पहले बच्चे को जन्म देने के बाद से ही एक मां का जीवन निश्चित रूप से बदल जाता है। लाइफस्टाइल ही नहीं इमोशन में भी कई तरह के बदलाव देखने को मिलते हैं। सिर्फ यही नहीं शिशु के जन्म के बाद आप कई शारीरिक बदलावों का भी अनुभव कर सकती हैं, जो साथ में कई परेशानियों को भी लेकर आता है। कई लोगों ने पोस्टपार्टम डिप्रेशन के बारे में सुना है, लेकिन कई अन्य शारीरिक चुनौतियां हैं, जो प्रसव के बाद हो सकती हैं। आइए जानते हैं कुछ बेहद ही कॉमन परेशानियों के बारे में जो 3 में से 1 महिलाओं में डिलीवरी के बाद देखा जाता है।
बालों का झड़ना और त्वचा में बदलाव
गर्भावस्था के दौरान,उच्च हार्मोन स्तर का मतलब है कि आपके बाल झड़ने की तुलना में तेजी से बढ़ते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि आपके सिर पर अधिक बाल होते हैं, लेकिन जन्म देने के पांच महीने बाद तक, बाल बढ़ने की तुलना में आपके बाल अधिक झड़ते हैं। समय के साथ बालों का झड़ना बंद हो जाता है। बस आपको सही खानपान के साथ -साथ संयम को रखना होगा। बालों के झड़ने के साथ- साथ स्ट्रेच मार्क की समस्या भी आम है। डिलीवरी के बाद त्वचा पर स्ट्रेच मार्क्स नहीं जाते हैं, लेकिन समय के साथ वे एकदम फीके पड़ जाते हैं। मार्केट में स्ट्रेच मार्क को दाग को हटाने के लिए बहुत सारी क्रीम मौजूद है। आप अपने डॉक्टर की सलाह पर उसका इस्तेमाल कर सकती हैं।
पेरिनम की असुविधा
आपकी वजाइना और रेक्टम ( मलाशय )के बीच की त्वचा को पेरिनेम कहा जाता है, जहां से बच्चे का जन्म होता है और यह बच्चे के जन्म के दौरान सूज या फट सकती है, जिससे कुछ हफ्तों तक असुविधा या दर्द हो सकता है। ऐसे में घबराइए नहीं बल्कि समय दें। इसे ठीक होने में तीन सप्ताह तक का समय लग सकता है। इस दौरान इस एरिया को को साफ रखें और डॉक्टर द्वारा प्रेसक्राइब्ड किया हुआ स्प्रे, मलहम या एनाल्जेसिक का इस्तेमाल करें।
ब्लड ग्लूकोज स्विंग
डॉक्टर अनिल पाचनेकर की मानें तो डिलीवरी के बाद, आपके ब्लड शुगर के स्तर में अप्रत्याशित रूप से उतार-चढ़ाव हो सकता है, खासकर यदि आपको गर्भकालीन डायबिटीज हो गया हो या गर्भावस्था से पहले डायबिटीज था। अपने ब्लड में शुगर के स्तर की बार-बार जांच करें। उसे कंट्रोल करने के लिए डायट और दवा के बारे में अपने डॉक्टर के निर्देशों का अच्छी तरह से पालन करें। यदि आपको गर्भावधि डायबिटीज हो जाए तो परेशान न हों। यह स्थिति अक्सर दूर हो जाती है। आप सही खान-पान और एक्सरसाइज करके इसे नियंत्रित कर सकती हैं।
कब्ज की दिक्कत
बच्चे के जन्म के बाद शौच न कर पाना पोस्टपार्टम पीरियड में एक सामान्य लक्षण है। यदि आपने एपिड्यूरल लिया है, तो यह आपकी आंतों को धीमा कर सकता है और शौच करना कठिन बना सकता है। कभी-कभी, शौच के लिए जोर लगाने के डर से कब्ज हो जाता है और फिर जो बवासीर की समस्या को भी ला सकता है। पोस्टपार्टम पीरियड में बवासीर भी एक आम समस्या है।इसके लिए आप अपने डॉक्टर्स से सलाह लेने के साथ- साथ ऐसे खानपान को अपनी डायट में शामिल करें, जो कब्ज की समस्या से आपको निजात दिला देगा ।
वजन बढ़ना
गर्भावस्था और पोस्टपार्टम के दौरान आपके शरीर में बहुत सारे बदलाव होते हैं। ढीली त्वचा और खिंचाव के निशान होना और आपके कूल्हों या पेट के आस-पास अतिरिक्त वजन को लेकर तनाव होना आम बात है। आराम करने की कोशिश करें और खुद को ठीक होने का समय दें। अस्पताल छोड़ने से पहले आपका वजन 10 से 20 पाउंड के बीच कम हो जाएगा, लेकिन एकदम से आप पुराने वाले शेप में नहीं आ सकती हैं। बढ़ते हुए वजन के बावजूद पौष्टिक आहार खाने और अपना ख्याल रखने पर ध्यान दें। याद रखें कि आपका शरीर अभी बहुत कुछ झेल चुका है, तो डायट इन सब के बारे में अभी बिल्कुल मत सोचिए
स्तन में दर्द की समस्या
