माता- पिता के साथ जीवन की हर मुश्किल को पार करने के बाद, जब बारी आती है पैरेंट के पैरेंट बनने की, तो यह आपके जीवन के लिए सबसे जिम्मेदारी का काम हो सकता है। जी हां, कई बार ऐसा होता है कि जब माता-पिता को संभालने के दौरान हम खुद उनके साथ माता-पिता जैसा बर्ताव करने लगते हैं, इस दौरान कई बार नाराजगी का भी माहौल खड़ा हो जाता है। ऐसे में हमारे लिए सबसे जरूरी यह जानना है कि हमें ऐसा क्या करना चाहिए, जो हम अपने पैरेंट के भी पैरेंट बन जाए। आइए जानते हैं विस्तार से।
रिश्ते में बनाए रखें मर्यादा
माता-पिता के पैरेंट बनने के दौरान हम सभी के लिए यह समझना जरूरी है कि रिश्ते की भी एक मर्यादा होती है, अक्सर ऐसा होता है कि हम पैरेंट को कुछ जरूरी बात समझाने के दौरान उनके साथ चिड़चिड़ापन करने लगते हैं, या फिर अगर पैरेंट किसी बात से परेशान हैं, तो हम उनकी परेशानी समझ नहीं पाते हैं और अपनी नाराजगी जाहिर कर देते हैं। ऐसे में जरूरी है कि हम रिश्ते में मर्यादा बना कर रखें। भले ही हम अपने पैरेंट के पैरेंट बन गए हैं, लेकिन यह न भूलें कि हमारी भी कई गलतियों को माता-पिता हंसते-हंसते नजरअंदाज कर देते हैं।
सिर्फ बोले नहीं सुने भी
पैरेंट का पैरेंट बनने के लिए सबसे बड़ा गुण सुनने की क्षमता भी होनी चाहिए। जिस तरह बचपन में हमारी सारी बेमतलब की बातों को भी माता-पिता ध्यान से सुनते थे, ठीक ऐसे ही जब आप अपने पैरेंट के पैरेंट बनें, तो उनके दिल की बातों को भी सुनें। उन्हें वक्त के साथ कहने का मौका दें। अगर पैरेंट किसी बात पर आपसे नाराज भी हो जाते हैं, तो कुछ देर सुनने की क्षमता रखें और वक्त आने पर हालात को संभालें।
दोस्ती का रिश्ता भी जरूरी
पैरेंट का पैरेंट बनने के लिए सबसे जरूरी यह भी है कि आप दोनों के बीच दोस्ती का रिश्ता बरकरार रहे। जी हां, दोस्ती एक ऐसा रिश्ता है, जो कि हर तरह के रिश्ते में मजबूती और प्यार को बनाए रखता है। जो किसी भी हालात में एक दूसरे के साथ खड़े होने और एक दूसरे को समझने का अहसास देता है। इसलिए पैरेंट के साथ सिर्फ पैरेंट की भूमिका न निभाएं, बल्कि उनके दोस्त बन जाएं।
निकालें समय
पैरेंट को आपके साथ के साथ आपके समय की भी जरूरत होती है। जिस तरह माता-पिता बचपन में आपकी तबीयत के साथ आपके स्कूल और रविवार को खुशनुमा बनाने के लिए अपना वक्त आपको देते थे, ठीक इसी तरह जब आप अपने पैरेंट की पैरेंट बनती हैं। तो उन्हें भी वक्त का अनमोल तोहफा जरूर दें और अपने रिश्ते में ताजगी बरकरार रखें।
घूमने की करें प्लानिंग
पैरेंट के पैरेंट बनने के बाद उनके साथ ठीक वैसे ही घूमने की योजना बनाएं, जैसा कि पैरेंट आपके साथ बनाया करते थे। घूमने के दौरान आपको एक दूसरे के साथ रिश्ता और भी अच्छे से समझने को मिलता है। साथ ही आपको पैरेंट के पैरेंट बनने की जिम्मेदारी को संभालने में सहजता आती है। आप उन सारी कमियों को भी पूरा कर सकती हैं, जो कमी आपके बचपन में रह गई है। आप अपने पैरेंट के पैरेंट बनकर एक जिम्मेदार बेटी की भूमिका बखूबी निभा पायेंगी।