दिवाली या अन्य त्योहारों के दौरान बच्चों के साथ अपने मित्रों, रिश्तेदारों और परिवार जनों के घर जाना, बच्चों को संस्कारों के साथ सामाजिक व्यवहार सिखाने का एक सुनहरा अवसर होता है। आइए जानते हैं ऐसे अवसर पर बच्चों को लेकर आप किन बातों का ख्याल रखें, जिससे आपका अनुभव सुखद बन जाए।
अच्छे व्यवहार का महत्व सिखाएं
जब आप किसी के घर जाएं तो बच्चों को ये बात पहले ही से समझा दें कि उन्हें दूसरों के घर में कैसे व्यवहार करना है। उन्हें यह भी सिखाएं कि जब वे किसी के घर जाएं तो न सिर्फ उनसे आदरपूर्वक बात करें, बल्कि उनके घर के किसी भी चीज को छूने या हिलाने-डुलाने से पहले उनकी अनुमति ले लें और किसी को भी परेशान न करें। इसमें दो राय नहीं कि जैसा व्यवहार आप करेंगी, बच्चे आपसे वही सीखेंगे। ऐसे में जब आप किसी के घर दिवाली पर जाएं, तो अपने साथ उन्हें देने के लिए मिठाइयां या छोटे गिफ्ट्स लेकर जाएं। इससे आपके बच्चों में देने और बांटने की भावना विकसित होगी। आप चाहें तो दिवाली के पारंपरिक मिठाई जैसे काजू कतली, लड्डू, या चॉकलेट गिफ्ट पैक भी ले जा सकती हैं, जो बच्चों को बेहद पसंद होते हैं।
सुरक्षा के साथ विनम्रता सिखाएं
बच्चों को दूसरों के घर में सजावट और दीयों की सुंदरता की तारीफ करना सिखाएं। उन्हें बताएं कि कैसे हर घर में दिवाली को खास तरीके से मनाया जाता है और उन्हें इसका आदर करना चाहिए। आम तौर पर कई जगहों पर दिवाली के दौरान पटाखे और दीयों से सजावट की जाती है, ऐसे में बच्चों को पहले ही बता दें कि उन्हें किन चीजों से दूर रहना है। खासकर जलते दीपक, मोमबत्तियों और पटाखों के प्रति सतर्क रहते हुए दूसरों के घर में आग से खेलने की अनुमति तो कतई न दें। जब आप बच्चों के साथ किसी के घर जाते हैं और वहां कुछ खाने-पीने को मिलता है, तो बच्चों को सिखाएं कि हर चीज के लिए उनका विनम्रता से आभार व्यक्त करना बेहद जरूरी है। ‘धन्यवाद’ और ‘कृपया’ जैसे शब्दों का प्रयोग करना भी एक अच्छे संस्कार का हिस्सा है।
समय की पाबंदी है जरूरी
छोटे बच्चों के साथ जब आप कहीं जाएं तो इस बात का विशेष ध्यान रखें कि आप उनके घर ज्यादा देर तक न रुकें। इससे छोटे बच्चे जल्दी थक जाते हैं और उनकी थकान का दुष्परिणाम आपके साथ दूसरों को भी भुगतना पड़ सकता है। इसीलिए किसी के घर जाकर समय की पाबंदी का ध्यान अवश्य रखें और संभव हो तो जल्दी घर लौटने की कोशिश करें। कई बार दिवाली के दौरान जब आप कहीं जाती हैं तो आपके होस्ट बच्चों को गिफ्ट्स या मिठाइयां ऑफर करते हैं। ऐसे में बच्चों को सिखाएं कि वे बिना लालच दिखाए, विनम्रता से उपहार को स्वीकार करें और उन्हें धन्यवाद कहें। अगर आप किसी दूसरे समुदाय या परिवार की दिवाली पर जा रहे हैं, तो बच्चों को यह जरूर सिखाएं कि हर किसी की परंपराएं और रीति-रिवाज अलग होते हैं। ऐसे में उन्हें दूसरों की परंपराओं का आदर और सम्मान करते हुए उसकी सराहना करनी चाहिए।
बच्चों को अपनी चीजों की जिम्मेदारी लेना सिखाएं
यदि आपको लगता है कि आप जहां जा रही हैं, वहां आपको थोड़ी देर हो सकती है, ऐसे में बच्चों को व्यस्त रखने के लिए कुछ हल्की मनोरंजन सामग्री जैसे किताबें, रंग भरने वाली किताबें, या छोटे खिलौने साथ ले जाएं। इससे वे अन्य मेहमानों को परेशान किए बिना अपने में व्यस्त रहेंगे। हालांकि बच्चों को यह जरूर सिखाएं कि जो सामान वे अपने साथ ले जा रहे हैं, उसकी जिम्मेदारी उन्हें खुद उठानी है और उसे छोड़कर आने की बजाय संभालकर वापस अपने साथ लाएं। बच्चों को यह सिखाएं कि दिवाली सिर्फ त्योहार नहीं, बल्कि एक अवसर है, जिसमें हम दूसरों की मदद कर सकते हैं। अगर हो सके, तो दिवाली के मौके पर उन्हें दान देने, जरूरतमंदों के प्रति उदारता दिखाने के बारे में भी सिखाएं।
बच्चों को मेल-जोल के साथ उनकी सीमाएं समझाएं
