गर्भ में पल रहे बच्चे के साथ मां का अटूट बंधन बच्चे के जन्म से पहले बन जाता है और फिर नवजात बच्चे के साथ मां एक नहीं बल्कि कई तरह से अपने बच्चे के साथ रिश्ते को और भी मजबूत कर सकती है। अक्सर ऐसा होता है कि नए माता-पिता के लिए नवजात बच्चे के साथ संबंध बनाना थोड़ा मुश्किल होता है। जानकारों का मानना है कि नवजात बच्चे के साथ माता-पिता का संबंध उनके पूर्ण विकास के लिए जरूरी होता है। बच्चे के साथ भावनात्मक और शारीरिक जुड़ाव बनाये रखना जरूरी है। अगर आप अपने बच्चे के साथ संबंध अच्छा बनाना चाहती हैं, तो इसके लिए आप जरूरी टिप्स अपना सकती हैं। आइए जानते हैं विस्तार से।
त्वचा से बनाएं संपर्क
बच्चे जन्म से पहले मां के गर्भ में त्वचा के संपर्क में रहते हैं, ऐसे में पैदा होने के बाद भी मां और बच्चे की पहचान का एक नाता त्वचा के संपर्क से जुड़ा रहता है। मां बच्चे के साथ अपना रिश्ता मजबूत बनाने के लिए और उससे लगाव बढ़ाने के लिए बच्चे को अपनी बाहों में पकड़ें और उसे अपने सीने के पास रखें। इससे बच्चे की दिल की धड़कन और सांस का नियंत्रण भी रहेगा। इस तरह, एक तरफ, जहां माता-पिता बच्चे से संपर्क बना पाते हैं, ठीक इसी तरह बच्चा भी अपने माता-पिता से जुड़ पाता है।
करें बातचीत शेयर करें अपनी बात
यह भी जरूरी है कि आप अपने बच्चे के साथ अपनी बात को शेयर करें। आप यह मत सोचें कि बच्चा आपकी बात समझ पा रहा है नहीं। आपको केवल बच्चे के साथ अपने हर दिन की बातें साझा करनी है। आपको उन्हें यह बताना है कि कैसे आपका दिन व्यतीत हो रहा है और आप इस वक्त बच्चे के साथ कैसा महसूस कर रही हैं। अगर आप अपने दफ्तर जा रही हैं, तो वहां से आने के बाद अपने ऑफिस से जुड़ी बातचीत को भी बच्चे के साथ साझा करें। आप बच्चे के साथ बातचीत को इस तरह समझें कि किसी कोरे पन्ने पर आप अपने लिए सेल्फ डायरी लिखती जा रही हैं। इससे आपका भी मन हल्का होगा और बच्चे के साथ आपका रिश्ता भी मजबूत होगा।
पीठ को सहलाएं और करें प्यार
यह बहुत जरूरी है कि आप अपने बच्चे को प्यार से सहलाएं। आप उनके बाल या फिर पीठ पर सहलाते हुए अपना ममता का स्पर्श बच्चे तक पहुंचा सकती हैं। कई बार यह होता है कि जैसे ही बच्चा आपकी गोदी में सो जाता है, उसके बाद आप उसे बिस्तर पर सुला देती हैं। लेकिन ऐसा तुरंत न करें। जब भी आपका बच्चा आपकी गोदी में सो जाता है, तो उसे कुछ देर के लिए आपकी गोदी में ही रहने दें। आप सबसे पहले बच्चे को गोदी से उठाकर छाती पर रख दें और फिर उसकी पीठ को धीरे-धीरे सहलाएं। ऐसा करने से बच्चे को अच्छी नींद आती है और उसका जुड़ाव भी माता-पिता के साथ बनता है।
रोने का समझें मतलब
कई बार हम बच्चे के रोने का मतलब नहीं समझ पाते हैं। अपनी तकलीफ बताने का जरिया बच्चों के पास रोने से ही जुड़ा होता है। कई बार बच्चों के रोने के कई कारण होते हैं, जैसे कि भूख, थकावट, परेशानी और अन्य तरह की समस्याएं हो सकती हैं। कई बार बच्चा नींद पूरी न होने के कारण भी रोते हैं। ऐसे में बच्चों के रोने का मतलब समझें, हालांकि यह आपके लिए भी मुश्किल हो सकता है। लेकिन कोशिश करें अपने बड़ों की या फिर डॉक्टर से इस बारे में सलाह लें।
खेलने से रिश्ते होंगे मजबूत
बच्चों का ध्यान रखने के साथ उनके साथ खेलना भी बहुत जरूरी होता है। आपको अपने बच्चे के साथ खेलना भी होगा। उनके तरह-तरह के खिलौनों के बीच आपको भी बच्चा बनना पड़ेगा। यह जान लें कि एक शिशु के लिए मां की आवाज से सुकून भरा कुछ नहीं होता है। इसलिए बच्चे को लोरी या फिर अपना कोई पसंदीदा गाना सुनाएं। उनके साथ किसी अच्छे म्यूजिक पर डांस करें और इसी के साथ बच्चे के साथ अपना रिश्ता मजबूत करें।