दो पल के जीवन से, एक उम्र चुरानी है’ लंता मंगेशकर की आवाज में गाया हुआ यह गीत 26 साल की मोनिका अशोक मोरे की जिंदगी का तराना बना। दरअसल, साल 2014 में ट्रेन हादसे में मोनिका मोरे ने अपने हाथ गवां दिए। रेल हादसे के इस दो पल ने मोनिका मोरे के जीवन को एक ऐसे मुकाम पर लाकर पहुंचा दिया, जहां से उन्हें केवल अंधकार नजर आ रहा था, लेकिन उन्होंने रेल हादसे के शिकार हुए उन सभी लोगों को अपने जीवन की प्रेरणा बनाया और कोशिश को अपना हथियार बनाकर खुद के जीने के लिए पल चुराए। पल हिम्मत का, पल फिर से उठ कर खड़े होने का, पल अपने माता-पिता का सपना पूरा करने का। आर्टिफिशियल(कृत्रिम ) हाथ के साथ 6 साल मुश्किल से व्यतीत करने के बाद मोनिका मोरे को चेन्नई के एक पुरुष ने अंगदान करते हुए अपने हाथ दिए और इस तरह मोनिका मोरे ने बुलंद हौसले और साहस के साथ अपने घर की पूरी जिम्मेदारी संभाल रही हैं। आइए मोनिका मोरे की जुबानी देखते हैं उनके इस साहस से भरे सफर की अद्भुत और अविस्मरणीय दिलेर भरी दास्तां।