हर साल 12 जनवरी को महान विचारक स्वामी विवेकानंद का जन्मदिन मनाया जाता है। युवा पीढ़ी के लिए उनकी सकारात्मक सोच को देखते हुए उनके जन्मदिन के दिन ही राष्ट्रीय युवा दिवस( नेशनल यूथ डे) भी मनाया जाता है। स्वामी विवेकानंद के विचार हमेशा से ही महिलाओं के उत्थान में एक प्रगतिशील सोच को जोड़ते हैं। आज इस खास मौके पर हम फिर से उनके विचारों से रूबरू होकर उसे अपने जीवन में अपनी सोच में समाहित करने की कोशिश करते हैं। यह कहने में कोई गुरेज नहीं है कि स्वामी विवेकानंद के विचार आज भी प्रासंगिक हैं और महिलाओं की प्रगति में उनकी सोच एक असरकारक दवा का काम करती है।
क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय युवा दिवस
युवाओं को प्रेरित करने और उनका मार्गदर्शन करने के पीछे स्वामी विवेकानंद की सोच का बड़ा हाथ रहा है। इसी वजह से स्वामी विवेकानंद की जंयती को .युवा दिवस के तौर पर मनाया जाता है।इसकी शुरुआत 1984 के दौरान हुई। साल 1984 में 12 जनवरी को राष्ट्रीय युवा दिवस के तौर पर मनाने का फैसला लिया गया। स्वामी विवेकानंद हमेशा .युवाओं के लिए आदर्श रहे हैं। साथ ही उन्होंने अपने विचारों से युवाओं को प्रेरित भी किया है। यह जान लें कि 12 जनवरी को युवा दिवस के तौर पर मनाने का चुनाव करना एक तरह से स्वामी विवेकानंद के विचारों और शिक्षाओं को युवाओं तक पहुंचाना रहा है। स्वामी विवेकानंद के विचार युवाओं में आत्मविश्वास और सेल्फ लव का संचार करते हैं। नेतृत्व करने की क्षमता और राष्ट्र का गौरव बढ़ाने की सीख भी देते हैं। इसे देखते हुए राष्ट्रीय युवा दिवस के मौके पर स्कूल और कॅालेज में कई तरह की प्रतियोगिताओं और सास्कृतिक गतिविधियों का आयोजन भी किया जाता है, ताकि युवा दिवस के माध्यम से युवाओं की ऊर्जा और क्षमताओं को सही दिशा में ले जाने का काम किया जा सके।
जैसा सोचते हो वैसा ही बन जाओगे
उनका यह कहना रहा है कि हम जैसा सोचते हैं। वैसे ही बन जाते हैं। उन्होंने कहा थी कि जैसा तुम सोचते हो , वैसे ही बन जाते हो। खुद को निर्बल मानोगे तो निर्मल और सबल मानोगे तो सबक ही बन जाओगे। अपने एक भाषण में उन्होंने यह भी कहा थी कि यह कभी मत कहो कि मैं नहीं कर सकता। क्योंकि आप अनंत हैं। युवा पीढ़ी को मार्गदर्शन देते हुए और उनका हौसला बढ़ाते हुए उन्होंने कहा थी कि जितना बड़ा संघर्ष होगा जीत उतनी शानदार होगी।
लक्ष्य पर ध्यान केंद्रित करना
विवेकानंद ने जीवन में अपने लक्ष्य को समझने के लिए कहा थी कि उठो, जागो और तब तक न रुको जब तक तुम अपना लक्ष्य प्राप्त नहीं कर लेते। दोस्त और संगति को लेकर अपने विचार समझते हुए उन्होंने कहा था कि संगति आपको ऊंचा उठा सकती है, और यह आपको ऊंचाई से गिरा भी सकती है। इसलिए हमेशा अच्छे लोगों की संगति में रहना चाहिए। दूसरों की निंदा से अपने अंदर नकारात्मक विचार लाने को लेकर उन्होंने कहा था कि लोग तुम्हारी स्तुति यानी कि तारीफ करें या निंदा लक्ष्य तुम्हारे ऊपर कृपालु हो या न हो तुम्हारा देहांत आज हो युग में तुम न्याय पथ से भ्रष्ट न हो। उन्होंने यह भी कहें कि किसी की निंदा न करें। अगर आप मदद के लिए हाथ बड़ा सकते हैं ,तो जरूर बढ़ाएं ।अगर नहीं बढ़ा सकते हैं तो अपने हाथ जोड़े और अपने भाइयों को उनके मार्ग पर जाने दीजिए।
कुछ भी असंभव नहीं
स्वामी विवेकानंद ने यह भी कहा है कि कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ भी असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा विधर्म है। अगर कोई पाप है तो यही है, यह कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य कोई निर्बल है। उन्होंने महिलाओं का मार्गदर्शन करते हुए यह भी कहा है कि सच्ची सफलता, सच्ची खुशी का महान रहस्य यह है कि वह पुरुष या महिला से बदले में कुछ नहीं मांगता और पूरी तरह से निस्वार्थ व्यक्ति , अपने जीवन में सबसे सफल होता है। अपने प्रेरणादायी जीवन से स्वामी विवेकानंद ने यह भी कहा था कि आपको अंदर से बाहर की तरफ खुद को बढ़ाना होगा। कोई तुम्हें सिखा नहीं सकता है। कोई तुम्हें आध्यात्मिक नहीं बना सकता है। आपकी अपनी आत्मा के अलावा कोई अन्य शिक्षक नहीं है। समस्याओं से लड़ने का समाधान देते हुए अपने विचार व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा था कि जिस दिन आपके सामने कोई समस्या न आए, आप निश्चिंत हो सकते हैं कि आप गलत रास्ते पर यात्रा कर रहे हैं।
