डायबिटीज बीमारी किसी पर अपना बुरा असर डालने के समय उम्र नहीं देखती है। बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक हर कोई डायबिटीज का शिकार हो सकता है। ऐसे में हम सभी के लिए जरूरी है कि हम अपने जीवनशैली को सेहतमंद बनाने के लिए हर दिन प्रयास करें। किसी भी तरह की लापरवाही आपके जीवन को डायबिटीज के अंधकार में पहुंचा सकती हैं। कई बार ऐसा होता है कि समय पर डायबिटीज की बीमारी के बारे में हमें जानकारी नहीं होती है। कई बार हम डायबिटीज के लक्षणों को भी अनदेखा कर देते हैं। हमारा शरीर हमें संकेत देता है, लेकिन डायबिटीज के लक्षणों से अनजान होने के कारण हम अपनी सेहत के प्रति लापरवाह हो जाते हैं। आइए विस्तार से जानते डायबिटीज के लक्षण और उससे कैसे आप खुद का बचाव जीवन शैली में सुधार करके कर सकती हैं।
डायबिटीज का मतलब क्या? जानें यहां
कई लोगों का मानना है कि डायबिटीज कभी नहीं ठीक होने वाली बीमारी है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। अगर आप खुद का ध्यान रखते हैं, खुद के खान-पान के साथ जीवनशैली में सुधार करते हैं, अपनी सेहत के प्रति सजग रहती हैं, तो आप डायबिटीज के खतरे को अपने जीवन से दूर कर सकती हैं। बात अगर डायबिटीज की की जाए, तो यह एक मेटाबॉलिक डिसॉर्डर है, जिसमें मरीज के शरीर में रक्त के ग्लूकोज का स्तर काफी अधिक हो जाता है। यह भी जान लें कि जब किसी भी व्यक्ति में पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन नहीं बन पाता है, तो शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति ठीक से प्रतिक्रिया नहीं कर पाती है। इसलिए आपके शरीर में इंसुलिन का बनना आपके सेहत के लिए जरूरी है, क्योंकि इसी के जरिए आपके रक्त से शरीर की कोशिकाओं को ग्लूकोज का संचार करना होता है। अगर आप इसे साफ भाषा में समझना चाहती हैं, तो बता दें कि हम जो भी भोजन करते हैं उसी से शरीर को ग्लूकोज मिलता है। इसी ग्लूकोज से शरीर की कोशिकाओं को ऊर्जा मिलती है और हमारा शरीर कार्य करता है। अगर इंसुलिन नहीं होने के कारण ब्लड से कोशिकाओं में ग्लूकोज नहीं पहुंचता है और ग्लूकोज खून में इकट्ठा हो जाते हैं। इसी से डायबिटीज बीमारी पैदा होती है। यह भी बता दें कि डायबिटीज के भी कई प्रकार होते हैं। सबसे पहले टाइप-1, टाइप-2 और प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाली हाई ब्लड शुगर की समस्या से जेस्टेशनल डायबिटीज होने का भी खतरा होता है।
डायबिटीज होने की एक नहीं, बल्कि कई सारी वजह हो सकती हैं
डायबिटीज ऐसी बीमारी है, जो किसी भी वजह से हमारे शरीर पर हमला कर सकती है। आमतौर प देखा जाए, तो डायबिटीज के मुख्य कारण चुनिंदा है। सबसे पहले जैसा कि हम पहले भी बता चुके हैं इंसुलिन की कमी। दूसरी वजह यह हो सकती है कि अगर आपके परिवार में किसी व्यक्ति को डायबिटीज है, तो आप भी इसके शिकार हो सकते हैं। दूसरी तरफ बढ़ती उम्र के कारण भी आप डायबिटीज का शिकार हो सकती हैं। कई बार यह भी वजह पायी गई है कि अगर आपका कोलेस्ट्राॅल लेवल हाई होने पर भी डायबिटीज का खतरा पैदा हो सकता है। हम कई बार आलस्य के कारण एक्सरसाइज नहीं करते हैं और अपनी जीवनशैली में किसी भी तरह का कोई सुधार नहीं करते हैं और इस वजह से भी आप डायबिटीज का शिकार हो सकती हैं। इसके अलावा, अगर अन्य वजहों पर ध्यान दिया जाए तो हार्मोन्स का असंतुलन होना और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत के साथ खान-पान की गलत आदतें भी आपको डायबिटीज के कटघरे में घेर सकती हैं।
इसे के बाद बारी आती है कि डायबिटीज के लक्षण कौन से हैं
डायबिटीज के लक्षण समझने के लिए आपको अपनी जीवनशैली पर ध्यान केंद्रीत करना जरूरी है। जैसा कि हम आपको पहले बता चुके हैं कि डायबिटीज भी कई प्रकार के होते हैं, जैसे कि टाइप-1 डायबिटीज, टाइप-2 डायबिटीज भी इसमें शामिल है। अगर इनके लक्षणों की बात की जाए, तो बहुत अधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, भूख अधिक लगना और अचानक से शरीर का वजन बढ़ना और कम होना भी डायबिटीज होने के लक्षण हैं। इसके साथ हमेशा थकान महसूस होना, साथ ही चिड़चिड़ापन होना और आंखों के आगे धुंधलापन भी आना डायबिटीज के लक्षण में शामिल है। इसके साथ अगर आपको कहीं पर चोट लगी है और अगर आपकी चोट ठीक नहीं हो रही है तो भी आप इसे डायबिटीज का असर मान सकती हैं। यह भी ध्यान दें कि अगर आपको बार-बार किसी तरह का इंफेक्शन होता है, जैसे स्किन इंफेक्शन, ओरल इंफेक्शन और वजाइनल इंफेक्शन्स होना भी डायबिटीज के खतरे का अलार्म हो सकता है। ऐसे में इन सारे लक्षणों को बार-बार महसूस करने पर आपको तुरंत चिकित्सक के संपर्क करना चाहिए।
