सौंफ एक सुगंधित मसाला है जिसे हम आमतौर पर भोजन में स्वाद बढ़ाने के लिए इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इसके कई औषधीय गुण भी होते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक हो सकते हैं। आइए जानते हैं, सौंफ के फायदे और उसके नुकसान।
सौंफ के जड़ से मिलता है कब्ज में आराम
प्राचीन काल से मुंह को शुद्ध करने और घरेलू औषधि के रूप में सौंफ का प्रयोग होता रहा है। सौंफ का पौधा लगभग एक मीटर ऊंचा तथा सुगंधित होता है। इसके पत्तों का प्रयोग सब्जी के रूप में भी किया जाता है। सौंफ, बड़ी सौंफ, छत्रा, शालेय, शालीन, मिश्रेया, मधुरिका, मिसि इन नामों से पहचाने जानेवाले सौंफ का वानस्पतिक नाम फीनीकुलम वलगैरि है और यह एपिएसी कुल का है। हरे रंग के छोटे से बीज यानी सौंफ के कई फायदे हैं। सौंफ की जड़ कब्ज में बेहद लाभदायक है। इसके लिए सौंफ के बीज का काढ़ा बना लें और भोजन के प्रत्येक ग्रास के साथ पिने से कब्ज ठीक हो जाता है। छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, हर आयु वर्ग के लोगों के लिए यह काढ़ा बेहद फायदेमंद है। इसके अलावा इससे डकार और पेट की गैस की समस्या भी ठीक होती है। सौंफ को पानी के साथ पीसकर ललाट पर लगाने से या सौंफ खाने से सिरदर्द में आराम मिलता है, किंतु यदि आपको माइग्रेन की समस्या है तो आप सौंफ न खाएं, इससे आपका सिरदर्द ट्रिगर हो सकता है।
आंखों के साथ मुंह के लिए भी लाभदायक
सौंफ के पत्तों से निकले रस में रूई को भिगोकर आंखों पर रखने से आंखों की जलन, दर्द तथा लालिमा की परेशानी ठीक होती है। सौंफ के पाउडर में खसखस पाउडर मिलाकर खाने से आंखों के रोग ठीक होते हैं तथा आंखों की रोशनी भी बढ़ती है। इसके अलावा सौंफ खाने से आँख के रोग में फायदा मिलता है। सौफ पाउडर को गाय के दूध के साथ सेवन करने से आंखों के रोग ठीक होते हैं। सौंफ का काढ़ा या सौंफ का पानी पीने से जुकाम में लाभ होता है। अंजीर के साथ सौंफ का सेवन करने से सूखी खांसी, गले की सूजन से जल्दी राहत मिलती है। इसके अलावा सौंफ के पत्तों के रस के सेवन से अस्थमा में लाभ होता है। सौंफ का काढ़ा बनाकर उसमें फिटकरी मिलाकर गरारा करने से मुंह के छालों में लाभ होता है। सौंफ में उसके बराबर मात्रा में मिश्री मिलाकर सेवन करने से मुंह से बदबू आने की परेशानी ठीक होती है।
आंवयुक्त पेचिश के दर्द में आराम
सौंफ के काढ़े में मिश्री और गाय का दूध मिलाकर पिने से हकलाने की परेशानी कम होती है। सौंफ और काली मिर्च पाउडर को गुनगुने पानी के साथ सेवन करने से भूख बढ़ती है। सौंफ और मिश्री को साथ मिलाकर खाने से आंवयुक्त पेचिश और खूनी पेचिश में लाभ होता है। इसके अलावा गेहूं के आटे में सौंफ मिलाकर उसकी बाटियां बना लें और अंगारों पर पकाकर उसे कूट लें। इन कुटी हुई बाटियों को मिश्री और घी मिलाकर खाने से भी आंवयुक्त पेचिश के दर्द में आराम मिलता है। सिर्फ यही नहीं चार भाग सौंफ पाउडर में एक भाग इलायची पाउडर और पांच भाग मिश्री पाउडर मिलाकर खाने से भी पेचिश में तुरंत आराम मिलता होता है। भुनी हुई सौंफ में बिना भुनी सौंफ और मिश्री मिलाकर खाने से भी पेचिश ठीक होता है।
ब्रेस्टफीडिंग करानेवाली महिलाओं के लिए
पाचन को दुरुस्त करने के लिए आप चाहें तो हर रोज सौंफ के बीजों से बने काढ़े में शहद मिलाकर पी सकती हैं। इससे अपच, एसिडिटी, गैस और कब्ज के साथ प्यास न लगने, बुखार और यूरिन की कमी जैसे रोग भी ठीक होते हैं। यदि आपको पीरियड्स इश्यू हैं तो हर रोज सौंफ के काढ़े में शहद मिलाकर पिएं। इरेग्युलर पीरियड्स के साथ पीरियड्स के दौरान दर्द में यह काफी लाभदायक है। ब्रेस्टफीडिंग करनेवाली महिलाओं को अगर बच्चे के लिए प्रयाप्त दूध नहीं हो रहा है तो उनके लिए भी सौंफ फायदेमंद है. सौंफ के पत्तों के रस को दूध में मिलाकर पीने से ब्रेस्टफीडिंग कराने वाली महिलाओं में दूध की वृद्धि होती है।
