क्या आपके बच्चे के पेट के निचले हिस्से में खुजली होती है या पेट में बार-बार दर्द की शिकायत रहती है, तो यह लक्षण पेट में कृमि यानी कीड़े होने के हैं। बच्चों में कृमि संक्रमण एक प्रकार का आंतों का संक्रमण है, जो आंतों के परजीवी कीड़े के कारण होता है। कीड़े आपके बच्चे की आंत में रहते हैं, तो आप जो भी खाना उसे खिलाती हैं। उसका पोषण ये कीड़े ही खा जाते हैं और बच्चे को बीमार कर देते हैं। कृमि अंडे देते हैं और आपके बच्चे के शरीर में दिन ब दिन बढ़ते रहते हैं, जिससे स्थिति और खराब हो जाती है। ऐसे में पेट के कीड़ों को कभी भी नजरअंदाज ना करें। आप चाहें तो घरेलू उपचारों की मदद से इसे आसानी से अपने बच्चों को दूर रख सकती हैं। बच्चों में आंतों के कीड़ों के संक्रमण से छुटकारा पाने के लिए कई सरल और प्रभावी घरेलू उपचार हैं। आइए जानते हैं उन घरेलू उपचारों के बारे में।
हल्दी
हल्दी को किसी भी घर में सबसे आसानी से उपलब्ध एंटीसेप्टिक माना जाता है तो यह सभी प्रकार के पेट के कीड़ों से निपटने में भी प्रभावी है।
अपने बच्चे को दिन में एक बार एक गिलास छाछ में एक चम्मच हल्दी मिलाकर दें। पेट के कीड़ों को बाहर निकालने के लिए इसे एक या दो सप्ताह तक जारी रखें। अगर आपका बच्चा छाछ पीने में आनाकानी करता है, तो आप एक गिलास गर्म पानी में एक चम्मच हल्दी डालकर भी ऐसा कर सकती हैं।
तुलसी
औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के पत्तों को आयुर्वेद में भी तुलसी और इसके पत्तों का विशेष महत्व बताया गया है। वहीं एलोपैथी डॉक्टर भी रोजाना तुलसी के पत्तों का सेवन करने की सलाह देते हैं। बच्चे को हेल्दी रखने के लिए आप उसे रोजाना दो से तीन पत्ते सुबह-सुबह चबाने के लिए दें। पेट में कीड़े हैं, तो बच्चे को तुलसी के पत्तों का अर्क बनाकर देना शुरू कर दें। आप कुछ ही समय में अपने लाड़ली को पेट के कीड़ों से निजात दे सकती हैं।
करेला
करेले के रस का उपयोग पेट में कीड़े के इलाज के लिए भी किया जाता है। बच्चों को निवारक उपाय के रूप में सप्ताह में कम से कम एक बार करेला खाने के लिए प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। हालांकि बच्चे करेले खाना पसंद नहीं करते हैं। इसलिए आप अलग-अलग तरीके से खान-पान में करेले को जोड़कर बच्चे को खिला सकती हैं। करेले को काट कर नमक और हल्दी के साथ एक घंटे के लिए पानी में भिगो दें। इससे इसकी कड़वाहट कम हो जाएगी। इसे आलू और नमक के साथ भी उबाला जा सकता है। फिर करेले को आलू के साथ मैश करके बच्चे को खिलाएं। दूसरा प्रभावी तरीका यह है कि एक करेले का रस निकालकर उसमें पानी और शहद मिलाएं (शहद केवल दो साल से अधिक उम्र के बच्चों को ही दिया जाना चाहिए)। कृमि से पीड़ित बच्चे को राहत पाने के लिए दिन में कम से कम दो बार इसका सेवन करना चाहिए।
अनानास
अनानास फल स्वाद में अच्छा टेस्टी होने के साथ-साथ यह फल पेट में कीड़ों की समस्या में भी काफी कारगर है। अनानास में मौजूद डाइजेस्टिव एंजाइम्स इस समस्या में काफी सहायक साबित होती है। नियमित रूप से बच्चों को सुबह खाली पेट एक ग्लास अनानास का जूस देने से जल्द ही असर होगा।
