मां और बच्चे की देखभाल एक साथ करना मुश्किल काम है। खासकर एक मां के लिए खुद के साथ अपने बच्चे का भी ध्यान रखना काफी कठिन हो जाता है, क्योंकि मां का सारा ध्यान अपने बच्चे की देखभाल में रहता है। ऐसे में एक मां के लिए सबसे अहम है अपने खान-पान का ध्यान रखना। एक सही और सेहतमंद डायट के साथ मां अपने बच्चे के साथ खुद का भी अच्छी तरह से ध्यान रख सकती हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि कैसे मां-बच्चे की देखभाल एक साथ की जा सकती है।
मां अपने साथ कैसे रखें बच्चे का ख्याल
मां को अपने नवजात बच्चे का ध्यान रखने के लिए काफी सावधानी बरतनी पड़ती है। इसके साथ मां को अपना ख्याल रखना भी बहुत जरूरी होता है। जैसा कि हम पहले बता चुके हैं कि मां को अपनी डायट का अच्छी तरह से ध्यान रखना है। इसके साथ नवजात बच्चे की देखभाल के लिए हमेशा यह ध्यान रखें कि बच्चे को किसी भी प्रकार की एलर्जी से बचाने के लिए हाथ धोना न भूलें। जब भी आप बच्चे के संपर्क में आती हैं, तो यह ध्यान रखें कि अपने हाथों को हमेशा सैनिटाइज करें। क्योंकि छोटे बच्चों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक नहीं होती है, इस वजह से बच्चे जल्दी बीमार पड़ जाते हैं। संक्रमण होने की पूरी संभावना बनी रहती है। साथ ही घर के सभी लोगों को हमेशा अपने हाथों को सैनेटाइज कर लेना चाहिए।
बच्चे की स्वच्छता के साथ अपना भी ध्यान
छोटे बच्चों के साथ यह तकलीफ भी होती है कि बार-बार उनका डायपर भी बदलना पड़ता है। डायपर बदलने के साथ हमेशा चिकित्सक की सलाह से पाउडर जरूर खरीद लें। जब भी आप बच्चे का डायपर बदलती हैं, तो किसी साफ कपड़े से अच्छी तरह से शरीर को साफ करने के बाद पाउडर का इस्तेमाल करें और इसके बाद ही पाउडर लगाएं। ऐसा करने से बच्चों के निचले हिस्से में नमी नहीं बनी रहती है और उन्हें लाल निशान या फिर जलन जैसी समस्या से नहीं गुजरना पड़ता है। मां यह ध्यान रखें कि बच्चे का डायपर बदलने के बाद अपने हाथों को अच्छी तरह से साफ करें, नहीं तो इंफेक्शन फैलने का खतरा बना रहता है। साथ ही बच्चे के डायपर को घर में मौजूद कूड़ेदान में जमा न करें। इससे भी कीटाणु फैलने का खतरा बना रहता है। डायपर को कूड़ेदान में फेंक कर आएं। इससे मां और बच्चे दोनों में बीमारी फैलने का खतरा नहीं रहता है।
बिना ब्रेक वाले रूटीन में मां ऐसे रखें अपना ख्याल
एक छोटे से बच्चे के साथ बिना ब्रेक वाले 24 घंटे में परिवार को मां का ध्यान रखना चाहिए, लेकिन इसके साथ खुद को मां को भी अपने सेहत के प्रति किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए। अगर मां अपना ध्यान नहीं देती है, तो यह उसके मानसिक, शारीरिक और भावनात्मक सेहत को जरूर प्रभावित कर सकती है। सबसे पहले मां का सकारात्मक रहना जरूरी है। इसे अपने जीवन की नई शुरुआत समझें। सबसे पहले बारी आती है सोने की। जी हां, अक्सर यह कहा जाता है कि एक मां को अपने बच्चे के साथ सो लेना चाहिए, लेकिन उस वक्त मां को नींद आए यह जरूरी नहीं है। शुरू के कुछ महीने मां को बच्चे के सोने और जागने के बीच उलझन हो सकती है, लेकिन धीरे-धीरे मां को बच्चे के नैप टाइम का पैटर्न समझ में आने लगेगा। नैप टाइम समझ आने के बाद आप उस समय के लिए अपना कोई जरूरी काम पूरा कर सकती हैं या फिर आप अपना काम निपटाने के बजाए आराम कर सकती हैं। अक्सर लोग बच्चे के सोने के समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल करना शुरू करते हैं, लेकिन इस समय मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने से बेहतर है कि आप कोई शांत म्यूजिक लगाकर सोने की कोशिश करें। अगर नींद नहीं भी आ रही है, तो आंख बंद करके मेडिटेशन करें इससे आपको मानसिक और शारीरिक तौर पर काफी आराम मिलेगा।
