एलर्जी यह सुनने में भले ही आम सा शब्द लगता हो लेकिन , लेकिन इससे जूझ रहे मरीजों के लिए ये बहुत ही खतरनाक होती है। अगर आपको मौसम बदलने, धूप में संपर्क में आने, दवा या कुछ खास चीज़ों को खाने के बाद अजीब तरह की परेशानी महसूस होती है, जिसमें शरीर में रैशेज से लेकर सांस लेने में परेशानी तक हो सकती है । आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से।
कौन सी प्रकार की एलर्जी सबसे आम हैं
कौन सी प्रकार की एलर्जी सबसे आम हैं? और उसके लक्षण और बचाव भी, क्योंकि इसके लक्षण सामान्य से लेकर गंभीर तक हो सकते हैं। लेकिन कुछ सावधानियों को बरत कर इससे बचाव कर पाना संभव है। फूड एलर्जी जो होती है, वो खराब खाने से ही होती है या तबीयत बिगड़ती है, तो ऐसा नहीं हैं। कई बार साफ-सुथरा खाना खाने से भी हमारी तबीयत बिगड़ जाती है इसके पीछे फूड एलर्जी भी कारण हो सकता है। कई लोग ऐसे हैं, जिन्हें किसी खास फूड से एलर्जी होती है। जैसे कई लोगों को मछली या इसी तरह का सीफूड पचता नहीं है, तो किसी के दूध या डेयरी प्रोडक्ट्स के सेवन से समस्या शुरू हो जाती है या कोई भी और दूसरा खाद्य पदार्थ जैसे सूखे मेवे, गेहूं और उससे बनने वाले उत्पाद जैसे नाम इसमें शामिल है।
फूड एलर्जी के लक्षण
मुंह, गले या कान के अंदर लगातार खुजली होना, उभरे हुए खुजली वाले लाल दानें, जिन्हें पित्ती भी कहते हैं, उनका पूरे शरीर पर उभर जाना, चेहरे, आंखों के आस-पास, होंठ, जीभ और मुंह के अंदर बाहर सूजन भी बहुत आम लक्षण है। फूड एलर्जी में पाचन सम्बंधित समस्याएं और पेट में दर्द से लेकर उल्टी करना भी शामिल है। कई बार गंभीर रूप से एलर्जी जानलेवा भी साबित हो सकती है। ऐसे करें बचाव किसी भी तरह की फूड एलर्जी प्रतिक्रिया को रोकने का सबसे अच्छा तरीका उन खाद्य पदार्थों से बचना है, जो इसके कारण बन रहे हैं।
पेट्स एलर्जी
पेट्स हम सभी को बहुत प्यारे लगते हैं। यही वजह है कि एक स्टडी के मुताबिक यह दस में से सात घरों में दिख ही जाते हैं। ये घरों के पारिवारिक सदस्य बनते जा रहे हैं, लेकिन कई बार ये एलर्जी का कारण भी बन जाते हैं। इनके बाल, फर, लार को अक्सर एलर्जी के लिए दोष दिया जाता है, जबकि पालतू जानवर के बाल, फर या पंख से एलर्जी नहीं होती है। आपको उस प्रोटीन से एलर्जी है जो पालतू जानवर की रूसी (मृत त्वचा कोशिकाएं), लार और मूत्र में पाया जाता है। बाल, फर, या पंख रूसी इकट्ठा करते हैं। इसमें धूल के कण, फफूंद और पराग जैसे अन्य एलर्जी कारक भी हो सकते हैं। जब वे प्रोटीन आपकी आंखों, नाक, मुंह या आपकी त्वचा पर जाते हैं, तो यह एलर्जी के लक्षणों को ट्रिगर करता है। पेट्स एलर्जी के लक्षण कैट और डॉग्स एलर्जेंस नाक और आंखों की मेम्ब्रेन पर आकर जम जाते हैं। इसके कारण उस मेम्ब्रेन पर सूजन और खुजली पैदा होने लगती है। इसके कारण आंखों का फूलना, लाल होना, नाक बंद हो जाना , खुजली होना और त्वचा का लाल होना आदि जैसे लक्षण सामने आने लगते हैं। अतिसंवेदनशील लोगों में यदि एलर्जी पैदा करने वाले तत्व लंग्स में चले जाए, तो सांस लेने में कठिनाई या खांसी हो सकती है। अस्थमा से ग्रसित लोगों में तकलीफ बहुत गम्भीर भी हो सकती है। इसके अलावा चेहरे-गर्दन आदि पर रैशेज भी पनप सकते हैं।
