आपकी जो सबसे अच्छी दोस्त है, मुमकिन है कि कभी आपके ऑफिस में सह कर्मचारी (कॉलीग) बन कर भी आये। कभी ऐसी स्थिति हो कि आप दोनों का ही कैंपस सेलेक्शन हुआ हो या फिर आपमें से किसी एक ने दूसरे को रिकमंड की हो। कार्यस्थल माहौल तब और खुशनुमा हो जाता है, जब दोस्त कॉलीग बन जाती हैं। खासतौर पर जब नई नौकरी और पुरानी दोस्त का साथ मिल जाए, तो ऐसा लगता है कि अनजान रास्तों में कोई अपना मिल गया हो। हालांकि कई बार दोस्ती के रिश्ते के बीच काम की जिम्मेदारी आपसी तालमेल को बिगाड़ सकती है। ऐसे में कुछ जरूरी बातें ध्यान में रखकर, आप अपने पुराने दोस्त के कलीग बनने पर भी उसके साथ अपना याराना कायम रख सकती हैं। ऐसे में कई बार ऐसा होता है कि जब आप प्रोफेशनल तौर तरीके अपनानी शुरू करती हैं, तो आपस में कई गलतफहमियां आ सकती हैं, लेकिन दूसरी तरफ आपकी दोस्त आपकी स्थिति को भी समझेगी, तो इस स्थिति के दोनों ही पहलू हो सकते हैं, आइए जानें विस्तार से।
समझेंगी एक दूसरे की खूबियों और खामियों को
एक दोस्त जब सह कर्मचारी बने, तो सबसे अच्छी बात यह होती है कि वह पहले से आपकी खुशियों और कमियों जान रही होती है, ऐसे में अचानक से आप दोनों को ही किसी भी नए माहौल में जाकर अकेला महसूस नहीं होगा, साथ ही आपको उनकी खूबियों और कमियों के बारे में सबकुछ पता होता है तो कभी जब आप कमजोर पड़ जाएं, तो बॉस की डांट से एक दूसरे को बचा सकती हैं।
दोस्ती और नौकरी को अलग-अलग रखें
कार्यस्थल पर दोस्त मिलने से काम में सहजता जरूर आ जाती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि दोस्ती का रिश्ता आपके काम के आड़े आएं। ऐसे में यह ध्यान रखना है कि किसी भी तरह से आपकी भावनाओं के कारण दोस्ती का रिश्ता प्रभावित न हो, साथ ही काम के प्रति आपकी भूमिका सौ प्रतिशत बनी रहें। मेरी दोस्त है, यह सोचकर काम को नजरअंदाज न करें, क्योंकि प्रोफेशनल स्पेस पर आपको भी अपना विकास देखना है, आगे बढ़ना है, अगर आपका काम के प्रति रवैया काफी कैजुअल होगा, यह आपके लिए नुकसानदेह साबित होगा। इसलिए अपने रिश्ते और काम को अलग-अलग रखें। साथ ही एक दूसरे को लेकर अत्यधिक पोजेसिव न हों, बल्कि एक दूसरे को दूसरे लोगों से भी घुलने-मिलने का मौका दें, सिर्फ खुद को दो लोगों में सीमित न करें।
छुट्टी के दिन सिर्फ अपनी बातें
यह एक जरूरी शर्त है, जो अपनी दोस्त बनी सह कर्मचारी के साथ आपको तय करनी चाहिए कि अब जबकि आप सिर्फ दोस्त नहीं हैं, सह कर्मचारी भी हैं, तो आपमें छुट्टी के दिन भी ऑफिस की गॉसिप या काम से संबंधित बातें न हों, इस बात पर फोकस अधिक करें कि छुट्टी के दिन आप अगर मिलेंगी तो अपने सुख दुःख और दुनिया की बातें करें, सिर्फ ऑफिस के लोग और काम तक खुद को सीमित न करें, यह भी आपके रिश्ते में बोरियत की जगह ताजगी बरकरार रखने में मदद करेगा। कोशिश करें कि आपके ऑफिस टॉक के लिए सोशल मीडिया पर अलग से एक ग्रुप बना लें।
सबके सामने बहस से बचें
ऐसा कई बार हो सकता है कि जब आप एक ही टीम में काम कर रही हैं, तो काम को लेकर बहस हो सकती है आपस में, किसी बात पर आपके मतभेद भी हो सकते हैं। लेकिन कभी भी दूसरों का इसका फायदा उठाने नहीं दें, किसी और के सामने बहस से बचें, क्योंकि इससे सामने वाले को आपका मजाक बनाने और एक दूसरे में फूट डालने का मौका न दें। आपस में ही मामलों को सुलझाएं। अपने बीच किसी तरह की गलतफहमी न आने दें।
आलोचना के लिए तैयार रहें
ऐसा मुमकिन है कि आपकी दोस्त ऑफिस में आपकी बॉस बन जाए या आप उनकी जूनियर बनें, ऐसे में अगर सीनियर के लिहाज से उन्होंने आपको कुछ समझाया या कमियां गिनवायीं, तो आलोचना को सकारात्मक तरीके से लें। लेकिन सीनियर बनीं दोस्त को भी इस बात को महसूस करना होगा कि आलोचना के नाम पर उन्हें बार-बार नीचा न दिखाएं या फिर बेवजह उन्हें हर बात पर न टोकें। उन्हें एक अपना स्पेस भी दें। वहीं जूनियर बनीं दोस्त को भी इस बात का पूरा ख्याल रखना चाहिए कि वह अच्छी बातों को सीखने की कोशिश करें, यह न समझें कि उनकी दोस्त सीनियोरिटी दिखाने की कोशिश कर रही हैं। अगर वह आपको कम काम करने को दे रही हैं, तो यह भी हो सकता है कि वह आपको पैम्पर करने की कोशिश कर रही हैं। इस बात को अन्यथा न लें कि वह आपको नए काम में शामिल नहीं करना चाहतीं। बेवजह फोमो वाली फीलिंग न लाएं।
एक दूसरे के इस नए रिश्ते को समय दें
आप भले ही अपनी सहेली को लंबे समय से जानती होंगी और आपको लगता हो कि आप एक दूसरे के बारे में सबकुछ जानती हों, लेकिन सच्चाई यही है कि आप सबकुछ नहीं जानती हैं, हरेक माहौल के अपने तौर-तरीके होते हैं और वैसे में हर इंसान अलग तरह से बिहेव कर सकता है। इसलिए एक दूसरे को इस माहौल में ढलने देने के लिए समय दें, ताकि आपका रिश्ता और परिपक्व हो।