दादी और नानी के जमाने से ही आयुर्वेद के महत्व को बताया जा रहा है। जब भी कोई चोट लगती, तो उसे ठीक करने के लिए हल्दी का प्रयोग किया जाता है और इस इलाज के तरीके को भी आयुर्वेद का हिस्सा माना गया है। ठीक इसी तरह शरीर को स्वस्थ रखने के लिए आयुर्वेदिक आहार को अहम माना गया है। आयुर्वेदिक आहार हमारे शरीर को अंदरूनी तौर पर स्वस्थ रखने का काम करता है। हम पूरे दिन, जो भी खाते हैं, उसका सीधा असर हमारी सेहत पर पड़ता है। इसलिए यह जानना और समझना बेहद जरूरी है कि आप स्वस्थ रहने के लिए सुबह से लेकर रात को सोने तक किस तरह के आहार का सेवन करती हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
आयुर्वेद के अनुसार खाने में शामिल करें 6 रस
आर्युर्वेद का मानना है कि आपको अपने खाने में 6 तरह के रस का सेवन करना चाहिए। इन सभी रसों पर विस्तार से बात की जाए, तो मीठा, नमकीन, खट्टा, कड़वा, तीखा और कसैला के स्वाद से बने हुए भोजन को अपने खाने की थाली में शामिल करना चाहिए। माना जाता है कि सारे 6 तरह के रस के स्वाद से खाना संतुलित बना रहता है। आयुर्वेदिक आहार शरीर और दिमाग के बीच संतुलन को बढ़ावा देने पर केंद्रित है। आयुर्वेदिक आहार एक प्रकार की खाने की योजना है जो आपके शरीर के प्रकार के आधार पर दिशानिर्देशि निर्धारित करता है कि आपको कब, कैसे और क्या खाना चाहिए।
भोजन के दौरान बैठने की मुद्रा
आयुर्वेद में खाने के दौरान आप किस मुद्रा में बैठती हैं, इसे काफी महत्व दिया गया है। आपके खाने के दौरान आप किस तरह बैठते हैं, वो मुद्रा काफी मायने रखती है। आयुर्वेद में इस बात की सलाह दी गई है कि भोजन के दौरान सीधी मुद्रा में बैठकर खाने का सेवन करना चाहिए। आयुर्वेद में यह भी माना गया है कि खाने के दौरान बैठने का तरीका यही है कि आप पालथी मारकर बैंठे। अगर आप नीचे जमीन पर बैठकर नहीं खा रही हैं और किसी कुर्सी पर बैठी हैं, तो यह ध्यान रखें कि आपका बैठने का तरीका सीधा होना चाहिए। अगर आप किसी कुर्सी पर बैठ रही है, तो आपकी कमर सीधी होनी चाहिए। आप आरामदायक तरीके से अपनी पीठ सीधी रखकर बैठना चाहिए।
सीजन के फल खाना भी है जरूरी
आयुर्वेद में खाने के लिए फलों पर अधिक जोर दिया गया है। फल खाना हमेशा से आयुर्वेद के लिहाज से सही माना गया है, लेकिन इसे भी खाने का एक सही तरीका है। यह माना गया है कि अगर आप मौसम के अनुसार मिलने वाले फलों का सेवन करती हैं, तो शरीर पर इसका असर अधिक होता है और अगर आप बिना मौसम के किसी फल को खाती हैं, तो इससे सेहत को नुकसान पहुंचता है। शरीर और मौसम के साथ तालमेल बिठाने की आवश्यकता होती है और मौसम के विपरीत खाद्य पदार्थों या फिर फलों के सेवन से पाचन तंत्र पर भी अधिक दबाव पड़ता है। जरूरी है कि आप वर्तमान में मौसम के अनुसार ताजे फल और सब्जियां खाएं। सर्दियों में गर्म भोजन जैसे गुड़, मक्खन और मेवे को खाएं, ताकि इससे आपके शरीर को अंदरूनी तौर पर गर्माहट मिलें, वहीं गर्मी के मौसम में खीरा, दही, छाछ और नींबू पानी जैसे ठंडे खाद्य पदार्थों का सेवन करना चाहिए। सर्दी के मौसम में संतरा, अमरूद और अंगूर जैसे फल सेहत के लिए अच्छे माने गए हैं। गर्मी के मौसम में आम, तरबूज और केले खाना सेहत के नजरिए से सही फैसला आपके लिए होगा।
जीने के लिए खाना जरूरी है खाने के लिए जीना जरूरी नहीं
कई लोग ऐसे होते हैं जो कि खाने के लिए जीते हैं। ऐसे में उन्हें हर समय कुछ न कुछ खाने की आदत होती है, लेकिन आपको इस पर ध्यान देना चाहिए कि जीने के लिए खाना है, यानी इसका अर्थ यह होता है कि आपकी सेहत के लिए जितना जरूरी है, उतनी ही आपको भोजन का सेवन करना चाहिए। इसे ही कहते हैं जीने के लिए खाना। अपनी रोजमर्रा की जीवनशैली में सात्विक आहार को शामिल करने का प्रयास करें और अत्यधिक खाने के सेवन से खुद को बचाएं। सात्विक आहार की बात की जाए, तो सर्दियों के मौसम में पालक और मेथी के साथ पत्तेदार सब्जियां, अनाज, फलियां, मौसमी फल, मेवे , तेल और