गर्भावस्था को लेकर महिलाओं के जेहन में कई सवाल होते हैं, कई बार कई गलतफहमियों का भी वह शिकार हो जाती हैं, ऐसे में कई बार महिलाएं इस बात को लेकर भी असमंजस में होती हैं कि योग का सहारा कैसे लेना चाहिए या नहीं, तो आइए जानें कैसे योगाभ्यास से प्राकृतिक तरीके से प्रजनन क्षमता बढ़ाई जा सकती है। योगाभ्यास न केवल शारीरिक और मानसिक कल्याण को बढ़ावा देता है, बल्कि गर्भधारण की प्रक्रिया में सहायता देने की क्षमता भी रखता है। तो आइए जानते हैं 1918 में स्थापित दुनिया के सबसे पुराने संगठित योग केंद्र 'द योगा इंस्टीट्यूट'की डायरेक्टर डॉ हंसा योगेंद्र से विस्तार में। डॉ हंसा एसोसिएशन और इंटरनेशनल बोर्ड ऑफ योगा की प्रेसिडेंट भी हैं।
योग मुद्राओं की शक्ति
Image Credit : @Dr Hansji Yogendra
कुछ विशेष योग मुद्राओं, प्राणायाम तकनीकों और ध्यान विधियों से दंपती अपने भीतर एक ऐसा आंतरिक वातावरण तैयार कर सकते हैं, जो प्रजनन क्षमता का पोषण करते हुए आगे की खूबसूरत यात्रा के लिए मन, शरीर और आत्मा को एकरूप करता है। योग मुद्राएं या आसन, शारीरिक लचीलेपन (फ्लेक्सिबिलिटी) को बढ़ाने, ऊर्जा के प्रवाह को सक्रिय करने और गहन विश्राम को बढ़ावा देने की क्षमता के लिए बेहतरीन होता है। पूरी शिद्दत से और निश्चित इरादे के साथ योगाभ्यास किए जाने से योग मुद्राओं का उपयोग आंतरिक सद्भाव( inner harmony) को बढ़ाने और गर्भाधान( कंसेप्शन) को प्रोत्साहन देने में भी किया जा सकता है। ऐसे में प्रजनन क्षमता( फर्टिलिटी) को बढ़ावा देने के लिए दोनों भागीदारों के लिए योग के महत्व को समझाते हुए चरण-दर-चरण निर्देशों के साथ कुछ विशिष्ट आसन इस प्रकार हैं।
हस्तपादासन
आगे की ओर झुकने वाले हस्तपादासन आसन में शरीर को कमर के पास मोड़ना शामिल है, जिससे सिर पैरों की ओर आ जाता है। यह पेल्विक एरिया( pelvic area) में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा देता है और साथ ही साथ रीढ़ की हड्डी में फैलाव लाता है, साथ ही पीठ के निचले हिस्से में तनाव दूर करता है और विश्राम को प्रोत्साहित करता है।
निर्देश:
हर योग को सही तरीके से करना जरूरी है, इसलिए इन निर्देशों को जरूर मानें।
- सबसे पहले पैरों को एक-साथ रखते हुए सीधे खड़े हो जाएं।
- गहरी सांस लें और सांस छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें।
- सिर को अपने पैरों या पिंडलियों तक पहुंचाएं।
- आवश्यक हो तो अपने घुटनों को थोड़ा मोड़ लें, विशेषतौर पर यदि आपको हैमस्ट्रिंग में जकड़न महसूस हो।
- इसी मुद्रा में थोड़ी देर तक सांस लें। प्रत्येक सांस छोड़ने के साथ खुद को तनाव मुक्त महसूस करें।
तीन बार दोहराएं।
विपरीत करणी(Do the opposite)
इस मुद्रा में निचले शरीर को ऊपर उठाना, हेल्दी सर्कुलेशन बढ़ाना और तनाव को कम करना शामिल है। यह पेट और पेल्विक एरिया में ब्लड—सर्कुलेशन को सुचारू करता है, जो प्रजनन कार्य (reproductive function) में सहायक होता है।
निर्देश :
- पीठ के बल लेट जाएं।
-धीरे से पैरों को एक साथ ऊपर उठाएं।
-हाथों से अपनी पीठ को सहारा दें।
-पैरों को सीधा या थोड़ा मोड़कर रखें।
-आंखें बंद करें और कुछ मिनट तक इसी मुद्रा में आराम करें।
