया गया है।
अनुलोम विलोम को ऐसे करें अपनी दिनचर्या में शामिल
योग के सभी प्रकार ऐसे हैं, जिसे आपको हर दिन करना जरूरी है, नहीं तो आप इसके फायदे से वंचित हो जायेंगे। इसलिए योग से जुड़े हर अनुभवी का मानना है कि केवल अनुलोम विलोम एक ऐसा प्राणायाम है, जो कि आपके दिमाग, शरीर और मानसिक सेहत के लिए सबसे अधिक फायदेमंद है। इस प्राणायाम को सुबह करना सबसे अच्छा माना गया है और कम से कम दस मिनट तक इसका अभ्यास सुबह या फिर शाम को खाली पेट करना चाहिए। जरूरी है कि पांच से दस बार इसका अभ्यास नियमित तौर पर किया जाना चाहिए।
अनुलोम विलोम करने के नियम न करें ये गलतियां
अनुलोम विलोम प्राणायाम कोई भी कर सकता है, लेकिन इसके लिए किसी अनुभवी व्यक्ति का साथ होना जरूरी है। बिना किसी अनुभव के अनुलोम विलोम को करने से आप इसका अभ्यास ठीक तरीके से नहीं कर पायेंगी। इसके साथ ही एक साथ कई बार अनुलोम विलोम को नहीं करना चाहिए। इतना काफी है कि आप इसे 3 से 4 बार से अधिक न करें। यह भी ध्यान रखें कि अनुलोम विलोम करते हुए दिमाग को शांत रखना है। अनुलोम विलोम करने के लिए ऐसी जगह का चुनाव करें, वहां का माहौल शांतिपूर्ण हो। सबसे जरूरी यह भी है कि तेजी से या फिर असामान्य तरीके से सांस न लें। मुंह से सांस लेना भी गलत होगा और हर बार गहरी सांस लेने पर अपने फेफड़ों पर जोर न डालें साथ ही अपनी पीठ को सीधा रख कर अनुलाम विलोम करने के लिए बैठें।
अनुलोम विलोम को लेकर जानकारों की राय
हमेशा अनुलोम विलोम को करने की जगह खिड़की के पास चुनें, इससे ताजी हवा भी आपको मिलती रहेगी। अपने दिमाग और शरीर को आराम देते हुए प्राणायाम करने के लिए बैठें। अपनी सांस पर फोकस करते हुए हाथ की उंगलियों का प्रयोग अच्छे से करें।
ये है अनुलोम विलोम करने का सही तरीका
अनुलोम विलोम प्राणायाम को करने के लिए आपको अपने अंगूठे को अपनी दाहिनी नासिका (nostrils) पर रखना चाहिए। इसके बाद हल्के दबाव के साथ एक नासिका (nostrils )को ढक कर अपनी आंखें बंद करें और फिर अपने बाएं नासिका (nostrils ) से धीरे-धीरे सांस छोड़ें। जब आप एक बार सांस अच्छी तरह से छोड़ती हैं, तो कुछ सेकेंड का ब्रेक लें और फिर अपनी अनामिका को बाएं नासिका (nostrils) पर रखें।
अनुलोम विलोन इन बीमारियों लिए फायदेमंद
योग जानकारों के मुताबिक वैसे अनुलोम विलोम प्राणायाम हर रोग के इलाज में लाभ देता है, लेकिन कई ऐसी जटिल बीमारियां हैं, जिनके लिए दवा के तौर पर अनुलोम विलोम काम करता है। मधुमेह से पीड़ित लोगों को नियमित 10 मिनट यह अभ्यास करना चाहिए। इससे रक्त में ग्लूकोज का स्तर कम हो जाता है। हृदय रोगों से बचने के लिए अनुलोम विलोम कारगर तरीके से दिल की सुरक्षा करता है। जो लोग गठिया से पीड़ित है, उनके शरीर में होने वाली ऐंठन और सूजन से भी अनुलाम विलोम राहत देता है। माइग्रेन की समस्या को मिटाने में भी अनुलोम विलोम का हर दिन प्रयोग काम करता है।
ज्ञात हो कि योग से जुड़ी किसी भी क्रिया को करने के लिए धैर्य और वक्त की जरूरत होती है, क्योंकि योग दवाई की तरह तेजी से आपके शरीर पर काम नहीं करता है, लेकिन जैसे ही आप इसका नियमित हर दिन अभ्यास करती हैं, तो इसके चमत्कारी लाभ अंदरूनी और बाहरी तौर पर महसूस करती हैं। योग से जुड़ी सारी क्रिया के बीच अनुलोम विलोम ही एक ऐसा प्राणायाम है, जिसे आसानी से आप अपनी दिनचर्या में शामिल कर सकती हैं, जो आपके तन और मन दोनों के लिए सेहतमंद पर्याय साबित हो सकता है।
सवाल-जवाब
अनुलोम विलोम कब और कैसे करना चाहिए?
इस प्राणायाम को किसी अनुभवी के साथ बैठ कर 10 से 15 मिनट तक करना चाहिए
अनुलोम विलोम के 2 बड़े फायदे कौन से हैं?
सभी प्रकार के मानसिक विकारों( mental disorders) को दूर करता है। फेफड़ों को मजबूत करता है।
क्या अनिद्रा के लिए भी अनुलोम विलोम लाभकारी है?
जानकारों के अनुसार अनिद्रा को हटाने के लिए अनुलोम विलोम एक लाभकारी अभ्यास है। इसे रात में सोने से पहले प्रतिदिन करना चाहिए।