बच्चों को शॉपिंग पर ले जाना कई बार पैरेंट्स के लिए आफत बन जाती है, लेकिन आप चाहें तो बच्चों को शॉपिंग के कुछ तरीके सिखाकर इसे मजेदार बना सकती हैं। आइए जानते हैं बच्चों के लिए शॉपिंग के कुछ सलीकों के साथ कुछ तरीके।
धैर्य के साथ सही निर्णय लेना सिखाएं
शॉपिंग के लिए जिस चीज की सबसे ज्यादा जरूरत होती है, वो है धैर्य की, जो बच्चे अपने माता-पिता से सीखते हैं। अगर आप शांति और धैर्य से शॉपिंग करेंगी, तो बच्चे भी वही आदतें अपनाएंगे। आपको शांति से बात करते, बिना गुस्से के निर्णय लेते, और सौदेबाजी करते देखना उनके लिए सीखने का एक अच्छा अनुभव हो सकता है। ऐसे में बच्चों को शॉपिंग के दौरान धैर्य रखना सिखाएं। उन्हें लाइन में खड़ा रहना, अपनी बारी का इंतजार करना, और बिना चिड़चिड़ाहट के शॉपिंग करना बताएं। उन्हें यह भी बताएं कि वहां पर उन्हें कैसे व्यवहार करना चाहिए। उदाहरण के तौर पर, वे बिना पूछे चीजों को न उठाएं, किसी तरह की उग्रता न दिखाते हुए शांति से बात करें और दूसरों के लिए जगह बनाएं। संभव हो तो शॉपिंग पर जाने से पहले एक सूची तैयार करें और बच्चों को उस सूची के अनुसार काम करने को कहें। इससे उन्हें जरूरत और इच्छाओं के बीच का फर्क समझने में मदद मिलेगी। इसके अलावा उन्हें चीजों के दाम, गुणवत्ता और जरूरतों के बारे में भी बताएं, जिससे उन्हें पता चले कि सस्ती या महंगी चीजें हमेशा सही चुनाव नहीं होतीं।
उनकी मदद लें और बदले में प्रशंसा दें
जब आप बच्चों के साथ शॉपिंग पर जाएं तो उनके अंदर मदद की भावना का निर्माण करने के लिए उनसे छोटी-छोटी मदद लेते हुए उन्हें जिम्मेदारियां दें, जैसे कि उनसे सामान उठाने को कहें या बिलिंग के दौरान मदद करने को कहें। इससे उन्हें शॉपिंग का व्यावहारिक पहलू समझ में आएगा। हां, शॉपिंग के दौरान बच्चों के अच्छे व्यवहार पर उनकी तारीफ करना या उनकी प्रशंसा करना न भूलें। संभव हो तो आप उन्हें चॉकलेट या उनकी पसंद की कोई चीज दिलाकर उन्हें पुरस्कृत भी कर सकती हैं। इससे उन्हें पता चलेगा कि वे सही दिशा में हैं और उनके अंदर सीखने की ललक जगेगी। हालांकि बच्चों को उनकी पसंद की कोई चीज दिलाते वक्त उनके लिए सीमाएं जरूर तय करें, लेकिन चुनाव की जिम्मेदारी उन्हें दें। इससे उनके अंदर जिम्मेदारी के साथ अनुशासन का भाव भी आएगा। हां, यदि संभव हो तो छोटे बच्चों के लिए शॉपिंग की अवधि कम रखें, जिससे वे बोर न हों और एक्टिव रहें। इससे आपको भी परेशानी नहीं होगी।
उनकी प्राथमिकता तय करते हुए उन्हें फाइनैंस से जुड़ी जानकारी दें
बड़ों के साथ, बच्चों के लिए भी पैसों का मोल समझना बेहद जरूरी है और इसके लिए आपको चाहिए कि उन्हें आप ये बताएं कि आप सब कुछ नहीं खरीद सकती। आम तौर पर पैरेंट्स बच्चों की जब हर जरूरतें पूरी करते हैं तो उन्हें लगता है उनके पैरेंट्स उनके लिए सब कुछ खरीद सकते हैं। उन्हें इस बात का एहसास दिलाएं कि आप उन्हें वही चीजें दिलाएंगी, जो जरूरी है। ऐसे में वे भी जरूरत और प्राथमिकताओं को महत्व देते हुए जरूरतों और और चाहतों में अंतर करना सिख जाएंगे और उसी के अनुसार अपनी जरूरतें तय करेंगे। इसके अलावा उन्हें एक बजट बनाकर चीजों की तुलना करते हुए डिस्काउंट या ऑफर का सही उपयोग करना भी सिखाएं, जिससे वे पैसों का सही उपयोग करना सीखें। संभव हो तो शॉपिंग के दौरान छोटे-छोटे खेल खेलें, जैसे ‘कौन पहले अपनी लिस्ट पूरी करेगा?’ या ‘सबसे सस्ता और अच्छा सामान कौन खोजेगा?’ इससे बच्चों का मन शॉपिंग में लगा रहेगा और वे शॉपिंग को एक मस्ती भरे काम के रूप में देखेंगे। हालांकि उनकी एनर्जी बनाए रखने के लिए जरूरी है कि शॉपिंग का समय ऐसा रखें जब वे ताजगी महसूस कर रहे हों, जिससे वे बिना चिड़चिड़ाहट के आपकी सारी बातें मानें।
अपने निर्णय में उन्हें भी शामिल करें
