अगर किसी एहसास में नकलीपन है, तो वहां पर रिश्ते शब्द का उपयोग करना भी गलत होगा। बात जब फेक रिश्ते की होती है, तो सबसे पहले यह समझ लें कि नकलीपन के आधार पर आप न तो दोस्ती का रिश्ता बना सकती हैं और न ही पारिवारिक रिश्ता बना सकती हैं। कई बार ऐसे रिश्ते में फंसकर आपको केवल हर राह पर धोखा मिलता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि आप फेक रिश्तों से कैसे बच सकती हैं।
आपकी चीजों में कम रूचि दिखाना
फेक रिश्ते की सबसे बड़ी पहचान यह है कि आपकी चीजों में उस व्यक्ति को कम रुचि होगी। साथ ही जब भी आप तकलीफ में रहेंगे या बीमार रहेंगे, तो आपकी तबीयत की जानकारी लेना उनके लिए जरूरी नहीं होगा और जब आप इस बात पर नाराज होकर सवाल उठायेंगी, तो सामने वाला व्यक्ति यह कहकर खुद को सही बताने की कोशिश करता है कि उसने सिर्फ इसलिए बात नहीं कि क्योंकि उसे लगा आपकी तबीयत ठीक नहीं है। ऐसे व्यक्ति केवल दिखावे के लिए आपके रिश्ता बढ़ाने की कोशिश करते हैं। जरूरी है कि आप ऐसे व्यक्ति से कम से कम संपर्क रखें।
आप से मीठी बातें करना और अपना फायदा उठाना
कई बार आपको अपने कॉलेज, ऑफिस या फिर पड़ोस में ऐसे व्यक्ति जरूर मिल जायेंगे, जो दुनिया को बताते फिरते हैं कि आपकी और उनकी दोस्ती है और इसी लिहाज से आपसे मीठी-मीठी बातें करते हैं, लेकिन कई बार आपके सीधेपन का फायदा उठाते हुए आपका फायदा उठाने की कोशिश करेंगे। आपके काम का क्रेडिट दूसरों के समक्ष खुद लेते हैं, कई बार यह भी बताने की कोशिश करते हैं कि आपके हिस्से का काम उन्हें करना पड़ता है। ऐसे में आपको यह समझना होगा कि आप दोनों के बीच का रिश्ते में दोस्ती और अपनेपन का एहसास केवल फेक है।
जलन और काॅम्पटीशन
कई बार ऐसा होता है कि सच्चा दोस्त अपना हाथ बढ़ाकर आपको आगे लाने की कोशिश करेगा, वहीं फेक दोस्त अपने आप को आगे करके दूसरों की नजर में खुद को बड़ा और आपको छोटा दिखाने की कोशिश करेगा। सच्चा दोस्त आपकी कामयाबी पर या फिर आपके जीवन की खुशियों में असली खुशी दिखाता है, वहीं फेक दोस्त केवल बधाई देकर आपसे कुछ देर के लिए दूरी बना लेता है और इसी दूरी से आपको पहचानना होगा कि आपके बीच के रिश्ते में जलन और काॅम्पटीशन है, जो कि फेक रिश्ते की पहचान है।
पीठ पीछे आपकी बुराई दूसरों से करना
आपका सच्चा दोस्त वही है, जो कि आप के मुंह पर भी आपकी बुराई करने में हिचकते नहीं है। वहीं पीठ पीछे आपकी बुराई चार लोगों से करने वाला व्यक्ति कभी-भी आपका सच्चा दोस्त नहीं हो सकता है। साथ ही दोस्ती वहीं असली होती है, जब आपका दोस्त किसी भी विवाद पर आपको सुनता और समझता है। दोस्ती ऐसी नहीं होती कि जो चार लोगों के सामने आपको चार बात सुनाकर चला जाए। जिस रिश्ते में आपको जहां हर बार झुकना पड़ता है, वहां दोस्ती नहीं होती। दोस्ती का रिश्ता बराबरी का हक देता है, एक-दूसरे को समझने का वक्त भी देता है।
आपके लिए कुछ करना और फिर एहसान जताना
कई दोस्तों की आदत होती है, जो कि एक हाथ से आपके लिए कुछ करते हैं, तो उसके बाद बाकी के लोगों को जरूर पता चल जाता है कि उन्होंने आपके लिए कुछ किया है। अगर कोई आपकी किसी भी हालात में मदद करता है और फिर लोगों को इस बारे में बताते फिरता है और एहसान जताने की कोशिश करता है, तो वहां पर रिश्ता फेक होता है।