ऐसे करें बचाव
पालतू जानवरों से होने वाली एलर्जी रोकने का सर्वोत्तम तरीका तो उनसे और उनके रहने की जगह से दूर रहना ही है। अगर आप जानवर पाले हैं, तो उन्हें अपने कमरे से बाहर ही रखें। जानवरों के बाल और रूसी चिपचिपे होते हैं, इसलिए आपको पालतू जानवरों को कम से कम अपने बेडरूम से तो दूर जरूर ही रखना चाहिए। पालतू जानवरों के साथ जब भी वक्त बिताएं, तो उसके बाद हमेशा अपने कपड़े बदलें। अपने घर से जानवरों के बाल और रूसी हटाने के लिए बार-बार वैक्यूम क्लीनिंग करें, और ऐसा करते समय डस्ट मास्क ज़रूर पहनें। अपने पालतू जानवरों को साफ रखें। घर का वो सदस्य जानवरों को अक्सर नहलाता भी रहे, जिसे पालतू जानवरों से एलर्जी न हो। अस्थमा के मरीज इन्हेलर या अन्य नियंत्रण करने वाले साधन अपने पास रखें, ताकि समस्या होने पर तुरंत आप उसका उपयोग कर सकें। ड्रग एलर्जी व्यक्ति का शारीरिक या मानसिक रोगों या समस्याओं के दौरान दवाई का सेवन करना बेहद सामान्य है, लेकिन कई बार कुछ दवाइयों का सेवन करने से एलर्जी हो सकती है। दवाइयों से होने वाले एलर्जिक रिएक्शंस को ड्रग एलर्जी कहा जाता है। हालांकि ऐसा आवश्यक नहीं है कि अगर किसी दवाई से एक व्यक्ति को एलर्जी होती है, तो किसी अन्य व्यक्ति को भी उससे एलर्जी हो। इस एलर्जी के लक्षण त्वचा पर खुजली, लाल चकत्ते, गले, मुंह के भीतरी हिस्से और आंखों में लालिमा, दर्द, जलन। कई बार पानी भरे फफोले या दाने भी उभर आते हैं। कुछ लोगों को सांस लेने में तकलीफ, और कभी-कभी शरीर की ऐसी स्थिति हो जाती है, जैसे मरीज आग में जल गया हो। इससे मरीज की जान भी जा सकती है। ड्रग एलर्जी से बचाव एलर्जी टेस्ट के माध्यम से यह पता लगाया जा सकता है कि मरीज को किस ग्रुप की दवाओं से एलर्जी है। अगर आपको पता है कि किस दवा से आपको एलर्जी है, तो कभी भी अस्पताल में भर्ती करते समय या डॉक्टर को दिखाते समय उन्हें इस बात की जानकारी जरूर देनी चाहिए।
पोलन एलर्जी
पोलन एलर्जी पोलन के कारण होने वाली समस्या है जो फूलों में पाया जाता है। दरअसल, फूलों में अति सूक्ष्म पाउडर के जैसा तत्व होता है, जिसे पोलन या परागकण कहा जाता है, जो फूलों या किसी प्रकार की वनस्पति को निषेचित करने का काम करता है। इसी की वजह से पेड़-पौधों के फूलों और फलों की संख्या में वृद्धि होती है। तितली, मधुमक्खी या भौरा जैसे कि जब किसी एक फूल पर बैठने के बाद दूसरे फूल पर जाके हैं, तो उनके पैरों में लगा पराण कण उसी प्रजाति के दूसरे फूल को निषेचित करने का काम करते हैं। ये पोलन इतने सूक्ष्म होते हैं कि हवा में तैर रहे होते हैं और सांसों के साथ सीधे फेफड़ों में चले जाते हैं। चूंकि पराण कण बाहरी तत्व होते हैं, इसलिए कई बार व्यक्ति का शरीर उसे स्वीकार नहीं करता और एलर्जी की समस्या शुरू हो जाती है। पोलन एलर्जी के लक्षण हर व्यक्ति में पोलन एलर्जी के बाद अलग तरह की समस्याएं हो सकती हैं, लेकिन कुछ आम लक्षण एक जैसे ही होते हैं, जैसे बार-बार छींक आना, गले में खराश, नाक बहना, आंखों में जलन और पानी गिरना, सांस लेने में तकलीफ और बुखार। ऐसे करें बचाव सर्दी या जिस दिन हवा चल रही हो, घर के अंदर रहें। इस समय गार्डन आदि में जाने से बचें। जब पोलन अधिक हों तो डस्ट मास्क और चश्मे का इस्तेमाल करें। जब पोलन अधिक हो तो दरवाजे और खिड़कियां बंद रखें। पोलन एक्सपोजर को कम करने के लिए बाहर से घर जाते ही अपने कपडे बदलें और नहाएं। हफ्ते में एक बाद बेडिंग को गर्म पानी में अच्छी तरह से धो लें।
