मां बनना बहुत ही जिम्मेदारी का काम होता है और यह जिम्मेदारी बच्चे के गर्भ में आने के बाद से ही शुरू हो जाती है। बेबी के बॉर्न होने के बाद यह जिम्मेदारी और बढ़ जाती है। छोटे बच्चों को ब्रेस्ट फीडिंग कराने के साथ उनको सुलाना और उनको स्नान कराना आसान काम नहीं है। आइए जानते हैं बच्चों को नहलाते समय किन बातों का विशेष ख्याल रखें।
नवजात शिशु को स्पॉन्ज बाथ देने का तरीका
अपने बच्चे को नहलाने से पहले ये चीजें तैयार रखें।
गर्म पानी का एक बड़ा कटोरा
दो तौलिए
दो वॉशक्लॉथ
जेंटल बेबी सोप
साफ डायपर
बच्चे के साफ कपड़े
इसके बाद इन स्टेप्स को फॉलो करते हुए बच्चे को स्नान करवाएं
सबसे पहले अपने बच्चे के कपड़े उतारें। उन्हें तौलिये पर पीठ के बल लिटा दें।
दो कॉटन बॉल को पानी में डुबोएं और हर आंख के लिए एक अलग कॉटन बॉल का उपयोग करें और आंखों के आस-पास के क्षेत्र को अच्छे से पोंछ लें।
इसके बाद एक रुई की फाह से अपने बच्चे की नाक को अच्छी तरह पोंछें।
एक वॉशक्लॉथ को पानी में डुबोएं और अपने बच्चे का चेहरा और कान पोंछें। बच्चों के कानों के पीछे के भाग को अच्छी तरह से पोंछें। कई बार बच्चे दूध पीते हुए मुंह से निकाल भी देते हैं सो हो सकता है कि थूक से निकला दूध यहां इकट्ठा होकर सूख गया हो।
वॉशक्लॉथ पर साबुन की कुछ बूंदें डाल लें और धीरे से अपने बच्चे की सिर और गर्दन को पोंछ लें।
कभी भी सीधे साबुन को बच्चे को न लगाएं। बच्चे की त्वचा बेहद नाजुक होती है। ऐसे में हमेशा वॉशक्लॉथ पर साबुन लेकर ही बच्चों को लगाएं।
सिर और गर्दन हो जाने के बाद शिशु के शरीर के बाकी हिस्सों की ओर बढ़ें।
नवजात शिशु को स्नान करवाते हुए हमेशा इस बात का ध्यान रखें कि एक समय में एक अंग को ही खोलें और साबुन वाले कपड़े से रगड़ें।
बच्चों की बांहों के नीचे की छोटी सिलवटों, डायपर क्षेत्र और उनकी उंगलियों और पैर की उंगलियों के बीच की जगह पर ध्यान देते हुए विशेषतौर पर सफाई का ख्याल रखें।
अब दूसरे वॉशक्लॉथ को गीला करें और एक बार में एक अंग को खोलकर फिर से अच्छी तरह से पोछ लें।
उसके बाद दूसरे साफ तौलिये में अपने बच्चे को ढंक लें और हल्के हाथों से थपथपा कर उसे अच्छी तरह से पोछ लें।
नहाने के तुरंत बाद अगर आप देखती हैं कि आपके बच्चे की त्वचा थोड़ी परतदार हो गयी है, तो आप उस पर हल्का शिशु मॉइस्चराइजर लगा सकती हैं।
आपके बच्चे का स्नान पूरा हो चुका है।
अब अपने बच्चे को डायपर पहनाएं और उसके साफ कपड़ें भी उसे पहना दें।
नवजात शिशु के स्नान में उसके गर्भनाल या अम्बिलिकल कॉर्ड का विशेष तौर पर ख्याल रखना है। स्नान कराते हुए इस बात का ख्याल रखना है कि अम्बिलिकल कॉर्ड क्षेत्र को साफ और सूखा रखना है। यदि रक्त या स्राव( डिस्चार्ज) दिखाई दे, तो उसे धीरे से पोंछने के लिए वॉशक्लॉथ का उपयोग करें और फिर उसे थपथपाकर सुखा लें।
छह से एक साल के बच्चे को टब में नहलाने का तरीका
जरूरी सामान
बाथ टब
गुनगुना पानी
माइल्ड सोप और शैम्पू
तौलिया
डायपर और साफ कपड़े
बच्चे का पसंदीदा खिलौना
छ: महीने के बच्चे में गर्भनाल मतलब अम्बिलिकल कॉर्ड सूखकर गिर चुके होते हैं, जिस वजह से अपने बच्चे को आपको स्पंज बाथ देने की जरूरत नहीं है। आप उसे पानी के साथ नहला सकती हैं।
एक बाथ टब लें और उसे बच्चे के सीने के नीचे तक टब का पानी रहे, इस बात को ध्यान में रखते हुए टब में पानी भरें। पानी न तो ज्यादा गर्म होना चाहिए और न ही ज्यादा ठंडा। अपनी कोहनी या उंगली से जांचकर ही अपने बाचे को उस पानी से नहलाना है।