चेहरे की चमक बढ़ाता है सौंफ
सौंफ स्किन के लिए बहुत फायदेमंद है। एक रिसर्च के मुताबिक सौंफ को पीसकर मुंह पर लगाने से मुंहासे ठीक होते हैं, चेहरे की चमक बढ़ती है, रंग निखरता है और झुर्रियां भी कम होती हैं। स्किन के अलावा सौंफ के काढ़े में मिश्री मिलाकर पीने से पित्त के कारण होनेवाला मैनिया रोग ठीक होता है। सौंफ पत्तों के रस को पीने से पूरे शरीर का दर्द ठीक होता है। इसके अलावा सौंफ के काढ़े में नमक मिलाकर पीने से जहां अधिक नींद आने की परेशानी ठीक होती है, वहीं सौंफ के काढ़े में गाय का दूध और घी मिलाकर पिने से अच्छी नींद आती है। सौंफ में बल्य गुण पाया जाता है, जो शरीर, मस्तिष्क एवं मस्तिष्क की नसों को बल प्रदान करता है. इससे याददाश्त भी बढ़ती है। सौंफ खाने से पाचन क्रिया स्वस्थ होने के साथ कोलेस्ट्रॉल कम होता है। एक रिसर्च के अनुसार सौंफ की पत्तियां दिल के लिए बेहद फायदेमंद हैं। ऐसे में विटामिन सी से भरपूर सौंफ की चाय पीने से न सिर्फ आपका दिल स्वस्थ रहेगा बल्कि इम्युनिटी भी बढ़ेगी।
फायदों के अलावा नुकसान भी हैं
कुछ लोगों को सौंफ के अत्यधिक सेवन से एलर्जी हो सकती है। अगर सौंफ खाने से आपकी स्किन पर रैशेस या खुजली हो रही हो, तो आपको सौंफ नहीं खाना चाहिए। सौंफ में ऐसे तत्व होते हैं जो सूरज की किरणों से त्वचा को संवेदनशील बना सकते हैं। यदि आप सौंफ का अधिक सेवन करती हैं तो यह आपकी स्किन में रैशेस या लालिमा पैदा कर सकता है। सौंफ में फाइटोएस्ट्रोजेन होते हैं, अत: इसके अत्यधिक सेवन से महिलाओं में न सिर्फ हॉर्मोनल इम्बैलेंस बल्कि ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ जाता है। यह बात बेहद कम लोग जानते हैं कि सौंफ में नेचुरल ब्लड थिनर होते हैं, जो अधिक मात्रा में सेवन करने पर रक्तस्राव की समस्या को बढ़ा सकते हैं, खासकर यदि आप पहले से ब्लड थिनर दवाओं का सेवन कर रही हैं तो। इसके अलावा सौंफ में एसिडिक तत्व होते हैं, और अधिक मात्रा में सेवन करने पर यह दांतों के इनेमल को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
चक्कर या बेहोशी का अनुभव
जिनके नर्वस सिस्टम सेंसिटिव हैं, उन्हें सौंफ के अधिक सेवन से चक्कर या थकान का अनुभव हो सकता है। इसके अलावा मिर्गी के रोगियों के लिए सौंफ हानिकारक हो सकते हैं, क्योंकि यह नर्वस सिस्टम को उत्तेजित करता है। आम तौर पर सौंफ पाचन क्रिया को दुरुस्त करता है, लेकिन यदि आप पाचन समस्याओं से ग्रस्त हैं इसके अत्यधिक सेवन से आपको पेट में जलन या एसिडिटी की समस्या हो सकती है। जो लोग गंभीर या पुरानी बीमारियों से जूझ रहे हैं, उन्हें सौंफ का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह के नहीं करना चाहिए। प्रेग्नेंट महिलाओं को सौंफ का अधिक सेवन करने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे गर्भाशय में कॉन्ट्रैक्शन होता है, जिससे एबॉर्शन या प्रीमेच्योर लेबर का खतरा बढ़ सकता है। संभव हो तो बच्चों को सौंफ न खाने दें या कम दें क्योंकि सौंफ के अत्यधिक सेवन से छोटे बच्चों में गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं हो सकती हैं। यदि आप किसी दवाई का सेवन कर रही हैं, तो आपको सौंफ खाने से बचना चाहिए क्योंकि यह दवाओं के असर को प्रभावित कर सकता है।