उपवास का जुड़ाव भारतीय संस्कृति से हमेशा से रहा है। खासतौर पर तीज या फिर त्योहार के मौके पर महिलाएं उपवास रखती हैं। आयुर्वेद में यह साफ तौर पर कहा गया है कि उपवास करना सेहत को डिटॉक्स करने का सबसे अच्छा तरीका है। अंग्रेजी में इसे 'फास्टिंग' कहते हैं। वहीं बीते कुछ दिनों इनटीमेटेड फास्टिंग भी चर्चा में है, जो कि फास्टिंग का नया तरीका है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि फास्टिंग करने से शरीर को कई तरह के लाभ होते हैं। फास्टिंग (उपवास) न सिर्फ एक आध्यात्मिक या पारंपरिक अभ्यास है, बल्कि यह स्वास्थ्य, हार्मोन बैलेंस और मानसिक शांति के लिए भी बहुत फायदेमंद होता है। सही तरीके से किया गया फास्ट, महिलाओं को बहुत से शारीरिक और मानसिक लाभ दे सकता है। इससे महिलाओं को अंदरूनी तौर खुद को विराम देने का अवसर मिलता है।आइए जानते हैं विस्तार से।
हार्मोनल बैलेंस

महिलाओं के लिए फास्टिंग करने पर हार्मोन को बैलेंस करने में सहायता मिलती है। पीसीओएस और पीसीओडी जैसी स्थितियों में भी फास्टिंग यानी की उपवास काफी फायदेमंद होती है।फास्टिंग से शरीर में इंसुलिन की संवेदनशीलता बढ़ती है, जिससे ब्लड शुगर कंट्रोल बेहतर होता है।बिना खाएं हार्मोनल बैलेंस बिना खाने (फास्टिंग) से हार्मोनल बैलेंस पर असर हो सकता है, और अगर इसे सही तरीके से किया जाए तो यह महिलाओं के लिए फायदेमंद भी हो सकता है। हार्मोनल बैलेंस से शरीर में होने वाली प्रक्रिया और सामान्य कार्यों को सही तरीके से नियंत्रित किया जा सकता है, जैसे पीरियड्स, मेटाबोलिज्म, प्रजनन स्वास्थ्य, और भावनात्मक स्थिति। हल्के और नियंत्रित फास्टिंग से थायराइड हार्मोन का संतुलन बना रहता है, जिससे मेटाबोलिज्म में सुधार होता है और ऊर्जा स्तर बढ़ता है।शरीर को डिटॉक्स करनाशरीर को डिटॉक्स करना का मतलब है शरीर से हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालना और उसे शुद्ध करना, ताकि हम मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ महसूस करें। डिटॉक्स करने से शरीर की प्राकृतिक सफाई प्रक्रिया में मदद मिलती है और यह हमें अधिक ऊर्जा, बेहतर पाचन, और ताजगी का अनुभव करता है।
उपवास के समय फलों का सेवन

उपवास के समय फलों का सेवन भी सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है। ताजे फल और सब्जियां शरीर को आवश्यक विटामिन, मिनरल्स, और फाइबर देती हैं। ये शरीर की सफाई में मदद करती हैं और हानिकारक पदार्थों को बाहर निकालने में मददगार होती हैं। उपवास रखने के दौरान पानी का सेवन जरूर करें। उपवास के दौरान दही और नारियल पानी का सेवन भी आपके शरीर को डिटॉक्स करता है। डिटॉक्स करने के लिए उपवास के दौरान नींबू पानी, ग्रीन जूस और फलों की स्मूदी का भी सेवन कर सकती हैं। शरीर का वजन बनाए रखने का जरिया उपवास से शरीर को कई तरह से लाभ मिलता है। इसकी सबसे बड़ी वजह यह होती है कि कैलोरी का इनटेक कम होता है।
कैलोरी का सेवन

उपवास के दौरान जब आप एक तय समय में ही खाना खाते हैं, तो इस वजह से कैलोरी का सेवन कम हो जाता है। इससे वजन घटाने में भी काफी मदद मिलती है। उपवास करने से शरीर में इंसुलिन का स्तर घटता है, जिससे फैट स्टोर करने की प्रक्रिया कम होती है। यह शरीर का फैट घटाने में सहायता करता है। दूसरी तरह से इसे समझा जाए, तो उपवास में मेटाबॉलिज्म सक्रिय होता है, जिसमें कैलोरी बर्न करने की क्षमता बढ़ती है। जानकारों का कहना है कि उपवास के दौरान शरीर सेल्फ की सफाई करता है।यह प्रक्रिया शरीर को अंदर से हानिकारक तत्वों को निकालने में मदद करती है और लंबे समय तक स्वस्थ बनाए रखती है।
दिल की सेहत और कोलेस्ट्रॉल का ध्यान

