पेरेंटिंग यानी कि बच्चों की परवरिश आप किसी किताब से या फिर किसी से सलाह लेकर नहीं सीख सकते हैं। पेरेंटिंग के लिए आप कितनी भी तैयार क्यों न हो जाएं, लेकिन आपको अच्छे माता-पिता बनने का गुण सीखने में कई बार पूरी उम्र लग जाती है। कई बार काफी कोशिश करने के बाद भी ऐसा महसूस होता है कि कहीं हमसे कोई गलती तो नहीं हो रही है। कई अध्ययन में यह भी पाया गया है कि बच्चे ही माता-पिता को पेरेंटिंग के गुण सीख सकते हैं। आप यह भी समझ सकते हैं कि बच्चे ही माता-पिता को बताते हैं कि कैसे उनका पालन-पोषण करना है। आइए जानते हैं विस्तार से।
बच्चों की आदत का रखें ध्यान
बच्चे हमेशा अपनी आदत के साथ आपको यह बताने की कोशिश करते हैं कि उनके साथ आपको किस तरह बर्ताव करना है। जैसे कि अगर आपका बच्चा जिद्दी है या फिर वह हर काम को आराम से करना पसंद करता है, तो आपको भी उनके स्वभाव के हिसाब से उनके साथ बर्ताव करना होगा। बच्चा अगर ज्यादा जिद्दी है, तो उन्हें माता-पिता नहीं बल्कि एक दोस्त की जरूरत है। बच्चा अगर समझदार और धैर्यवान है, तो आपको उनके साथ भी उसी तरह से बर्ताव करना पड़ता है।
बच्चों को बच्चों की तरह समझना
आपका बच्चा कई बार आपके अपने स्कूल या फिर दोस्तों के साथ हुई बातचीत को साधा करते हैं। इसका मतलब यह होता है कि वह आपको अपनी दुनिया का हिस्सा बनाते हैं और यह चाहते हैं कि आप उनकी ही सोच के आधार पर उनसे बातचीत करें। यानी कि आपके किसी भी जरूरी मामले पर बच्चे को उन्हीं के हिसाब से समझाना है। आप अगर बच्चों को उन्हीं के दृष्टिकोण के हिसाब से कोई बात समझती हैं, तो इससे आपके और उनके बीच का रिश्ता हमेशा सुखद रहेगा, जो कि सही पेरेंटिंग के अंतर्गत आता है।
गलती पर माफ कर आगे बढ़ना
बच्चों की सबसे खूबसूरत और सीखने वाली आदत यह होती है कि वे किसी भी बात को जल्दी ही अफने दिमाग से निकाल देते हैं। बच्चे नेगेटिव सोच और विचारों को अधिक समय के लिए अपने जीवन में महत्व नहीं देते हैं, जो कि पेरेंटिंग के दौरान की एक मजबूत सोच है। आपको भी बच्चों से यह सीखना चाहिए कि किसी भी बात या घटना को अपने दिमाग में पकड़कर न रखें। बच्चे पेरेंट्स को यह समझाते हैं कि जो बीत गई सो बात गई।
बच्चों के माहौल को पहचाने
पेरेंटिंग के दौरान यह भी जरूरी है कि आप अपने बच्चों को माहौल के हिसाब से संभालना शुरू करें। बच्चे जिस भी माहौल में पलते हैं, बड़े होकर खुद को उसी माहौल के हिसाब से ढालने की कोशिश करते हैं। खुशनुमा माहौल में बच्चे परविरश को सकारात्मक तरीके से अपनाते हैं और नकारात्मक माहौल में परवरिश पर भी नकारात्मक असर पड़ता है। बच्चे अपने माहौल को ही अपनी दुनिया मानते हैं और आपको अपने बच्चे की इसी दुनिया में खुशियों के रंग भरने हैं।
मेरा बच्चा दूसरों से अलग
बच्चे हमेशा अपनी आदतों, स्वभाव और बर्ताव से यह बताने की कोशिश करते हैं कि वह दूसरे बच्चों से अलग है। पेरेंट्स को इसी बात को समझना है और अपने बच्चे की तुलना किसी दूसरे से न करं। हमेशा यह समझे कि हमारा बच्चा दूसरे बच्चों से अलग है। क्योंकि जब भी आप अपने बच्चे की तुलना किसी और से करते हैं, तो इसका असर बच्चों पर नकारात्मक होता है। निराशा और चिंता बच्चे के स्वभाव का हिस्सा बन जाती है।