वर्तमान दौर में आपको बहुत जरूरी है कि वायरल इंफेक्शन से बचा जाए, क्योंकि एक समय के बाद यह अधिक परेशान करती है और फिर आपके पास इससे बचने के उपाय नहीं रह जाते हैं, इसलिए समय पर वायरल इंफेक्शन से बचने के कई तरीके अपनाये जा सकते हैं, आइए जानते हैं विस्तार से।
क्या होता है संक्रमण
वायरल संक्रमण एक ऐसी बीमारी है, जो वायरस के कारण होती है। वायरस एक तरह का छोटा रोगाणु होता है, जो आपकी कोशिकाओं का उपयोग करता है। आमतौर पर देखें, तो वायरल बीमारियों में सर्दी, फ्लू, कोविड -19, पेट का फ़्लू जिसे नोरोवायरस कहा जाता है, एचपीवी( मस्सा) और हर्पीज सिम्पलेक्स वायरस होता है, यह काफी घातक भी होते हैं और पुरानी बीमारियों को और अधिक बढ़ाने का कारण बन जाती है। वायरल संक्रमण वे बीमारियां हैं, जो छोटे जीवों से मिलती हैं, जो आपकी कोशिकाओं का उपयोग स्वयं से अधिक वायरस बनाने के लिए करते हैं। आपको यह जानकर भी हैरानी होगी कि वायरल संक्रमण आमतौर पर सांस और पाचन से जुड़ीं बीमारियों का कारण बनती है, लेकिन वायरस आपके शरीर के अन्य हिस्सों को भी संक्रमित कर देते हैं। बता दें कि वायरस एक प्रकार का रोगाणु होता है, जो इतना छोटा होता है कि आप इसे केवल माइक्रोस्कोप के नीचे से ही देख सकते हैं। एक दिलचस्प बात यह भी है कि आपके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि आपको कोई बीमारी हुई है, तो उसकी वजह वायरल है या नहीं, ऐसे में वायरस और बैक्टेरिया बुखार, खांसी, चकत्ते और ऐसे अगर समान लक्षण पैदा होते हैं, तो आपको इसकी जांच करना जरूरी है।
वायरल संक्रमण के प्रकार
वायरल संक्रमण आपके शरीर के कुछ हिस्से को संक्रमित करते हैं और वे इस तरह से फैलते हैं और इसके लक्षण इस तरह के होते हैं कि आपको कई बार पता नहीं चलता है। कुछ वायरस, जैसे हर्पीस वायरस और अडेनोवायरस अन्य प्रकार की बीमारी का कारण बनते हैं। वायरल संक्रमण सांस की नली में हो सकता है, पाचन तंत्र में हो सकता है, वायरल बुखार भी हो सकता है, साथ ही साथ एसटीआई, अक्सेन्थेमेटस वाला संक्रमण भी हो सकता है। कुछ जन्मजात संक्रमण भी होते हैं, कुछ सिस्टम से सम्बंधित भी होते हैं। अगर बात सांस की नली की की जाये, तो नाक, गले, वायुमार्ग और फेफड़ों को प्रभावित करती है। कई बार वायरस ब्रोंकाइटिस, साइनसाइटिस, कान में संक्रमण या निमोनिया का भी कारण बन जाती है। कई बार सर्दी राइनोवायरस के कारण भी हो जाता है।
पाचन तंत्र में संक्रमण
अगर पाचन तंत्र में संक्रमण की बात करें, तो कई बार संक्रमण आपके पेट और आंतों में भी हो जाता है। नोरोवायरस, रोटोवायरस और एस्ट्रो वायरस ग्रैस्ट्रोएन्टेराइटिस का कारण बनते हैं, जिसे कभी-कभी पेट फ्लू भी कहा जाता है। हेपेटाइटिस वायरस अगर लम्बे समय तक रहता है, तो इस संक्रमण को क्रोनिक कहते हैं। वायरल बुखार की बात करें तो अगर आपको ब्लड इंफेक्शन होता है, तो कई बार यह बड़ा घातक भी होता है, क्योंकि ब्लड के बड़े थक्के कई बार ब्लड सेल्स को कमजोर भी करता है।