जानकारों का यह भी कहना है कि सप्ताह में एक या दो बार उपवास रखने से आप अपने दिल की सेहत का भी ध्यान रखती हैं और इससे कोलेस्ट्रॉल का भी ध्यान रखा जाता है। उपवास करने से ब्लड प्रेशर में कमी आ सकती है, खासकर अगर आप सही आहार और जीवनशैली अपनाते हैं। हाई ब्लड प्रेशर (हाइपरटेंशन) दिल के लिए खतरे का कारण बन सकता है, लेकिन उपवास इससे बचने में मदद कर सकता है। उपवास से दिल के रोगों का जोखिम कम करने में भी सहायता मिलती है। रिसर्च से यह साबित हुआ है कि उपवास से दिल के अंदर रक्त वाहिकाओं में सूजन कम हो सकती है, जिससे दिल की सेहत बेहतर होती है। यह भी सामने आया है कि उपवास के दौरान शरीर की सफाई की प्रक्रिया सक्रिय होती है, जिससे शरीर से हानिकारक तत्व निकलते हैं। इससे दिल को तनाव से बचाव मिलता है, जो दिल के रोगों के लिए जोखिम पैदा कर सकता है।उपवास इंसुलिन की संवेदनशीलता को बढ़ाता है, जिससे शरीर कोलेस्ट्रॉल को बेहतर तरीके से प्रोसेस कर सकता है।
इंसुलिन को नियंत्रित करना
इंसुलिन को नियंत्रित करने से कोलेस्ट्रॉल और शर्करा (ब्लड शुगर) के स्तर को नियंत्रण में रखा जा सकता है। उपवास के दौरान शरीर में इंसुलिन का स्तर घटता है, जिससे खून में फैट की एक तरह की मात्रा में कमी आती है। उपवास का सही तरीका और सावधानियांउपवास को करने का भी एक तरीका है और इसे लेकर कुछ जरूरी सावधानियां भी हैं। उपवास के दौरान यह जरूरी है कि आप सही पोषण लें। ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज के साथ सेहतमंद चीजों का सेवन करें और इसे प्रोटीन में भी शामिल करें। यह आपको एक तरह से कोलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करने में भी मदद करता है। अगर आप उपवास के दौरान तैलीय पदार्थों का सेवन करते हैं, तो इससे आपको नुकसान होगा और उपवास करने का कोई फायदा नहीं होगा।
उपवास में हाइड्रेशन का ध्यान
साथ ही उपवास में हाइड्रेशन का ध्यान देना बहुत जरूरी है। इसके लिए हर्बल चाय, नींबू पानी का सेवन करना जरूरी है। यह दिल की सेहत के लिए फायदेमंद रहता है। उपवास में एक्सरसाइज का भी होना जरूरी है। योग, वॉकिंग और कार्डियो जरूर करना चाहिए। हालांकि अगर आपको किसी भी तरह की कोई बीमारी है, तो डॉक्टर से जांच कराने के बाद उपवास रखें।उपवास की जीवनशैलीउपवास की जीवनशैली आपकी हर दिन की जीवनशैली से काफी अलग होती है। यह एक प्राकृतिक तरीका है, जिसमें खाने की आदतों को नियंत्रित करके शरीर के मेटाबोलिज्म और सेहत को बेहतर बनाया जाता है। यह जान लें कि उपवास का उद्देश्य केवल वजन कम करना नहीं है, बल्कि यह शरीर की कार्यप्रणाली को सुधारने के साथ शरीर की कई सारी स्वास्थ्य. समस्या को कम करने में भी मदद करता है।
उपवास के प्रकार
उपवास के भी कई तरह के प्रकार होते हैं। सबसे पहले 16 घंटे उपवास और 8 घंटे भोजन का कार्य होता है। इसके बाद एक अन्य तरीका 5 दिन सामान्य आहार, 2 दिन उपवास, इसके बाद अल्टरनेट डे फास्टिंग भी होता है। इसमें एक दिन उपवास होता है। एक उपवास का तरीका 24 घंटे के उपवास का होता है। इसमें आप सप्ताह में एक या दो बार उपवास होता है। हालांकि जैसा कि हमने आपसे कहा कि उपवास करना या न करना यह आपकी सेहत पर निर्भर करता है। बिना डॉक्टर की सलाह के आप उपवास न करें।