- फिर आराम से पहले वाली स्थिति में आते हुए अपनी पीठ के निचले हिस्से और पैरों को आराम दें।
पश्चिमोत्तानासन प्रकार
इस प्रकार में पैरों को फैलाकर बैठना, एक तरफ झुकना और पैर की उंगलियों तक पहुंचना शामिल है। यह जांघों (thighs) के आंतरिक हिस्से और हैमस्ट्रिंग में फैलाव लाता है, प्रजनन अंगों (reproductive function) को सक्रिय करता है और पेल्विक हेल्थ को बढ़ाता है।
निर्देश:
- पैरों को फैलाकर बैठें।
- शरीर को थोड़ा सा एक तरफ मोड़ें, विपरीत पैर के पंजों तक पहुंचें।
- आगे झुकते हुए माथे से घुटने को छूने की कोशिश करें।
- इसी मुद्रा में कुछ देर तक सांस लें। फिर करवट बदल कर इसे दोहराएं।
बैठकर वक्रासन
वक्रासन, शरीर को घुमाने वाले आसन पेट के अंगों की हल्की मालिश करते हैं, पाचन में सहायता करते हैं, तनाव दूर करते हैं और प्रजनन प्रणाली को उत्तेजित करते हैं।
निर्देश
- पैरों को सामने फैलाकर बैठें।
- हाथों को ऊपर लाएं, एक दूसरे के समानांतर, हथेलियां नीचे की ओर।
- सांस छोड़ते हुए दोनों हाथों को दायीं ओर ले जाएं।
- सांस भरते हुए वापस केंद्र में आ जाएं।
- फिर बायीं ओर दोहराएं।
- ऐसा हर तरफ तीन बार करें।
योगमुद्रा
इस मुद्रा में पीठ के पीछे अंगुलियों को आपस में फंसाना और आगे की ओर झुकना शामिल है। यह रीढ़ की हड्डी में ऊर्जा प्रवाह को सक्रिय करता है।
निर्देश:
- आरामदायक स्थिति में पालथी मारकर बैठें।
- उंगलियों को अपनी पीठ के पीछे फंसा लें और अपनी बांहों को सीधा कर लें।
- रीढ़ को खींचते हुए गहरी सांस लें।
- सांस छोड़ते हुए अपनी बाहों को फैलाएं और हिप्स से आगे की ओर झुकें।
- कंधों में खिंचाव और अपनी रीढ़ की लंबाई को महसूस करें।
- कुछ सांसों तक इसी मुद्रा में बने रहें।
- इसे दायीं और बायीं तरफ भी दोहराएं, दोनों तरफ अपने माथे से घुटनों को छूने की कोशिश करें।
बालासन
आरामदायक मुद्रा के रूप में बालासन समर्पण और शांति की भावना प्रदान करता है। यह तनाव में कमी लाता है और गर्भधारण के लिए आंतरिक वातावरण बनाता है।
निर्देश:
- घुटनों के बल होते हुए अपनी एड़ियों पर बैठ जाएं।
- धीरे से आगे की ओर झुकें और अपने माथे को चटाई पर टिकाने का प्रयास करें।
- अपने हाथों को बगल में रखें, हथेलियां ऊपर की ओर रखें ।
- पीठ से गहरी सांस लें और कुछ सांसों तक इसी मुद्रा में आराम करें।
गौरतलब है कि इन योग मुद्राओं के अभ्यास से दंपती पेल्विक एरिया में ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ावा दे सकते हैं और लचीलेपन को बढ़ा सकते हैं, साथ ही साथ शरीर में सामंजस्यपूर्ण वातावरण विकसित कर सकते हैं। इन सभी से गर्भधारण के लिए एक ग्रहणशील वातावरण बनता है।
इन आसनों का अभ्यास प्रजनन अंगों में ऊर्जा और पोषक तत्वों के संचार को बढ़ा सकता है। इसके अलावा, यह दंपती के बीच एकात्मकता की भावना पैदा करने, परिवार शुरू करने के उनके साझा इरादे को मजबूत करने का काम करते हैं।
प्रजनन क्षमता( fertility) के लिए प्राणायाम
प्राणायाम या जैव-ऊर्जा का विनियमन शारीरिक, भावनात्मक और ऊर्जावान आयामों पर काम करता है। प्राकृतिक गर्भधारण चाहने वाले जोड़ों के लिए भ्रामरी प्राणायाम तकनीक विशेष रूप से फायदेमंद हो सकती है। गौरतलब है कि भ्रामरी को 'गुंजन करते हुए भंवरे जैसी सांस छोड़ने'के रूप में जाना जाता है।