डेयरी उत्पाद जैसे आवश्यक तत्वों से भरपूर होता है। यह याद रखें कि भारी भोजन यानी कि अगर आपने हैवी खाना खाया है, तो भोजन के बाद कुछ भी न खाएं और जब भी आपको भूख लगे, तो ऐसे नाश्ते का चयन करें, जो कि आपकी सेहत के लिए अच्छा होता है। साथ ही अपने खाने की थाली को छोटा रखें। पहले आप उसमें थोड़ा सा भोजन लेकर खाएं। पूरा भोजन खाने के बाद ही भूख लगने पर अधिक भोजन लें। कई बार खाने की थाली में अधिक खाना होने पर हम उसे फटाफट खत्म करने की कोशिश करते हैं। इससे आप अपनी जरूरत से अधिक भोजन का सेवन कर लेती हैं, जो कि सेहत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। सही समय पर खाना खाएं
भोजन करने का भी अपना एक सही समय होता है। दिन के दौरान हमारा पाचन तंत्र सही तरीके से काम करता है। इस दौरान पाचन तंत्र की गतिविधियां अच्छे तरह से काम करती है। सूर्य के अस्त होने पर धीरे-धीरे पाचन तंत्र का काम करने की क्रिया कम हो जाती है। जब आप रात को भोजन करती हैं, तो आपको अपने भोजन को सीमित करना चाहिए। रात में खाने का समय यही है कि आप शाम को 7 बजे तक अपना रात्रि भोजन पूरा कर लें। अगर आपको फिर से सोने के समय भूख लग रही है, तो दूध में हल्दी मिलाकर इसका सेवन करें। साथ ही सोने से 3 से 4 घंटे पहले अपना भोजन पूरा कर लें। आयुर्वेद के अनुसार हमारा पाचन तंत्र नाजुक होता है, जब आप खाद्य पदार्थों को मिलाते हैं, तो इसकी अधिक देखभाल करनी पड़ती है, वहीं कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ है, जो कि आपके पेट में गड़बड़ी पैदा करते हैं। यह ध्यान दें कि केले और दूध का सेवन साथ में नहीं करना चाहिए। दही के साथ खट्टे फलों को नहीं खाना चाहिए। मछली और दही को भी एक साथ नहीं सेवन करना चाहिए।
आयुर्वेद के अनुसार आपके लिए कौन-सा है संतुलित आहार
आदर्श भोजन केवल उसे ही कहा जाता है, जो कि आपके शरीर के समुचित विकास और सेहत के रखरखाव और हड्डियों के विकास के लिए सबसे जरूरी माना गया है। संतुलित आहार की बात की जाए, तो ऊर्जा, विटामिन , अमीनो एसिड, खनिज, वसा, कार्बोहाइड्रेट और पोषक तत्वों की आवश्यकता को पूरा करने वाला संपूर्ण भोजन। सेहत को सही तौर पर चलाने के लिए इन सभी को अपने खाने की थाली में जरूर शामिल करें। इसके साथ हमारे भोजन में मसालों और जड़ी-बूटियों के साथ पारंपरिक आयुर्वेदिक हर्बल सप्लीमेंट्स का उपयोग भी आहार के दौरान किया जाना चाहिए।
आयुर्वेद में ध्यान में रखें यह जरूरी बातें
आयुर्वेद में खाना बनाते समय भी कुछ बातों का ध्यान रखें। इसमें सबसे पहले यह जान लें कि सब्जियों को पकाने के लिए परेशान नहीं होना चाहिए। सब्जियां आधी पकी हुई रहनी चाहिए। चीनी की जगह पर गुड़ और शहद का इस्तेमाल सबसे अधिक करें। बाजार में मिलने वाले सॉफ्ट ड्रिंक्स से अपनी दूरी बना कर रखें। बाजार में मिलने वाले पैकेज के खाने से भी अपनी दूरी बना कर रखें। कोशिश करें कि खाना हमेशा ताजा और गर्म किया रहना चाहिए। आयुर्वेद में यह भी माना गया है कि अपनी भूख से कम ही खाने का सेवन करना चाहिए।
आयुर्वेद में पानी का महत्व
पानी का महत्व हमारे जीवन में सबसे अधिक है। आयुर्वेद में पानी को अमृत माना गया है। यह माना गया है कि खाना खाने से आधा घंटे पहले पानी पी सकती हैं और खाने के दौरान अगर जरूरत लगे, तो केवल एक या दो घूंट ही पानी पी सकती हैं। अगर आप खाना खाने के दौरान और उसके बाद पानी पीती हैं, तो खाने को पचने में तकलीफ होती है और इससे शरीर में मोटापा और अन्य तरह की बीमारी पैदा होती है। यह भी जान लें कि आपको पूरे दिन में हल्का गर्म पानी पीना चाहिए और साथ ही फ्रीज का पानी सेहत के लिए सही नहीं माना गया है। ध्यान दें कि आयुर्वेद के अनुसार आपको कुछ चीजें ऐसी हैं, जिन्हें सप्ताह में एक से दो बार खाना चाहिए। पनीर को सप्ताह में दो बार खाएं। स्प्राउट को कभी-भी भाप में उबाल कर सेवन करें। उल्लेखनीय है कि दही का इस्तेमाल भी सप्ताह में 2 से 3 दिन ही करना चाहिए।