रिश्ता चाहे कोई भी हो उसमें प्यार और समझदारी के साथ सम्मान होना भी बेहद महत्वपूर्ण है। रिश्तों में सम्मान की कमी से कोई भी रिश्ता लंबे समय तक टिक नहीं सकता। आइए जानते हैं, रिश्तों में संतुलन बनाए रखने के लिए किन बातों का ख्याल रखना जरूरी है।
खुद भूलकर न करें आत्मसम्मान से समझौता

रिश्तों में प्यार, समझदारी, त्याग और समझौतों के साथ यदि सम्मान के साथ आत्मसम्मान न हो, तो वह रिश्ता बोझ बन जाता है और एक अच्छा रिश्ता वही होता है, जिसमें दोनों को बराबर का सम्मान मिले। हालांकि किसी भी रिश्ते में जाने से पहले यह समझना ज़रूरी है कि आपकी खुद की भी एक पहचान और गरिमा है। ऐसे में किसी के लिए अपनी पहचान को पूरी तरह खो देना कतई सही नहीं है, इसलिए जहां तक हो सके अपने फैसले खुद लें और अपने विचारों को बेझिझक रखें। इसमें दो राय नहीं है कि जब दो लोग साथ रहते हैं, तो उनके लिए एक दूसरे की खुशियों का ख्याल रखना बहुत जरूरी है, लेकिन जरूरत से ज्यादा दूसरों को खुश करने की कोशिश में अपनी इच्छाओं को भूलना भी सही नहीं है। और न ही दूसरों की खुशी के लिए अपने आत्मसम्मान से समझौता करें।
एकतरफा नहीं, आपसी हो सम्मान
हर कोई इंसान चाहे छोटा हो या बड़ा, उसे अपने विचार रखने का पूरा हक है। विशेष रूप से रिश्तों में दोनों को एक-दूसरे की भावनाओं को समझना और मान-सम्मान देना बेहद जरूरी है। ऐसे में यदि आपको, आपका पार्टनर बार-बार नीचा दिखाने की कोशिश कर रहा है, या आपके आत्मसम्मान को ठेस पहुंचा रहा है, तो आपको उस रिश्ते पर दोबारा विचार करना चाहिए। कई बार ‘हीट ऑफ द मोमेंट’ में कुछ ऐसी बातें हो जाती हैं, या कुछ ऐसा हो जाता है, जो आप दोनों के लिए सही नहीं होती। ऐसे में किसी तीसरे को अपनी बात बताकर बातों को उलझाने की बजाय आपस में बैठकर चीजों को सुलझाने की कोशिश करें। यकीन मानिए आपसी रिश्तों में किसी भी गलतफहमी को दूर करने के लिए खुलकर बात करना भी बहुत जरूरी है। साथ ही यदि आपको अपने पार्टनर की कोई बात बुरी लग रही है, तो इसे अपने तक सीमित रखने और उससे आहत होने की बजाय शांति से इस पर चर्चा करें। याद रखिए एक स्वस्थ रिश्ते की पहचान यही है कि दोनों पक्ष एक-दूसरे से बिना डरे, अपनी बात कह सकें।
प्यार के खेल में, दांव पर न लगाएं अपना आत्मसम्मान

कहते हैं प्यार त्याग मांगता है, लेकिन त्याग करने से पहले इस बात को देख लें कि आखिर किस शर्त पर ? यदि यह आपकी पहचान, आपके अस्तित्व और आत्मसम्मान को खत्म कर रहा है, तो ऐसे त्याग से दूरी बना लेना ही बेहतर है, क्योंकि एक स्वस्थ रिश्ते की पहचान यही है कि दोनों एक-दूसरे को नीचे दिखाए बिना, बराबरी का दर्जा दें। इसके अलावा यदि कोई बार-बार आपके आत्मसम्मान को चोट पहुंचा रहा है, लगातार आपकी भावनाओं को अपमानित कर रहा है, अपमानजनक शब्द बोल रहा है, या बार-बार आपको नीचा दिखा रहा है, तो इसे सहन करने की बजाय आवाज उठाएं। याद रखिए, सम्मान और प्यार, ये दो ऐसी चीजें हैं, जिसके लिए न आप किसी से डिमांड कर सकती हैं, और न कोई आपसे जबरन इसे पा सकता है। यह चीजें खुद-ब-खुद पनपती और मिलती हैं। हालांकि आपको इस बात का भी ख्याल रखना होगा कि कोई आपकी अच्छाई का फायदा न उठाए, इसलिए अपनी सीमाएं तय करें और मजबूती से अपनी बात रखें।
रिश्तों में समझौता नहीं जरूरी है स्वतंत्रता
अक्सर देखा गया है कि रिश्तों में कोई एक ऐसा होता है, जो न सिर्फ जरूरत से ज्यादा समझौते करता है, बल्कि दूसरे की खुशी के लिए हमेशा ही खुद को बदलने की कोशिश में लगा रहता है। यदि आपके रिश्ते में वो आप हैं, तो रुक जाइए वर्ना आगे चलकर आपका प्यारा रिश्ता आपके लिए ही बोझ बन जाएगा। इसके अलावा रिश्तों में स्पेस और आजादी भी उतनी ही जरूरी है, जितनी अन्य चीजें। ये आप दोनों को रिश्तों में सहज रखने में बहुत बड़ी भूमिका निभाता है, वर्ना जबरन किसी को अपने कंट्रोल में रखने या हद से ज्यादा दखल देने की आदत आपके रिश्तों पर भारी पड़ जाएगी। इसके अलावा एक हेल्दी रिश्ते में यह भी जरूरी है कि जरूरत पड़ने पर आपके पास ‘ना’ कहने का अधिकार हो, वो भी इस बात से डरे कि इससे आपका पार्टनर कहीं नाराज न हो जाए। याद रखिए, हर रिश्ते में आपको हां कहने की ज़रूरत नहीं है। यदि कोई बात आपको सही नहीं लग रही, तो साफ ‘ना’ कहें और आपको लग रहा है कि आपकी सहमति के बिना आप पर बातें थोपी जा रही हैं, तो उसका विरोध भी करें।
रिश्ते में संतुलन बनाए रखने के लिए कुछ जरूरी बातें

आपसी रिश्तों में संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है कि अपने विचारों और भावनाओं को आप स्पष्ट रूप से व्यक्त करें। एक-दूसरे का सम्मान करते हुए, किसी भी हालात में अपमानजनक शब्दों या व्यवहार से बचें। किसी भी रिश्ते में अपनी व्यक्तिगत सीमाएं तय करें और और दूसरों की सीमाओं का सम्मान करें। आपके लिए इस बात का ख्याल रखना भी जरूरी है कि प्यार और सम्मान में कभी अहंकार नहीं होना चाहिए, लेकिन इसका मतलब ये भी नहीं है कि आप अपने आत्मसम्मान की कुर्बानी दे दें। रिश्ता ऐसा हो, जिसमें हर कोई अपना अस्तित्व बनाए रखते हुए, एक-दूसरे की मदद करें।