गलत खान-पान और लाइफस्टाइल के कारण यूं तो किसी को भी, किसी भी उम्र में पाइल्स की परेशानी हो सकती है, किंतु यदि महिलाओं की बात करें तो प्रेग्नेंट महिलाओं के साथ 40 वर्ष की उम्र से अधिक की महिलाओं में पाइल्स की परेशानी पाई जाती है। आइए जानते हैं महिलाओं में पाइल्स की समस्या के साथ उसके कारण और निदान।
पाइल्स के प्रकार
आम तौर पर रेक्टम एरिया में ब्लड वेसल्स के खिंच जाने से सूजन के साथ जलन की स्थिति बन जाती है और इसे ही पाइल्स की बीमारी कहते हैं। इसमें दर्द के साथ-साथ खुजली, असुविधा और ब्लीडिंग होती है। विशेष रूप से प्रेग्नेंट महिलाओं में पेल्विक ब्लड फ्लो के कारण पाइल्स की समस्या शुरू हो जाती है। आम तौर पर पाइल्स दो प्रकार के होते हैं, पहला इंटर्नल और दूसरा एक्सटर्नल। एक्सटर्नल पाइल्स जहां रेक्टम एरिया के बाहर होता है, वहीं इंटर्नल पाइल्स, रेक्टम एरिया के अंदर होता है और काफी दर्दनाक होता है। इसके अंतर्गत स्टूल पास करते वक्त रेक्टम एरिया में काफी दर्द होता है और ब्लीडिंग होती है, जिससे सूजन बढ़ने के साथ खुजली और बेचैनी भी बढ़ जाती है। हालांकि यदि सही समय पर इलाज न करवाया जाए तो दर्द, बेचैनी और सूजन वाला एक्सटर्नल पाइल्स भी खतरनाक हो सकता है। ऐसे में सही समय पर इस बीमारी को समझते हुए इसका उचित इलाज बेहद जरूरी है।
पाइल्स के परिणाम
आम तौर पर देखा गया है कि पाइल्स से पीड़ित 40 प्रतिशत महिलाओं में ये समस्या दर्द रहित होती है और बाकी की 60 प्रतिशत महिलाओं में इसके भयंकर परिणाम देखने को मिलते हैं। इनमें रेक्टम एरिया में सूजन, खुजली, के साथ असुविधा और टॉयलेट के दौरान ब्लीडिंग होना शामिल है। हालांकि शुरुआती दौर में महिलाओं में पाइल्स के लक्षण काफी हल्के होते हैं और समय पर यदि इनका इलाज करवाया जाए तो ये खत्म भी हो सकते हैं। लेकिन इग्नोरेंस के कारण लक्षणों के साथ परेशानी बढ़ती जाती है और एक समय ऐसा आता है, जब उन्हें दर्द के कारण उठने-बैठने में भी तकलीफ होने लगती है। कुछ महिलाओं में देखा गया है की वे इसके कारण फिजिकली ही नहीं, मेंटली भी परेशान हो जाती हैं। हालांकि कुछ दिनों में ये अपने आप ठीक भी हो जाते हैं, लेकिन किसी खास वजह से ट्रिगर होते ही समस्या फिर शुरू हो जाती है। ऐसे में बेहतर यही है कि सही समय पर इसका सही इलाज करवा लिया जाए।
पाइल्स होने की वजह
महिलाओं में पाइल्स की सबसे पहली वजह है प्रेग्नेंसी। बच्चा जब 36 सप्ताह बाद पेल्विक कैविटी में आता है, तो इससे पेल्विक एरिया में प्रेशर बढ़ता है और इससे रेक्टम एरिया के ब्लड वेसल्स फैलने लगते हैं। इसी फैलाव का नतीजा होता है सूजन, जो पाइल्स का शुरुआती दौर होता है। हालांकि काफी महिलाओं में बच्चे के जन्म के बाद यह अपने आप ठीक भी हो जाता है, लेकिन कुछ इससे डिलीवरी के बाद भी पीड़ित रहती हैं। पाइल्स की दूसरी और आम समस्या है हार्मोनल चेंज के कारण कॉन्स्टिपेशन। भोजन में फाइबर की सही मात्रा न होने के कारण कॉन्स्टिपेशन की समस्या हो जाती है और यही समस्या पाइल्स का कारण बन जाती है। महिलाओं में पाइल्स की एक वजह डायरिया भी है। डायरिया से लगातार पीड़ित होने के कारण पाइल्स की जलन और सूजन बढ़ जाती है। पाइल्स होने की कई वजहों में से एक मुख्य वजह 9 टू 5 जॉब भी है, जहां एक ही जगह पर लगातार बैठे रहना इस समस्या को और बढ़ा देता है। दरअसल एक ही जगह पर लंबे समय तक बैठे रहने से आपकी हिप्स पर प्रेशर पड़ता है और ग्लूटियल मसल्स फैल जाते हैं, जिसके कारण रेक्टम एरिया के आसपास की छोटी नसों में खिंचाव होने लगता है। इसके अलावा बढ़ती उम्र में भारी वजन उठाना भी पाइल्स की वजह बन सकता है।
पाइल्स की रोकथाम के लिए
