मां दुर्गा के दस दिनों के अवसर में अष्टमी का दिन बेहद खास माना जाता है। खासतौर से इस दिन महिलाएं, मां देवी को पुष्पांजलि के साथ-साथ साड़ियां अर्पित करती हैं और फिर साल भर उसी साड़ी को मां के प्रसाद के रूप में पहनती हैं, वहीं उत्तर भारत, पंजाब, बिहार, झारखंड और उत्तराखंड में इस दिन देवी मां के रूप में 9 कन्याओं को खिलाने की भी परंपरा है। कई जगहों पर अष्टमी से लेकर नवमी तक देवी दुर्गा के रूप में अपने आस-पड़ोस की छोटी उम्र की लड़कियों को बुला कर, केले के पत्ते में खाना भी खिलाया जाता है और उनके पैर भी धोये जाते हैं और उपहार स्वरूप भी कुछ न कुछ दिया जाता है। आपसी सदभावना से लेकर सामूहिक प्यार को बढ़ाने का यह पर्व एक खास मौका होता है, लेकिन इसके साथ ही साथ यह पर्व यह भी संदेश दे जाता है कि केवल दुर्गा पूजा में ही नहीं, पूरे साल में बेटी का मान घर में बढ़े, इसकी कोशिश होती रहनी चाहिए। ऐसे में हम आपसे बस यही कहना चाहते है कि आपके परिवार के महिला सदस्यों का मान बढ़ाने के लिए आपको बस कुछ छोटी बातें अपनानी हैं।
घर में बेटे से ज्यादा बेटी को करें पैम्पर
आपको इस बात का शायद ख्याल न रहे, लेकिन अगर आपके घर में बेटे और बेटी दोनों हैं और उनमें किसी भी तरह का भेदभाव होगा, तो निश्चिततौर पर बेटी के मन में यह बात आ ही जाती है। खुद आईएइस हर्षिका सिंह ने यह बात स्वीकारी है कि उन्हें बचपन से ही अपने घर में अपने भाई से अधिक सम्मान और प्यार मिला है और इसकी वजह से वह जिंदगी में कुछ कर पायी हैं, इसलिए बेहद जरूरी है कि बेटियां बचपन से ही चीजों को गौर करती हैं और वे अधिक इमोशनल भी होती हैं, उन्हें अगर यह नजर आएगा कि उनके साथ भेदभाव हो रहा है, तो बचपन से ही उसका कॉन्फिडेंस लूज होता रहेगा। इस वक्त भेलोर में मेडिकल क्षेत्र में पढ़ाई कर रहीं राजश्री अमृत तो बताती हैं कि अगर उनके घर पर लौटने का वक्त तय था, तो उनके भाई के लिए भी तय था, उन्होंने अपनी परवरिश में कभी दोतरफा महसूस नहीं किया है, बल्कि उनके लिए हमेशा भाई से अधिक महंगे कपड़े ही आते थे, इसका असर यह रहा है कि वह आज खुद को किसी से कम नहीं आंकती हैं और बेहद आत्म-विश्वास के साथ रहती हैं।
को-एजुकेशन में पढ़ने दें
कई माता-पिता के जेहन में यह भी बात आती है कि वह बेटियों को ओनली गर्ल्स स्कूल में दाखिला दिलवाते हैं। मैं अपने बचपन की बात करूं तो मुझे याद है कि मैंने बारहवीं की पढ़ाई जिस स्कूल से पूरी की थी, उस स्कूल में मेरे सेक्शन में केवल चार लड़कियां और 30 लड़के थे, पापा को कई लोगों ने मना किया था कि मुझे ऐसे स्कूल में दाखिला न दिलाएं, लेकिन पापा ने यही कहा था कि उसके आत्म-विश्वास के लिए उसे हर माहौल में रहना और देखना जरूरी है। दरअसल, यह सच है कि आप जब हर तरह के लोग और माहौल से बचपन से वाकिफ रहेंगी, तभी आपमें आगे चल कर, हर तरह की स्थिति के लिए खुद को तैयार करने की क्षमता आएगी, इसलिए यह जरूरी है कि को-एजुकेशन में लड़कियों को पढ़ने दें, इससे उनमें आत्म-विश्वास भी बढ़ेगा और वह खुद ही तय कर पाएंगी कि उन्हें क्या नहीं करना है और क्या करना है।
करियर चुनने की आजादी
इसके बावजूद कि वर्तमान दौर में परिवारों ने लड़कियों को अपने पसंद के करियर को लेकर आगे बढ़ने के मौके दिए हैं। लेकिन अब भी कई प्रोग्रेसिव सोच विचार वाले परिवारों में अगर किसी लड़की ने धारा से विरुद्ध होकर चलने वाले किसी करियर को चुना, तो अब भी काफी मतभेद होते रहते हैं, ऐसे में यह बेहद जरूरी है कि उन्हें अपने करियर को चुनने का हक उन्हें ही दें, अगर विफल भी हुईं तो उनके अनुभव अपने होंगे।
शादी के लिए पढ़ाई के लिए निवेश
यह एक महत्वपूर्ण कदम है, जो हर पेरेंट्स को अपनी बेटियों के लिए लेना चाहिए, जिस दिन से उनका जन्म हों, उनके नाम पर निवेश करना शुरू करें, ताकि जब वह बड़ी हो जाये तो शादी करने के लिए नहीं, बल्कि अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए एक अच्छा अवसर चुन सकें, जब वह बेहतर कुछ अपने जीवन में कर लेंगी, तो शादी तो हो ही जायेगी, तो अपनी बेटियों को बचपन से ही कंडीशन करें कि वह अपने करियर पर फोकस करें।
धर्म निरपेक्ष बनाएं
वर्तमान दौर में यह बेहद जरूरी है कि अपने घर के बच्चों के सामने, खासतौर से बेटों के सामने धर्म को लेकर किसी भी तरह की बहस न छेड़ें, उनके सामने लड़कियों के अपमान वाली बातें न करें, इससे वह आगे चल कर एक अच्छे इंसान तो बनेंगे ही, हर धर्म, हर इंसान और हर लड़की का सम्मान करना सीखेंगे।