कई बार जिंदगी के किसी मोड़ पर, हम अपने अतीत में कुछ इस कदर जकड़े रहते हैं कि हमें लगता है कि हमारी जिंदगी का कोई मतलब ही नहीं है. ऐसे लोगों को खुद से सवाल करना चाहिए, जिस गुजरे कल को हम बदल नहीं सकते, उसकी वजह से हम अपना आज, और आने वाला कल क्यों बर्बाद कर रहे हैं ? अपनी खुशियों से क्यों समझौता कर रहे हैं. ऐसे में आपको अंदर से एक आवाज आएगी, जो आपको कहेगी कि मूव ऑन की ज़रूरत है. जी हां जिंदगी के कुछ चैप्टर्स, अगर हमारे मन-मुताबिक नहीं लिखे गए हैं, तो इसका ये मतलब नहीं कि जिंदगी की स्टोरी का द एंड हो गया है. मूव ऑन ज़िन्दगी की इसी कहानी को नयी सकारात्मक शुरुआत का नाम है. ज़िन्दगी में मूव ऑन को अपनाकर आप अपना बेस्ट वर्जन पा सकती हैं, कैसे जानते हैं इस आलेख में
सेल्फ हेल्प
कई बार हम अपने अतीत के गिरफ्त में कुछ इस कदर होते हैं कि हमारा आज हमें बेमानी-सा लगने लगता है. कभी प्यार की असफलता, तो कभी कैरियर की, तो कभी किसी और वजह से हम ज़िन्दगी में आगे बढ़ने से घबराते हैं. हमें फिर से हारने और टूटने का डर लगा रहता है. जो हमें आगे कदम बढ़ाने नहीं देता है, लेकिन ज़िन्दगी आगे बढ़ने का नाम है, रुक जाने का नहीं, इसलिए मूव ऑन बेहतर ज़िन्दगी की सबसे बड़ी जरूरत है. प्रसिद्ध लेखक दीपक चोपड़ा कहते हैं कि
मूव ऑन करने का सबसे हेल्थी तरीका है कि खुद से जुड़ने का तरीके ढूंढे. इस प्रोसेस में आप अतीत को खो देंगी, लेकिन खुद को पा लेंगी. इसलिए हमेशा नई एक्टिविटीज की तलाश करनी चाहिए . नयी यादें बनानी होंगी, जो आपकी अपनी हो. आप इसके लिए एक नए शहर में घूमने जा सकती हैं, खुद को पैम्पर कर सकती हैं, गिफ्ट देकर खुद को खुश कर सकती हैं. हॉबी एक ऐसी चीज़ होती है, जो आपके दिल के बहुत करीब होती है, तो अपनी हॉबीज को अपनाएं. काम से अच्छी तो कोई और बात नहीं हो सकती है, तो करियर में नए गोल सेट करें.
दोस्तों का साथ है ज़रूरी
मूव ऑन कहना जितना आसान होता है ,उसे करना उतना ही मुश्किल होता है. मूव ऑन कैसे करें, इसमें खुद को तैयार तो करना ही पड़ता है, साथ ही इसमें परिवार और दोस्तों के भी साथ की ज़रूरत होता है,
खास कर दोस्तों की. कई बार हम कुछ बातें परिवार से नहीं कह पाते हैं, लेकिन दोस्तों से कंफर्टेबली शेयर कर लेते हैं, तो मूव ऑन करने के दौरान आपको इससे अकेले नहीं गुजरना है. इस पीरियड में अपने दोस्तों का साथ लें. पी आर मैनेजर चित्रा सिंह अपने निजी अनुभवों के बारे में बात करते हुए बताती हैं कि पीछे मुड़कर देखूं तो मैं सोच भी नहीं सकती कि मैं अपने करीबी दोस्तों के बिना मूव ऑन कर भी पाती या नहीं .
मेरे स्कूल की फ्रेंड्स और कॉलेज के दोस्तों ने मेरा साथ दिया था. खास कर गायत्री तो हमेशा मेरे साथ ही थी. ये लोग मेरी बातें सुनते थे. मेरे दर्द को छिपाने के लिए ,बल्कि बताने के लिए कहते थे, जब मैं लो महसूस करती तो मुझे सपोर्ट करते थे. मुझे जो भी चीज़ें पसंद थी, जैसे म्यूजिक सुनना, फ़िल्म देखने जाना,गेम्स खेलने से लेकर दोस्तों के साथ ट्रिप पर जाना. सबकुछ इनलोगों ने मेरे साथ किया, ताकि किसी भी तरह की निगेटिविटी मुझ पर हावी ना हो. इसमें समय लगा, लेकिन आखिरकार मैं मूव ऑन हो गयी. इसके साथ ही ये भी कहूंगी कि इस अनुभव ने हमारी फ्रेंडशिप को और मजबूत किया है.
माफ करना सीखिए
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कहते हैं कि कमजोर इंसान कभी भी किसी को माफ नहीं कर सकता, माफ़ करना मजबूत इंसान का गुण है. मूव ऑन करने में सबसे अहम पहलू अपने पास्ट के साथ पीसफुल होना है. नेगेटिविटी को अपने दिल में मत रखिए. यह किसी काम की नहीं है. माफ करने पर ही आप सही मायनों में मूव ऑन कर पाएंगी.
मानसिक मजबूती देता है
जिस वक्त आप मूव ऑन का फैसला करती हैं. आपका यह फैसला आपको मानसिक रूप से मजबूत बनाता है, क्योंकि आपका माइंड आपके शरीर का वह हिस्सा है, पूरी तरह से आपके कंट्रोल में रहता है, जिसे इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है कि आपके दिल का दर्द क्या है? ज़िन्दगी का संघर्ष क्या है, उसे बस इस बात से फर्क पड़ता है कि आपका इन चीजों से डील करने का नज़रिया क्या है. अगर आपने नेगेटिविटी को हटाकर पॉजिटिव को अपनाया है, तो यह कोशिश आपको मानसिक रूप से मजबूत देती है.जो ज़िन्दगी के दूसरे फैसलों के वक़्त भी आपका मजबूती से साथ देगा.
आपको अच्छे बदलाव के लिए तैयार करता है
मूव ऑन आपको अच्छे बदलाव के लिए तैयार करता है. जब आप मूव ऑन का फैसला करती हैं, तो अपनी नींद,डायट और एक्सरसाइज का पहले से ज़्यादा ख्याल रखती है. कई बार बदलाव किसी के लिए अपने कमरे की दीवार की सजाना है, तो किसी के लिए कमरा ही बदल देना है, लेकिन यह पीरियड बदलाव के लिए आपको पूरी तरह से तैयार कर देता है.