अक्सर माता-पिता की यह परेशानी रहती है कि बच्चे उनकी बात नहीं सुनते हैं। खासकर जब बात पढ़ाई छोड़ खेलने की हो या फिर टीवी या मोबाइल में व्यस्त रहते हुए खान-पान पर ध्यान नहीं देने की हो, बच्चों को संभालना माता-पिता के लिए सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य हो जाता है। कई बार ऐसा होता है कि आपकी थकान, परेशानी और झल्लाहट का सामना बच्चों को करना पड़ता है, खासकर उस दौरान जब बच्चे आपकी बात नहीं सुनते हैं। आइए विस्तार से जानते हैं कि कैसे आप आसान से टिप्स के जरिए अपने बच्चे के बात न सुनने वाली आदत को कम कर सकती हैं।
बच्चों का ध्यान दूसरी तरफ करें
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बच्चें अक्सर आपकी बात तब नहीं सुनते हैं, जब आपसे अधिक उन्हें कोई और चीज पसंद आती है। ऐसे में आपको सबसे पहले बच्चों का ध्यान अपनी तरफ करना होगा। जाहिर-सी बात है कि जब बच्चे आप पर ध्यान देंगे तभी आपकी बात सुनेंगे। आप बच्चों के साथ उनकी पसंद के खेल खेलें या फिर उनकी दिलचस्पी से जुड़े हुए कार्य करें। बच्चों से बात करने के दौरान चिल्लाने के हालात न पैदा करें। जब भी बच्चों से बात करें, तो उनके पास बैठकर उन्हें समझाने की कोशिश करें। जब भी बच्चा आपके पास अपनी कोई बात लेकर आता है, तो उस पर पूरी ध्यान दें। इससे बच्चों के मन में यह भावना आएगी कि उनकी बात कोई सुन रहा है और इसी तरह बच्चे भी आपकी बात सुनेंगे, क्योंकि बच्चे जैसा देखते हैं वैसा ही करते हैं।
बच्चों के साथ न में नहीं हां में बात करें
बच्चों को किसी चीज से दूर रखने के लिए हम बार-बार न शब्द का इस्तेमाल करते हैं। हम बच्चों से कहते हैं कि उस सामान को नहीं छूना है। बाहर खेलने नहीं जाना है। मोबाइल गेम खेलने के लिए नहीं लेना है। इस तरह हर बार न बोलने की भावना बच्चों के मन में नकारात्मक भावना को पैदा करती है। बच्चों को लगता है कि उन्हें हर काम के लिए इंकार किया जा रहा है। उनकी बात नहीं सुनी जा रही है। इसलिए जब भी बच्चों को कोई बात समझानी हो या फिर उन्हें किसी चीज के लिए इंकार करना है, तो ऐसे दौरान आप उन्हें यह कह सकती हैं कि हम थोड़ी देर में बाहर खेलने जायेंगे या आप पढ़ाई करने के बाद खेलने चले जाना। आप किसी काम के लिए उन्हें मना करने के बजाय दूसरे काम का पर्याय दे सकती हैं।
बच्चों को खुद के साथ रखें व्यस्त
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कई बार बच्चे एक ही तरह की क्रिया करते हुए ऊब जाते हैं, ऐसे में अपनी मनमानी करना शुरू कर देते हैं। आप अपने साथ बच्चे को व्यस्त रख सकती हैं। आप अगर किचन में कोई काम कर रही है, तो उनकी मदद ले सकती हैं। अगर आप किताब पढ़ रही हैं, तो बच्चे को भी प्रोत्साहित करें कि साथ में पढ़ाई करते है। अगर आप बाजार जा रही हैं कोई सामान खरीदने, तो इसमें भी आप बच्चे की सहायता मांग सकती हैं। इससे आप दोनों के बीच का रिश्ता भी मजबूत होगा।
बच्चों को वक्त दें
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बच्चों को वक्त देना भी बहुत जरूरी है, ताकि आपकी बात सुनी जा सके। जब भी आप बच्चों को कोई बात समझाती हैं, तो उसे थोड़ा समय दें। समय देने पर बच्चे आपकी बात धीरे-धीरे समझने की कोशिश करेंगे। आप यह उम्मीद न करें कि एक बार बोलने के बाद बच्चा आपकी बात को समझ लें। बच्चों को कई बार बात समझाने के लिए बच्चा बनना पड़ता है। वक्त देने से बच्चे आपकी भावनाओं को भी समझेंगे।
तुलना न करें और उम्मीद भी नहीं
कभी भी अपने बच्चे की तुलना किसी दूसरे बच्चे से न करें। ऐसा करने से बच्चों में नकारात्मक भावना उत्पन्न होती है। उनका स्वभाव जिद्दी हो जाता है। आप उनसे यह न कहें कि पड़ोस का बच्चा खेलने नहीं जा रहा है, तो आपको भी नहीं जाना है। आपकी इस तरह की प्रतिक्रिया बच्चों को विरोधी बना सकती है। दूसरों की बजाय बच्चों की तुलना उनके पिछले किसी सही काम से करें। आप यह कह सकती हैं कि कल तुमने जैसे पेंटिंग बनाई थी, ठीक उसी तरह आज भी अच्छी पेंटिंग साथ में बनाते हैं। इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ता है।