ऐक्सेन्थेमेटस वायरल संक्रमण
इस वायरल संक्रमण की वजह से कई बार चकत्ते पड़ जाते हैं और इससे आपकी त्वचा में कई बार छाले पड़ जाते हैं और कई बार त्वचा के नीचे खून के धब्बे भी दिखाई देने लगते हैं। इसकी वजह से सांस की परेशानी होती है।
जन्म से वायरल संक्रमण
जन्म से होने वाले वायरल संक्रमण की खास बात यह होती है कि जिनके साथ आप पैदा होते हैं, वहां आपको भ्रूण के विकास के दौरान या जन्म के दौरान होते हैं। वायरस के आधार पर, यह विभिन्न स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है, जिसमें उसकी दृष्टि या श्रवण हानि और तंत्रिका संबधी स्थितियां शामिल हैं।
वायरल संक्रमण के लक्षण
वायरल संक्रमण के लक्षण इस बात पर निर्भर करते हैं कि आप कहां संक्रमित है, जैसे कि आपको बुखार आएगा, सिर में दर्द होगा, शरीर में थकान और दर्द महसूस होगा। गले में खराश, खांसी, छींक आना और पाचन संबंधी लक्षण भी वायरल संक्रमण का कारण है।
वायरल संक्रमण से बचाव
दरअसल, वायरस संक्रमण होते हैं, जो जीवन के लिए खतरा हो सकते हैं और कई बार बीमारी कारण को भी बढ़ावा दे देते हैं। इसके लिए कई बार मरीज को एंटीवायरल दवाएं दी जाती हैं, जिससे आपको संक्रमण से बचने में मदद मिलती है, इसके अलावा सर्दी और ऐसी किसी भी परेशानी से आपको निदान मिलता है। इसके लिए आपको समय-समय पर काढ़ा पीने की भी राय दी जाती है। और साथ में काफी कुछ खाने पीने की सलाह दी जाती है। गर्म पानी पीने की सलाह दी जाती है। हल्दी डाल कर काफी दूध पीने से भी काफी राहत मिलती है। इसके अलावा, अगर नींबू डाल कर भी चाय पी जाए, तो आपको यह राहत देती है। आपको यह कोशिश करना चाहिए कि आपको अपने हाथ पैर को साफ रखना चाहिए। इसके अलावा, भोजन का सही समय करना भी जरूरी है, मौसम के अनुसार आपको सब्जियां खाने की कोशिश करनी चाहिए। साथ ही आपको खुद को किसी भी तरह के कीड़े के काटने से बचाना चाहिए। यह भी कोशिश करें कि अपने पालू जानवरों को बिना किसी निगरानी के बाहर न छोड़ें, इससे भी संक्रमण बढ़ता है। अपने आस-पास के लोगों से दूर रहने की कोशिश करें, नहीं तो उन्हें भी संक्रमण हो सकता है। संक्रमण लगभग दो हफ्ते के लिए होता है। कई बार अगर मस्सा वाली समस्या होती है, तो इसमें एक वर्ष से अधिक समय भी लग जाता है। आयुर्वेद में तुलसी को औषधि माना जाता है, तो चाय के लिहाज से आप तुलसी की चाय बना सकती हैं। इसके अलावा, आपको वायरल इंफेक्शन होने पर आपको पानी बहुत पी लेनी चाहिए, साथ ही सर्दी, खांसी और डिहाइड्रेशन की समस्या से निदान पाने की कोशिश करनी चाहिए। आपको इसलिए हाइड्रेट रहने की जरूरत होती है। हल्दी और अदरक भी वायरल इंफ्केशन को ठीक करने में मदद करता है। साथ ही एक गिलास पानी में, एक चम्मच हल्दी और एक चम्मच अदरक पाउडर मिला लेना होता है, अब इस मिश्रण को धीमी आंच में पका लें, फिर इसे ठंडा करके पिएं। इसके सेवन से बुखार गायब हो जाता है।