इन दिनों पैरेंटिंग एक कठिन टास्क बन चुका है कि आखिर कोई भी पेरेंट्स किस तरह से बच्चों को जीवन में आम से खास बनाएं और इसके लिए उन्हें लाइफ स्किल्स सिखाना बेहद जरूरी है। तो आइए जानें इसके बारे में विस्तार से।
बचपन से बचत
एक और महत्वपूर्ण कौशल जिनसे, आपके बच्चे को वाकिफ होना चाहिए कि बच्चों को बचत करने की कला सिखाएं और वह भी बचपन से, इससे वे बड़े होकर भी पैसे की कीमत को समझ पाएंगे। अगर बचपन से ही बच्चे बचत जैसी चीजों की वित्तीय अवधारणाओं को समझने में और एक जिम्मेदार इंसान बनने में मदद मिलती है। इससे बचपन से ही बच्चे खर्च करने के साथ बचत करना भी समझेंगे और समझदार बनेंगे। इसलिए बच्चों को इन बातों से अवगत कराएं।
सिखाएं मैनेजमेंट की कला
जी हां, यह भी एक महत्वपूर्ण बात है कि आपको मैनेजमेंट की कला से वाकिफ होना ही चाहिए। यह कला जब आपमें खुद आएगी तो आप दूसरे लोगों को भी मैनेजमेंट की कला सीखा पाएंगी, खासतौर से अपने बच्चों को तो जरूर इस कला से वाकिफ करवाना ही चाहिए, क्योंकि अगर वे कम उम्र से ही यह सबकुछ सीख जायेंगे, तो अच्छे से आगे जीवन में किसी भी परिस्थिति को मैनेज कर पाएंगे और उन्हें आपके सहारे की जरूरत नहीं होगी। दरअसल, अगर कम उम्र से ही आपके बच्चे में स्व-प्रबंधन, आत्म-जागरूकता, आत्म-मूल्यांकन और कई ऐसे कौशल होंगे, तो उनके सामने किसी भी तरह की चुनौतियां आएंगी, तो उससे पूरी तरह से निपटने के लिए बिना डरे तैयार रहेंगे। इसके लिए आप उनके साथ जरूरत पड़े तो कुछ एक्स्ट्रा घंटे भी दें, इससे आपकी ही स्किल्स को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही साथ बच्चों को भी रचनात्मक होने का बढ़ावा मिलेगा और साथ ही आनंद लेने और स्वतंत्रता की भावना को भी बढ़ावा देने में उनको फायदा होगा, वे फिर कहीं भी आने जाने या किसी भी तरह का काम करने से घबराएंगे नहीं। इससे उन्हें हमेशा रचनात्मक होने के लिए प्रेरित करें और आगे बढ़ने का मौका दें, वह भी बिना झिझक के। इसलिए बच्चों में यह कौशल भी बचपन से ही डालने की कोशिश करें।
कम्युनिकेशन का कौशल
यह कौशल तो आपको अपने बच्चों से शेयर करना ही चाहिए और यह कौशल तो आपको आनी ही चाहिए, इसलिए आप जरूर सिखाएं, क्योंकि उनके जीवन में यह सबसे अधिक महत्वपूर्ण कला बन जाती है। दरअसल, आपके बच्चों को अगर आप भाषा में विकास करते हुए देखना चाहते हैं या फिर सामाजिक सम्पर्क को बेहतर बनाते हुए देखना चाहती हैं, तो आपको आत्म-अभिव्यक्ति और संज्ञानात्मक कौशल के लिए प्रभावी संचार का सहारा लेना ही होगा और आपको यह किस तरह से इस्तेमाल करना है, यह भी आपके लिए महत्वपूर्ण है कि आप बच्चों को अच्छे से समझाएं। साथ ही साथ बच्चे तर्क करने और अपने आस-पास की दुनिया को समझने के लिए जिस तरह की भाषा का उपयोग करते हैं, उनका भी आपको ध्यान रखना ही होगा, इससे आपके बच्चे खुद आगे चल कर भविष्य में कई चर्चाओं में शामिल होने की कोशिश करेंगे और बढ़-चढ़ कर बिना रुके और बेझिझक होकर हिस्सा लेंगे। इससे उनमें खुद में पूर्ण रूप से आत्मविश्वास आएगा और वे सभी को सुनने के लिए भी प्रोत्साहित होंगे।
भावनाओं पर काबू