विचार और जीवन पर करें ध्यान केंद्रित
अपने मार्गदर्शन में स्वामी विवेकानंद ने यह सीख दी थी कि एक विचार लो, उस एक विचार को अपना जीवन बना लो। फिर उसके बारे में सोचो, उसके सपने देखो और उस विचार पर जियो इसके साथ मस्तिष्क ,मांसपेशियों, तंत्रिकाओं और अपने शरीर के हर हिस्से को उस विचार से भरा रहने दो और बाकी सभी विचारों को छोड़ दें। यही सफल होने का रास्ता है। उन्होंने पैसे को लेकर यह सीख दी थी कि अगर धन दूसरों की भलाई करने में उपयोग किया जाता है, तो इसका कुछ मूल्य है। अन्यथा ये सिर्फ बुराई का ढेर है। इससे जितनी जल्दी छुटकारा मिल जाए, उतना बेहतर होता है।
दूसरों के साथ करें अच्छा
अपने विचार व्यक्त करते हुए स्वामी विवेकानंद ने यह भी सीख दी है कि जितना हम दूसरों के साथ अच्छा करते हैं, उतना ही हमारा हृदय पवित्र हो जाता है। उन्होंने यह भी सीख दी थी कि मस्तिष्क की शक्तियां सूर्य के किरणों के समान है। जब वो केन्द्रित होती है, तब चमक उठती है। बाहरी स्वभाव केवल अंदरूनी स्वभाव का बड़ा रूप है। खुद को कमजोर न समझने को लेकर अपने विचार व्यक्त करते समय उन्होंने कहा था कि जो कुछ भी तुमको कमजोर बनाता है, शारीरिक , बौद्धिक या मानसिक उसे जगह की तरह त्याग दो। सत्य की जीत पर उन्होंने कहा था कि सत्य को हजार तरीकों से बताया जा सकता है, फिर भी हर एक सत्य ही होगा। खुद को कमजोर समझना सबसे बड़ा पाप है। खुद से सीखने को लेकर उन्होंने यह सीख दी थी कि तुम्हें कोई पढ़ा नहीं सकता कोई आध्यात्मिक नहीं बना सकता। तुमको सब कुछ खुद अंदर से सीखना है। आत्मा से अच्छा कोई शिक्षक नहीं होता है।
अनुभव से सीखो और खुद पर विश्वास करो
अपने लक्ष्य के प्रति समर्पित रहने को लेकर स्वामी विवेकानंद ने यह सीख दी थी कि जब तक जीना है, तब तक सीखना है। अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। उन्होंने समाज को लेकर यह सीख दी थी कि जब लोग तुम्हें गाली दें तो तुम उन्हें आशीर्वाद दो। सोचो, तुम्हारे झूठे दंभ को बाहर निकालकर वो तुम्हारी कितनी मदद कर रहे हैं। प्रेम भाव को लेकर उनकी सीख रही है कि प्रेम विस्तार है, स्वार्थ संकुचन है। इसलिए प्रेम जीवन का सिद्धांत है। वह जो प्रेम करता है जीता है। वह जो स्वार्थी है मर रहा है। इसलिए प्रेम के लिए प्रेम करो, क्योंकि जीने का यही एक मात्र सिद्धांत है। वैसे ही जैसे तुम जीने के लिए सांस लेते हो।
बताया शिक्षा का महत्व
युवा हो या महिला यहां तक कि हम सभी के जीवन में शिक्षा का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा था कि शिक्षा क्या है, क्या वह पुस्तक विद्या है, नहीं। क्या वह नाना प्रकार का ज्ञान है, नहीं। यह भी नहीं। जिस संयम के द्वारा इच्छा शक्ति का प्रवाह और विकास वश में लाया जाता है वह फलदायक होता है, वह शिक्षा कहलाती है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा था कि ज्ञान का प्रकाश सभी अंधेरों को खत्म कर देता है। शिक्षा का अर्थ है, उस पूर्णता को व्यक्त करना जो सब मनुष्यों में पहले से विद्यमान है। हमें ऐसी शिक्षा चाहिए,जिससे चरित्र का निर्माण हो, मन की शक्ति बढ़े, बुद्धि का विकास हो और मनुष्य अपने पैर र खड़ा हो सके। स्वामी विवेकानंद ने यह भी सीख दी थी कि किसी चीज से डरो मत, तुम अद्भुत काम करोगे। यह निर्भयता ही है जो क्षण भर में परम आनंद लाती है। हर काम को तीन अवस्था से गुजरना होता है, उपहास ,विरोध और स्वीकृति। उन्होंने खुग में यकीन रखने की सीख देते हुए कहा था कि यदि परिस्थितियों पर आपकी मजबूत पकड़ है, तो जहर उगलने वाला भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है। उन्होंने यह भी सीख दी थी कि कभी मत सोचिये कि आत्मा के लिए कुछ असंभव है। ऐसा सोचना सबसे बड़ा अर्धम है। अगर कोई पाप है, तो वो यही है, ये कहना कि तुम निर्बल हो या अन्य निर्बल है।