दिवाली पर जब आप अपने दोस्त, रिश्तेदार, और परिवार जनों से मिलें तो इसमें बच्चों को भी जरूर शामिल करें। साथ ही उन्हें सिखाएं कि वे बड़ों को नमस्ते कहें और नए लोगों से घुलने-मिलने का प्रयास करें। यह उन्हें सामाजिक कौशल सिखाने का बेहतरीन तरीका हो सकता है, लेकिन उन्हें यह भी बता दें कि हर किसी के घर के नियम अलग हो सकते हैं, जैसे कुछ घरों में खेलते समय हो सकता है उनके शोर मचाने से किसी को आपत्ति न हों, लेकिन हो सकता है अन्य घरों में इसे कतई पसंद न किया जाए। ऐसे में बच्चों को पहले ही शांत रहने और अपनी सीमाओं में रहने के लिए कहें। इसके अलावा आप जहां जा रही हैं वहां बच्चों को पकवान और मिठाइयां खाने के दौरान संयमित रहना सिखाएं, जिससे वे अधिक खाने से बचें। उन्हें यह भी सिखाएं कि वे खाने के लिए मेजबान का धन्यवाद करें और जो भी परोसा जाए, उसे विनम्रता से स्वीकार कर लें।
दूसरों की भावनाओं का ख्याल रखना सिखाएं
दिवाली पर आप विभिन्न संस्कृतियों और परंपराओं वाले लोगों के घर जा सकते हैं। बच्चों को यह सिखाएं कि यह एक शानदार अवसर है नई चीजें सीखने और विभिन्न सांस्कृतिक रीति-रिवाजों का आदर करने का। उन्हें यह भी बताएं कि वे दूसरों से नए त्योहारों के बारे में सवाल पूछ सकते हैं, लेकिन सम्मानपूर्वक। यदि उनके घर में अन्य बच्चे हैं, तो बच्चों को सिखाएं कि वे एक-दूसरे के साथ अच्छे से खेलें। उन्हें बताएं कि खेलते समय दूसरे बच्चों की भावनाओं का भी ख्याल वे रखें और मिल-जुल कर खेलें। यदि कोई विवाद हो, तो संयम बनाए रखें और बेवजह की बातों को महत्व न दें और अनुशासन बनाए रखें। उन्हें यह भी सिखाएं कि दूसरे बच्चों के साथ उन्हें न सिर्फ शांत रहना है, बल्कि उन्हें दूसरों की बात भी सुननी हैं।
स्वच्छता का ध्यान रखना सिखाएं
किसी के घर जाते वक्त बच्चों को यह भी जरूर सिखाएं कि किसी भी जगह की स्वच्छता बनाए रखना बहुत जरूरी है, जैसे खाने-पीने के बाद अगर कोई चीज गिर जाए, तो उसे उठाएं और उस जगह को साफ कर दें। इसके अलावा उन्हें टाइम मैनेजमेंट सिखाते हुए यह भी बताएं कि जब वे किसी के घर जाते हैं, तो उन्हें यह बात पता होनी चाहिए कि उन्हें कब वापस लौटना है। आप चाहें तो बच्चों को पहले ही ये बता सकती हैं कि आप वहां कितने समय तक रुकेंगी, जिससे वे मानसिक रूप से तैयार रहें और वापस जाते समय कोई परेशानी न खड़ी करें। बच्चों को सिखाएं कि दिवाली पर बड़ों से बहुत कुछ सीखा जा सकता है। उदाहरण के लिए, पूजा कैसे की जाती है, दिए और दीपक जलाने की विधि, या पारंपरिक रीति-रिवाज क्या होते हैं। इससे बच्चों में सीखने और नए अनुभवों का आदर करने की भावना बढ़ेगी।
खुद पर कंट्रोल रखना सिखाएं
बच्चे आम तौर पर उत्साही स्वभाव के होते हैं, ऐसे में उन्हें खुद पर कंट्रोल रखना सिखाएं। विशेष रूप से यदि कोई पूजा या बड़ा कार्यक्रम चल रहा हो, तो वे शोर न मचाएं और सबकी भावनाओं का ख्याल रखें। बच्चों के लिए यह बात समझना बेहद ज़रूरी है कि शोर मचाने और चिल्लाने से दूसरों को परेशानी हो सकती है। इसके अलावा यह सिर्फ एक प्रोग्राम नहीं, बल्कि हमारे संस्कार और परंपराएं हैं, जिनका सम्मान उन्हें करना ही होगा। उन्हें यह भी सिखाएं कि वे न सिर्फ पूजा में शामिल हों, बल्कि कुछ नया सीखें।
हैप्पीनेस शेयर करना सिखाएं
दिवाली का असली मकसद खुशी और आनंद फैलाना है। ऐसे में बच्चों को यह जरूर सिखाएं कि वे दूसरों के साथ खुशी बांटें, फिर वो चाहे एक छोटी-सी मुस्कान हो, मिठाई हो, या किसी की मदद हो। उन्हें यह भी बताएं कि खुशियाँ बांटने से वे खुद भी खुश होंगे। इसके अलावा बच्चों के खान-पान और सेहत की जिम्मेदारी उन पर भी डालें और उन्हें बताएं कि जब उन्हें भूख लगे तभी खाएं। यदि आप एक से ज्यादा जगह जानेवाली हैं तो उन्हें यह बात पहले ही बता दें कि वे हर घर में थोड़ा-थोड़ा खाएं, जिससे वे हर घर के खाने का स्वाद चख सकें और उनका स्वास्थ्य भी ठीक रहे। बार-बार जरूरत से ज्यादा खाना सेहत के लिए हानिकारक हो सकता है।