इस बात का भी आपको खास ख्याल रखना है कि आपको अपनी भावनाओं पर अच्छे से काबू रखना जरूरी है, क्योंकि अगर आप जरूरत से ज्यादा भावनाओं पर ध्यान देंगी और भावनाओं के आवेश में आकर चीजें करेंगी, तो आपके लिए चीजें मुश्किल तो होंगी ही, आपके बच्चे भी वही सीख ले लेंगे और फिर आपके लिए भी यह परेशानी का सबब बनेगा, इसलिए जरूरी है कि अपनी भावनाओं पर काबू रखें और बच्चों को भी यह स्किल्स सिखाएं कि कैसे कभी भी जीवन में भावनात्मक पहलू को ही खुद पर हावी नहीं होने देना है, बल्कि कब, किस तरह की स्थिति होगी इसे समझते हुए और कहां कितना इमोशन क्रिएट करना है, इस पर पूरी तरह से ध्यान देना होगा। तभी जाकर इस पर काम करना होगा। दरअसल, पैरेंटिंग के दौरान आपको यह ध्यान रखने की बेहद आवश्यकता है कि आप अपनी भावनाओं को पहचानने की कोशिश करें और इसे प्रबंधित करना भी सीखें। लेकिन आपको अपने बच्चों को यह भी समझाने की कोशिश करना है कि वे कैसे एक दयालु आदमी भी बनें और दूसरों की भावनाओं को भी हर तरह से समझने की कोशिश करें और उनके साथ सहानुभूति रखें। अगर वे बहुत अधिक कठोर भी हो जायेंगे, तो यह उनके स्वास्थ्य और स्वस्थ दिमाग के लिए अच्छा नहीं है, इसलिए सही तरीके से उन्हें सामाजिक स्थितियों को समझते हुए स्वस्थ रिश्ते बनाने और प्रभावी ढंग से इस पर काम करने की कोशिश करनी पड़ेगी। इसलिए उन्हें इस कौशल के बारे में बहुत ही अच्छे तरीके से समझाएं।
रास्तों की तलाश के बारे में जानकारी
बच्चों को इस बात की जानकारी भी हमेशा बचपन से ही दें और स्किल्स सिखाने की कोशिश करें कि किस तरह से आपको रास्ते देखने आने चाहिए और साथ में यह भी जानकारी हो कि रास्तों की तलाश करनी कितनी जरूरी है, क्योंकि अगर यह नहीं होगा तो वे आगे चल कर इस स्किल्स को सीख नहीं पाएंगे और फिर उनके लिए यह परेशानी का सबब बनेगा, बचपन से ही अगर वह इसमें माहिर हो जायेंगे, तो उनके लिए काम करने में काफी आसानी होगी। आप शायद इस बात का एहसास नहीं हो, लेकिन जितनी जल्दी बच्चे खुद में नेविगेशन कौशल को विकसित करते हैं, मतलब रास्ते ढूंढने की कोशिश करते हैं और इसकी जानकारी लेते हैं, वे बचपन से ही आजाद ख्यालों के होने की कोशिश करते हैं और फिर वे मानचित्र और दिशाओं के बारे में जानकारी हासिल करते हुए स्थानिक जागरूकता को बढ़ावा देते हैं। गौरतलब है कि बच्चों को बचपन से ही फिर मानचित्र के बारे में, दुनिया को देखने और समझने के बारे में अच्छे से जानकारी मिलती है। तो बच्चे बड़े होकर अकेले घूमने और दुनिया को भी एक्सप्लोर करने की भी अच्छे से कोशिश करते हैं। इसलिए कोशिश करें कि दुनिया को जरूर एक्सप्लोर करने के कौशल से बच्चों को वाकिफ कराएं, कम उम्र से ही सही उन्हें सैर करवाएं। इससे उन्हें दुनिया को समझने और अपने आस-पास की दुनिया को भी समझने में मदद मिलेगी और उनका पूर्ण विकास संभव हो पायेगा।
समस्याओं को सुलझाने की कला और आलोचनात्मक पहलू
यह भी एक महत्वपूर्ण बात है, जिसे समझना बेहद जरूरी है कि आपके बच्चे को कभी भी हर बात में हां में सिर हिलाना या गलत बात को भी सही कहने की कला न सिखाएं, नहीं तो बचपन की यह बात वह अपने साथ जीवन में रखेंगे और फिर आगे चल कर जी हुजूरी करने की कोशिश करेंगे, इसलिए जरूरी है कि आप बच्चे को समस्याओं को कैसे अपने स्तर पर सुलझाना है और फिर कैसे किसी विषय पर एक आलोचनात्मक पहलू रखना है, इसके बारे में जरूर सिखाएं और आगे बढ़ने की उन्हें प्रेरणा दें। इससे उनमें समय से निष्पक्ष रहने के बारे में जानकारी पूरी होगी। साथ ही साथ वे अपनी आलोचनात्मक सोच के साथ किसी स्थिति का निष्पक्ष रूप से विश्लेषण करके निर्णय लेने की क्षमता में रहेंगे और खुद ही इसका उचित समाधान निकाल पाएंगे। इसके अलावा, उन्हें वैकल्पिक समाधानों की पहचान करने और अपने स्वयं के साथ-साथ अपने आसपास के लोगों के मूल्यों का विश्लेषण करने में सक्षम होने के गुर भी जरूर सिखाएं।