लेटेक्स एलर्जी
लेटेक्स रबर के पेड़ों से प्राप्त होता है। लेटेक्स प्राकृतिक रबर है। इसे कई उत्पादों में प्रयुक्त किया जाता है, चिकित्सा के दस्तानों से लेकर कंडोम तक में लेकिन कई बार लेटक्स में मौजूद कुछ प्रोटीन बॉडी की प्रतिरोधक क्षमता से लड़ने लगते हैं। आपको लेटेक्स से एलर्जी है, तो आपको रबर के बने कोई भी उत्पाद जैसे सिंकाई की बोतल, दस्ताने, रबर के खिलौने, कंडोम इत्यादि से रिएक्शन होने लगता है। लेटेक्स एलर्जी के लक्षण खुजली और रैशेस, त्वचा में लालामी( रेडनेस), छींक आना, नाक बहना, आंखों में जलन और पानी आना, गले में खराश और दर्द, सांस लेने में तकलीफ और खांसी आना।
ऐसे करें बचाव
आपको रबर से बनी चीज़ों से दूरी बनाने की जरूरत है। मार्केट में आपको रबर फ्री सामान आसानी से मिल जाएंगे। अपना एलर्जी टेस्ट जरूर करवाएं, ताकि आपको इस एलर्जी से होने वाले आपके शरीर पर परिणामों का पहले से पता चल सके।
फफूंदी एलर्जी
बरसात में फफूंदी कुछ ज्यादा ही उगने लगती है। हवा में उड़ते फफूंदी के कण और अन्य वनस्पतियों से निकले परागकण कुछ लोगों में प्रमुख तौर पर सांस तंत्र की एलर्जी पैदा कर देते हैं। यह एलर्जी किसी भी उम्र में हो सकती है। लक्षण इस समस्या में नाक बहती है। अनेक मामलों में नाक बंद होने लगती है। आंख से भी पानी आने लगता है और गले में खराश हो सकती है।
खांसी भी एक अहम लक्षण है
खांसी के साथ नाक व आंख से पानी आता है। समस्या के ज्यादा तेज होने पर बच्चों की पसली चलने लगती है बचाव धूल कणों और बैक्टीरिया से बचाव के लिए घर के अंदर हवा के प्रवाह में सुधार लाएं और रसोई घर, बाथरूम और कमरों को साफ-सुथरा रखें। घर और कालीन की नियमित रूप से सफाई करें। सूती के और साफ मोजे पहनने चाहिए। कसे हुए नाइलॉन, पॉलिस्टर आदि के बने कपड़े न पहनें।सूखे वस्त्र पहनें। - इंफेक्शन होने पर पानी और सिरका बराबर मिलाकर लगाएं। त्वचा को नमी और गर्म वातावरण से बचाएं। रोजाना सही तरह से नहाएं। त्वचा को सूखा रखें, ज्यादा समय तक गीला न रहने दें। जरूरत पर डॉक्टर से सलाह जरूर लें। कीड़े से होने वाली एलर्जी कीटों के काटने के लक्षणों की गंभीरता अलग-अलग हो सकती है। यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपको किस प्रकार के कीड़े ने काटा या डंक मारा है। कुछ लोगों में कीटों के काटने या डंक मारने के बाद गंभीर एलर्जी भी होती है। मधुमक्खी और ततैया से एलर्जी होना आम बात है। लक्षण इस एलर्जी में गले में खराश, पेट में ऐंठन, चक्कर आना और उल्टी, चेहरे, होंठ या गले में सूजन और सांस लेने में तकलीफ होती है।
बचाव
आप हल्दी, एलोवेरा से लेकर आइस पैक का इस्तेमाल कर कीट के डंक को कम कर सकती हैं। अगर दर्द और सूजन ज्यादा है, तो तत्काल डॉक्टर से सम्पर्क करें।