पानी का तापमान सही लगने पर इसमें बड़े प्यार से शिशु को अपने हाथ के सहारे से अपने शिशु को लिटाएं या बिठाएं। इस बात का ध्यान रखें कि शिशु की छाती के नीचे ही रहे ।
इस दौरान आप बच्चे के हाथों में उसका पसंदीदा खिलौना भी दे सकती हैं।
आपका एक हाथ बच्चे के सिर के पास ही रखें और दूसरे हाथ से उसे नहलाएं।
हमेशा अपने हाथों के सहारे ही बच्चे पर पानी डालें, सीधे उसपर पानी न डालें।
जो भी माइल्ड सोप आप इस्तेमाल करना चाहती हैं, उसे हल्के से हाथों में लगा लें और पैरों से शुरू करेंगे।
पैरों के बाद अपर बॉडी यानी सीना, पेट और हाथों और उंगलियों पर हल्का साबुन लगाकर हल्के हाथों से रब करके उसे पानी से धो लेंगे।
अब बच्चे की पीठ को साफ करेंगे उसके लिए उसे टर्न करके उसे पकड़कर उसकी पीठ पर हल्के से साबुन लगाकर धो लेंगे ।
अब बच्चे के सिर को साफ करेंगे, इसमें बच्चे को हल्का-सा लेटा देना है, ताकि सिर का साबुन और पानी उनकी आंखों में न जाए।
अब बच्चे के चेहरे को धोयेंगे, लेकिन आंखों की बचाते हुए इसे साफ करेंगे।
फिर बच्चे को टॉवल से अच्छे से सूखा लें
अब पाउडर लगाकर उसका डायपर और उसके कपड़े पहना दें ।
बच्चों को टब में नहलाते हुए हमेशा इस बात का ख्याल रखें और उनके साथ बात करते रहें ताकि वो इस प्रोसेस की एंजॉय करें ।
सबसे ज्यादा पूछे जानेवाले सवाल
नवजात शिशु को सप्ताह में कितनी बार नहलाया जाना चाहिए? एक्सपर्ट के अनुसार, नवजात शिशु को सप्ताह में सिर्फ दो या तीन बार नहलाना चाहिए, क्योंकि नवजात शिशु वयस्क की तुलना में कम गंदे होते हैं, क्योंकि न तो उन्हें पसीना आता है और न वे बड़े बच्चों की तरह मिट्टी में खेलते हैं। हालांकि, ब्रेस्ट फीडिंग करवाने और डायपर बदलने के बाद शिशु की साफ-सफाई का खास ख्याल रखें।
छ: महीने से लेकर एक साल के बच्चों को क्या रोज साबुन से नहला सकते हैं ?
छह महीने से एक साल होने तक में बच्चे सॉलिड खाना शुरू कर देते हैं। कुछ केसेज में तो इस उम्र तक चलना भी शुरू कर देते हैं। इसलिए इस समय आपको बच्चे को हर बार साबुन से नहलाने की जरूरत महसूस होगी लेकिन फिर भी आप उसे सप्ताह में सिर्फ तीन बार साबुन और पानी से नहलाएं। बाकी दिन आप बच्चे को केवल पानी से ही नहलाएं। रोजाना साबुन का इस्तेमाल करने से बच्चे की त्वचा में रुखापन आ सकता है और उसकी त्वचा को नुकसान पहुंच सकता है।
बच्चे को नहलाते हुए किन बातों का ख्याल रखा जाना चाहिए ?
बच्चों को नहलाने या नहाते समय अपने दूसरे छोटे बच्चे की देखभाल करने का काम न दें। केवल एक जिम्मेदार वयस्क को ही नहलाना चाहिए। यदि आपको नहाते समय जरूरत पड़नेव के लिए थोड़े समय के लिए ही सही कहीं बाहर जाना पड़े तो अपने बच्चे को तौलिए में लपेटकर अपने साथ ले जाएं।
बच्चों का नहाने का पानी कितना गर्म होना चाहिए ?
छोटे बच्चों की त्वचा बहुत संवेदनशील होती है, जिसका मतलब है कि गर्म पानी उन्हें बहुत जल्दी जला सकता है। बच्चे के स्नान के लिए सुरक्षित तापमान 37°C और 38°C (या नवजात शिशु के लिए लगभग 36°C) के बीच है। बच्चे को गर्म पानी से नहलाने से पहले हमेशा अपनी कलाई या कोहनी से पानी का तापमान जांच लें। यह आरामदायक रूप से गर्म होना चाहिए, बहुत ज्यादा गर्म नहीं, बहुत ठंडा भी नहीं।
बच्चों को कौन से समय नहीं नहलाना चाहिए ?
बच्चों को दूध पिलाने के तुरंत बाद या जब वह भूखे हो। उस वक्त कभी नहीं नहलाना चाहिए।