बच्चों को हम बच्चा समझते हैं और किसी के भी सामने कुछ भी बोल देते हैं या उसकी किसी बात पर भी कैसे भी बर्ताव कर देते हैं, हमें लगता है कि हमारी जैसी ट्रेनिंग रही है या हमें जैसी पेरेंटिंग मिली है, हमें अपने अगले जेनरेशन में भी ठीक उसी तरह से पेरेंटिंग करनी चाहिए, ऐसा सोचना सही नहीं है, क्योंकि दौर के साथ पेरेंटिंग के स्टाइल को बदलना भी जरूरी है, तो आइए जानें कैसे एक उम्र के बाद बदलनी चाहिए आपको पेरेंटिंग।
सोच को बदलें
कुछ महीने पहले की बात है, करीबी जानने वालों ने यह बात शेयर की कि उनके बेटे को उन्होंने सोशल मीडिया पर किसी लड़की के साथ चैटिंग करते हुए पकड़ लिया था, फिर उस बच्चे के पापा ने फोन तो तोड़ा ही, साथ ही कई लोगों से उसकी बुराई भी की, उस बच्चे ने बाद में इस बात का जिक्र अपनी मौसी, जिससे वह काफी करीबी है, उससे शेयर किया कि उसे यह बातें अच्छी नहीं लग रही हैं कि उसके पेरेंट्स सबके सामने ये बातें कर रहे हैं, दरअसल, परेशानी यही है कि हम इस बात को समझ पाने में असमर्थ रहने लगे हैं कि पहले के जमाने की पेरेंटिंग के तौर तरीकों में बदलाव करना जरूरी है। इसके लिए अगर आप छोटे-छोटे भी बदलाव करती हैं, तो इससे बड़ा फर्क पड़ता हो।
ओवर रिएक्ट करना बंद करें
एक्सपर्ट्स भी ये बातें मान रहे हैं कि बच्चों में इन दिनों धैर्य की कमी हो रही है, ऐसे में अगर उन्हें कुछ समझाना है तो उनके साथ इस तरह से बर्ताव नहीं करना चाहिए कि उनकी अगर कोई गलती आपको दिख भी जाये, तो इस पर आप ओवर रिएक्ट कर दें। इससे बच्चे को आपसे कोई भी बात शेयर करने में तकलीफ होगी और फिर धीरे-धीरे वह अपनी बातें छुपाने लगेंगे। फिर आप कुछ दिनों में उनसे शिकायत करने लगेंगे कि आपके साथ वे अच्छा नहीं कर रहे हैं। जबकि आपको समझने की जरूरत है कि आप अपने बच्चों पर ओवर रिएक्ट न करें।
समझें बच्चे की उम्र को
यह समझना बेहद जरूरी है कि आपके बच्चे की सही उम्र क्या है और आपका बच्चा जब छोटा था, तब और अब में फर्क है, वे उम्र के साथ कई बदलाव से गुजरेंगे, तो हर समय एक जैसी पेरेंटिंग हो ही नहीं सकती है, आपको समय के साथ बदलना ही होगा और आपको इसके लिए सोचने समझने की जरूरत है, खुद आपको आपकी पेरेंटिंग के स्टाइल में बदलाव की जरूरत है, मारपीट और डांट फटकार से पहले के बच्चे मान भी जाते थे, अब चीजें बदल चुकी हैं, आपको उनके साथ दोस्त बनना जरूरी है।
दूसरों के सामने न डांटें, न मजाक बनाएं
इस बात को भी जेहन में रखना जरूरी है कि अपने ही बच्चे का कई बार आप दूसरे के सामने मजाक बनाते हैं, कोई ऐसी बात कर जाते हैं, जो आपको पता भी नहीं होता है कि वे बातें दूसरे के सामने करनी चाहिए या नहीं, साथ ही कभी किसी बात के कारण आप डांट भी लगा देते हैं अपने बच्चे को दूसरे के सामने, यह सोच कर कि क्या हुआ बच्चा या बच्ची ही तो है, लेकिन आपको ऐसा नहीं करना है, ये बातें भी आपके बढ़ते बच्चे के मन में घर कर सकती है, इसलिए सबसे सामने बच्चे को डांटने की कोशिश न करें, कुछ ऐसा महसूस भी हो तो बाद में उन्हें अकेले में बताएं।
दीजिए स्पेस
कई पेरेंट्स बढ़ते हुए बच्चे के साथ उन्हें स्पेस देने की भी कोशिश नहीं करना चाहते, उन्हें लगता है कि इसकी क्या ही जरूरत है, ये स्पेस सिर्फ उनका फिजिकल नहीं, मेंटल स्पेस भी हो सकता है, आपको ऐसा लगता है कि जैसे बचपन में वे आपको सारी बातें आकर कहते रहते थे, आगे भी करें, लेकिन एक उम्र के बाद उन्हें अपना निजी स्पेस चाहिए होता है और उन्हें वो मिलना ही चाहिए, उसमें बेवजह घुसना, आपके बच्चों को आपसे दूर कर सकता है, तो इन बातों को भी ध्यान में रखना जरूरी है।