पैरेंट्स के लिए बच्चों की परवरिश और पालन-पोषण बेहद महत्वपूर्ण और जटिल जिम्मेदारी है। ऐसे में कई बार वे एक दूसरे या परिवार के अन्य सदस्यों के साथ अपने आपसी संबंधों पर ध्यान नहीं दे पाते। आइए जानते हैं ऐसी स्थिति में क्या करें।
संतुलन बनाए रखें
बच्चों की जरूरतें महत्वपूर्ण हैं, लेकिन याद रखिए आपके व्यक्तिगत और आपसी संबंधों को भी समय की आवश्यकता है। ऐसे में बच्चों की देखभाल और परवरिश के साथ-साथ अपने लाइफ पार्टनर या परिवार के अन्य सदस्यों के साथ संतुलित संबंध बनाए रखना बेहद जरूरी है। साथ ही बच्चों के लिए एक समय निर्धारित करें और अपने लाइफ पार्टनर के साथ अपने परिवार के लिए भी समय निकालें। यह आपको बच्चों के प्रति जिम्मेदारी निभाने के साथ-साथ अपने रिश्तों को भी मजबूती प्रदान करने में मदद करेगा।
सकारात्मक संवाद बनाए रखें
बच्चों के कारण कई बार आपसी तनाव उत्पन्न हो जाता है, जिससे पैरेंट्स के अलावा परिवार के एनी सदस्यों के बीच भी गलतफहमियां पैदा हो जाती हैं। ऐसे में बच्चों से जुड़े मुद्दों पर बातचीत करते समय धैर्य रखें और किसी भी प्रकार की बहस या जल्दबाजी करने से बचें। इसके अलावा अगर बच्चों की वजह से किसी भी प्रकार का तनाव या असहमति हो, तो उस पर ठंडे दिमाग से विचार करें। बच्चों की देखभाल में तालमेल बनाए रखें और अगर कोई समस्या उत्पन्न हो, तो सकारात्मक बातचीत का सहारा लेते हुए मिल-जुल कर उसका समाधान निकालें।
एक-दूसरे के लिए भी समय निकालें
कभी-कभी पैरेंट्स अपनी जिम्मेदारियों में इस कदर खो जाते हैं कि उन्हें एक-दूसरे के लिए व्यक्तिगत समय निकालना मुश्किल हो जाता है। हालांकि बच्चों की देखभाल के बीच लाइफ पार्टनर का एक-दूसरे के लिए या परिवार के अन्य सदस्यों के लिए निजी समय निकालना बेहद जरूरी है। ऐसे में आप बच्चों को किसी जिम्मेदार व्यक्ति के साथ छोड़कर एक-दूसरे के साथ क्वालिटी टाइम बिता सकती हैं। यकीन मानिए एक-दूसरे के साथ कुछ समय बिताना आपकी और आपके पार्टनर की भावनात्मक स्थिति को न सिर्फ सुधारता है, बल्कि आपके आपसी रिश्तों को भी मजबूत करता है।
बच्चों को प्राथमिकता दें, पर रिश्तों को न भूलें
यह जरूरी है कि बच्चों को प्राथमिकता दी जाए, लेकिन अपने रिश्तों को पूरी तरह से भूल जाना सही नहीं है क्योंकि यदि आप अपने लाइफ पार्टनर या अपने परिवार के अन्य सदस्यों से भावनात्मक रूप से दूर हो जाते हैं, तो यह बच्चों के लिए भी नकारात्मक उदाहरण प्रस्तुत कर सकता है। याद रखिए बच्चों के सामने मजबूत, प्यार भरे और सहयोगात्मक रिश्तों का उदाहरण प्रस्तुत करना बच्चों के मानसिक और भावनात्मक विकास के लिए बेहद फायदेमंद है। इससे वे न सिर्फ रिश्तों की अहमियत को समझते हैं, बल्कि स्वयं भी लोगों से या अपने आस-पास के लोगों से अच्छे रिश्ते बनाते हैं।
व्यर्थ की उम्मीदें न पालें