नीम
नीम अपने औषधि गुणों के लिए आयुर्वेद में काफी लोकप्रिय है। नीम की पत्तियों में मजबूत परजीवी विरोधी गुण होते हैं, जिस वजह से इन्हें कृमि संक्रमण के इलाज में प्रभावी ढंग से इस्तेमाल किया जा सकता है। आजकल सूखे नीम के फूल उपलब्ध हैं। इन्हें रसम, सांबर या किसी भी करी में तड़के के रूप में मिलाया जा सकता है। नीम की पत्तियों को थोड़े से तेल या घी में हल्का तला भी जा सकता है। एक चुटकी नमक या सेंधा नमक छिड़कें। कुरकुरा होने पर इसे उतार लें। इन कुरकुरी पत्तियों को अपने बच्चे को चावल के साथ खिलाने की कोशिश करें। आप चाहे तो बाजार में मिलने वाले सूखे नीम पाउडर का भी इस्तेमाल कर सकती हैं। गर्म दूध में एक चम्मच पाउडर मिलाएं और थोड़ा शहद मिलाएं। अपने बच्चे को इसे एक सप्ताह तक खाली पेट पीने के लिए कहें। आप अपने बच्चे को यह पेय तब तक पिलाना जारी रख सकती हैं, जब तक कीड़े पूरी तरह खत्म न हो जाएं।
लहसुन
लहसुन की एक फली कई कीड़ों से लड़ने वाले गुणों से भरपूर होती है। यही वजह है कि बच्चों के लिए सबसे अच्छे प्राकृतिक कृमि नाशक में से माना जाता है। दो से तीन लहसुन की कलियों को कुचलकर एक कप दूध में डालें और उबाल लें। इसे अपने बच्चे के पेट में मौजूद कीड़ों को बाहर निकालने के लिए दें या फिर कच्चे लहसुन की 2-3 कलियां शहद में भिगो दें और उसमें से एक चम्मच शहद अपने बच्चे को खाली पेट दें। यह बच्चे को काफी आराम पहुंचायेगा
अजवाइन
अजवायन में मौजूद थाइमोल सामग्री में आंतों के कीड़ों के विकास को रोकने की क्षमता होती है। आपके बच्चे को अपने बच्चे को खाली पेट एक बड़ा चम्मच कसा हुआ गुड़ दें। 15-20 मिनट तक प्रतीक्षा करें, फिर उसे एक गिलास पानी के साथ आधा टेबलस्पून पीसी हुई अजवायन दें। 2 सप्ताह तक रोजाना दोहराएं। फर्क आप साफ देख सकेंगी।
नारियल
नारियल आपके बच्चे के कृमि मुक्ति के लिए एक और अच्छी तरह से उपयोग की जाने वाली सामग्री है। विशेष रूप से थ्रेडवर्म के लिए बहुत प्रभावी है। इसमें बहुत मजबूत परजीवी विरोधी गुण होते हैं। अपने बच्चे को एक सप्ताह तक रोजाना नाश्ते के समय 1 बड़ा चम्मच कसा हुआ नारियल दें या फिर अपने बच्चे को एक सप्ताह तक रोजाना सुबह 4-6 चम्मच एक्स्ट्रा-वर्जिन नारियल तेल दें।जिससे कुछ ही दिनों में पेट के सारे कीड़े बाहर निकल जायेंगे
गाजर
गाजर में उच्च मात्रा में विटामिन ए होता है, जो इम्यूनिटी बूस्टर है। अपने बच्चे को एक सप्ताह तक हर सुबह खाली पेट एक कप ताजी कद्दूकस की हुई गाजर दें। गाजर के साथ कोई अन्य भोजन न दें। इस घरेलू उपाय से थ्रेडवर्म आसानी से साफ हो जाते हैं। यदि वह कद्दूकस की हुई गाजर खाने से इनकार करता है तो आप उसे गाजर का रस दे सकते हैं।वो भी पेट के कीड़ों को कम करने में बेहद फायदेमंद होता है ।
लौंग
लौंग में एंटीसेप्टिक, एंटी-परजीवी और जीवाणुनाशक गुण होते हैं और इस प्रकार यह आंतों के कीड़ों को बाहर निकालने में काफी कारगर होता है। यह भविष्य में होने वाले संक्रमणों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता भी बनाता है। एक कप गर्म पानी में एक चम्मच लौंग डालकर 15-20 मिनट के लिए रख दें। कीड़ों से छुटकारा पाने के लिए अपने बच्चे को सप्ताह में तीन बार यह पानी पिलाएं।आप कुछ ही दिनों में कीड़ों की परेशानी को अपने बच्चे में ख़त्म कर देंगी ।