जन्म देने के कुछ दिनों बाद, आपके स्तन भरे हुए, सख्त होने के साथ-साथ दर्द भी दे सकते हैं। ऐसा इसलिए है, क्योंकि आपके स्तन के टिश्यू दूध, रक्त और अन्य तरल पदार्थों से भर जाते हैं। इस स्थिति को एन्गोर्जमेंट कहा जाता है।अपने बच्चे को दोनों स्तनों से बार-बार स्तनपान कराएं, ताकि उन्हें अधिक भरने से बचाया जा सके। यदि आपके स्तन भरे हुए हैं, तो आपके बच्चे को स्तनपान के लिए जुड़ने में परेशानी हो सकती है। ऐसे में अपने हाथ या स्तन पंप का उपयोग कर सकती हैं, ताकि आप दूध निकाल सकें। इस दौरान स्तनों पर आइस पैक लगाने से दर्द कम हो सकती है।
बेबी ब्लूज की भी दिक्कत
बच्चे का जन्म बहुत सारी भावनाओं को जन्म दे सकता है। कई लोगों को बच्चे को जन्म देने के बाद उदासी या बेचैनी महसूस होने लगती है, जिसे कभी-कभी बेबी ब्लूज भी कहा जाता है। इसके लक्षणों में मूड में बदलाव, बार-बार रोना, चिंता और सोने में परेशानी शामिल हैं। ये भावनाएं अक्सर दो सप्ताह के भीतर दूर हो जाती हैं। इस बीच आप अपना अच्छे से ख्याल रखें। अपनी भावनाएं साझा करें। अपने साथी, प्रियजनों या दोस्तों से मदद मांगें। अगर फिर भी ये लक्षण अपने आप दूर नहीं होते हैं। आपको अपने बच्चे की देखभाल करने में परेशानी हो रही है। आप खुद को या अपने बच्चे को नुकसान तक पहुंचाने के बारे में सोच लेती हैं, तो आपको आज ही डॉक्टर से संपर्क करें।डॉक्टर की सलाह और दवाओं से आप कुछ ही दिनों में फर्क महसूस करेंगी
सबसे ज्यादा पूछे जानेवाले सवाल
डिलीवरी के बाद मां को कितने दिन आराम करना चाहिए?
जानकारों की मानें तो गर्भावस्था और प्रसव से पूरी तरह ठीक होने में कई महीने लग सकते हैं। इस दौरान आपको ऐसा महसूस हो सकता है जैसे आपका शरीर आपके खिलाफ हो गया है।
हालांकि कई महिलाएं 6-8 सप्ताह में ठीक हो जाती हैं, लेकिन फिर से पहले जैसा महसूस करने में इससे अधिक समय लग सकता है।
डिलीवरी के बाद 5-5-5 का नियम क्या होता है?
पोस्टपार्टम अवधि में 5-5-5 नियम नई मम्मियों की मदद का फार्मूला है। इसमें पांच दिन बिस्तर पर, पांच दिन बिस्तर पर और पांच दिन बिस्तर के आसपास रहने का सुझाव दिया गया है, ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आपको पर्याप्त आराम मिल रहा है। पहले पांच दिन मां के लिए बिस्तर पर आराम करने और बच्चे के साथ त्वचा से त्वचा के जुड़ाव का समय बिताने के लिए होते हैं, ताकि बच्चे और मां के बीच की बॉन्डिंग मजबूत हो।
बच्चे को जन्म देने के बाद क्या नहीं करना चाहिए?
आपको उसकी साफ सफाई का पूरा ख्याल रखना है। आपकी बॉडी में अगर बहुत ज्यादा दर्द हो रहा है तो उस दर्द को नजरअंदाज न करें, डॉक्टर्स से तुरंत संपर्क करें। अपने खानपान पर पूरा ध्यान दें। नशे से पूरी तरह से दूरी रखें। अगर आप लो फील कर रही हैं, तो उसे छिपाएं नहीं बल्कि अपने परिवार और दोस्तों से इस बारे में बात करें। इस दौरान शारीरिक ही नहीं, बल्कि मानसिक स्वस्थता बेहद जरुरी है।
नॉर्मल डिलीवरी के बाद क्या अपने पेट के बल सो सकती हूं?
कई महिलाओं को पेट के बल सोने की आदत होती है। उन्हें लगता है कि वह पेट के बल ही अच्छे से नींद ले पाती है। आपकी नॉर्मल डिलीवरी हुई है और आठ हफ्ते उसको बीत चुके हैं और आपके पेट और उसके नीचे के एरिया में किसी तरह का दर्द नहीं है तो आप पेट के बल सो सकती हैं, लेकिन कई कारणों से पेट के बल सोना आदर्श नहीं माना जाता है।
बच्चे को जन्म देने के बाद किन गतिविधियों से बचना चाहिए?
सिट अप्स, क्रंचेस या एब्डॉमिनल कर्ल्स से बचें। ये आपके निशान पर दबाव डाल सकते हैं। जन्म के बाद 6 सप्ताह तक अपने बच्चे से अधिक भारी वस्तु उठाने से बचें। यदि आपको घर के आसपास कुछ उठाने की आवश्यकता हो तो अपने पेट को कस लें और अपनी पीठ सीधी रखें। इस पोजीशन का आप हमेशा ख्याल रखें।