शादी, फिर मां बनना, फिर घर में बहू, फिर पत्नी और सारी जिम्मेदारियां निभाते हुए, खुद की चाहत को ढूंढना या तलाशना भूल ही जाती हैं अमूमन महिलाएं। सिर्फ दूसरों की खुशियों को पूरा करते हुए, कब घरेलू महिलाएं अपने सपने को अधूरा छोड़ देती हैं, उन्हें खुद इस बात का एहसास नहीं होता है। लेकिन मीनाक्षी यादव ने अपने सपनों को नया आकाश दिया और अपने सपने को पूरा करने के लिए अहम कदम उठाये। मुंबई के डोम्बिवली इलाके में रहने वालीं मीनाक्षी ने पहले अपने घर से ही कोचिंग क्लासेज की शुरुआत की और फिर इसे संस्थान का आकार दिया। कभी एक बच्चे को पढ़ाने के साथ शुरू हुआ यह सफर आज 100 छात्रों से अधिक हो चुका है। अपनी मेहनत और बस यूं ही घर पर बैठ कर बर्बाद न करने की सोच ने आज उन्हें एक कामयाब उद्यमी बना दिया है। तो आइए जानें, किस तरह मीनाक्षी ने स्वयं उद्यमी बन कर, घरेलू महिलाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत बनने का काम किया है और किस तरह आज वह सफल कोचिंग संस्थान संभाल रही हैं।
बचपन से ही पढ़ने में रही दिलचस्पी
मीनाक्षी बताती हैं कि उन्हें हमेशा से पढ़ने में दिलचस्पी रही । वह बचपन से ही गणित विषय में बेहतरीन रही हैं और अपने मोहल्ले में भी वह काफी स्टूडेंट्स को पढ़ाती थीं, अपने से बड़े क्लास के छात्र-छात्रों को भी पढ़ाती थीं। अपनी पढ़ाई की ही ललक ने उन्हें आगे सीए की पढ़ाई के लिए प्रेरित किया। इसी क्षेत्र में उन्होंने कुछ समय तक काम भी किया।
और फिर हुई नयी शुरुआत
मीनाक्षी ने बताया कि शादी और फिर प्रेग्नेंसी की वजह से नौकरी छोड़ी, लेकिन अपनी ललक को बरकरार रखा। शुरुआत में मोहल्ले में एक बच्चे को कोचिंग देना शुरू किया और धीरे-धीरे इस तरह इस काम में रम गयीं कि उन्होंने अपना कोचिंग संस्थान शुरू किया।
घर की जिम्मेदारियों के बीच अपने सपने को न करें अलविदा
मीनाक्षी इस बात को लेकर हमेशा से स्पष्ट रही हैं कि उन्हें सिर्फ हाउस वाइफ बन कर नहीं रहना है, वह अपनी पहचान और वजूद के साथ जिंदगी जीना पसंद करती हैं और हर घरेलू महिलाओं को यही राय देती हैं कि घर की जिम्मेदारियां पूरी करें, लेकिन के लिए भी समय निकालें और अपने जीवन को आकार दें।
वाकई में मीनाक्षी की कहानी प्रेरणा से भरी हुई है।