कई बार ऐसा होता है कि आपके बच्चे मानसिक रूप से इसलिए मजबूत नहीं बन पाते हैं कि हम कई बार उन्हें कई चीजों से रूबरू कराना पसंद नहीं करते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे बच्चों के मानसिक स्तर का विकास किया जा सकता है।
फ्लो के साथ जाने की कोशिश करें
हर समय भविष्य की चिंता करना अच्छा नहीं होता है। आपको कई बार भविष्य की चिंता नहीं करनी चाहिए और अपने बच्चों को भी इस चीज से बचाने के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए। बजाय इसकी कि भविष्य की चिंता में अपना पूरा समय व्यर्थ कर दिया जाए, कोशिश करें कि एक तकनीक बच्चों को जरूर सीखा दी जाए, जी हां, हमेशा यही कोशिश करें कि गोइंग विथ द फ्लो वाली तकनीक पर चलें और बच्चों को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करें, क्योंकि इससे बच्चे हमेशा अपने भविष्य में बेहतर ही करेंगे और हमेशा आज में जीते हुए अपने आज यानी वर्तमान को बेहतर बनाने की कोशिश करेंगे। अपने बच्चे को यह समझाने और सीखाने की कोशिश करें कि सब कुछ उनकी इच्छा के मुताबिक नहीं होगा। उन्हें जीवन में लचीलेपन वाले रवैये की आवश्यकता सिखाएं। यह लचीला यानी कहीं भी एडजस्ट होता या कहीं भी कैसे भी गुजारा करने वाला रवैया उन्हें जीवन की सभी कठिनाइयों से आसानी से तालमेल बिठाने में मदद करेगा। इसलिए यह करना बेहद जरूरी है।
भावनाओं को दबने नहीं दें
एक और चीज जो आपके बच्चों को बहुत स्ट्रांग और मजबूत बनाएगी कि आपको अपने बच्चों की भावनाओं को कभी भी दबने नहीं देना चाहिए और न ही उन्हें दबाने की कोशिश करनी चाहिए कि अभी तो तुम छोटे हो, मत बढ़-चढ़ कर बातें करो या ऐसी कोई भी बात करनी पसंद नहीं आएगी आपके बच्चों को और धीरे-धीरे जब वे मन में बातें दबाते जाएंगे, तो कहीं न कहीं यह उनके बर्ताव में भी नजर आएगा और कहीं न कहीं वह इमोशनल रूप से कमजोर भी पड़ने लग सकते हैं, इसलिए उन्हें मौका दें कि वे खुद खुल कर बातें करें और अपनी बातों को रखें और आगे बढ़ने की कोशिश करें। इस बात का ध्यान आपको ही तो रखना है कि कैसे आपके बच्चे अपनी भावनाओं को व्यक्त करना जान लें और सीख लें और अपनी बातों को मन में दबाकर कभी न रखें। जब वे अपने को व्यक्त करने में सक्षम होते हैं, तो वे कोई ग़लत रास्ता इख़्तियार नहीं करते हैं, लेकिन अगर वे ऐसा करने में असक्षम हो जाते हैं, तो इनके परिणाम बुरे होते हैं और इससे बड़े होने पर वे भावनात्मक रूप से कमजोर होते हुए चले जाते हैं।
अपने बच्चों को अपने डर के बारे में बताने दें
यह भी बेहद जरूरी है कि अपने बच्चों को डर के बारे में बताने का मौका अच्छी तरह से दें, अगर आपके बच्चे को यह आदत हो जायेगी कि उन्हें किन बातों से डर लग रहा है, वह इस बात को भी दिमाग में रखेगा, तो भविष्य में कोई भी जोखिम लेने से डरेगा या ऐसी चीजों से डरेगा, जिससे डरने की उसको कोई जरूरत ही नहीं थी। इसलिए बचपन से ही उन्हें अगर फीयरलेस या निडर बनाना चाहती हैं, तो पहले समझें कि उन्हें किन चीजों से डर लग रहा है, किन चीजों से नहीं और किस तरह से अपने डर पर काबू पा सकते हैं। साथ ही एक और बात का खास ख्याल रखें कि अगर आपका बच्चा कह रहा है कि मुझे इस चीज