नीम को कई बार गांव की फार्मेसी भी कहा जाता है। इसकी वजह है नीम एक अद्वितीय औषधीय पौधा है। खास बात है कि इसके सभी भाग पत्ते, फूल, बीज, फल, जड़ और छाल सभी का उपयोग बहुत फायदेमंद है। सदियों पुरानी पांडुलिपियों में इस वृक्ष के उपयोग का पता चलता है। आइए जानते हैं इस पेड़ से जुड़ी और खास बातों को।
स्वास्थ्य के लिए उपयोगी नीम
नीम की पत्तियों का स्वाद भले ही कितना ही कड़वा क्यों न हो, लेकिन ये सेहत के लिए बेस्ट होती हैं। आयुर्वेद से लेकर मौजूदा दौर के तमाम मेडिकल शोध इस बात को मानते हैं कि नीम के पत्तों में एंटीफंगल, जीवाणुरोधी और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद होते हैं। आइए जानते हैं स्वास्थ्य से जुड़े इसके खास फायदों के बारे में
नीम अपने रोगाणुरोधी और जीवाणुरोधी प्रभावों के लिए जाना जाता है। ये गुण रोग इम्यून सिस्टम को बढ़ाने में बहुत बड़ी भूमिका निभाते हैं। कोरोना काल ने हम सभी को इम्यून सिस्टम के महत्व को अच्छे से समझा दिया है। नीम में मौजूद विटामिन-सी यह रक्त को शुद्ध करता है और शरीर से टॉक्सिक पदार्थों को बाहर निकालता है, जिससे शरीर कई रोगों से दूर रहता है।नीम अपने गुणों के कारण ब्लड में से शुगर की मात्रा को भी कंट्रोल करता है। यह इंसुलिन की जरूरत को 50 प्रतिशत तक कम कर सकता है। नीम में जीवाणुरोधी गुण होते हैं, जिस वजह से यह यह मुंहासों के अलावा सेप्टिक घावों, सोरायसिस और एक्जिमा के इलाज में अत्यधिक प्रभावी है। नीम की तासीर ठंडी होती है और यह एसिडिटी सीने में जलन और पाचन को सुधारने में काफी प्रभावी औषधि मानी जाती है। नीम की पत्तियों में कैल्शियम और मिनरल्स मौजूद होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने और किसी भी सूजन को कम करने में सहायक होते हैं। गठिया दर्द या उम्र के साथ होने वाले किसी भी दर्द को दूर करने के लिए नीम का इस्तेमाल किया जा सकता है। नीम के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट मौजूद होता है जो कुछ तरह के कैंसर को बढ़ने से रोकता है। ये उन एंटीऑक्सीडेंट के फ्री रेडिकल्स को इनएक्टिव करता है, जो कैंसर को शरीर में कारण कर सकते हैं।
नीम स्किन केयर में फायदेमंद
नीम जीवाणुरोधी और रोगाणुरोधी गुणों से समृद्ध होता है, जो मुंहासों के इलाज में सहायक होता है। यह त्वचा से अतिरिक्त सीबम निकालने में मदद करता है और छिद्रों को कसता है, जिससे मुंहासों की समस्या से निजात दे सकता है। यह त्वचा पर मुंहासों के कारण होने वाली किसी भी तरह की खुजली, जलन और सनबर्न को भी शांत करता है। अगर आप नहाने से पहले नीम के पेस्ट से अपने शरीर को रगड़ते हैं, तो इसे कुछ देर के लिए सूखने दें और फिर पानी से धो लें, यह एक अच्छे एंटी-बैक्टीरियल क्लींजर के रूप में काम करेगा। अगर आपके पास नीम का पेस्ट बनाकर शरीर पर लगाने का समय नहीं हैं, तो आप नीम की कुछ पत्तियों को रातभर पानी में भिगोकर रख सकती हैं और सुबह इस पानी से नहा सकती है, तो भी वह आपको वह लगभग वैसा ही फायदा पहुंचाएगा। नीम में फैटी एसिड और विटामिन ई त्वचा में जल्दी अवशोषित हो जाते हैं, जिससे यह सूखी और फटी त्वचा को मॉइस्चराइज करते हैं। ब्लैक एंड व्हाइटहेड्स से जूझ रहे लोगों के लिए नीम बेहद असरदार माना जाता है। यह छिद्रों से अशुद्धियों, धूल, बैक्टीरिया और डेड सेल्स (मृत त्वचा कोशिकाओं) को हटा देता है। इसके अलावा, इसकी एक्सफोलिएटिंग क्षमता बढ़े हुए पोर्स को कम करने में मदद करती है। नीम के एंटीऑक्सिडेंट त्वचा पर फ्री रेडिकल्स से होने वाले नुकसान को बेअसर करने में भी मदद करते हैं और इस तरह नीम आपको एक युवा और दाग-धब्बों से मुक्त त्वचा देती है।