बच्चे की देखभाल के समय मां का डायट
इसमें कोई दो राय नहीं है कि मां अपने बच्चे का पूरा ध्यान रखती है, लेकिन पूरा परिवार साथ होने के बाद भी कई बार मां को डायट में सही पोषण नहीं मिल पाता है। ऐसे में मां को चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए कि उन्हें अपनी डायट में किन चीजों का शामिल करना चाहिए। इससे आपको अपनी डायट को समझने में आसानी होगी। आपको सुबह के नाश्ते से लेकर शाम को खाने तक अपने डायट में पौष्टिक चीजों को शामिल करना है। शरीर में आयरन की कमी को पूरा करने के लिए कई प्रकार की दालों का प्रयोग किया जाता है। हरी पत्तेदार सब्जियों को भी सूप,सलाद और सब्जी के तौर पर पका कर करना चाहिए। जितना हो सके, रात के समय चावल और रोटी का प्रयोग अधिक न करें। सबसे अधिक सब्जी और दाल का सेवन करें। आप ज्वार और बाजरा की रोटी बना सकती हैं। चावल की जगह आप ओट्स और दलिया का इस्तेमाल कर सकती हैं। मूंग दाल की खिचड़ी और लगातार गर्म पानी में अजवाइन मिलाकर उसका सेवन करना आपके लिए काफी अच्छा होगा। गर्म पानी में अजवाइन मिलाकर इसे उबाल लें और एक बोतल में भर दें और पूरे दिन इसका सेवन करती रहें। इससे बच्चे को भी काफी लाभ होगा, क्योंकि स्तनपान के दौरान बच्चे को कब्ज और सर्दी की शिकायत नहीं रहेगी।
कैल्शियम और विटामिन डी भी जरूरी
मां और बच्चे के लिए कैल्शियम और विटामिन भी जरूरी है। सुबह की पहली धूप बच्चों को दिखाएं, लेकिन बिना कपड़ों के बच्चे को धूप में न लेकर जाएं। कम से कम 30 मिनट तक बच्चे के साथ मॅानिग वॅाक और सुबह की धूप का जरूर लाभ लें। सुबह की धूप का फायदा मां को भी होगा। मां और बच्चे दोनो को विटामिन डी मिलेगा, कई लोग दोपहर में बच्चे को धूप दिखाते हैं, लेकिन ऐसा बिल्कुल न करें। दोपहर की धूप बच्चे और मां दोनों के लिए खराब परिणाम लेकर आ सकती है। इसके अलावा दूध, दही, और पनीर का सेवन भी विटामिन की कमी को मां के शरीर में पूरा करता है। आप ड्राई फ्रूट्स मेवे से बने लड्डू का सेवन भी कर सकती हैं। जानकारों का मानना है कि शक्कर औरत नमक का सेवन भी काफी कम मात्रा में करना चाहिए। शक्कर के बदले शहद या फिर गुड़ का उपयोग करें।
योग और व्यायाम
बच्चे की देखभाल के लिए मां को अपना शरीर भी मजबूत करने की आवश्यकता है। हर दिन किया गया योग और व्यायाम आपके शरीर को लंबे समय तक के लिए स्वस्थ्य रखने के साथ मजबूती भी प्रदान करेगा। मानसिक स्वास्थ्य के लिए मेडिटेशन हर दिन 10 से 15 मिनट करना चाहिए, अगर आपको सुबह मेडिटेशन के लिए वक्त नहीं मिलता है, तो रात में सोने से पहले मेडिटेशन करके सोएं। इससे आपको नींद भी अच्छी मिलेगी। साथ ही मानसिक तनाव भी कम होगा। आप किसी जानकार की राय के अनुसार अपनी सेहत की स्थिति के अनुसार योगासन और व्यायाम कर सकती हैं। यह आपको काफी लाभ देगा।
खुद को रखें व्यस्त
जी हां, यह बहुत जरूरी है कि मां बच्चे की देखभाल के साथ-साथ खुद को आराम भी दें और साथ ही खुद को किसी न किसी काम में व्यस्त भी रखें। खुद को व्यस्त रखने से आपका ध्यान नकारात्मकता से हटता है। अगर मां अकेले बच्चे की देखभाल कर रही हैं, तो उन्हें खुद को किसी न किसी काम या फिर दिन में एक या दो घंटे बच्चे के साथ बाहर जरूरी घूमने जाना चाहिए। अपने आप की कदर करना हर एक महिला और खासतौर पर हर एक मां के लिए जरूरी है। अगर कोई कठिन वक्त आता है, तो यह समझना जरूरी है कि यह वक्त भी बीत जाएगा। केवल जरूरत है धैर्य और साहस की। खुद को हिम्मत देते हुए हर मां को आगे बढ़ना चाहिए, ताकि वह जीवन के हर चुनौती का खुले हाथों से स्वागत करें और यह समझ सकें कि वक्त कभी एक जैसा नहीं रहता है।