आम तौर पर पाइल्स है या नहीं इसकी जांच डॉक्टर्स फिजिकल एक्जामिनेशन के जरिए ही करते हैं। इनमें इंटर्नल पाइल्स की जांच के लिए प्रोक्टोस्कोप का उपयोग किया जाता है। प्रोक्टोस्कोप के जरिये इस बात का विशेष टेस्ट किया जाता है कि यह समस्या डाइजेस्टिव सिस्टम के कारण हुई पाइल्स का नतीजा है या कोलोरेक्टल कैंसर का। हालांकि पाइल्स की समस्या का पता चलते ही डॉक्टर्स आपसे कई सवाल पूछ सकते हैं, जिनमें पाइल्स की फैमिली हिस्ट्री के साथ हाल ही में आपके वजन में आई कमी और स्टूल में ब्लड या बलगम की उपस्थिति शामिल होती है। हालांकि इन सवालों के आधार पर वे आपके लिए एक स्वस्थ दिनचर्या की सिफारिश करते हुए आपको अपनी लाइफस्टाइल में बदलाव लाने को कहते हैं। हालांकि आपकी लाइफस्टाइल में सबसे बड़ा योगदान आपके खान-पान का होता है, जो इस बीमारी को बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है। इसके लिए वे आपसे फाइबर युक्त भोजन के साथ पर्याप्त मात्रा में पानी पीने को कहते हैं, जिससे पाइल्स को कंट्रोल किया जा सके।
पाइल्स का कारगर इलाज
इन सुझावों के अलावा डॉक्टर्स आपको पेन रिलीफ दवाइयों के साथ सूजन पर लगाने और खुजली मिटाने के लिए कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स युक्त क्रीम या मलहम भी देते हैं। यदि पाइल्स की समस्या गंभीर हो चुकी है तो वे सर्जिकल विकल्पों पर विचार करने के लिए भी कहते हैं, जिससे मामला हाथ से न निकले। आम तौर पर इसकी वजह यह भी है कि पाइल्स की बढ़ी समस्या रेक्टम एरिया में इंफेक्शन को बढ़ा सकती है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है। सर्जिकल विकल्पों के अलावा बैंडिंग का सुझाव भी डॉक्टर देते हैं, जिनमें पाइल्स की गांठ के चारो तरफ इलास्टिक बैंड लगा दिए जाते हैं और उस एरिया में ब्लड फ्लो न होने से वह गांठ सूखकर गिर जाती है और आपको आराम मिल जाता है। इसके अलावा स्केलेरोथेरेपी भी पाइल्स में अहम भूमिका निभाती है। इसके अंतर्गत दवा का इंजेक्शन लगाया जाता है, जिससे गांठ सिकुड़कर अपने आप खत्म हो जाती है। एक प्रकार इंफ्रारेड कॉग्युलेशन भी है। इसमें पाइल्स के टिश्यूज को इंफ्रारेड लाइट से जलाया जाता है। पाइल्स में स्टेपलिंग के अंतर्गत स्टेपल का उपयोग पाइल्स टिश्यूज में ब्लड फ्लो को रोकने के लिए किया जाता है।
पाइल्स की रोकथाम
यदि आप चाहती हैं कि आप पाइल्स से दूर रहें तो आज से ही फाइबर युक्त भोजन जैसे, फ्रूट्स, हरी पत्तेदार सब्जियां, और साबुत अनाज लेना शुरू कर दें। इस आहार से न सिर्फ आपका स्ट्रेस कम होता है, बल्कि स्टूल पास करते समय रेक्टम एरिया में प्रेशर भी नहीं पड़ता। यदि आप प्रेग्नेंट हैं तो ऐसे भोजन का चुनाव करें जिसे पचाना आपके लिए आसान हो और आप संभावित पाइल्स से दूर रहें। संतुलित भोजन के साथ अपनी दिनचर्या में एक्सरसाइज को शामिल करके भी आप पाइल्स से दूरी बना सकती हैं। लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहने की बजाय थोड़ी-थोड़ी देर में अपनी जगह से उठती रहें और बाथरूम ब्रेक लें। एक्टिव रहने के साथ अपने शरीर के संकेतों को सुनना आपके लिए बेहद फायदेमंद होगा। इससे ब्लड फ्लो दुरुस्त होने के साथ आपका स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा। इसके अलावा जहां तक हो सके हर रोज कम से कम 8 गिलास पानी पियें और तली-भुनी खाने की चीजों से दूर रहें। कॉन्स्टिपेशन के साथ पाइल्स से दूर रहने के लिए हाइड्रेट रहना बेहद जरूरी है। इन सबके साथ अपने शरीर का वजन सामान्य रखने की कोशिश करें, क्योंकि मोटापे से वेंस और ब्लड वेसल्स पर प्रेशर बढ़ता है, जिसका नतीजा पाइल्स हो सकता है। ऐसे में स्वस्थ शरीर के साथ स्वस्थ वजन आपकी सारी समस्याओं को दूर कर सकता है।