शॉपिंग के दौरान अपने साथ-साथ बच्चों की भावनाओं और पसंद-नापसंद को भी महत्व दें और उन्हें अपने निर्णय में शामिल करें, लेकिन उन्हें यह भी सिखाएं कि हर निर्णय एक पारिवारिक निर्णय होता है। इससे वे दूसरों की राय का सम्मान करना और सामूहिक रूप से फैंसले लेना और सही फैंसला लेना सीखेंगे। कई बार बच्चे ज्यादा या इतनी महंगी चीजें मांग लेते हैं, जो हो सकता है आपकी जेब से बाहर हो, लेकिन वे जिद करने लगते हैं। ऐसे में बिना किसी तमाशा के या बच्चे को लोगों के सामने मारने की बजाय धैर्य रखते हुए उन्हें 'ना' कहना सिखाएं। अगर कोई चीज आपकी बजट या जरूरत में नहीं आती, तो उन्हें शांति से समझाएं कि इस बार हम इसे क्यों नहीं खरीद सकते। इससे वे संयम के साथ आपके फैंसलों का सम्मान करना भी सीखेंगे। अगर आप भीड़ भरे इलाके में शॉपिंग कर रहे हैं, तो बच्चों को सुरक्षा के बारे में भी सिखाएं, जैसे कि वे आपके पास ही रहें, अजनबियों से दूरी बनाए रखें और यदि खो जाएं तो क्या करें।
जरूरतों की सीमा बांधते हुए सामाजिकता सिखाएं
सम्मान सिर्फ अपनों के लिए नहीं होता, बल्कि वो उस हर शख्स के लिए होता है, जो आपके संपर्क में आता है। ऐसे में शॉपिंग के दौरान बच्चों को दुकानदारों और अन्य लोगों के साथ अच्छे व्यवहार का महत्व बताते हुए उन्हें सबका सम्मान करना सिखाएं। विशेष रूप से जरूरत पड़ने पर ‘थैंक यू’, ‘सॉरी’ और ‘प्लीज’ जैसे मैजिकल शब्दों का इस्तेमाल करना जरूर सिखाएं। इसके अलावा उन्हें यह भी सिखाएं कि कोई भी चीज खरीदने से पहले उसके फायदे और नुकसान पर विचार जरूर कर लें। बच्चों को स्वयं पर नियंत्रण रखने का महत्व सिखाएं। उन्हें यह बताएं कि हर बार उनकी सभी इच्छाओं को पूरा करना जरूरी नहीं होता, और कभी-कभी ‘न’ कहना उनके लिए भी अच्छा होता है। शॉपिंग के दौरान बच्चों को शिष्टाचार, धैर्य, और सही फैसले लेने की शिक्षा देकर आप न सिर्फ उन्हें अच्छा नागरिक बनने में मदद करेंगी, बल्कि उनके आत्मविश्वास और सामाजिक कौशल को भी विकसित करेंगी।
कीमती चीजों से दूर रहते हुए चीजों को व्यवस्थित रखना सिखाएं
शॉपिंग के दौरान बच्चों को इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस से जितना हो सके दूर रखें, जिससे उनका पूरा ध्यान शॉपिंग और आपकी गतिविधियों पर हो। इससे वे शॉपिंग के अनुभव को बेहतर ढंग से समझ सकेंगे। अक्सर बच्चों को चीजें छूने की आदत होती है और वे एक जगह से चीजें उठाकर दूसरी जगह रख देते हैं। हालांकि ये आदत बच्चों के साथ बड़ों में भी देखी गई है, लेकिन जब आप बच्चों को शॉपिंग पर ले जाएं, तो उन्हें चीजों को वापस उसी स्थान पर रखने की आदत सिखाएं। इससे वे सीखेंगे कि सामान को व्यवस्थित रखना बहुत जरूरी है। इसी के साथ शॉपिंग के दौरान उन्हें उनके अच्छे व्यवहार के लिए इनाम के तौर पर उनकी पसंद की कोई चॉकलेट या छोटा सा खिलौना भी आप दिला सकती हैं। इससे वे अच्छे व्यवहार के लिए प्रोत्साहित होंगे। इसके अलावा यदि आप चाहते हैं कि बच्चे चुनाव करना सीखें, तो उन्हें कुछ सीमित विकल्पों में से चुनाव का मौका दें। इससे वे अपने चुनाव को लेकर आत्मविश्वासी बनेंगे।
शॉपिंग को एक परिवारिक गतिविधि बनाएं
शॉपिंग को शॉपिंग की बजाय एक फैमिली आउटिंग बनाना, बच्चों से बातचीत करने, उनकी पसंद और नापसंद को समझने और उनसे अपनी बॉन्डिंग मजबूत करने का सबसे बढ़िया तरीका है। यदि शॉपिंग के दौरान वे सौम्यता और विनम्रता से पेश आने की बजाय गलत व्यवहार करते हैं, तो उन्हें उनके व्यवहार के नतीजों के बारे में बताएं, जैसे यदि वे किसी से बदतमीजी करते हैं या धक्का-मुक्की करते हैं, तो उनकी कोई बात नहीं मानी जाएगी। उन्हें सिखाएं कि किसी भी वस्तु को खरीदते समय उसकी कीमत, ब्रांड या खूबसूरती के अलावा उसका टिकाऊ और उपयोगी होना जरूरी है। हो सके तो शॉपिंग के बाद बच्चों के साथ शॉपिंग के अनुभवों पर चर्चा करें। इससे वे न सिर्फ अपनी गलतियों से सीखेंगे, बल्कि भविष्य में भी गलतियों से दूर रहेंगे। बच्चों को यह भी सिखाएं कि जैसे हर काम का एक तय वक्त होता है, उसी तरह शॉपिंग के लिए भी एक तय और सीमित वक्त होता है और हमें इसी दौरान सारे काम निपटाने होते हैं। ऐसे में वे अनुशासन के साथ टाइम मैनेजमेंट भी सीखेंगे।