डेंटल हेल्थ में असरदार
डेंटल हेल्थ के लिए नीम का उपयोग भारत में कई सौ साल से होता आया है। विज्ञान ने भी इस बात को माना है कि इसके एंटी बैक्टीरियल, एंटी फंगल, एंटी फ्लैमटोरी फंगल गुण हमारे दांतों और मसूड़ों को हमेशा से स्वस्थ और मजबूत बनाते आये हैं। आप नीम की टहनी से अपने दांतों को ब्रश कर सकती हैं। नीम की टहनी आपको अपने नजदीकी मेडिकल स्टोर से आसानी से मिल जाएगी। मसूड़ों की बीमारियों से बचाव के लिए और दांतों को सफेद करने के लिए यह बहुत फायदेमंद होता है। नीम की टहनियों से अगर आप ब्रश करने में ज़्यादा सहज नहीं है, तो नीम का टूथ पेस्ट इस्तेमाल कर सकती हैं। आप चाहे तो इसे घर में भी बना सकती हैं। नीम के पत्तों को पीसकर पाउडर में थोड़ा पानी और एक चम्मच बेकिंग सोडा मिलाकर घर पर नीम का टूथपेस्ट बना लें। चमकदार और साफ दांत पाने में यह बहुत फायदेमंद साबित होगा। यह दांतों में प्लाक को जमने भी नहीं देगा। -ओरल केयर में सांसों की दुर्गंध की समस्या से हम सभी परिचित है और इस समस्या का समाधान भी नीम के पास है। नीम के पत्तों का एक गुच्छा पानी में तब तक उबालें जब तक कि मात्रा एक-चौथाई न रह जाए। मुंह में मौजूद बैक्टीरिया को प्राकृतिक रूप से मारने, दांतों को सफेद बनाने और सांसों की बदबू को दूर करने के लिए इस मिश्रण से गरारे करें । नीम के एंटीसेप्टिक और कसैले गुणों के कारण मुंह के घावों को ठीक करने में भी मदद करता है और एंटी-फंगल गुण मसूड़ों को सूजन और मुंह से छालों को भी दूर रखते हैं। अपने रेगुलर टूथपेस्ट में नीम के तेल की कुछ बूंदें डालकर भी आप नीम के फायदे को अपने दांतों तक पहुंचा सकती हैं।
अच्छे बालों के लिए भी है खास
नीम त्वचा के साथ-साथ बालों के लिए भी वरदान है। आप नीम का रस, पेस्ट से लेकर या उसके उसके तेल का इस्तेमाल को बालों को घना, मजबूत बनाने के साथ -साथ स्कैल्प को भी हेल्दी बना सकती हैं। नीम में 300 से अधिक फाइटोकेमिकल्स होते हैं। ये फाइटोकेमिकल्स पोषक तत्वों का एक समृद्ध स्रोत हैं, जो आपके बालों को पोषण देते हैं और उन्हें मजबूत और स्वस्थ बनाते हैं, जिससे पतले बालों, झड़ते हुए बालों की समस्या कुछ ही हफ्तों में खत्म हो जाएगी। नीम फैटी एसिड से भरपूर होता है। यह स्कैल्प को पोषण देता है और बालों के कंडीशनर के रूप में काम करता है, इसलिए रुखे बालों के लिए नीम के तेल किसी वरदान से कम नहीं है है। नीम में नारियल का तेल या सरसों के तेल की कुछ बूंदें मिलाकर लगाने से बाल रुखे नहीं होते हैं और दो मुंहे बालों की समस्या भी बहुत हद तक कम हो जाती है। नीम के में लिमोनोइड्स और निम्बिडिन फाइटोकेमिकल्स मौजूद होते हैं, जो डैंड्रफ के खिलाफ काम करता है। ऐसे में नीम का रस लगाने से बालों से रूसी की समस्या से भी निजात मिल जाती है। रूसी के अलावा बालों का समय से पहले सफेद हो जाना भी एक बहुत बड़ी समस्या है। इसका हल भी नीम के पास है। नीम में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट बालों को पोषण देते हैं और सभी फ्री रेडिकल्स को नष्ट करते हैं। जिससे बालों को असमय सफेद नहीं होने देते हैं।
पर्यावरण के लिए भी वरदान