अलसी
कई तरह के फ़ायदों से भरपूर अलसी बच्चों के पेट से कीड़ों का सफ़ाया करने में भी बहुत फायदेमंद हैं । इसके लिए आप 100 ग्राम अलसी, 10 ग्राम लौंग लेकर ग्राइंडर में डालकर अच्छी तरह से पीसकर पाउडर बना लें। इसे एयर टाइट कंटेनर में बंद करके रख दें। रोजाना सुबह 1-2 चम्मच गुनगुने पानी में डालकर पी लें। पूरे एक माह तक ऐसा करने से आपको फर्क नजर आने लगेगा।
कद्दू
कद्दू की सब्जी ही नहीं उसके बीज भी बहुत फायदा पेट के कीड़ों की परेशानी को ख़त्म करने में कर सकते है। दरअसल उसके बीजों में करक्यूबिटिन होता है जिसमें कीड़ों को मारने के गुण होते हैं। आप इसके बीजों को हल्का भुनकर पीस लें और फिर दूध या गुनगुने पानी में बच्चे को दे सकती है।
अनार
अनार अनार के पौधे की पत्तियां, तना, छाल और जड़ में कृमिनाशक गुण होते हैं। अनार की छाल में मौजूद प्यूनिसिन पेट के कीड़ों के लिए बहुत जहरीला होता है। आप अनार का जूस का फल बच्चों को देकर इस परेशानी को कम कर सकती हैं ।
पपीता
पेट के कीड़ों को खत्म करने में पपीते के बीज भी बहुत असरकारी होते हैं। पपीते के बीजों को शहद में मिलाकर बच्चे को खिलाएं। अगर आप बच्चे को पपीता खिलाना चाहते हैं, तो पहले एक दिन एप्पल साइडर विनेगर में इसे फर्मेंट करें और फिर खिलाएं।
पेट के कीड़ों को मारने के लिए कई घरेलू उपचार उपलब्ध हैं, लेकिन यदि ये उपचार स्थिति में सुधार करने में विफल रहते हैं, तो कीड़ों से छुटकारा पाने और किसी भी जटिलता को रोकने के लिए सुरक्षित रहने के लिए डॉक्टर की सलाह लेना महत्वपूर्ण है।
सबसे ज्यादा पूछे जाने वाले सवाल
छोटे बच्चों में पेट में कीड़ों की परेशानी क्यों सबसे ज्यादा होती है ?
छोटे बच्चों में पेट के कीड़े ज्यादा होते हैं, क्योंकि वे यहां-वहां रखी चीजों को मुंह में लेते हैं और कई बार मिट्टी भी खा लेते हैं।
पेट में कीड़े होने पर लक्षण क्या होते हैं ?
लगातार उल्टी होना, मलाशय में खुजली होना, अधिकतर समय दांतों का पीसना, पेट में असहनीय दर्द, चेहरे या शरीर के अन्य अंगों में सफेद दाग पड़ जाना, मल में सफेद डॉट्स आना ।
पेट में कीड़े होने से क्या क्या समस्याएं हो सकती है?
आंतों में कीड़े की वजह से संक्रमण से दस्त, पेट दर्द, कमजोरी, एनीमिया और पोषण संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। यह रोग बच्चों के शारीरिक विकास को प्रभावित कर सकता है और गंभीर मामलों में घातक हो सकता है। इन्फेक्शन बढ़ने पर बच्चे के मस्तिष्क के कार्य करने की क्षमता प्रभावित होती है।
बच्चे को कितनी बार कृमि मुक्त करना चाहिए?
दो साल की उम्र के बाद हर छह महीने में बच्चों को कृमि मुक्ति दिलाना एक अच्छी आदत है। बार-बार उपचार की आवश्यकता होती है ,क्योंकि केवल वयस्क कीड़े समाप्त हो जाते हैं लेकिन अंडे शरीर पर रह जाते हैं जिससे पुन: संक्रमण हो जाता है।