इसमें दो राय नही कि पैरेंट्स के लिए बच्चों की परवरिश एक चुनौतीपूर्ण काम है और कई बार यह थकावट भरा भी हो जाता है। ऐसे में आप अपने लाइफ पार्टनर या अन्य परिजनों से अत्यधिक उम्मीदें लगा बैठती हैं और फिर खुद ही निराश हो जाती हैं। दरअसल कई बार इन उम्मीदों से आपसी गलतफहमी और असहमति भी पैदा हो जाती है, जो रिश्तों को कमजोर कर देती है। ऐसे में अपनी अपेक्षाओं को यथार्थवादी बनाए रखें और संभव हो तो आपसी बातचीत से बच्चों की परवरिश में एक-दूसरे के भागीदार बनें। इससे न सिर्फ आपको एक-दूसरे के साथ आपसी विश्वास और सहयोग बढ़ाने का मौका मिलेगा, बल्कि इससे बच्चों की देखभाल भी अच्छे तरीके से होगी। किसी एक पर जिम्मेदारी थोपना आपके बच्चे की देखभाल में बाधक बन सकती है। ऐसे में आप दोनों धैर्य से काम लें और एक-दूसरे की मदद करें। साथ ही आप यह भी समझें कि बच्चों की देखभाल दोनों की जिम्मेदारियाँ हैं, किसी एक की नहीं।
सेल्फ-केयर भी है जरूरी
बच्चों की जिम्मेदारी निभाते हुए अपने लिए भी समय निकालना जरूरी है। अगर आप अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान नहीं देंगी, तो यह आपके रिश्तों पर भी असर डाल सकता है। ऐसे में अपने स्वास्थ्य और भावनाओं का ध्यान रखें क्योंकि इससे आप अधिक संतुलित और स्वस्थ रहेंगी और रिश्तों में भी सकारात्मकता बनी रहेगी। यदि आपको लगे कि बच्चों की वजह से कोई समस्या उत्पन्न हो रही है, तो उसे दबाने की बजाय खुलकर बात करें। संवाद ही वह कड़ी है जो आपको रिश्तों में सुधार लाने में मदद कर सकती है। इसके अलावा यदि बच्चों की शिक्षा, अनुशासन या परवरिश को लेकर मतभेद हो रहे हों, तो शांत मन से विचार करें और एक समझौते पर पहुंचने का प्रयास करें।
बच्चों के बीच भी संतुलन बनाएं
यदि आपके एक से अधिक बच्चे हैं, तो उनमें भी संतुलन बनाए रखना बेहद जरूरी है। कभी-कभी बच्चों के बीच असमानता या एक को अधिक प्राथमिकता देना रिश्तों में दरार पैदा कर सकता है। कोशिश कीजिए कि सभी बच्चों के साथ समान रूप से समय बिताएं और किसी एक के प्रति अधिक झुकाव न दिखाएँ। हालांकि इस मामले में एक्सपर्ट्स का मानना है कि बच्चों से आप संतुलित व्यवहार की अपेक्षा कर सकते हैं, किंतु वो ऐसा करें ही यह जरूरी नहीं। ऐसे में इस बात का ख्याल रखें कि आप जाने-अनजाने बच्चों को किसी के सामने डांटे-फटकारें नहीं। इससे होगा यह कि जो रिश्ता आप ठीक करने की कोशिश कर रही हैं, हो सकता है उसे आप खराब कर बैठे। दरअसल बच्चों के बालमन पर आपके व्यवहार का काफी असर पड़ता है। विशेष रूप से अपने रिश्तेदारों पर अपना रौब जमाने के लिए तो बच्चों को उनके सामने बिल्कुल न डांटे। इससे हो सकता है आपका प्रभाव आपके रिश्तेदारों पर पड़ जाए, लेकिन आपके बच्चे के मन में ये हमेशा के लिए खरोंच छोड़ जाए।