नीम का पेड़ पर्यावरण के लिए भी बहुत फायदेमंद हैं। नीम का पेड़ एक प्राकृतिक एयर प्यूरीफायर है। ये पेड़ प्रदूषित गैसों जैसे कार्बन डाई ऑक्साइड, सल्फर और नाइट्रोजन को हवा से ग्रहण करके पर्यावरण में ऑक्सीजन को छोड़ता है। नीम के पेड़ में वायु और जल प्रदूषण के साथ-साथ गर्मी को झेलने की उल्लेखनीय क्षमता है, जिससे यह वातावरण को भी शीतल बनाता है। नीम में शक्तिशाली कीट नियंत्रण गतिविधियां और औषधीय गुण हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि नीम से बने कीटनाशक सिंथेटिक कीटनाशकों की तुलना में ज्यादा सुरक्षित होते हैं, इसलिए खेती के लिए यह सबसे ज्यादा फायदेमंद हैं। नीम मिट्टी की उर्वरता को बनाए रखने में भी मदद करता है, जो इसे कृषि के कामों में अत्यधिक उपयुक्त बनाता है। नीम का पेड़ दूसरे पेड़ों की तरह पर्यावरणीय लाभ भी लाता है, जैसे बाढ़-नियंत्रण, मिट्टी का कटाव कम करना। शास्त्रों की मानें तो नीम का पेड़ जिस भी जगह होता है, वहां से नकारात्मकता भी दूर रहती है।
तो यही सच है कि नीम के अनगिनत फायदे हैं, जो आपके शरीर का हर तरह से ख्याल रखने में सक्षम है। नीम के फायदों से जुड़े अनगिनत प्रोडक्ट इन दिनों मार्केट में मौजूद है। आप साबुन, तेल, टूथपेस्ट से लेकर सौंदर्य प्रसाधनों में भी आसानी से नीम के गुणों को शामिल कर सकती हैं या आप उसके पत्तों, छाल, टहनियों का सीधे तौर भी इस्तेमाल कर सकती हैं।नीम का इस्तेमाल कर हम खुद के साथ-साथ पर्यावरण को भी खूबसूरत बनाते हैं, तो आज से ही नीम का उपयोग कीजिए और खुद के साथ पर्यावरण को भी स्वस्थ रखिए।
सबसे ज्यादा पूछे जानेवाले सवाल
हम रोजाना नीम के कितने पत्ते खा सकते हैं ?
एक दिन में चार से पांच नीम के पत्ते खा सकते हैं।
नीम की पत्तियों को खाने का सबसे बेस्ट समय क्या होता है?
सुबह खाली पेट इनका सेवन सबसे ज्यादा फायदेमंद रहता है।
जरूरत से ज़्यादा खाने से क्या कोई समस्या हो सकती है ?
जरूरत से ज्यादा नीम की पत्तियां खा लेने से शरीर ब्लड शुगर अत्याधिक लो हो सकता है, जिसके कारण कमजोरी के साथ-साथ चक्कर आने की भी शिकायत हो सकती है।
क्या गर्भावस्था के दौरान नीम का सेवन किया जा सकता है ?
डॉक्टरी सलाह के बाद ही इसे आप शामिल करें। हालांकि कई शोध में यह बात सामने आयी है कि इसके कुछ गुण यह गर्भनिरोधक के तौर पर काम करते हैं, इसलिए गर्भवती स्त्रियों के इसके सेवन से बचना चाहिए।
क्या किसी खास बीमारी से ग्रसित लोगों को भी नीम से परहेज करने की जरूरत है ?
अगर आप किडनी और लिवर से संबंधित बीमारी से परेशान हैं, तो नीम के सेवन से आपको बचने की जरूरत है।
नीम के तेल को बालों पर कितने समय तक रख सकते हैं ?
बाजार से लाये गए नीम के तेल की बोतल में आमतौर पर इस्तेमाल का तरीका लिखा होता है। डर्मटॉलॉजिस्ट की मानें, तो नीम के तेल को स्कैल्प और बालों पर 30-60 मिनट के लिए लगाएं फिर नियमित शैम्पू से धो लें। एक तरीका ये भी है कि आप अपना रेगुलर शैम्पू अपनी हथेली पर लें। इसमें नीम के तेल की कुछ बूंदें मिलाएं। इससे अपने अपने सिर की अच्छे से मालिश करें और फिर उसे नॉर्मल पानी से धो लें। नीम की पत्तियों का रस अगर आंखों में चला जाए, तो इससे जलन और रेडनेस (लालिमा) की शिकायत होती है, ऐसे में बालों में नीम का रस लगाते समय इस बात का ध्यान रखें कि यह आंखों में न जाएं। सबसे अहम बात नीम के तेल या पेस्ट को इस्तेमाल से हमेशा पैच टेस्ट के बाद ही करें।