निर्देश:
- अभ्यास के लिए एक शांत और आरामदायक स्थान चुनें।
- आंखें बंद करें और कुछ गहरी, कुछ शांति से सांस लें।
- तर्जनी( index finger) को धीरे से अपने कानों में रखें।
- नथुनों( nostrils) से गहरी सांस लें, अपने फेफड़ों को पूरी तरह भरें।
- सांस छोड़ते समय भंवरे जैसी गुनगुनाहट के सुखदायक कंपन की तरह ध्वनि पैदा करें।
- गुनगुनाहट से अपने सिर और शरीर में गूंजने वाले कंपन का अनुभव करें।
- इस अभ्यास को कई राउंड तक जारी रखें, धीरे-धीरे अपनी सांस और ध्वनि की गूंज दोनों को गहरा करते चले जाएं।
- भ्रामरी प्राणायाम तंत्रिका तंत्र को शांत करने, तनाव कम करने और आंतरिक सद्भाव की भावना को बढ़ावा देने की अपनी क्षमता के लिए प्रसिद्ध है।
संतुलन के लिए ध्यान
ध्यान से सचेतनता, भावनात्मक संतुलन और वर्तमान क्षण के लिए जागरूकता बढ़ती है। प्राकृतिक गर्भाधान (natural conception)की यात्रा में ध्यान को शामिल करने से दंपती तनाव का प्रबंधन करने, आत्म-जागरूकता बढ़ाने और सकारात्मक मानसिकता विकसित करने का अधिकार मिलता है।
दो ध्यान अभ्यास जो विशेष रूप से प्रासंगिक हैं
सांस की जागरूकता के साथ सुखासन
क्रॉस-लेग्ड स्थिति में आराम से बैठकर शुरुआत करें। आंखें धीरे से बंद करें और अपना ध्यान अपनी सांसों पर केंद्रित करें। सांस लेने और छोड़ने की प्राकृतिक लय का निरीक्षण करें। मन भटकता है, तो धीरे से उसे वापस अपनी सांसों की ओर ले जाएं। यह अभ्यास सचेतनता पैदा करता है, तनाव कम करता है और मन को बेहतर बनाता है।
निस्पंद भाव( pure emotion)
ऐसी शांत जगह तलाशें, जहां आप दीवार का सहारा लेते हुए आंख बंद कर बैठ सकें। पैरों को फैलाकर और उनके बीच कुछ दूरी रखते हुए बैठ जाएं। अपने आस-पास की आवाजों के प्रति अपनी जागरूकता लाएं। यह पत्तियों की सरसराहट, दूर कहीं पानी का प्रवाह या कोई अन्य धीमी आवाज हो सकती है। अपने आप को उस आवाज में लीन कर दें, जिससे यह आपकी चेतना पर छा जाए। कुछ समय के लिए किसी एक ध्वनि पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इस अभ्यास से सांसारिक विचारों से हटते हुए आपकी आत्मा का प्रकृति से जुड़ाव बनता है।
योग, प्राणायाम और ध्यान प्रजनन क्षमता और कल्याण को बढ़ावा देते हैं, इन्हें संतान प्राप्ति में दृढ़ विश्वास, ईमानदार प्रयास और अटूट धैर्य के साथ जोड़ना होता है। गर्भधारण करना और नए जीवन को जन्म देना एक अत्यंत सार्थक और जीवन बदलने वाली यात्रा है। जैसे-जैसे दंपती इस राह पर आगे बढ़ते हैं, सृजन का इरादा मजबूत होता है और पूरी प्रकृति इसमें सहयोगी के रूप में साथ निभाने लगती है। हर सांस, हर खिंचाव और ध्यान का हर क्षण जीवन की क्षमता को पोषित करने और उनके दिलों और घरों में एक नए जीवन का स्वागत करने के सपने को साकार करने की दिशा में एक कदम बन जाता है। योग की शक्ति से दंपती प्रकृति के चमत्कार में दृढ़ विश्वास के साथ प्राकृतिक गर्भधारण की उम्मीद के उजाले से भर सकते हैं।
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