से डर लगता है और वह बहुत छोटी-सी बात है, तो उन्हें कभी ऐसा न कहें कि अरे ! तुम इससे डर गए, इसमें डरने की क्या बात है ! ये तो छोटी सी बात है, इससे उनके मन में हीन भावना और बढ़ सकती है और हो सकता है कि आगे वे आपसे कुछ भी शेयर करने से पहले कई बार सोचें, उन्हें ऐसा करने से रोकें। अपने बच्चे के डर को कभी भी तुच्छ न समझें। उन्हें अपना डर व्यक्त करने के लिए स्पेस देने की कोशिश करें। इससे बच्चों को खुलकर अपनी बात कहने का मौका मिलेगा। इससे आपको उन सभी चीजों को समझने में भी मदद मिलेगी, जो उन्हें सबसे ज्यादा परेशान कर रही हैं। फिर अपने बच्चे के साथ उन्हें सुलझाने की कोशिश करनी होगी, तभी आपके बच्चे आपसे फ्रेंडली होंगे और एक दोस्त की तरह सारी बातें शेयर करना पसंद करेंगे।
उन्हें हॉबी अपनाने के लिए करें प्रेरित
यह भी बेहद जरूरी है कि आप हमेशा अपने बच्चों को किसी न किसी तरह की हॉबी में डालने की कोशिश करें, इससे भी उनका मनोबल बढ़ता है और उनका ध्यान डर जैसी चीजों से हट जाता है, फिर आपके बच्चे किसी भी काम को करने से नहीं डरेंगे, उन्हें डेयरिंग वाले गेम्स खेलने के लिए भी खूब प्रेरित कीजिए। इससे उन्हें आगे बढ़ने का और कोई भी काम करने में डर नहीं लगेगा, इससे उनका दिमाग कई चीजों में विकसित होगा।
हौवा न बनाएं
कई बार ऐसा होता है कि छोटी-छोटी चोट का भी आप बड़ा बतंगड़ बना देते हैं, जबकि आपकी कोशिश यही होनी चाहिए कि किस तरह से किसी भी बात का बतंगड़ नहीं बनाएं, छोटी चोट को बार-बार बड़ा करके नहीं दिखाएं, यह बच्चों को भी न जताएं कि कुछ बड़ी बात हो गई है, क्योंकि किसी भी बात का हौवा बनाने से दिक्कत होगी ही। इससे आगे चल कर हर छोटी सी घाव या चोट होने पर भी वे यही दर्शाएंगे कि उन्हें बहुत बड़ी चोट लगी है और फिर धीरे-धीरे उनका यह बर्ताव उनको डरपोक बना देगा, जो कि उनके भविष्य के लिए तो बिल्कुल भी सही नहीं है।
बच्चों के दिमाग का ख्याल रखना बनाएं प्राथमिकता
यह बेहद जरूरी है कि आप अपने बच्चे के दिमाग की प्राथमिकता का सही से इस्तेमाल करें। मतलब अपने बच्चे को मानसिक रूप से बहुत मजबूत बनाना है, इस बात का खास ख्याल रखें, क्योंकि जब प्राथमिकता बनाएंगे, तभी बच्चे आगे बढ़ने के बारे में सोचेंगे। कई बार ऐसा होता है कि माता-पिता अपने बच्चों से सिर्फ उनके शरीर की देखभाल के महत्व के बारे में बात करते हैं। वे उन्हें अपनी दांतों का ख्याल रखना और बाकी चीजें तो अच्छे से सीखा देते हैं। लेकिन स्वस्थ भोजन खाने के बारे में या व्यायाम करने के बारे में सीखा देते हैं। लेकिन कभी भी बच्चों को यह नहीं सिखाते हैं कि बच्चों को अपने दिमाग की देखभाल कैसे रखनी है और इसका महत्व जीवन में क्या होता है। दरअसल, यह भी बेहद जरूरी है कि मानसिक रूप से भी बच्चों को प्राथमिकताएं दी जाएं और इसके लिए कुछ दिमागी गेम्स खेलना भी बच्चे के लिए अच्छा होगा। साथ ही उन्हें मानसिक रूप से स्ट्रांग बनने में मदद भी अच्छी तरह से मिलेगी। कोशिश करें कि हर रूप में अपने बच्चों के दोस्त बनें, न कि उनके ट्यूटर या टीचर बन कर उन पर हक जमाने की कोशिश करें, इससे बच्चे शायद आपसे भी डरने लगें। तो बेहतर है कि उनको संभालने की कोशिश करें।