जानिए क्या होती है, डायबिटीज के प्रकार
टाइप-1 डायबिटीज यह खासतौर पर बच्चों और युवाओं में पाया जाता है। यह भी तब होता है जब शरीर इंसुलिन को पैदा नहीं करता है, वहीं टाइप-2 के डायबिटीज के बारे में बात की जाए, तो कई बार उम्रदराज लोगों में यह पाया गया है। यह सबसे आम पाया जाने वाला डायबिटीज है। प्रेग्नेंसी के दौरान होने वाले डायबिटीज के बारे में बात की जाए, तो इसे गर्भकालीन डायबिटीज कहते हैं। इस दौरान गर्भवती महिला के शरीर में ब्लड शुगर का स्तर बढ़ जाता है और डिलीवरी के बाद फिर से सामान्य स्थिति में ला देता है। एक और डायबिटीज के खतरे की बात की करें तो प्री-डायबिटीज या फिर बॉर्डर लाइन डायबिटीज भी एक ऐसी मेडिकल स्थिति है, जहां पर ब्लड शुगर का स्तर सामान्य सीमा से अधिक हो जाता है, लेकिन आप इसे डायबिटीज के खतरे की फेहरिस्त में शामिल नहीं कर सकती हैं।
डायबिटीज के गंभीर लक्षण
कई बार अगर डायबिटीज का खतरा बढ़ जाने पर कई तरह के गंभीर लक्षण भी दिखाई देते हैं। इससे भी आप डायबिटीज की पहचान कर सकती हैं। जानकारों का मानना है कि कई बार डायबिटीज अधिक बढ़ जाने के कारण बेहोशी भी आ जाती है। साथ ही व्यवहारिक तरह से बड़ा बदलाव भी गंभीर लक्षण का हिस्सा हैं। कई बार डायबिटीज का असर शरीर के अंगों पर भी पड़ता है। सबसे पहले डायबिटीज का आंखों पर प्रभाव पड़ना। अगर आपका ब्लड ग्लूकोज का स्तर अधिक रहता है, तो इसकी वजह से आंखों के लेंस में अवशोषण हो सकता है। इससे आंखों के आकार में बदलाव के साथ आंख की रोशनी भी जाने का खतरा रहता है। डायबिटीज खतरे के निशान पर है, यह इससे भी साबित होता है कि शरीर की त्वचा पर चकत्ते होना। कई बार डायबिटीज के शरीर पर बढ़ते हुए प्रभाव के कारण उलटी, पेट दर्द, घबराहट, गहरी सांस और बेहोशी जैसी हालत भी आ सकती है। अक्सर ऐसा गंभीर लक्षण उन लोगों में दिखाई देता है, जो कि टाइप-1 की डायबिटीज का सामना कर रहे होते हैं। डायबिटीज का एक और ऐसा लक्षण है, जब डायबिटीज से पीड़ित मरीज को अपने पैरों में सुई के चुभने का अहसास होता है, क्योंकि डायबिटीज का असर सीधे शरीर की नसों पर हमला करता है। नसों पर प्रभाव होने के कारण शरीर में झनझनाहट भी महसूस होने लगती है और चलने में परेशानी होने लगती है।
डायबिटीज से कैसे आप खुद को बचा सकती हैं
डायबिटीज होने पर आपको सबसे पहले किसी अच्छे चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। इस दौरान आपको खुद का इलाज घर पर बिल्कुल नहीं करना चाहिए। एक चिकित्सक ही आपको डायबिटीज से बचाव के लिए जरूरी सलाह दे सकता है, लेकिन कहीं न कहीं आपको मानसिक तौर पर भी कई तरह के अभ्यास करने चाहिए, जो कि आपको डायबिटीज के खतरे को कम करने में सहायता कर सकती है। डायबिटीज न केवल आपके शरीर पर, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी प्रभावित करती है। आप अपनी आदतों में बदलाव कर खुद को ठीक रख सकती हैं। डायबिटीज से बचाव के लिए आपको व्यायाम और योग पर ध्यान देना चाहिए। कम तेल और कम कैलोरी वाले भोजन को प्राथमिकता देनी चाहिए, जो कि शरीर के वजन को संतुलित बना कर रखती है। आपको इसके साथ ऐसे पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए जिसमें शुगर यानी की शक्कर की मात्रा अधिक होती है। तले हुए खाद्य पदार्थ जैसे भजिया, समोसा और बाकी चीजों के सेवन से खुद को बहुत दूर रखना चाहिए। सही मात्रा में सब्जियां, फलों का सेवन करना चाहिए। अधिक फाइबर वाले पौष्टिक भोजन का सेवन आपके लिए फायदेमंद हो सकता है। नियमित तौर पर चलना, अच्छी नींद लेना, तैराकी, योग, आराम के साथ तनाव और चिंता से दूरी भी आपको डायबिटीज के खतरे से दूर कर सकती है। शराब और कैफीन का सेवन भी नहीं करना चाहिए।